Budget 2023 : यूनियन बजट बनाने वाली फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण की टीम के बारे में यहां जानिए सबकुछ
Union budget 2023: फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण और नॉर्थ ब्लॉक के उनके अधिकारियों के सामने ग्रोथ बढ़ाने और इनफ्लेशन को काबू में करने की चुनौती है। उन्हें आम चुनाव से ठीक पहले के साल में बाहरी रिस्क से निपटने के उपाय भी तलाशने होंगे। इससे पहले वे कोरोना की महामारी से पैदा हुए मुश्किल हालात का सामना कर चुके हैं
यह 2024 के लोकसभा चुनावों के पहले सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। यह बजट ऐसे वक्त आ रहा है, जब घरेलू इकोनॉमी की सेहत अच्छी है। इंडिया जी20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी है।
Budget 2023 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट (Union Budget) पेश करेगी, जो 2024 के लोकसभा चुनावों के पहले सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। यह बजट ऐसे वक्त आ रहा है, जब घरेलू इकोनॉमी की सेहत अच्छी है। इंडिया जी20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी है। इनफ्लेशन में कमी आ रही है। इससे इंटरेस्ट रेट में वृद्धि पर आरबीआई के ब्रेक लगाने की उम्मीद है।
हालांकि, ग्लोबल इकोनॉमी की तस्वीर अच्छी नहीं है। पश्चिमी देशों और चीन में ग्रोथ सुस्त पड़ रही है। जियोपॉलिटिकल अनिश्चितताएं 2023 में भी बने रहने की आशंका है। इसका असर निवेशकों के सेंटिमेंट पर पड़ सकता है। इंडिया का एक्सटर्नल बैलेंस ऑफ ट्रेड भी बिगड़ सकता है।
FMCG उद्योग को मात्रा, मार्जिन के लिहाज से 2023 अच्छा रहने की उम्मीद
नई दिल्लीः दाम को यथावत रखते हुए उत्पाद के पैकेट के आकार को छोटा कर मात्रा में कमी करना (श्रिंकफ्लेशन) ऐसी चीज है, जो देश में पहले कभी देखने को नहीं मिली थी लेकिन यूक्रेन में युद्ध के बाद कच्चे माल की कीमतों में जोरदार उछाल के बीच रोजाना के उपभोग का सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनियों ने कुछ इसी तरह का रुख अपनाना है। इसकी वजह यह है कि एफएमसीजी कंपनियां यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि मांग में जो कमजोर सुधार है, वह पूरी तरह थम नहीं जाए।
कच्चे माल की लागत बढ़ने के बीच जब एफएमसीजी कंपनियों के पास सारे विकल्प समाप्त हो गए, तो उन्होंने दाम बढ़ाना शुरू किया। एफएमसीजी कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि 2023 का साल उनके लिए कुछ बेहतर साबित होगा और वे मार्जिन के साथ-साथ मात्रा के मोर्चे पर भी बढ़ोतरी दर्ज करेंगी। विशेषरूप से इन कंपनियों को जिंस कीमतों में कमी के बीच ग्रामीण क्षेत्र की मांग में सुधार की उम्मीद है। एफएमसीजी कंपनियां ‘सतर्क के साथ आशान्वित' भी हैं। उन्हें उम्मीद है कि ग्रामीण बाजार एक बार फिर सुधार की राह पर आएगा। उनकी कुल बिक्री में एक-तिहाई हिस्सा ग्रामीण बाजार का है। अच्छी फसल, सरकारी प्रोत्साहन और कृषि आय में सुधार से ग्रामीण बाजार की स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
एफएमसीजी क्षेत्र की मांग जिस समय सुधर रही थी, तो यूक्रेन युद्ध ने जिंस कीमतों के दाम चढ़ा दिए। कच्चे माल की ऊंची लागत से निपटने के लिए कई एफएमसीजी कंपनियों ने कीमत में बदलाव नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपने उत्पादों के पैकेट और वजन को घटा दिया। इसे ‘श्रिंकफ्लेशन' कहा जाता है। इसका मतबल है कि उपभोक्ताओं को कम उत्पाद के लिए समान या पुरानी कीमत का भुगतान करना पड़ रहा है। कोविड संक्रमण कम होने और अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ 2022 की अंतिम तिमाही में मांग में सुधार होना शुरू हुआ। एफएमसीजी कंपनियां जो महामारी के कारण पिछले दो साल के दौरान गंभीर रूप से प्रभावित हुई थीं, उम्मीद कर रही हैं कि 2023 में चीजें बेहतर होंगी।
डाबर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मोहित मल्होत्रा ने कहा, ‘‘हम वर्ष 2023 को लेकर आशान्वित हैं और हमें ग्रामीण मांग में सुधार की उम्मीद है।'' उन्होंने कहा कि उभरते माध्यमों मसलन आधुनिक व्यापार और ई-कॉमर्स के जरिए शहरी मांग में वृद्धि जारी रहेगी।'' उद्योग में 2022 में कीमत वृद्धि दो अंक यानी 10 प्रतिशत से अधिक रही है। डेटा विश्लेषण कंपनी नील्सनआईक्यू की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी उद्योग में पिछले तीन माह की तुलना में सितंबर तिमाही में मात्रा के लिहाज से 0.9 प्रतिशत की गिरावट रही।
इमामी के वाइस चेयरमैन मोहन गोयनका ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति और ग्रामीण सुस्ती चिंता का विषय बनी हुई है, लेकिन जिंस कीमतें नीचे आना शुरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर से जिंस कीमतें नीचे आ रही हैं लेकिन इसका लाभ अगले वित्त वर्ष में ही दिखना शुरू होगा। ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के कार्यकारी वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा कि महामारी के बाद मांग स्थिर हुई है लेकिन लागत और मुनाफे के मोर्चे पर देखा जाए, तो जिंसों के दाम ऊंचे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जिंसों के दाम अभी नरम नहीं हुए हैं। हालांकि, हमें उम्मीद है कि आगे चलकर जिंस कीमतें नीचे आएंगी। बेरी ने कहा कि अभी सिर्फ पाम तेल का दाम नीचे आया है। गेहूं के दाम चढ़े हुए हैं जबकि चीनी स्थिर है। हालांकि, आगे हमें स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
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FMCG Bussiness : कंपनियों को मात्रा, मार्जिन के लिहाज से 2023 अच्छा रहने की उम्मीद
FMCG Bussiness : डाबर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मोहित मल्होत्रा ने कहा, हम वर्ष 2023 को लेकर आशान्वित हैं और हमें ग्रामीण मांग में सुधार की उम्मीद है।
FMCG Bussiness: नई दिल्ली। दाम को यथावत रखते हुए उत्पाद के पैकेट के आकार को छोटा कर मात्रा में कमी करना (श्रिंकफ्लेशन) ऐसी चीज है, जो देश में पहले कभी देखने को नहीं मिली थी। लेकिन यूक्रेन में युद्ध के बाद कच्चे माल की कीमतों में जोरदार उछाल के बीच रोजाना के उपभोग का सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनियों ने कुछ इसी तरह का रुख अपनाना है। इसकी वजह यह है कि एफएमसीजी कंपनियां यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि मांग में जो कमजोर सुधार है, वह पूरी तरह थम नहीं जाए।
FMCG Bussiness
कच्चे माल की लागत बढ़ने के बीच जब एफएमसीजी कंपनियों के पास सारे विकल्प समाप्त हो गए, तो उन्होंने दाम बढ़ाना शुरू किया। एफएमसीजी कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि 2023 का साल उनके लिए कुछ बेहतर साबित होगा और वे मार्जिन के साथ-साथ मात्रा के मोर्चे पर भी बढ़ोतरी दर्ज करेंगी। विशेष रूप से इन कंपनियों को जिंस कीमतों में कमी के बीच ग्रामीण क्षेत्र की मांग में सुधार की उम्मीद है।
एफएमसीजी कंपनियां ‘सतर्क के साथ आशान्वित’ भी हैं। उन्हें उम्मीद है कि ग्रामीण बाजार एक बार फिर सुधार की राह पर आएगा। उनकी कुल बिक्री में एक-तिहाई हिस्सा ग्रामीण बाजार का है। अच्छी फसल, सरकारी प्रोत्साहन और कृषि आय में सुधार से ग्रामीण बाजार की स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
एफएमसीजी क्षेत्र की मांग जिस समय सुधर रही थी, तो यूक्रेन युद्ध ने जिंस कीमतों के दाम चढ़ा दिए। कच्चे माल की ऊंची लागत से निपटने के लिए कई एफएमसीजी कंपनियों ने कीमत में बदलाव नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपने उत्पादों के पैकेट और वजन को घटा दिया। इसे ‘श्रिंकफ्लेशन’ कहा जाता है। इसका मतबल है कि उपभोक्ताओं को कम उत्पाद के लिए समान या पुरानी कीमत का भुगतान करना पड़ रहा है।
कोविड संक्रमण कम होने और अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ 2022 की अंतिम तिमाही में मांग में सुधार होना शुरू हुआ। एफएमसीजी कंपनियां जो महामारी के कारण पिछले दो साल के दौरान गंभीर रूप से प्रभावित हुई थीं, उम्मीद कर रही हैं कि 2023 में चीजें बेहतर होंगी।
डाबर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मोहित मल्होत्रा ने कहा, हम वर्ष 2023 को लेकर आशान्वित हैं और हमें ग्रामीण मांग में सुधार की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि उभरते माध्यमों मसलन आधुनिक व्यापार और ई-कॉमर्स के जरिये शहरी मांग में वृद्धि जारी रहेगी। उद्योग में 2022 में कीमत वृद्धि दो अंक यानी 10 प्रतिशत से अधिक रही है। डेटा विश्लेषण कंपनी नील्सनआईक्यू की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी उद्योग में पिछले तीन माह की तुलना में सितंबर तिमाही में मात्रा के लिहाज से 0.9 प्रतिशत की गिरावट रही।
इमामी के वाइस चेयरमैन मोहन गोयनका ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति और ग्रामीण सुस्ती चिंता का विषय बनी हुई है, लेकिन जिंस कीमतें नीचे आना शुरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर से जिंस कीमतें नीचे आ रही हैं लेकिन इसका लाभ अगले वित्त वर्ष में ही दिखना शुरू होगा।
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के कार्यकारी वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा कि महामारी के बाद मांग स्थिर हुई है। लेकिन लागत और मुनाफे के मोर्चे पर देखा जाए, तो जिंसों के बाजार वृद्धि विश्लेषण दाम ऊंचे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जिंसों के दाम अभी नरम नहीं हुए हैं। हालांकि, हमें उम्मीद है कि आगे चलकर जिंस कीमतें नीचे आएंगी। बेरी ने कहा कि अभी सिर्फ पाम तेल का दाम नीचे आया है। गेहूं के दाम चढ़े हुए बाजार वृद्धि विश्लेषण हैं जबकि चीनी स्थिर है। हालांकि, आगे हमें स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
सांची दूध में फिर से दो रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी, दो माह में 4 रुपए बढ़े दूध के दाम, इस बार 9 वैरिएंट में हुई बढ़ोतरी
सांची ब्रांड के पैक्ड दूध के दामों में फिर से उबाल आ गया है। एमपी स्टेट को ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड ने भोपाल दुग्ध संघों को सांची दूध के 9 वेरिएंट की कीमत में 2 रुपए प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि करने को कहा है। पिछले एक साल में तीन बार में 6 रुपए लीटर से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है। पिछले दो महीने में ही 4 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो गई। सांची दूध की कीमत में बढ़ोतरी का असर बाजार में बिकने वाले खुले डेयरी के दूध पर पड़ा है। अब खुले में बिकने वाला दूध भी मंहगा हो गया है
भोपाल। सांची ब्रांड के पैक्ड दूध के दामों में फिर से उबाल आ गया है। एमपी स्टेट को ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड ने भोपाल दुग्ध संघों को सांची दूध के 9 वेरिएंट की कीमत में 2 रुपए प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि करने को कहा है। पिछले एक साल में तीन बार में 6 रुपए लीटर से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है। पिछले दो महीने में ही 4 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो गई। सांची दूध की कीमत में बढ़ोतरी का असर बाजार में बिकने वाले खुले डेयरी के दूध पर पड़ा है। अब खुले में बिकने वाला दूध भी मंहगा हो गया है।
पिछले कुछ समय से यह ट्रेंड हो गया कि बाजार में जब भी सांची दूध के दाम में बढ़ोतरी होती है, तो उसी समय से अन्य ब्रांड के दूध व बाजार में बिकने वाला खुला दूध मंहगा हाे जाता है। इसके साथ ही साथ दूध व दूध से बनी अन्य सामग्री दही, मठा, छेना, पनीर, श्रीखंड, पेड़ा आदि भी मंहगी हो जाती है। Sanchi milk again increased by two rupees per liter, the price of milk increased by four rupees in two months, this time the increase in 9 variants इससे आम लोगों की एक तरफ जेबें ढीली होती है तो मंहगाई भी बढ़ता है। सबसे दिलचस्प यह कि दूध की कीमत में बढ़ोतरी का लाभ दूध उत्पादकों को नहीं मिलता।
कुछ इस तरह से बढ़ेंगे दाम-
भोपाल सहकारी दुग्ध संघ मर्यादित ने डायमंड दूध, फुल क्रीम दूध (गोल्ड), स्टैडर्ड दूध (शक्ति), टोण्ड दूध (ताजा), डबल टोण्ड दूध (स्मार्ट), चाह दूध और चाय स्पेशल दूध में 2-2 बाजार वृद्धि विश्लेषण बाजार वृद्धि विश्लेषण रुपए प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि कर दी है। यह मूल्य वृद्धि कल 25 दिसंबर से प्रभावी हो जाएगी। इसके पहले फेडरेशन के निर्देश पर सांची दुग्ध संघ ने 20 अक्टूबर 2022 को डायमंड दूध और फुल क्रीम दूध गोल्ड में 2 रुपए प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि की थी।
कोविड अलर्ट: स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने सफदरजंग अस्पताल में मॉक ड्रिल का निरीक्षण किया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने यहां केंद्र सरकार द्वारा संचालित सफदरजंग अस्पताल में मंगलवार को कोविड महामारी से निपटने के लिए आयोजित मॉक ड्रिल का निरीक्षण किया और कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने की स्थिति से निपटने की अस्पताल की तैयारियों का जायजा लिया।
बता दें कि कुछ देशों में कोविड-19 के मामलों में तेजी के बीच केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से एहतियाती कदमों के तौर पर सभी कोविड अस्पतालों में मॉक ड्रिल करने को कहा है।
उन्होंने कहा, मैंने सफदरजंग अस्पताल में कोविड से निपटने के लिए आयोजित मॉक ड्रिल का जायजा लिया। मॉक ड्रिल यह जानने के लिए जरूरी था कि हमारे अस्पताल महामारी से निपटने के लिए कितने तैयार हैं। मांडविया ने कहा, पूरी दुनिया में कोविड के मामले बढ़ रहे हैं और भारत में भी संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि उपकरणों, प्रक्रियाओं और मानव संसाधनों के रूप में कोविड संबंधी पूरा ढांचा पूरी तरह तैयार हो।
उन्होंने कहा कि अस्पतालों में तैयारी अहम है और इस लिहाज से सरकारी अस्पतालों के साथ साथ निजी अस्पताल भी मॉक ड्रिल कर रहे हैं। मांडविया ने कहा कि प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों में मॉक ड्रिल की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने सभी लोगों से कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाने, असत्यापित जानकारी साझा करने से बचने और उच्च स्तर की तैयारियां रखने को कहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल में 44 बिस्तर वाले कोविड केंद्र का निरीक्षण किया। उन्होंने अस्पताल के अधिकारियों से बातचीत भी की और उन्हें तैयारी रखने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि कोविड के लिए पर्याप्त धन आवंटित किया गया है तथा राज्यों को सभी प्रकार के बंदोबस्त के लिए पैसा दिया गया है। सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ बी एल शेरवाल ने कहा, सभी लक्षण वाले मरीजों की कोविड केंद्र में स्क्रीनिंग और जांच की जाएगी। एक से दो घंटे में रिपोर्ट मिल जाएगी जिसके बाद उन्हें भर्ती करने या छुट्टी देने का फैसला किया जाएगा। तब तक रोगी की निगरानी की जा सकती है। सभी बिस्तरों पर ऑक्सीजन की सुविधा है।
अस्पताल के डॉ नीरज गुप्ता ने बताया कि 44 बिस्तरों में से छह पर वेंटिलेटर हैं। इसके अलावा 18 बिस्तर का विशेष कोविड आईसीयू भी है। म्यांमा से बाजार वृद्धि विश्लेषण आये और दिल्ली हवाई अड्डे पर कोविड जांच में संक्रमित पाये गये चार अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनके नमूने जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजे गये हैं। डॉ शेरवाल ने बताया, उनमें लक्षण नहीं दिखे। जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी।
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