सेबी गाइडलाइन्स फॉर आईपीओ - SEBI Guidelines for IPO
सेबी गाइडलाइन्स फॉर आईपीओ - SEBI Guidelines for IPO
जनता की भागीदारी को देखते हुए, खासकर छोटे शेयरधारकों के हितों का ध्यान रखने के लिए सेबी कंपनियों के कामकाज पर नजर रखती है, ताकि वे उचित और निश्पक्ष तरीके से अपना कारोबार करती रहें। उदाहरण के लिए, कंपनियों में ऐसे निदेशक मण्डल होने चाहिए, जिनमें कम से कम आधे सदस्य प्रवर्तकों/कम्पनी से अलग हों। साथ ही कंपनियों को लिस्टिंग समझौतों का पालन करना होता है, जिसके तहत कम्पनियों को निर्धारित समयावधि और विशेष प्रारूपों में विभिन्न सूचनाएं प्रकट करनी होती हैं। आईपीओ/एफपीओ में सेबी की भूमिका
आईपीओ लाने वाली हर कंपनी को सेबी की समीक्षा के लिए मसौदा प्रस्ताव जमा करना आवश्यक होता है।
100 करोड़ रुपए तक के आकार वाले इश्यू के संबंध में मसौदा प्रस्ताव दस्तावेज, जारी करने वाली कंपनी के पंजीकृत कार्यालय के अंतर्गत आने वाले बोर्ड के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में दाखिल किया जाएगा। विभिन्न स्तरों पर सेबी के अधिकारियों द्वारा डीआईपी के दिशा-निर्देशों के तहत प्रस्ताव प्रपत्रों की जांच की जाती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि हर आवश्यक जानकारी का खुलासा मसौदा प्रस्ताव दस्तावेज़ों में किया गया है। सेबी के निगरानी पत्र की वैधता केवल तीन महीने की होती है। यानि तीन महीने की अवधि के भीतर कंपनी को अपना इश्यू लाना होता है।
इसका अर्थ यह नहीं है कि सेबी ने किसी इश्यू की सिफारिश की है।
सेबी कभी किसी इश्यू की सिफारिश नहीं करती है और न ही किसी कम्पनी की जिम्मेदारी लेती है। यह किसी योजना या परियोजना के प्रस्ताव में दिये गए बयान की शुद्धता या वित्तीय सुदृढ़ता संबन्धी प्रस्ताव दस्तावेजों में अपनी राय भी व्यक्त नहीं करती है।
क्या सेबी प्रस्ताव दस्तावेज़ की सामग्री का अनुमोदन करती है?
यह कभी नहीं समझा जाना चाहिए कि प्रस्ताव दस्तावेज़ सेबी ने प्रस्तुत किये हैं या सेबी ने इसे मंजूरी दी है। लीड मैनेजर द्वारा प्रमाणित प्रस्ताव दस्तावेज़ में किए गए खुलासे आमतौर पर पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
निवेशक हितों के संरक्षण के लिए कम्पनियों के लिए बने सूचना प्रकट करने सम्बन्धी सेबी के दिशा-निर्देश कुछ ही समय के लिए लागू रहते हैं। निवेशकों की सुविधा के लिए प्रस्तावित इश्यू में निवेश करने का निर्णय लेने में सेबी ने निवेशकों के लिए जारी किए निर्देश मदद के लिए सेबी अपने दिशा-निर्देश जारी करती है। क्या सेबी की मंजूरी मिल जाने से निवेशकों के लिए आईपीओ सुरक्षित हो जाते हैं? आईपीओ में निवेश करने के लिए निवेशकों को दस्तावेजों में प्रकट जानकारी के आधार पर अपना निर्णय स्वयं लेना चाहिए। सेबी किसी भी कम्पनी या इश्यू में भागीदार नहीं होता है। इसलिए फंड निवेशकों को ही इश्यू के माध्यम से निवेश प्रस्ताव की गारंटी माना जाना चाहिए। हालांकि, निवेशकों को आम तौर पर निवेश पर विचार करने से पहले जोखिम कारकों सहित इश्यू से संबंधित तमाम तथ्यों का अध्ययन करने की सलाह दी जाती
है। उन्हें किसी अनधिकृत युक्ति या अनधिकृत समाचार से सतर्क रहने की चेतावनी दी जाती है। बाजार नियामक ने अधिग्रहण के नियमों में संशोधन को अपनी मंजूरी दे दी, जिसमें कंपनियों को शेयर निविदा अवधि के दौरान ओपन ऑफर प्राइस में ऊपर की तरफ संशोधन के लिए अतिरिक्त वक्त मिलेगा। इसके अलावा, बायबैक के नियमों में संशोधन को भी मंजूरी दी गई है। अब आईपीओ के 2 दिन पहले प्राइस बैंड की घोषणा
अब आईपीओ के कीमत दायरे (प्राइस बैंड) की घोषणा आईपीओ लाने के दो कार्य दिवस पहले किया जा सकता
है। मौजूदा समय में आईपीओ लाने से पांच कार्य दिवस पहले प्राइस बैंड की घोषणा करनी होती है।
अधिग्रहण, बायबैक नियमों में संशोधन को सेबी की मंजूरी
सेबी ने सुरक्षा कानून के तहत तीसरे पक्ष का काम करने वाली कंपनियों को नियंत्रित करने वाले विभिन्न नियमों में संशोधन की योजना बनाई है। बाजार नियामक इस संबंध में एक कंसल्टेशन पेपर जारी करेगा। प्रस्ताव को सेबी के
बोर्ड ने बैठक के दौरान मंजूरी दी।
जानकारी न देने वाली फार्मा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई
सेबी ने कहा है कि वह उन औषधि कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा, जो अमेरिकी खाद्य सुरक्षा प्रशासन (यूएसएफडीए) द्वारा किए गए निरीक्षण व रिपोर्ट की जानकारी उसे नहीं देंगे। अजय त्यागी ने कहा कि कंपनियों से जुड़ी वैसी जानकारियों को अभी से ही साझा करना आवश्यक है, जिसका असर संभावित तौर पर कंपनी के शेयरों
निवेशकों का हित: सेबी ने NSE से इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड की रकम बढ़ाने को कहा, SOP जारी करने की भी सलाह
मार्केट रेग्यूलेटर सेबी ने ब्रोकर डिफॉल्ट मामलों को ध्यान में रखते हुए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को नए निर्देश दिए है। इसमें इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड (IPF) की रकम बढ़ाने का कहा है। इससे पहले BSE को भी IPF कॉरपस की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा था।
इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड की रकम बढ़ाने को कहा
सेबी ने NSE एक्सचेंज से इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड की रकम को 500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1,500 करोड़ रुपए करने को कहा है। वहीं, BSE का इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड 750 करोड़ रुपए है। इससे डिफॉल्ट करने वाले ट्रेडिंग मेंबर के सभी योग्य निवेशक भुगतान को निर्धारित नीति के आधार पर भुगतान किया जाएगा, जिसमें प्रति ग्राहक अधिकतम 25 लाख रुपये देने का प्रावधान है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड की समीक्षा भी हर छमाही करने का प्रावधान है।
- मैने सेबी को 22 हजार करोड़ रुपए दिया, सेबी ने निवेशकों को केवल 106 करोड़ दिया
BSE को भी दिया निर्देश
IPF की ज्यादातर रकम लिस्टिंग फीस, सदस्यों के सहयोग, ट्रेजरी इनकम और सदस्यों पर लगने वाले जुर्माने से आती है। इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए सेबी ने पिछले दिनों BSE को भी निर्देश दिया था कि वह IPF कॉरपस की पर्याप्तता का पता लगाने के लिए सालाना समीक्षा करे और कॉरपस की जानकारी के साथ-साथ अपनी वेबसाइट पर हर महीने निवेशकों के क्लेम की प्रोसेसिंग नीतियों की भी जानकारी दे।
एसओपी जारी करने की सलाह
सेबी ने दोनों ही एक्सचेंजों को विस्तृत एसओपी जारी करने की भी सलाह दी है। इसके जरिए IPF के प्रभाव को बढ़ाया जा सकेगा और डिफॉल्ट की स्थिति में निवेशकों के अनुभवों में सुधार किया जा सकेगा। इन एसओपी में निवेशकों की जानकारी, प्रक्रियाएं, समय सीमा, क्लेम के भुगतान, क्लेम की समीक्षा और किसी ट्रेडिंग सदस्य को डिफॉल्टर रूप में घोषित करना शामिल हैं। एसओपी की मौजूदा प्रक्रियाओं को बेहतर करने पर जोर है, जिसमें डिफॉल्ट पर भुगतान की प्रक्रियाएं तेज करने पर जोर दिया जा रहा है।
क्या होता है IPF?
इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड स्टॉक एक्सचेंज द्वारा स्थापित फंड है, जो डिफॉल्ट करने वाले सदस्यों के ग्राहकों के वैलिड इन्वेस्टमेंट क्लेम को पूरा करने के लिए होता है। इसके लिए सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज में आईपीएफ के इस्तेमाल पर दिशा-निर्देश भी निर्धारित किए हैं। हालांकि, यह IPF ट्रस्ट के सलाह पर निर्धारित किया जाता है।
SEBI: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर स्टॉक टिप्स देकर निवेशकों को गुमराह करने वालों के खिलाफ सेबी की बड़ी कार्रवाई
SEBI News: सेबी ने कहा है कि छापेमारी में उसने कई डॉक्यूमेंट्स लैपटॉप, मोबाइल फोन्स, डेस्कटॉप, टैबलेट्स, हार्ड ड्राइव, पेन ट्राइव जब्त किया है जिसका इस्तेमाल स्टॉक टिप्स देने के लिए किया जा रहा था.
By: ABP Live | Updated at : 11 Mar 2022 01:24 PM (IST)
SEBI Update: शेयर बाजार के रेग्यूलेटर सेबी (Sebi) ने सोशल मीडिया पर स्टॉक टिप्स देने वालों पर बड़ी कार्रवाई की है. सेबी ने सर्च और सीजर ऑपरेशन में अलग अलग शहरों में सातों लोगों और एक कंपनी के ठिकानों पर छापा जहां से सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को शेयर बाजार में निवेश करने के लिए स्टॉक टिप्स दिए जाते हैं. गुजरात के अहमदाबाद, भावनगर, मध्य प्रदेश के नीमछ, दिल्ली और मुंबई में सेबी ने ये छापेमारी की है.
सेबी ने एक बयान जारी कर कहा है कि छापेमारी में उसने कई डॉक्यूमेंट्स और रिकॉर्ड बरामद किए हैं जिसमें लैपटॉप, मोबाइल फोन्स, डेस्कटॉप, टैबलेट्स, हार्ड ड्राइव, पेन ट्राइव जब्त किया है जिसका इस्तेमाल स्टॉक टिप्स देने के लिए किया जा रहा था. सेबी इस मामले में विस्तार से छापबीन कर रही है. सेबी के मुताबिक उसने 9 टेलीग्राम टैनल्स बरामद किए हैं जिसमें कुल 50 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं जिन्हें टेलीग्राम के सेबी ने निवेशकों के लिए जारी किए निर्देश जरिए स्टॉक टिप्स दिया जा रहा था. इस सलाह के जरिए निवेशकों का उत्साह जगाकर उन्हें इन शेयरों में ट्रेड करने के लिए आकर्षित किया जा रहा था. जिससे आर्टिफिशियल तौर पर शेयरों के कीमतों और उसके वॉल्यूम में उछाल लाई जा सके. जिसके बाद इनसे जुड़ी कंपनियां मोटा मुनाफा बनाकर ऊंची कीमत पर शेयर बेच देते थे और रिटेल निवेशकों को इससे नुकसान उठाना पड़ता था.
सेबी ने एक बार फिर से निवेशकों को सतर्क रहने और टेलीग्राम, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से प्राप्त अवांछित निवेश टिप्स पर भरोसा नहीं करने की नसीहत दी है.
सेबी ने यह जानकारी मिलने के बाद जांच शुरू किया कि चुनिंदा कंपनियों के संबंध में इस तरह के स्टॉक टिप्स और सिफारिशों को कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यापक रूप से फैलाया जा रहा है. सेबी ने कहा, "इस तरह की धोखाधड़ी के अपराधी अपने सोशल मीडिया चैनलों पर ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न मार्केटिंग तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं.
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Published at : 11 Mar 2022 01:24 PM (IST) Tags: Social media investors Securities and Exchange Board of India Share Market Update Stock Tips Sebi News हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट सेबी ने निवेशकों के लिए जारी किए निर्देश एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
सेबी का आइडल इंडिया इन्फ्रा, प्रवर्तकों व निदेशकों निवेशकों का पैसा लौटाने का निर्देश
मुंबई : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आइडल इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर्स लि., उसके प्रवर्तकों व निदेशकों से जनता से जुटाया गया बकाया धन लौटाने का निर्देश दिया है। सेबी ने पाया है कि कंपनी ने गैर परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) जारी कर निवेशकों से 4.95 करोड़ रुपये जुटाने में नियमों का उल्लंघन किया है। सेबी ने जांच में पाया कि कंपनी ने करीब 10,000 निवेशकों से एनसीडी के निजी नियोजन के जरिये 4.95 करोड़ रुपये जुटाए थे जबकि इसके लिए नियामक की मंजूरी नहीं ली गई थी। कंपनी ने दावा है कि उसने निवेशकों को ब्याज के साथ 4.41 करोड़ रुपये की राशि लौटा दी है।
आज जारी आदेश में सेबी ने आइडल इंडिया इन्फ्रा, उसके प्रवर्तकों व निदेशकों से कंपनी द्वारा एनसीडी जारी कर जुटाई गई राशि लौटाने का निर्देश दिया। निवेशकों को यह राशि उस रिटर्न या प्रतिफल के साथ लौटानी होगी, जिसका वादा कंपनी ने किया था। सेबी ने कहा कि यदि कंपनी भुगतान में विलंब करती है, तो उसे उसके प्रवर्तकों व निदेशकों को निवेशकों से जुटाए गए धन को आदेश की तारीख से लेकर भुगतान की वास्तविक तारीख तक 15 फीसद सालाना के ब्याज के साथ लौटाना होगा जोकि प्रत्येक छमाही में जुड़ेगा।
नियामक ने कहा कि कंपनी जिस भुगतान का दावा करेगी उसका प्रमाणन उसे चार्टर्ड अकाउंटेंट से लेना होगा। सेबी ने आइडल सेबी ने निवेशकों के लिए जारी किए निर्देश इन्फ्रा को निर्देश दिया है कि वह दो राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों के सभी संस्करणों और एक स्थानीय अखबार में सार्वजनिक सूचना जारी कर पैसा लौटाने के तौर तरीके बारे में बताए। इसमें संपर्क किए जाने वाले व्यक्ति का नाम, पता व संपर्क का ब्योरा होना चाहिए। यह सार्वजनिक सूचना कंपनी को आज से 15 दिन में प्रकाशित करवानी होगी। इसके अलावा सेबी ने कंपनी तथा उसके प्रवर्तकों व निदेशकों पर प्रतिभूति बाजार में लेनदेन की रोक लगा दी है। यह प्रतिबंध निवेशकों का पैसा लौटाने से आगे दो साल की अवधि के लिए जारी रहेगा।
(एजेंसी)
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मेगा मोल्ड, प्रोमोटेक को निवेशकों का धन लौटाने का निर्देश
मुंबई। गलत तरीके से फंड जुटाने के लिए कोलकाता की आई-कोर ग्रुप पर शिकंजा कसते हुए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने उसके दो प्रोमोटर यूनिट्स को निवेशकों के करीब 900 करोड़ रुपए लौटाने का निर्देश दिया है। यह मामला रिजर्व बैंक, एसएफआईओ और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पास भी भेजा गया है।
सेबी ने दोनों कंपनियों, मेगा मोल्ड इंडिया, प्रोमोटेक इंफ्राटेक और उनके प्रवर्तकों को चेतावनी दी है कि यदि धन वापसी के आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो उनके खिलाफ अभियोजन कार्यवाही, जालसाजी और धोखाधड़ी के लिए आपराधिक मामले शुरू किए जाएंगे। फंड हासिल करने के लिए संबंधित यूनिट्स बंद करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
सेबी पहले ही आई-कोर ई-सर्विसेज के खिलाफ आदेश जारी कर चुका है। इस कंपनी के प्रवर्तकों ने उक्त दो कंपनियां बनाईं और तीनों निवेशकों के साथ धोखाधड़ी सेबी ने निवेशकों के लिए जारी किए निर्देश करके गलत तरीके से फंड जुटाने की गतिविधियों में शामिल पाए गए। सेबी ने जांच में पाया कि मेगा मोल्ड ने गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर्स (एनसीडी) जारी करके 888 करोड़ रुपए जुटाए, जबकि प्रोमोटेक इंफ्राटेक ने 11.44 करोड़ रुपए का एनसीडी जारी किया।
कंपनियों ने ऐसा करते समय सार्वजनिक निर्गम से जुड़े नियामकीय प्रावधानों का पालन नहीं किया। सेबी ने पाया कि इन कंपनियों के निर्गम 50 या इससे अधिक कंपनियों को जारी किए गए, ऐसे में कंपनी को कानून के मुताबिक शेयर बाजार सूचीबद्घ कराना जरूरी था।
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