वैश्विक स्तर पर हाल के सालों में भूख के खिलाफ प्रगति दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है काफी हद तक रुक की गई है। दुनिया के लिए साल 2022 का ग्लोबल हंगर स्कोर को मध्यम माना जाता है लेकिन साल 2022 में 18.2 और 2014 में 19.1 से थोड़ा सा ही सुधार हुआ है। यह व्यापक संकट और स्थिति क्लाइमेट चेंज, करोना महामारी के आर्थिक दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है नतीजों जैसे संकटों के कारण हुई है। इसके अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध ने भी वैश्विक खाद्य इंधन और उर्वरक की कीमतों में बढ़ोतरी की है और इसके बाद यह उम्मीद की जा रही है कि साल 2023 में भी भूख इसी प्रकार गंभीर होगी।

Global Hunger Index, ग्लोबल हंगर इंडेक्स क्या है, और भारत की रैंकिंग कितनी है

अल्प पोषण या कुपोषित की व्यापकता जो कि आहार ऊर्जा सेवन की पुरानी कमी का सामना करने वाले पापुलेशन के अनुपात का एक उपाय है। देश में 2018 से 2022 में 14.6% से बढ़कर 2019- 2021 में 16.3 परसेंट हो गई थी। इसके दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है बाद 224.3 मिलियन लोगों को भारत में कुपोषित माना गया है।

Global Hunger Index : ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट जारी दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है की है, जिसने भारत की चिंता बढ़ा दी है। 121 देशों के लिस्ट में भारत को 107 वां स्थान मिला है। भारत युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान के अलावा दक्षिण एशिया के लगभग सभी देशों से इस लिस्ट में पीछे दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी जीएचआई वैश्विक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने का एक उपकरण है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स सेकोर की गणना 100 अंकों के आधार पर की जाती है, जो कि भूख की गंभीरता को दर्शाता है।

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इन अंको में 0 या जीरो सबसे अच्छा स्कोर है और सबसे खराब 100 से है। भारत का स्कोर 29.1 है जो कि इसे गंभीर श्रेणी में रखता है, पड़ोसी मुल्कों और भारत की तुलना ग्लोबल इंडेक्स रिपोर्ट में अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो लगभग सभी देश भारत से भूख के मामले में बेहतर है। श्रीलंका को 74 वें स्थान पर है जहां की आर्थिक स्थिति अभी बहुत खराब है। नेपाल को 81 वां स्थान और पाकिस्तान को 99वें स्थान मिला है। अफगानिस्तान 109 पर है वही भारत 107 पर है अफगानिस्तान की स्थिति भारत से भी बदतर है। इसके अलावा चीन सामूहिक रूप से 1 और 17 के बीच रैंक वाले देश में से एक है। इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स रेट में चीन 5 से भी कम है। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

भारत में कुपोषित लोगों की संख्या क्या है


अल्प पोषण या कुपोषित की व्यापकता जो कि आहार ऊर्जा सेवन की पुरानी कमी का सामना करने वाले पापुलेशन के अनुपात का एक उपाय है।

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देश में 2018 से 2022 में 14.6% से बढ़कर 2019- 2021 में 16.3 परसेंट हो गई थी। इसके बाद 224.3 मिलियन लोगों को भारत में कुपोषित माना गया है। वहीं विश्व स्तर पर कुपोषित लोगों की कुल संख्या 828 मिलयन बताई गई है। Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize

Education Loan vs Personal Loan: पर्सनल लोन या एजुकेशन लोन ? विदेश में पढ़ाई के लिए इनमें से कौन है बेहतर

Education Loan vs Personal Loan: पर्सनल लोन या एजुकेशन लोन ? विदेश में पढ़ाई के लिए इनमें से कौन है बेहतर

Education Loan vs Personal Loan: हर साल हजारों स्टूडेंट विदेश में रहकर पढ़ाई करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए भारत छोड़ देते हैं.

Education Loan vs Personal Loan: हर साल हजारों स्टूडेंट विदेश में रहकर पढ़ाई करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए भारत छोड़ देते हैं. बेहतर रोजगार के अवसरों और इंटरनेशनल कैरियर के दायरे में आने के लिए भारतीय स्टूडेंट फारेन यूनिवर्सिटी का चयन करते हैं. दरअसल दुनिया में कई ऐसे भी देश हैं जो अपने यहां चल रहे स्पेशल कोर्स जैसे कि फैशन,बिजनेस मैनेजमेंट,आईटी, हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट और तमामतर कोर्स के लिए पापुलर हैं. उन विदेशी संस्थानों द्वारा ऑफर किए गए स्पेशल कोर्स की पढ़ाई और डिग्री हासिल करने के लिए फाइनेंशिएल तौर पर मजबूत इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को भी अक्सर वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ जाता है.

पर्सनल लोन और एजुकेशन लोन में क्या है फर्क ?

पर्सनल लोन वित्तीय संस्थान से कर्ज लेने वाले शख्स की इच्छा के अनुसार लोन अमाउंट इस्तेमाल करने की अनुमति देता है. इस तरह के लोन के जरिए मिले फंड को एजुकेशन, ट्यूशन फीस, शादी, घर का नवीनीकरण, छुट्टी जैसे कई मकसदों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. यह लोन बैंक, क्रेडिट यूनियन, या ऑनलाइन लेंडर के यहां अप्लाई करके लिया जा सकता है. सबसे अहम बात, पर्सनल लोन को निर्धारित टेन्योर के भीतर समय पर ब्याज के चुकाना जाना चाहिए. ये एक अनसिक्योर लोन है. इसके लिए उधार लेने वाले शख्स को कोलेटेरल या प्रापर्टी के दस्तावेजों को जमा करने की जरूरत नहीं होती है और न्यूनतम कागजी कार्यवाही के साथ कम समय में बैंको द्वारा जारी किया जाता है. इसमें कर्ज लेने वाले शख्स के CIBIL स्कोर और मंथली इनकम पर ध्यान किया जाता है.

एजुकेशन लोन एक तरह का लोन स्कीन है. एजुकेशन संबंधी खर्चों का भुगतान करने के लिए स्टूडेंट इस लोन के लिए अप्लाई दुनिया में सबसे अच्छा संकेतक क्या है करते हैं. भारत या विदेश में रहकर बेहतर शिक्षा की चाह रखने वाले छात्रों की मदद करने के लिए कई बैंक और एनबीएफसी कंपेटिटीव ब्याज दर पर एजुकेशन लोन का ऑफर देते हैं. विदेशी यूनिवर्सिटी या भारत के प्रतिष्ठित संस्थान के कोर्स में दाखिला पाने वाले सभी छात्रों को स्कॉलरशिप का लाभ नहीं मिल पाता है, ऐसी स्थिति में एजुकेशन लोन छात्रों की पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने का सबसे अच्छा जरिया बना पाता है.

जरुरी जानकारी | चौतरफा संकट के बीच सेंसेक्स ने भू-राजनीतिक तनाव, मौद्रिक सख्ती का बखूबी किया सामना

जरुरी जानकारी | चौतरफा संकट के बीच सेंसेक्स ने भू-राजनीतिक तनाव, मौद्रिक सख्ती का बखूबी किया सामना

नयी दिल्ली, 25 दिसंबर वर्ष 2022 में भू-राजनीतिक उथल-पुथल के अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ऊर्जा कीमतों में तेजी और दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों की सख्त मौद्रिक नीतियों से पैदा हुए दबाव के बीच भारतीय शेयर बाजारों ने अन्य बाजारों की तुलना में इन संकटों का कहीं बेहतर ढंग से सामना किया।

घरेलू निवेशकों के अटूट विश्वास ने दलाल स्ट्रीट को वैश्विक उठा-पटक से काफी हद तक अनछुआ रखा और भारतीय बाजार के मानक सूचकांक ने निराशाजनक संकेतों का सामना आत्मविश्वास से किया।

साल के ज्यादातर समय तक रही सुस्ती के बाद त्योहारी सत्र में सेंसेक्स ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी और यह एक दिसंबर को अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 63,284.19 पर बंद हुआ था।

सामाजिक प्रगति सूचकांक 2020 (भारत) - प्रमुख निष्कर्ष:

सामाजिक प्रगति सूचकांक 2020 में भारत ने 100 में से 56.80 स्कोर किया; 163 देशों में 117वें स्थान के साथ। नीचे दी गई तालिका प्रत्येक आयाम में भारत के प्रदर्शन को सूचीबद्ध करती है:

सामाजिक प्रगति सूचकांक आयाम

Environmental Performance Index : दुनिया के 180 देशों में सबसे नीचे फिसला भारत, 11 श्रेणिया के 40 मानकों में सबसे फिसड्डी निकले हम

Environmental Performance Index : दुनिया के 180 देशों में सबसे नीचे फिसला भारत, 11 श्रेणिया के 40 मानकों में सबसे फिसड्डी निकले हम

Environmental Performance Index : EPI 2022 की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत का सबसे कम स्कोर करना गंभीर चिंता का विषय है। EPI की रिपोर्ट हर दूसरे साल वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) येल सेंटर फॉर इन्वायरनमेंट लॉ एंड पॉलिसी और कोलंबिया यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर इंटरनेशन अर्थ साइंस इन्फॉर्मेंशन नेटवर्क (CIESIN) के द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की जाती है.

Environmental Performance Index : पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक-2022 (EPI 2022) में पिछले 10 सालों से लगातार लुढ़कता भारत अब दुनिया के 180 देशों में सबसे नीचे फिसल गया है। हर दो साल में सामने आने वाले पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (Environmental Performance Index) की 11 श्रेणियों के 40 मानकों में भारत की रैंकिंग 180वीं रही है।

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