खुशखबरी: एक क्लिक पर Paytm ग्राहक पायें 2 लाख रुपए, जानिए कैसे?
अगर आप Paytm यूजर हैं तो है डिजिटल प्लेटफॉर्म आपके लिए सौगात लेकर आया है। जी हां, पेटीएम अपने ग्राहकों को 2 लाख रु तक का इंस्टैंट लोन दे रहा है। यह स्टैंट लोन सिर्फ एक क्लिक पर ही आपको मिल सकता है। यानी पेटीएम के अनुसार ग्राहकों को एक क्लिक और मात्र 2 मिनट में लोन मिल जाएगा। तो अगर आप paytm ग्राहक हैं और आपकी Paytm Kyc छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी पूरी है तो आपको 2 लाख का लोन सिर्फ दो मिनट में ही मिल जाएगा। इसके लिए आपको बैंक जाने की भी जरूरत नहीं है।
डिजिटल तरीके से मिलेगा लोन
पेटीएम की मानें तो 2 लाख का ये लोन डिजिटल तरीके से दिया जाएगा। लोन आवेदन की पूरी प्रोसेस ऑनलाइन होगी। पेटीएम की इस नयी शुरुआत से सैलेरी पाने वाले कर्मचारियों, छोटे व्यापारियों और प्रोफेश्नल्स को आसानी से लोन मिल सकेगा। ये उनके लिए एक सपोर्ट की तरह होगा।
साल के 365 दिन सिर्फ 2 छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी मिनट में पाएं लोन
पेटीएम अपने ग्राहकों को इस लोन की सुविधा हर वक़्त मुहैया करा रही है। यानी 24 घंटे और साल के 365 दिन लोन ले सकते हैं। लोन के लिए आवेदन, मंजूरी और प्राप्त करने में सिर्फ 2 मिनट का समय लगेगा। पेटीएम की इंस्टैंट पर्सनल लोन स्कीम का उद्देश्य अपना ग्राहक आधार बढ़ाना है। अगर आपके दिमाग में इस बात का संशय है कि paytm बैंक नहीं है फिर लोन कैसे देगा? ये बात सही है कि पेटीएम एक पेमेंट बैंक है, इसलिए इसके पास लोन देने की अनुमति नहीं है। इसलिए कंपनी ने इंस्टैंट लोन के लिए अन्य उधार देने वाली कंपनियों और बैकों के जरिए पैसा देगी। पेटीएम ने कई बैंकों और एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) से पार्टनरशिप की है। लोन लेने के लिए ग्राहकों को पेटीएम ऐप के पर्सनल लोन ऑप्शन पर जाना होगा। ये ऑप्शन फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्शन के अंदर है। फिर वे अपने लोन अकाउंट को सीधे पेटीएम ऐप से मैनेज कर सकते हैं।
Paytm Loan चुकाने के लिए इतना वक्त मिलेगा
अगर आप ये लोन लेते हैं तो paytm इसको चुकाने के लिए 18-36 महीने तक का समय देगा। आप जितनी अवधि के लिए लोन लेते हैं उसी के आधार पर छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी आपकी ईएमआई तय होगी। इस सर्विस की शुरुआत पेटीएम ने जनवरी में की थी। paytm के मुताबिक इस लोन की सुविधा अबतक 400 से अधिक ग्राहक उठा चुके हैं। पेटीएम की शुरुआत अगस्त 2010 में हुई थी।
भारतीय रिटेल व्यापार वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़ी कंपनियों का बंधक: कैट
छोटे खुदरा, कॉर्पोरेट खुदरा, ई-कॉमर्स और डायरेक्ट सेलिंग सहित चार प्रमुख वर्टिकल वाले भारत के खुदरा व्यापार का तेजी से विस्तार हो रहा है, लेकिन डाईरेक्ट सेलिंग को छोड़कर इस सेक्टर के लिए किसी भी नीति या दिशानिर्देशों के अभाव में भारतीय रिटेल क्षेत्र वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़ी कंपनियों के लिए एक खेल का मैदान बन गया है।
जहाँ ये अपनी कुरीतियों और डीप डिस्कोउंटिंग जैसी घातक नीतियों के सहारे अपना एकाधिकार जमाने मे कामयाब रहे है, जिससे देश के छोटे व्यापारियों द्वारा सही तरीके से व्यवसाय करने की संभावनाओं को गहरा आघात लगा है। इन कंपनियों के अनियंत्रित व्यावसायिक व्यवहार के कारण अब तक एक लाख से अधिक दुकानें, जिनमें से प्रमुख रूप से मोबाइल व्यापार है, छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी बंद हो गई हैं और दुख की बात है कि उनके व्यावसायिक आचरण को रोकने के लिए कोई प्रभावी तंत्र नहीं है।
देश में कानून की प्रक्रिया इतनी धीमी है जो स्वदेशी रिटेल व्यापार के साथ न्याय करने में विफल रही है। अगर हमें छोटे व्यापारियों और खुदरा व्यापार को लोकतांत्रिक तरीके से काम करना है, तो सभी कार्यक्षेत्रों के लिए एक व्यापक नीति और सभी चार कार्यक्षेत्रों पर व्यापार गतिविधियों की निगरानी के लिए एक नियामक प्राधिकरण की तत्काल आवश्यकता है- ये कहना है कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का।
उसने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से विदेशी निवेश वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़ी कंपनियों के छोटे व्यापारियों के कारोबार को और अधिक नुकसान पहुंचाने से पहले तत्काल प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया। बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारण प्रमुख रूप से मोबाइल व्यवसाय की 1.5 लाख से अधिक छोटी दुकानें बंद कर दी गई हैं छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी जो कि गंभीर चिंता का विषय है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि पिछले दस वर्षों की अवधि में, बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत से भारी धन अर्जित किया है, लेकिन उस धन का एक बड़ा हिस्सा रॉयल्टी के रूप में अपने मूल देशों में स्थानांतरित भी कर दिया था। यह अत्यंत खेद की बात है कि वे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के बहाने भारत आए लेकिन उक्त धन का उपयोग विभिन्न व्यापारिक कदाचारों छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी में या खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने और हावी होने के मंशा से किया गया जबकि एफडीआई का वास्तविक अर्थ भारत मे बुनियादी ढांचे का विकास का करना है जिससे देश को फ़ायदा हो ।
.ये कंपनियां अवैध सामानों का लेन-देन करने, खुले तौर पर कानून, नियमों और नीतिगत दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाने, गैर-स्तरीय खेल मैदान बनाने, जीएसटी और आयकर दोनों से बड़े पैमाने पर चोरी छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी करने में लिप्त पाई गईं, लेकिन अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है जो कि रिटेल इको सिस्टम को दूषित कर रहा है। वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों को एक सुरक्षित मार्ग दिए जाने से व्यापारियों में भारी मायूसी है। अगर बड़ी कंपनियां कानून और नियमों का सम्मान नहीं करती हैं तो छोटे व्यापारियों पर छोटी गलतियों पर भी गाज क्यों गिरती है- दोनों व्यापारी नेताओं ने ये सवाल किया।
भरतिया और खंडेलवाल दोनों ने कहा कि वर्तमान प्रौद्योगिकी युग में, डेटा एक संप्रभु धन बन गया है और इन कंपनियों ने भारत का बड़ा डेटा जमा किया है और कोई नहीं जानता कि डेटा का उपयोग किस तरह से किया गया है। ऐसा लगता है कि उनके द्वारा अर्जित डेटा पर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है।
दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि यदि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा जल्दी कदम नहीं उठाए गए, तो देश के व्यापारी विदेशी निवेश वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़ी कंपनियों के हाथो भारतीय व्यापार को खो देंगे । खुदरा व्यापार पहले से ही कई बाधाओं का सामना कर रहा है और केंद्र या राज्य सरकारों छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी से कोई समर्थन नहीं होने के बावजूद भी अपने आप खड़े होने की कोशिश कर रहा है।
हम यह सोचने को मजबूर हो गए हैं कि नीति निर्माताओं की नजर में देश के 8 छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी करोड़ व्यापारियों का कोई महत्व नहीं है। नीति आयोग जो एक प्रमुख नीति निर्माता है, तो वो व्यापारियों से बात करने में भी बुरी तरह विफल क्यू रहा है जबकि वे भारतीय व्यापारियों के लिए नीतियां तैयार करता है। यह एक तथ्य है कि केवल 5% व्यापारी ही बैंकों और वित्तीय संस्थानों से वित्त प्राप्त करने में सक्षम हैं और बाकी व्यापारी अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर हैं। देश में व्यापारियों का कोई वित्तीय समावेशन नहीं है। इन कारकों ने व्यापारियों को अब यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या व्यवसाय करना अब सार्थक नही है।
किसानों के लिए खुशखबरी! किसानों को 3 लाख तक के लोन पर मिलेगी 1.5% की छूट- मोदी सरकार ने दी बड़ी राहत
नई दिल्ली : केंद्र सरकार की तरफ से देश के किसानों के लिए अच्छी खबर निकल कर आ रही है। हाल ही में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) पर विशेष छुट देने की मंजूरी प्रदान की है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ( Minister of Youth Affairs and Sports of India, Anurag Thakur) ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि “केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि 3 लाख रुपये तक के अल्पकालिक कृषि ऋण पर 1.5% सालाना इंटरेस्ट सबवेंशन (Cabinet Approves Interest Subvention) दिया जाएगा। इसके तहत कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय को साल 2022-23 से 2024-25 के बीच में अतिरिक्त 34,856 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे। ये लोन सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों, छोटे वित्त बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों और कंप्यूटरीकृत प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के माध्यम से उपल्ध कराए जाएंगे।
ये बोले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक इस योजना का 3 करोड़ से ज्यादा लोग फायदा उठा चुके हैं। वहीं सरकार ने इस योजना की क्रेडिट गारंटी छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी भी 4.5 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये कर दी है।
Good News : जारी होंगे किसान क्रेडिट कार्ड जैसे बिजनेस क्रेडिट कार्ड, छोटे कारोबारियों को मिलेगा सस्ता कर्ज
Good News : बिजनेस क्रेडिट कार्ड राष्ट्रीय स्तर पर पेश किए जा सकते हैं। इस कार्ड की क्रेडिट लिमिट 50 हजार से 1 लाख रुपये तक हो सकती है। ग्रॉसर्स और सैलून मालिकों को भी मिलेगी मदद
Good News मोदी सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के मॉडल पर छोटे व्यापारियों को बिजनेस क्रेडिट कार्ड देने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके माध्यम से व्यवसायी और एमएसएमई बिना किसी गिरवी के सस्ते ऋण प्राप्त कर सकेंगे।समिति ने वित्त मंत्रालय समेत विभिन्न बैंकों से भी चर्चा की। इस कार्ड की क्रेडिट लिमिट 50 हजार से 1 लाख रुपये तक हो सकती है। यानी छोटे कारोबारी एक लाख तक का कर्ज ले सकते हैं।
Good News उन्हें व्यवसाय क्रेडिट कार्ड मिलते हैं
Good News समिति ने केवल एमएसएमई मंत्रालय के उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत उद्यमियों को ही बिजनेस क्रेडिट कार्ड जारी करने की सिफारिश की। ऐसे अरबों उद्योग हैं जिन्होंने एंटरप्राइज़ पोर्टल पर अपना पंजीकरण नहीं कराया है। भाबर क्रेडिट कार्ड के लॉन्च के साथ ये उद्यमी एंटरप्राइज पोर्टल से भी जुड़ेंगे। बिजनेस क्रेडिट कार्ड जारी करने से ग्रॉसर्स और सैलून मालिकों को भी मदद मिलेगी।
Good News यह क्यों जरूरी है?
Good News कोरोना के बाद देश के MSME सेक्टर (लघु और मझोले उद्यमों) को सबसे बड़ा झटका लगा है. इतना ही नहीं नोटबंदी और जीएसटी ने भी इस क्षेत्र को प्रभावित किया है। इस क्षेत्र को राहत देने के लिए वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने किशन क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर छोटे उद्यमियों के लिए ‘बिजनेस क्रेडिट कार्ड’ की सिफारिश की। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है और इस योजना को जल्द ही लागू कर दिया जाएगा.
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