शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव : कहां करें निवेश?

इन दिनों शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। लेकिन इस उतार-चढ़ाव के दौर में भी निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि बाजार में निवेश का एक ऐसा भी विकल्प है, जहां उतार-चढ़ाव का इस्तेमाल प्रतिफल हासिल करने के लिए किया जाता है। यह विकल्प है आर्बिट्राज फंड।

क्या है आर्बिट्राज फंड?

बाजार में उतार-चढ़ाव के दौर में कम जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए आर्बिट्राज फंड निवेश का एक बेहतर विकल्प है। ये इक्विटी म्युचुअल फंड की श्रेणी में आते हैं। मतलब इसमें कम से कम 65 फीसदी निवेश इक्विटी में होता है। जबकि बाकी निवेश डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है। आर्बिट्राज फंड इक्विटी मार्केट के कैश और फ्यूचर (डेरिवेटिव) सेगमेंट में किसी शेयर की कीमत में अंतर का फायदा उठाकर प्रतिफल देते हैं। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव वाले दौर में दोनों सेगमेंट के बीच कीमतों का अंतर बढ़ जाता है। जब बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ता है, तब ये फंड ज्यादा प्रतिफल देते हैं, लेकिन जब उतार-चढ़ाव कम होता है तो प्रतिफल में भी कमी आती है।

कैसे काम करता है?

इसमें एक सेगमेंट से कम कीमत पर शेयर खरीद कर दूसरे सेगमेंट में ज्यादा कीमत पर बेच दिया जाता है। इसे एक उदाहरण की मदद से समझा जा सकता है। मान लीजिए किसी कंपनी के एक शेयर की कीमत कैश सेगमेंट में 500 रुपये है और फ्यूचर/डेरिवेटिव सेगमेंट में 550 रुपये है। इसलिए अगर कोई निवेशक एक ही समय में इस शेयर को कैश सेगमेंट में खरीदकर फ्यूचर सेगमेंट में बेच दे तो उसे 50 रुपये का मुनाफा होगा। इस तरह आर्बिट्राज फंड कैश सेगमेंट और फ्यूचर सेगमेंट में कीमतों के बीच अंतर का फायदा उठाता है।

क्या है आर्बिट्राज फंड?

इस फंड को काफी सुरक्षित माना जाता है। फंड मैनेजर इक्विटी में निवेश करने के बाद डेरिवेटिव मार्केट में उस सौदे को हेज करता है। इससे कैश मार्केट में खरीदे गए शेयर पर जोखिम काफी हद तक घट जाता है और शेयरों में ज्यादा गिरावट आने पर भी पोर्टफोलियो सुरक्षित बना रहता है।

क्या हैं टैक्स प्रावधान?

ये फंड इक्विटी म्युचुअल फंड की कैटेगरी में आते हैं। इसलिए इस पर टैक्स भी इक्विटी की तरह हीं लगता है। यहां हम इसके दोनों ऑप्शन ग्रोथ और डिविडेंड में टैक्स प्रावधान की बात करेंगे।

ग्रोथ ऑप्शन : एक साल से कम अवधि में अगर आप रिडीम करते हैं तो इनकम शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको 15 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। लेकिन अगर आप एक साल के बाद रिडीम करते हैं तो इनकम लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको सालाना एक लाख रुपये से ज्यादा की आय पर 10 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। एक लाख रुपये से कम की आय पर कोई टैक्स देय नहीं होगा।

डिविडेंड ऑप्शन : अगर आप डिविडेंड प्लान लेते हैं तो आपको निवेश की अवधि के दौरान, जो प्रतिफल लाभांश के रूप में मिलता है, वह आपकी सालाना आय में जुड़ जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से उस रकम पर टैक्स अदा करना होगा। साथ ही, अगर किसी वित्त वर्ष में लाभांश 5 हजार रुपये से ज्यादा है तो लाभांश राशि पर आपसे 10 फीसदी टीडीएस काट लिया जाएगा।

ग्रोथ या डिविडेंड?

जो लोग एक साल तक के लिए इनमें निवेश कर रहे हैं, वे डिविडेंड ऑप्शन को चुन सकते हैं, बशर्ते डिविडेंड को जोड़ने के बाद भी उनकी टैक्स योग्य आय 5 लाख रुपये से कम हो। क्योंकि अगर होल्डिंग पीरियड एक साल से कम है तो ग्रोथ स्कीम में आपको 15 फीसदी शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। वहीं, जिनका होल्डिंग पीरियड एक साल से अधिक है, उनके लिए ग्रोथ ऑप्शन अच्छा रहेगा।

Stock Market News: कल की गिरावट में निवेशकों के स्वाहा हुए 9 लाख करोड़ रुपये, एक दिन में बाजार ने गंवाई कई महीनों की तेजी

Stock Market News: कल सोमवार को हफ्ते का पहला कारोबारी सेशन था और शेयर बाजार ने इतनी भारी गिरावट दिखाई कि इसे ब्लैक मंडे कहना किसी भी तरह से गलत नहीं होगा.

By: ABP Live | Updated at : 21 Dec 2021 09:03 AM (IST)

Edited By: Meenakshi

शेयर बाजार (फाइल फोटो)

Stock Market News: कल का दिन शेयर बाजार के लिए ब्लैक मंडे (Black Monday) साबित हुआ और निवेशकों के एक ही दिन में 9 लाख करोड़ (9 Lakh Crore) रुपये से ज्यादा डूब गए. पिछले कुछ दिनों से जारी बाजार (Stock Market) की गिरावट के चलते निफ्टी और सेंसेक्स इस साल के अपने ऊपरी स्तर से बेहद नीचे आ चुके हैं. निफ्टी (Nifty) करीब 2200 अंक और सेंसेक्स (Sensex) करीब 7000 अंकों से ज्यादा टूट चुके हैं.

शुरुआती मिनटों में ही निवेशकों के 10 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हुए
गौरतलब है कि बाजार में कल शुरुआती कुछ मिनटों में ही निवेशकों के 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा डूब गए थे और शाम तक बाजार में थोड़ी रिकवरी आई जिससे ये नुकसान थोड़ा कम हुआ. ऐसी बड़ी गिरावट के दिन बाजार में चौतरफा बिकवाली और गिरावट का लाल निशान ही हावी रहा और दलाल स्ट्रीट का रंग लाल हो गया. बाजार के बेंचमार्क इंडेक्स 2 फीसदी से ज्यादा टूट गए और इसी के चलते निवेशकों के 9 लाख करोड़ रुपये साफ हो गए.

कल कैसे बंद हुए थे बाजार
कल के दिनभर के कारोबार के बाद सेंसेक्स 1189.73 अंक यानी 2.09 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ वहीं निफ्टी 371.00 अंक यानी 2.18 फीसदी की गिरावट के साथ 16,614.20 के लेवल पर बंद हुआ. बैंकिंग और रियलटी शेयरों की भारी गिरावट ने निवेशकों के चेहरे पर मायूसी ला दी और दिनभर इंवेस्टर्स इससे जूझते रहे.

क्यों आ रही है बाजार में लगातार गिरावट
दुनिया के कई देशों में ओमिक्रोन वेरिएंट का बढ़ता असर कई देशों के शेयर बाजार पर असर डाल रहा है और भारतीय बाजार भी इससे अछूते नहीं रह पाए. वहीं एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) की तरफ से बाजार में भारी मुनाफावसूली भी इसके पीछे का एक बड़ा कारण है. दिसंबर की शुरुआत से अब तक विदेशी निवेशक घरेलू शेयर बाजार से 26,000 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं और इसका प्रभाव तो बाजार के गिरने के रूप में आने की आशंका थी ही जो सच साबित हो रही है.

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Published at : 21 Dec 2021 09:03 AM (IST) Tags: NSE Stock Market sensex nifty bse हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

Stock Market- खबरों के दम पर इन शेयरों में दिखेगा एक्शन, इन इवेंट्स पर भी रखें नजर

यहां हम बता रहे हैं ऐसे शेयर जो रहेंगे आज खबरों में और जिन पर होगी बाजार की नजर

NTPC ग्रीन एनर्जी के लिए मार्च तक इन्वेस्टर मिलने की उम्मीद है। इन्वेस्टर के जरिए 2,000-3,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है।

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Stock in focus- शेयरों की हर चाल पर पैनी नजर रखकर अपने निवेश को सुरक्षित किया जा सकता है। यहां हम बता रहे हैं ऐसे शेयर जो रहेंगे आज खबरों में और जिन पर होगी बाजार की नजर और कौन से फैक्टर आगे क्या बाजार में गिरावट आने पर बांड सुरक्षित हैं? बाजार की दिशा तय करेंगे इसपर भी डालेंगे एक नजर। लेकिन सबसे पहले जानते है कि कल कैसी रही थी बाजार की चाल । 02 दिसंबर को पिछले 9 कराबोरी दिनों में पहली बार बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ। कमजोर ग्लोबल संकेतों और मुनाफा वसूली के चलते पिछले कारोबारी दिन बाजार करीब 0.6 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ। सेंसेक्स 63000 के नीचे फिसलता दिखा। ये 416 अंक गिरकर 62868 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं, निफ्टी 116 अंक गिरकर 18696 के स्तर पर बंद हुआ था।

आज इन शेयरों पर दिख सकता है भरपूर एक्शन

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महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में ग्राइंडिंग यूनिट शुरू हुई है। महाराष्ट्र के धुले प्लांट की क्षमता 1.8 mtpa होगी। मध्य प्रदेश के धार प्लांट की क्षमता भी 1.8 mtpa होगी। कुल सीमेंट उत्पादन क्षमता 119.45 mtpa होगी।

JK सीमेंट पर फोकस

मध्य प्रदेश के पन्ना में नए प्लांट से कामकाज शुरू हुआ है। पन्ना प्लांट की उत्पादन क्षमता 2.64 MnTPA होगी।

क्या मंदी में बॉन्ड में लगा पैसा डूब सकता है?

सरकार, कंपनियां, म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन बॉन्ड से पैसा जुटाती हैं. यह कर्ज की तरह होता है.

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मंदी का असर आय पर पड़ता है
मंदी का सीधार असर सरकार और कंपनियों पर पड़ता है. कंपनी की आय घट जाती है. कंपनियों के उत्पाद के खरीदार नहीं रह जाते हैं. ऐसे में कई कंपनियां बंद होने को मजबूर हो जाती हैं. अगर ऐसी कंपनी ने निवेशकों को बॉन्ड जारी कर पैसा जुटाया है तो वह उसे वापस नहीं कर पाती. इसका मतलब है कि वह डिफॉल्ट कर जाती है. हालांकि, डिफॉल्ट का मतलब यह नहीं है कि निवेशकों का पैसा लौटान की कंपनी की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है. ऐसे कई उदाहरण हैं, जब कंपनी ने डिफॉल्ट करने के बावजूद बाद में निवेशकों का पैसा लौटाया है.

सरकारी बॉन्ड सबसे सुरक्षित
सरकार के बॉन्ड का पैसा वापस करने में डिफॉल्ट करने के मामले अपवाद हैं. यही वजह है कि सरकारी बॉन्ड को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है. सरकार बॉन्ड का पैसा समय पर लौटाती है. उसके डिफॉल्ट करने से उसकी साख घट जाएगी. इससे सरकारी बॉन्ड में पैसा लगाने को कोई तैयार नहीं होगा. सरकार को अपने कामकाज के लिए काफी उधार लेना पड़ता है. वह बॉन्ड के जरिए उधार लेती है. कंपनी का कारोबार बंद हो सकता है. लेकिन, सरकार का काम कभी बंद नहीं हो सकता.

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बॉन्ड यील्ड चढ़ा और गिरने लगे बाजार, निवेशकों पर क्या होगा असर?

गवर्नमेंट या सरकारी बांड्स को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है.

बॉन्ड यील्ड चढ़ा और गिरने लगे बाजार, निवेशकों पर क्या होगा असर?

दुनिया भर के शेयर बाजारों में 26 फरवरी को बड़ी गिरावट देखी गई. भारत में भी सेंसेक्स और निफ्टी बेंचमार्क इंडेक्स करीब 3.75% टूटे. US, जापान जैसे विकसित देशों के लांग टर्म बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण मार्केट में काफी प्रॉफिट बुकिंग हुई. जब-जब बॉन्ड यील्ड बढ़ती है तो शेयर बाजार लड़खड़ाने लगता है. आइए समझते हैं क्या है बॉन्ड यील्ड? शेयर बाजार से इसका क्या है संबंध और आगे क्या है उम्मीद?

क्या होते हैं बॉन्ड?

बॉन्ड बाजार से पैसे जुटाने के लिए प्रयुक्त फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होते हैं. आमतौर पर सरकारें विभिन्न जरूरतों के लिए पैसे जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती हैं. साथ ही अनेक कंपनियां भी कॉर्पोरेट बांड्स की मदद से पैसे जुटाती हैं. लोन की तरह ही सरकार या कंपनियां बॉन्ड पर तय ब्याज देती है. बॉन्ड की अवधि 3 महीने से लेकर 10 वर्ष या उससे ज्यादा भी हो सकती है.

बॉन्ड यील्ड का क्या है मतलब?

बॉन्ड से मिलने क्या बाजार में गिरावट आने पर बांड सुरक्षित हैं? वाले ब्याज को बॉन्ड यील्ड कहा जाता है. कूपन बांड्स यानी सालाना ब्याज वाले बॉन्ड के अलावा कुछ बॉन्ड फेस वैल्यू की तुलना में डिस्काउंट यानी छूट पर भी जारी किए जाते हैं. उदाहरण के लिए 1000 रूपये के बॉन्ड को 800 की दर पर जारी किया जा सकता है. मेच्योरिटी पर निवेशक को फेस वैल्यू यानी 1000 रुपये लौटाए जाते हैं. इस तरह निवेशकों को एक खास दर पर पैसे में वृद्धि मिलती है.

एक बार सरकार या बॉन्ड जारी करने वाली संस्था से खरीद के बाद ऐसे बांड्स का व्यापार सेकेंडरी बॉन्ड मार्केट में भी किया जा सकता है. विभिन्न फैक्टरों के आधार पर इनके भाव खरीद बिक्री की प्रक्रिया में बढ़ते घटते रहते हैं. इसका स्वाभाविक तौर पर प्रभाव बॉन्ड से मिलने वाले रिटर्न पर भी होता है.

बॉन्ड के दाम अगर बढ़ते हैं तो निवेशकों को मिलने वाले रिटर्न में कमी आती है. यह स्थिति बॉन्ड यील्ड कम होने की स्थिति होती है. इसके विपरीत अगर बॉन्ड मार्केट में बॉन्ड सस्ते हो जाते हैं तो यह बॉन्ड यील्ड में इजाफा होता है.

शेयर बाजार से क्या है संबंध?

निवेशक सर्वाधिक मुनाफे के लिए सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाले फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना पसंद करते हैं. इक्विटी यानी शेयर मार्केट में रिस्क के साथ ही रिटर्न की भी अच्छी संभावना होती है. वहीं डेट या बॉन्ड मार्केट में रिस्क नहीं या काफी कम होता है और निवेशक एक तय रिटर्न प्राप्त करते हैं. कोरोना से उबरने के माहौल में निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में बड़ा भरोसा जताया गया है.

कुछ जानकारों के अनुसार इस ट्रेंड के कारण बाजार अपने सही वैल्यूएशन से काफी आगे निकल गया है. बॉन्ड मार्केट में यील्ड के बढ़ने से भी इस तर्क को ज्यादा जोर मिला है. इससे पता चलता है कि निवेशक बॉन्ड और अन्य मार्केट में भरोसा ना जताते हुए इक्विटी की तरफ बेहताशा आए हैं. साथ ही अब बांड्स में अच्छे रिटर्न के कारण निवेशक शेयर बाजार से डेब्ट मार्केट की तरफ जा सकते हैं. इस तरह बॉन्ड यील्ड और इक्विटी मार्केट में विपरीत संबंध होता है.

आने वालों दिनों में इसका क्या होगा बाजार पर असर?

विकसित देशों जैसे US, जापान में बॉन्ड यील्ड बढ़ने से विदेशी निवेशकों (FII) द्वारा भारत जैसे बाजारों से पैसे निकाले जा सकते हैं. बाजार की हालिया तेजी में FII निवेश का बड़ा योगदान रहा है. हाल में भारत क्या बाजार में गिरावट आने पर बांड सुरक्षित हैं? का 10 वर्षों का बॉन्ड यील्ड भी 5.76% से 6.20% पे आ गया है. विदेशी निवेशक अगर भारतीय बाजार में रहते हुए भी अगर अपने पैसे को डेट मार्केट में डालते हैं तब भी शेयर बाजार पर नकारात्मक असर दिखेगा.

2013 में US में ‘टेपर टैंटरम’ की क्या बाजार में गिरावट आने पर बांड सुरक्षित हैं? घटना का उदाहरण देकर भी लोग इस स्थिति को बताने की कोशिश कर रहे हैं. इस दौरान US में ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी का मार्केट पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव हुआ था.

RBI से क्या करें उम्मीद?

रिजर्व बैंक लांग टर्म बॉन्ड यील्ड को 6% के पास रखने की कोशिश करेगा. बॉन्ड यील्ड के बढ़ने से सरकार के बाजार से पैसे जुटाने की योजना पर बड़ा असर पड़ेगा. बजट में इस वर्ष और आने वाले वर्षों में सरकार द्वारा बॉन्ड मार्केट से बड़ी रकम उठाने का ऐलान किया गया है. हालांकि इस समस्या से निपटने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों संबंधी बदलाव की संभावना कम है. RBI ओपन मार्केट ऑपरेशन और ऑपरेशन ट्विस्ट की सहायता से बॉन्ड यील्ड में कटौती की कोशिश कर सकता है. ऑपरेशन ट्विस्ट के अंतर्गत केंद्रीय बैंक बिना लिक्विडिटी को प्रभावित किए लांग टर्म बॉन्ड यील्ड में कमी लाने की कोशिश करता है.

निवेशकों के लिए सरकारी बॉन्ड मार्केट खुलने का मतलब, आपके लिए क्या?

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