कैसे शून्य के नीचे पहुंचा तेल का दाम? क्या है नेगेटिव प्राइस? क्या भारत में सस्ते होंगे पेट्रोल, डीजल? 5 पॉइंट्स में समझें
अमेरिका में सोमवार को कच्चे तेल की मई के लिए फ्यूचर प्राइस करीब -40 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। इतिहास में पहली बार हुआ है कि तेल की कीमत नेगेटिव में पहुंची है। हालांकि, ब्रेंट क्रूड की कीमत अभी 25 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। लिहाजा भारत में पेट्रोल, डीजल की कीमतों में नाटकीय गिरावट के आसार कम हैं।
हाइलाइट्स
- 1983 में अमेरिका में तेल की फ्यूचर ट्रेडिंग शुरू होने के बाद पहली बार शून्य से नीचे पहुंचा दाम
- कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुआ डिमांड-सप्लाई का असंतुलन इसके लिए है जिम्मेदार
- यह गिरावट WTI क्रूड के दाम में, ब्रेंट क्रूड अब भी 25 डॉलर प्रति डॉलर के पास, भारत इसे ही खरीदता है
- इस वजह से अमेरिका में तेल की कीमत नेगेटिव होने का भारत पर सीधा असर नहीं, उपभोक्ता को भी फायदा नहीं
1- क्यों नेगेटिव में हुआ दाम?
2019 के आखिर में चीन में कोरोना वायरस फैलने के बाद से ही ग्लोबल मार्केट में तेल की कीमत लगातार गिर रही है। बाद में वायरस चीन से बाहर फैलते हुए पूरी दुनिया को चपेट में ले लिया। जगह-जगह लॉकडाउन है, ज्यादातर जगहों पर ट्रांसपोर्ट तकरीबन बंद है इस वजह से तेल की डिमांड बहुत ही ज्यादा घट गई है। तेल की डिमांड पिछले 25 सालों में सबसे कम स्तर पर है। दूसरी तरफ ऑइल प्रोड्यूसर तेल कुंओं से उत्पादन जारी रखे हुए हैं। इस वजह से तेल की ओवर सप्लाई हुई और मांग व आपूर्ति का पूरा संतुलन ही गड़बड़ा गया।
2- 'नेगेटिव प्राइस' का क्या है मतलब?
आसान शब्दों में कहें तो इसका मतलब है कि ऑइल प्रोड्यूसर के पास स्टोरेज के लिए जगह नहीं बची है लिहाजा वे तेल ले जाने पर उल्टे खरीदार को पैसे देंगे। सोमवार को अमेरिका में जो स्थिति थी उसके मुताबिक अगर कोई खरीदार तेल लेना चाहता है तो ऑइल प्रोड्यूसर उल्टे ऐसे खरीदारों को प्रति बैरल करीब 40 डॉलर चुकाएंगे। इसका असर यह होगा कि ऑइल प्रोड्यूसर अब प्रोडक्शन का काम रोक सकते हैं क्योंकि कोई भी तेल कंपनी अपने कच्चे तेल को घाटे में तो बिल्कुल कच्चे तेल की ट्रेडिंग से कैसे कमाएं मुनाफा नहीं बेचना चाहेगी। लिहाजा मुमकिन है कि ऑइल प्रोड्यूसर तब तक अपने कुंओं को बंद कर दें जब तक मार्केट रिकवर नहीं हो जाता।
3- यूएस में नेगेटिव प्राइस का भारत पर क्या असर?
तेल के ओवरफ्लो की स्थिति अमेरिका में है। बाकी देशों में डिमांड जरूर कम है लेकिन ओवरफ्लो की स्थिति नहीं है। अमेरिका में प्रोड्यूसर हर दिन 1 करोड़ बैरल तेल का उत्पादन करते हैं। ऑइल स्टोरेज टैंक भर चुके हैं इसलिए कंपनियां सरप्लस तेल की किसी भी तरह बेचना चाहती हैं। बाकी देशों में तेल की कीमत कम हुई है लेकिन शून्य नहीं। भारत की बात करें तो WTI (वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट) कीमतों से यहां सीधा कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत की निर्भरता ब्रेंट क्रूड ऑइल पर है जो इंटरनैशनल बेंचमार्क ऑइल प्राइस है। ब्रेंट क्रूड अभी भी 25 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के आस-पास है। इस साल जनवरी से लेकर ब्रेंट क्रूड की कीमत में करीब 2 तिहाई से ज्यादा गिरावट आ चुकी है और यह 18 वर्षों में सबसे कम कीमत है। जाहिर है, भारत को भी तेल सस्ते में मिल रहे हैं लेकिन शून्य के आस-पास वाली स्थिति नहीं है।
4- पेट्रोल, डीजल की कीमतों पर क्या होगा असर?
तेल की कीमतों के रसातल में जाने से इस साल पेट्रोल की कीमतों में तेजी से गिरावट होने वाली है। लेकिन पेट्रोल पंप पर अदा की जाने वाली कीमत भी ऑइल मार्केट की तरह ही होगी, इसे तो भूल ही जाइए। इसकी वजह है रिफाइनरी से पेट्रोल पंप तक के तेल के सफर के दौरान टैक्स, कमीशन और तेल कंपनियों का मुनाफा। भारत के संदर्भ में इसे देखते हैं। ऑइल प्रोड्यूसर से कच्चा तेल खरीदा गया। अब इससे रिफाइनरी पेट्रोल, डीजल और दूसरे पेट्रोलियम प्रोडक्ट निकालती हैं। यहां तेल कंपनियां अपना मुनाफा वसूलने के बाद तेल को पेट्रोल पंप तक पहुंचाती हैं। अब पेट्रल पंप मालिक प्रति लीटर तयशुदा कमीशन भी लेता है। रिटेल प्राइस में एक्साइज ड्यूटी और वैट और सेस भी जुड़ता है जिससे उपभोक्ता को अपनी काफी जेब ढीली करनी पड़ती है।
5- भारत में पेट्रोल पंप तक पहुंचते-पहुंचते कैसे इतनी बढ़ जाती है कीमत?
इसे ऐसे समझें। रिफाइन करने के बाद तेल कंपनियां चार्ज लेकर तेल को आगे बढ़ाती हैं। पिछले महीने तक भारत में तेल कंपनिया पेट्रोल पर प्रति लीटर करीब 14 रुपये और डीजल पर प्रति लीटर करीब 17 रुपये चार्ज ले रही थीं। अब इस पर एक्साइज ड्यूटी और रोड सेस लगता है। पिछले महीने पेट्रोल पर यह प्रति लीटर करीब 20 रुपये और डीजल पर करीब 16 रुपये था। इसके बाद नंबर आता है पेट्रोल पंप मालिक के कमीशन का। वे पेट्रोल पर प्रति लीटर 3.55 रुपये और डीजल पर 2.49 रुपये कमीशन लेती हैं। इन सबके ऊपर फिर वैट लगता है। दिल्ली में पेट्रोल-डीजल पर 27 प्रतिशत वैट है। इस तरह क्रूड ऑइल से रिटेल में आते-आते तेल की कीमत करीब 3 से 4 गुना बढ़ जाती हैं।
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- News18Hindi
- Last Updated : July 01, 2022, 12:20 IST
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने पिछले महीने के अंत में घरेलू तेल उत्पादक कंपनियों को डोमेस्टिक मार्केट में अपनी मर्जी से तेल बेचने के लिए मुक्त कर दिया. इससे इन कंपनियों की आय में बढ़ोतरी और उसके साथ शेयरों में तेजी का अनुमान लगाया जा रहा था. हालांकि, 1 जुलाई को दोनों ही शेयरों में तेज गिरावट देखने को मिली. खबर लिखे जाने तक ओएनसीजी करीब 12 फीसदी और ऑयल इंडिया 8 फीसदी से अधिक लुढ़क चुका है.
इस गिरावट के पीछे का कारण केंद्र सरकार द्वारा तेल उत्पादन पर लगाया गया 23,250 रुपये का अतिरिक्त उत्पाद शुल्क है. सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर ऑयल एंड गैस इंडस्ट्री पर विशेष उत्पाद शुल्क या विंडफॉल गेन टैक्स लगा दिया है. इससे घरेलू तेल उत्पादकों और रिफाइनरीज द्वारा कमाए जा रहे अतिरिक्त लाभ में गिरावट आ सकती है.
कई ब्रोकरेज ने बढ़ाई थी रेटिंग
हाल ही में कई ब्रोकरेज फर्म ने इन दोनों ही कंपनियों की या तो रेटिंग बढ़ाई थी या फिर टारगेट प्राइस में वृद्धि कर दी थी. उनका मानना था कि वैश्विक स्तर पर तेल की बढ़ी हुई मांग के कारण इन कंपनियों को 2022-23 में तगड़ा मुनाफा मिल सकता है. गौरतलब है कि 2022 में कच्चे तेल की कीमतें अब तक 40 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं. इसका बड़ा कारण पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंध हैं.
तेल की कीमतों में तेजी का था अनुमान
मार्च में ब्रेंट क्रूड की कीमत 137 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी. हालांकि, उसके बाद इसमें कुछ गिरावट देखने को मिली और फिलहाल यह 115 रुपये के करीब है. कई जानकारों का मानना है कि कच्चा तेल अगले 18 महीने तक 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर ही रहेगा. इसी को ध्यान में रखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि ओएनजीसी और ऑयल के प्रति बैरल तेल की कीमत 90-100 डॉलर जा सकती है जो पिछले साल 70 डॉलर प्रति बैरल थी. इससे दोनों कंपनियों की आय और मुनाफे में तेज वृद्धि का अनुमान था.
क्रूड ऑयल संबंधी नियम बदले
घरेलू तेल उत्पादकों कंपनियों के लिए सरकार, उसके द्वारा नामित इकाई या सरकारी कंपनी को तेल बेचने की अनिवार्यता अब खत्म हो जाएगी. अब सभी तेल उत्पादक कंपनियां घरेलू बाजार में किसी को भी अपना तेल बेचने के लिए मुक्त होंगी. तेल उत्पादक कंपनियां अब ई-नीलामी आयोजित कर सबसे अधिक बोली लगाने वाली रिफाइनरीज को कच्चा तेल बेच सकेंगी.
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बाजार का साप्ताहिक भविष्यफल, 12-16 जुलाई: इस हफ्ते कच्चे तेल में मुनाफावसूली की संभावनाएं, जानें कैसा रहेगा मेटल और फार्मा का हाल
इस सप्ताह ओएनजीसी, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया एवं टाटा स्टील में ऊपरी स्तरों पर मुनाफावसूली की संभावनाएं बन सकती हैं. कमोडिटी बाजार में कच्चा तेल राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मुनाफावसूली या कमजोरी दिखा सकता है.
Crude Oil price international market: आज डॉलर इंडेक्स में गिरावट देखी जा रही है. सुबह के 11 बजे डॉलर इंडेक्स -0.04% की गिरावट के साथ 92.882 के स्तर पर था. बॉन्ड यील्ड में आज गिरावट देखने को मिल रही है. इस समय 10 साल का अमेरिकी बॉन्ड यील्ड -0.87% की गिरावट के साथ 1.347 फीसदी के स्तर पर है. लगातार तीसरे दिन इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल मजबूती दिखा रहा है. इस समय यह 71.45 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर है.
कर्नल अजय जैन | Edited By: सुनील चौरसिया
Jul 11, 2021 | 2:19 PM
फाइनेंशियल एस्ट्रोलॉजी के अनुसार इस सप्ताह मंगल और शुक्र ग्रह कर्क राशि में, सूर्य तथा बुध ग्रह मिथुन राशि में रहेंगे. राहु वृषभ और केतु वृश्चिक राशि में होंगे. चंद्रमा सप्ताह के दौरान सिंह राशि में कच्चे तेल की ट्रेडिंग से कैसे कमाएं मुनाफा विचरण करेंगे. शनि एवं मंगल एक दूसरे से समसप्तक यानी 180 डिग्री की दूरी पर होंगे. यह सब ग्रह सहयोग भारतीय शेयर बाजार में मिश्रित रुख की रचना कर सकते है.
ऑयल एंड कच्चे तेल की ट्रेडिंग से कैसे कमाएं मुनाफा गैस सेक्टर में कमजोरी की संभावनाएं
इस सप्ताह के पहले हाफ में शेयर बाजार में मेटल, ऑयल एंड गैस सेक्टर में कुछ मुनाफावसूली या कमजोरी की संभावनाएं बन सकती हैं. पिछले सप्ताह शेयर बाजार एवं कमोडिटी बाजार की सभी विश्लेषण एवं आकलन सत्य साबित हुआ था. उम्मीद है सभी निवेशकों ने इसका भरपूर लाभ उठाया होगा. पिछले सप्ताह मेटल, फर्टिलाइजर, फार्मा सेक्टर के स्टॉक्स में जबरदस्त मुनाफा कमा कर दिया, उम्मीद है कि आपने भी इसका भरपूर लाभ उठाया होगा.
कमोडिटी बाजार में कच्चा तेल दिखा सकता है कमजोरी
इस सप्ताह ओएनजीसी, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया एवं टाटा स्टील में कच्चे तेल की ट्रेडिंग से कैसे कमाएं मुनाफा ऊपरी स्तरों पर मुनाफावसूली की संभावनाएं बन सकती हैं. कमोडिटी बाजार में कच्चा तेल राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मुनाफावसूली या कमजोरी दिखा सकता है. कमोडिटी बाजार में ट्रेडिंग करने वाले सभी कारोबारी विशेष ध्यान रखें. विदित हो कि हमने पिछले सप्ताह कॉपर में तेजी की भविष्यवाणी की थी जो कि अक्षरत सत्य साबित हुई.
Disclaimer: उपरोक्त सभी जानकारियां फाइनेंशियल एस्ट्रोलॉजी एवं फंडामेंटल एनालिसिस के आधार पर की गई हैं. आपके लाभ या हानि की जिम्मेदारी लेखक या वेबसाइट की नहीं होगी. अतः आप अपने वित्तीय सलाहकार से भी सलाह लेकर कार्य कर सकते हैं.
नौकरी या बिजनेस करते हुए हम अक्सर समझते हैं कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग आसानी से किया जा सकता है, क्योंकि इसमें हमेशा समय देने की जरूरत नहीं है। जबकि हकीकत में ऐसा नहीं कच्चे तेल की ट्रेडिंग से कैसे कमाएं मुनाफा है। सफल होने के लिए हम जितनी मेहनत नौकरी में या बिजनेस में करते हैं, शेयर बाजार में ट्रेडिंग में भी सफल होने के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत है।
सफलतम ट्रेडर यही बताते हैं कि ट्रेडिंग और कुछ नहीं सिर्फ सोच-समझ का खेल है। जिसकी सोच जितनी बारीक, जितनी परिपक्व, वह ट्रेडिंग में उतना सफल। और शेयर ट्रेडिंग में सफल होने के लिए सोच-समझ ‘जानकारी’ की बदौलत विकसित की जा सकती है।
पिछली पोस्ट में आपने निवेश और ट्रेडिंग के बीच फर्क के बारे में जाना था। उसमें निवेश के कुछ मूलभूत तौर तरीके भी बताए गए थे। निवेश पर फिर बात होगी, लेकिन अभी पहले बात ट्रेडिंग की। आखिर सफल ट्रेडिंग की
पहली सीढ़ी क्या है?
अगर आप नौकरीपेशा हैं या अपना कोई व्यवसाय करते हैं तो शेयर ट्रेडिंग आपकी कमाई का दूसरा जरिया बन सकता है। आप नौकरी करते हुए भी ट्रेडिंग के माध्यम से कमा सकते हैं। सुनने में यह बड़ा आकर्षक लगता है लेकिन करने में उतना ही मुश्किल है। दरअसल ट्रेडिंग से दस-बीस फीसदी कमाने के लिए ट्रेडर को अपना सौ फीसदी देना होता है। जरा सोचिए कि आप अपनी नौकरी को जितनी गंभीरता से लेते हैं, अपने व्यवसाय में जितना पर्शिम करते हैं, क्या आपने उतनी गंभीरता से ट्रेडिंग पर मेहनत की है। मान लीजिए कि कोई व्यक्ति किसी दफ्तर में काम करता है। वह रोज आठ घंटे मेहनत करता है, तब उसे महीने में पच्चीस हजार रुपए मिलते हैं। लेकिन जब वह शेयर ट्रेडिंग करने उतरता है तो उसका नजरिया बदल जाता है। वह बिना मेहनत किए एक हफ्ते में पच्चीस हजार हासिल करने का सपना देखता है। इस हवाई किले को तो ढहना ही है। इसलिए यहां कहने का तात्पर्य है कि काम की बात यह है कि शेयर ट्रेडिंग को अपने मुख्य पेशा की तरह ही गंभीरता से लें और जिस कंपनी और सेक्टर में निवेश करें, उसके बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा करें। यह भी ध्यान रखें कि उस क्षेत्र में किस तरह की हलचल चल रही है, किस तरह की खबरें आ रही हैं, देश और दुनिया की सरकारें किस तरह के फैसले ले रही हैं आदि-आदि। संक्षेप में कहें तो निवेशक को ट्रेडिंग का मास्टर बनने के लिए उसके पास अधिक से अधिक नॉलेज का पिटारा होना चाहिए।
अगर किसी ट्रेडर ने किसी ऑयल कंपनी जैसे, बीपीसीएल, इंडियन ऑयल, ओएनजीसी, का शेयर खरीदा है, तो उसे मालूम होना चाहिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में कितना उतार चढ़ाव हो रहा है। उसे इस बात की समझ होनी चाहिए कि अगर अमेरिका ने इराक में सैन्य कार्रवाई की तो उसका असर वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ सकता है। उसे अंदाज होना चाहिए कि अगर सरकार ने सब्सिडी में कटौती की घोषणा की तो तेल कंपनियों की बैलेंस शीट पर उसका क्या असर होगा।
नहीं करें तुक्केबाजी, क्योंकि तुकेबाजी नही चलेगी शेयर मार्किट में
अगर इन तथ्यों और अवधारणाओं को समझे बिना कोई व्यक्ति ट्रेडिंग करता है तो इसका मतलब है कि वह गंभीर ट्रेडर नहीं बल्कि तुक्केबाज है। उसकी सफलता और असफलता महज संयोग पर निर्भर करेगी। अफसोस की बात है कि बड़ी तादाद में खुदरा निवेशक इसी तरह की ट्रेडिंग करते हैं।
ट्रेडिंग नियमों के प्रति ईमानदार बनें
इसीलिए अगर आप ट्रेडिंग के जरिए कमाना चाहते हैं तो पहली शर्त है- ईमानदार बनिए। ईमानदारी ट्रेडिंग के प्रति। ट्रेडिंग के नियमों के प्रति। ट्रेडिंग अभ्यास की चीज है। आप नियमों का पालन करते हुए जितना अभ्यास करेंगे, उतना ही मंजते चले जाएंगे। ट्रेडिंग के नियमों में पहला है कि आप बिजनेस का अखबार नहीं पढ़ते हैं तो आज से पढ़ना शुरू करें। सुनने में शायद थोड़ा अजीब लगे लेकिन कच्चे तेल की ट्रेडिंग से कैसे कमाएं मुनाफा याद रखिए यह बेहद जरूरी है। अखबार चाहे किसी भाषा का हो, प्रिंट संस्करण हो या इंटरनेट संस्करण। लेकिन बिजनेस अखबार जरूर पढ़ें। इसके अलावा दैनिक समाचार पत्रों में भी बिजनेस पेज को पूरा पढ़ने की कोशिश करें। इससे अर्थव्यवस्था को लेकर आपकी समझ विकसित होगी। सोच का दायरा बढ़ेगा। सफलतम ट्रेडर यही बताते हैं कि ट्रेडिंग और कुछ नहीं सिर्फ सोच-समझ का खेल है। जिसकी सोच जितनी बारीक, जितनी परिपक्व, वह ट्रेडिंग में उतना सफल। अगर अखबार में कोई तकनीकी शब्द आता है, जिसका मतलब आपको नहीं मालूम तो उसकी व्याख्या इंटरनेट पर ढूंढ़ें। या फिर किसी जानकार अर्थशास्त्री से समझने की कोशिश करें। या डिक्शनरी का सहारा लें। यह सोचकर हतोत्साहित नहीं होना चाहिए कि आपको कोई चीज नहीं मालूम।
केवल स्टॉक पेज तक सीमित नहीं रहें
बहुत से ट्रेडर बिजनेस अखबार में सिर्फ वही पन्ना खोलते हैं जो स्टॉक मार्केट से सीधा जुड़ा होता है, लेकिन मेरी सलाह में नए रिटेल ट्रेडर को ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि शेयर मार्केट कोई बंद पिटारा नहीं है। उसका कनेक्शन जितना अर्थनीति से है, उतना ही राजनीति से। अगर ऐसा नहीं होता तो नरेंद्र मोदी के पीएम बनने को लेकर बाजार में ऐसा बंपर उछाल नहीं आता। इसलिए शेयर मार्केट को उसकी समग्रता में समझने के लिए बिज़नस अख़बार को पढ़े सभी बड़ी खबरों से वाखिब हो जाए यदि किसी स्टॉक में उतार चढ़ाव होता है तो इसको समझने की कोशिश करे उदाहरण के लिए जैसे किसी बैंक का कर्मचारी रिश्वत के केस में पकड़ा जाता है तो तो लाजमी है की बैंक की शाख गिरेगी और स्टॉक के दाम गिरेंगे।
तो आप इन इस पोस्ट में जाना कैसे आप एक्सपीरियंस के साथ स्टॉक मार्किट में ट्रेड कर सकते हैं। इसके इलावा आप ऑनलाइन साइट्स के जरिये भी इनफार्मेशन कलेक्ट करके आप अपने स्टॉक ज्ञान को बढ़ा सकते हैं।
तेल कंपनियों के निर्यात से दिक्कत नहीं लेकिन देश में पेट्रोल-डीजल की उपलब्धता जरूरी: वित्त मंत्री
आरोप ये भी है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में ईंधन की कमी का संकट खड़ा है और निजी रिफाइनरी ईंधन की स्थानीय स्तर पर बिक्री करने के बजाए इसके निर्यात को प्राथमिकता दे रही हैं।
हमें मुनाफे को लेकर कोई एतराज नहीं है लेकिन घरेलू स्तर पर तेल उपलब्धता जरूरी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ईंधन के निर्यात पर टैक्स लगाए जाने को लेकर ये बात कही है। उन्होंने कहा, "हमें मुनाफे को लेकर कोई एतराज नहीं है। लेकिन अगर घरेलू स्तर पर तेल उपलब्ध नहीं हो रहा है और उसे निर्यात कर असाधारण लाभ भी कमाया जा रहा है तो हमारे अपने नागरिकों का भी कुछ हिस्सा बनता है। इसी वजह से हमने यह द्विपक्षीय दृष्टिकोण अपनाया है।"
वित्त मंत्री ने कहा कि यह आयात को हतोत्साहित करने के लिए नहीं है और निश्चित रूप से यह कदम मुनाफा कमाने के खिलाफ नहीं है। लेकिन असाधारण वक्त में इस तरह के कदमों की जरूरत पड़ती है।
सरकार ने लिया है ये फैसला: आपको बता दें कि सरकार ने घरेलू आपूर्ति को नजरअंदाज कर विदेशों में बिक्री करने की कुछ तेलशोधन कंपनियों की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए पेट्रोल, डीजल-पेट्रोल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर टैक्स लगा दिया। इसके साथ ही कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन से होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर टैक्स लगाने की भी घोषणा की गई।
कितना टैक्स लगा है: वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, सरकार ने पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर छह रुपये प्रति लीटर तथा डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर की दर से टैक्स लगाने का फैसला किया है। नई दरें एक जुलाई से प्रभावी हो गई हैं। इसके अलावा घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन की दर से टैक्स लगाया गया है। पिछले साल घरेलू स्तर पर कुल 2.9 करोड़ टन कच्चे तेल की ट्रेडिंग से कैसे कमाएं मुनाफा कच्चे तेल का उत्पादन हुआ था। उस हिसाब से सरकार को 66,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की संभावना है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक हाल के महीनों में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ने का लाभ उन कंपनियों को मिला है जो घरेलू रिफाइनरियों को अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर तेल बेचती हैं। इससे कच्चे तेल के घरेलू उत्पादकों को अप्रत्याशित लाभ मिल रहा है। इसे देखते हुए कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन उपकर लगाया गया है। हालांकि बीते वित्त वर्ष में 20 लाख बैरल से कम उत्पादन करने करने वाले छोटे उत्पादकों को इस नए उपकर से छूट मिलेगी।
क्यों लिया गया फैसला: कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल और एटीएफ के निर्यात पर टैक्स लगाने के फैसले के पीछे एक वजह यह रही है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी जैसी रिफाइनरी रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप एवं अमेरिका में ईंधन के निर्यात से बड़ा लाभ कमा रही थीं।
पेट्रोलियम निर्यात पर टैक्स लगाकर सरकार घरेलू उपलब्धता बढ़ाना चाहती है। नया टैक्स लगने के बाद पेट्रोलियम उत्पादकों को तेल उद्योग विकास उपकर और रॉयल्टी मिलाकर तेल कीमत का करीब 60 प्रतिशत कर के रूप में चुकाना होगा। अप्रत्याशित लाभ पर टैक्स तब लगता है जब कंपनियों को बेहद अनुकूल बाजार परिस्थितियों की वजह से अप्रत्याशित लाभ होता है। यह कर कंपनियों से सिर्फ एक बार ही वसूला जाता है।
इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि पेट्रोल का निर्यात करने वाली तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में विदेशी बिक्री का 50 फीसदी तेल घरेलू बाजार में बेचना होगा। डीजल के लिए यह सीमा निर्यात का 30 फीसदी रखी गई है।
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित तेलशोधन कंपनियों पर भी निर्यात टैक्स लागू होगा। हालांकि एसईजेड में स्थित कंपनियों पर निर्यात की बंदिश लागू नहीं होगी।
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