क्या है Myasthenia Gravis
मायस्थोनिया ग्रेविस एक न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर है। इसमें हमारे शरीर की मांसपेशियों में इस तरह की कमजोरी आ जाती है कि एक कंडीशन ऐसी आती है कि व्यक्ति हिल अरुण संकेतक क्या है डुल भी नहीं पाता. न ही अपने हाथ- पैरों को हिला पाता है. डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारी तंत्रिका कोशिकाओं और मसल्स के बीच कनेक्शन टूट जाता है। तंत्रिका कोशिका दिमाग को मैसेज नहीं भेज पाते और जब मैसेज दिमाग को नहीं मिलता है तो हाथ या पैर में यह किसी भी अंग में कोई एक्टिविटी नहीं होती. इससे हमारी मसल्स में होने वाले संकुचन में अवरोध पैदा होता है और वह कमजोर होने लगती हैं.

arun maheshwari

HDFC NIFTY Next 50 Index Fund Direct - Growth

Fund Key Highlights
1. Current NAV: The Current Net Asset Value of the HDFC NIFTY Next 50 Index Fund अरुण संकेतक क्या है - Direct Plan as of @@navdate@@ is Rs @@nav@@ for Growth option of its Direct plan.
2. Returns: Its trailing returns over different time periods are: -3.2% (since launch). Whereas, Category अरुण संकेतक क्या है returns for the same time duration are: -5.59% (1yr), 15.47% (3yr) and 11.0% (5yr).
3. Fund Size: The HDFC NIFTY Next 50 Index Fund - Direct Plan currently holds Assets under Management worth of Rs 378.45 crore as on Sep 30, 2022.
4. Expense ratio: The expense ratio अरुण संकेतक क्या है of the fund is 0.4% for Direct plan as on Aug 31, 2022.
5. Exit Load: The given fund doesn't attract any Exit Load.
6. Minimum Investment: Minimum investment required is Rs 100 and minimum additional investment is Rs 0. Minimum SIP investment is Rs 100.

Myasthenia Gravis: क्या है मायस्थेनिया ग्रेविस? PK फेम अरुण बाली की हुई इसी से मौत

By: ABP अरुण संकेतक क्या है अरुण संकेतक क्या है Live | Updated at : 07 Oct 2022 08:07 PM (IST)

Arun Bali Death: पीके और 3 idiots जैसी कई फिल्मों में अभिनय का लोहा मनवाने वाले Bollywood Actor Arun Bali की न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर बीमारी से मौत हो गई. वह एक ऐसी बीमारी की चपेट में थे जोकि रेयरली होती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मायस्थेनिया ग्रेविस डिसीज की चपेट में थे. यह एक न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर है. जो व्यक्ति की डेली लाइफ को पूरी तरह से डिस्टर्ब कर देता है व्यक्ति का सरवाइव करना कठिन हो जाता है. यह बीमारी क्या है? कैसे व्यक्ति को अपनी चपेट में लेती है? क्या इसके लक्षण है यदि कोई व्यक्ति इस बीमारी का शिकार हो जाए तो इसका प्रॉपर इलाज है भी अरुण संकेतक क्या है या नहीं या केवल लक्षणों को साध कर ही जीवन जिया जा सकता है जानते हैं इसके बारे में

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गालियाँ और मोदी जी ! ओह माई गॉड! इन सज्जन को परेशानी क्या है?

मोदी जी की छवि झूठ बोलने वाले मसखरे की होती जा रही है. अक्सर हर थोड़े दिनों के अंतराल पर मोदी जी गालियों और कुत्साओं की गलियों में भटकते हुए पाए जाते हैं। या अरुण संकेतक क्या है तो वे खुद अन्य लोगों को नाना प्रकार की गालियों से नवाजते हुए देखे जाते हैं, या अन्य की गालियों की गंदगी में लोटते-पोटते, आनंद लेते दिखाई देते हैं।

अक्सर हर थोड़े दिनों के अंतराल पर मोदी जी गालियों और कुत्साओं की गलियों में भटकते अरुण संकेतक क्या है हुए पाए जाते हैं। या तो वे खुद अन्य लोगों को नाना प्रकार की गालियों से नवाजते हुए देखे जाते हैं, या अन्य की गालियों की गंदगी में लोटते-पोटते, आनंद लेते दिखाई देते हैं।

उनके ही शब्दों में, हर रोज़ की ये कई किलो गालियां उनके लिए पौष्टिक आहार की तरह होती हैं।

सचमुच, फ्रायड भी यही कहते हैं कि व्यक्ति हमेशा घूम-फिर जिन बातों को दोहराता हुआ पाया जाता है, उसमें ऐसे आवर्त्तन हमेशा उसके लिए आनंद की चीज़ हुआ करते हैं।

प्रमाता में ऐसा repetition उसके enjoyment पर आधारित होता है।

पर फ्रायड यह भी कहते हैं कि इसी से उस चरित्र की कमजोरी, प्रमादग्रस्त प्रमाता के रोग के लक्षण की शिनाख्त भी होती है।

इसमें मुश्किल की बात एक और है कि आदमी हमेशा दोहराता तो वही है, जिसे वह दोहराता रहा है, पर हर दोहराव में रफ़्तार की गति के कम होने की तरह, कुछ क्षय होता रहता है, और क्रमशः उसकी बातें उसके सिर्फ एक रोग के लक्षण का संकेत भर बन कर रह जाती हैं।

फ्रायड कहते हैं कि इस प्रकार के दोहराव में व्यक्ति को उस चीज से मिलने वाला मज़ा ख़त्म होता जाता है।

जॉक लकान कहते हैं कि यही वह बिंदु है जहां से फ्रायडीय विमर्श में ‘खोई हुई वस्तु की भूमिका’ (function of lost object) का प्रवेश होता है।

यह व्यक्ति की वह मौज है जिसमें वह अपनी छवि की बाक़ी सब चीजों को गँवाता जाता है। इसे लकान की भाषा में Ruinous enjoyment कहते हैं। यह बिंदु उसी दिशा में बढ़ने का प्रस्थान बिंदु है।

इससे व्यक्ति एक निश्चित, एकल दिशा के संकेतक में बदलता जाता है। उससे कोई भी जान पाता हैं कि वह किस दिशा में बढ़ रहा है, वह क्या करने और कहने वाला है ॥

लकान व्यक्ति के बारे में आम जानकारी और उसके ऐसे संकेतक रूप से मिलने वाली जानकारी, इन दोनों को बिल्कुल अलग-अलग चीज बताते हैं। इनमें आपस में कोई मेल नहीं रह जाता है। यह संकेतक प्रमाता को अन्य संकेतक के सामने पेश करने का काम करता है।

उसी से जुड़ा हुआ है व्यक्ति के अपने आनन्द में क्षय का पहलू। यहाँ आकर उसके आनंद की समाप्ति हो जाती है, और यहीं से उसमें दोहराव का क्रम चलने लगता है। ज़ाहिर है कि इससे प्रमाता के बारे में हमारी या अन्य की जानकारी भी सिकुड़ती चली जाती है।

नेताजी की तस्वीर के बारे में गलत प्रचार पर राष्ट्रपति भवन नाराज़, प्रेस सचिव ने लिखा अरुण अरुण संकेतक क्या है पुरी को पत्र

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