Mutual Funds are Subject to Market Risk
आपने Mutual Funds शब्द के साथ – साथ “Mutual Funds are Subject to Market Risk” यह शब्द भी सुना होगा। इसका हिंदी में में अर्थ होता है की “म्यूच्यूअल फंड्स, मार्केट रिस्क्स/जोखिम के अधीन होते हैं”। कोई भी म्यूचुअल फंड कई निवेशकों से पैसा इकट्ठा करता है और उन पैसों को Stocks, Bonds, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स और अन्य प्रकार के प्रतिभूतियों (Securities) में निवेश करता है। यहाँ, Market रिस्क क्या होता है? Market Risk का तात्पर्य — ऐसे जोखिम जो, बाजार की स्थितियों के कारण आपके द्वारा निवेश किये संभावित रूप से कम कर सकते है। इनमें से कुछ जोखिम — Equity Risk, Interest Rate Risk, Currency Risk और Commodity Risk।
म्यूचुअल फंड पर Disclaimer बताता है कि म्यूचुअल फंड द्वारा किए गए निवेश पूरी तरह से जोखिम मुक्त नहीं हैं और निवेश के सामने आने वाले सभी बाजार जोखिमों के अधीन हैं।
Why are Mutual Funds subject to market risk?
सभी प्रतिभूतियों की तरह, म्यूचुअल फंड बाजार, या व्यवस्थित, जोखिम के अधीन हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि भविष्य में क्या होगा या किसी दी गई संपत्ति के मूल्य में वृद्धि या कमी होगी या नहीं, इसका अनुमान लगाने का कोई तरीका नहीं है। चूंकि बाजार की सटीक भविष्यवाणी या पूरी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, इसलिए कोई भी निवेश जोखिम मुक्त नहीं है।इसे भी पढ़े : What are direct mutual fund plans
Market Risk क्या है?
बाजार जोखिम सभी प्रकार के निवेशों में निहित जोखिम है जो बाजार की अस्थिर प्रकृति और सामान्य रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप होता है। बाजार जोखिम केवल संभावना है कि बाजार या अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी, जिससे जारीकर्ता इकाई के परफॉरमेंस या फिर प्रोफिटेबिलिटी की परवाह किए बिना व्यक्तिगत निवेश का मूल्य कम हो जाएगा।
उदाहरण के लिए, 2008 के स्टॉक मार्केट क्रैश में, लगभग हर स्टॉक के मूल्य में गिरावट आई थी, इस तथ्य के बावजूद कि अधिकांश कंपनियों ने कुछ भी गलत नहीं किया था या किसी भी तरह से अपने संचालन में बदलाव नहीं किया था।
Types of Market Risk
बाजार जोखिम के कई घटक हैं जो विभिन्न प्रकार के निवेशों पर लागू होते हैं। बाजार जोखिम के सामान्य प्रकार हैं इक्विटी जोखिम, ब्याज दर जोखिम, ऋण जोखिम, मुद्रास्फीति जोखिम, सामाजिक-राजनीतिक जोखिम और देश जोखिम। कुछ प्रकार के निवेश कई प्रकार के बाजार जोखिम के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। म्यूचुअल फंड पर लागू होने वाले बाजार जोखिम का प्रकार उसके पोर्टफोलियो में रखी गई संपत्ति पर निर्भर करता है।
इक्विटी जोखिम शेयर बाजार में निवेश पर लागू होता है और उस जोखिम को संदर्भित करता है जो शेयर बाजार में कीमतों में बदलाव एक व्यक्तिगत निवेश को कम मूल्यवान बना सकता है जब मालिक बेचना चाहता है। इस प्रकार का जोखिम स्टॉक फंड पर दोगुना लागू होता है। सबसे पहले, म्यूचुअल फंड के मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे शेयरधारक निवेश का मूल्य कम हो सकता है। इसके अलावा, स्टॉक फंड का मूल्य पूरी तरह से शेयरों के पोर्टफोलियो के बाजार मूल्य पर निर्भर करता है, जो बदले में इक्विटी जोखिम के अधीन भी होते हैं। इक्विटी जोखिम संतुलित फंडों पर भी लागू होता है जिसमें स्टॉक निवेश शामिल होता है।इसे भी पढ़े : elss mutual funds meaning in hindi
Interest Rate Risk –
ब्याज दर जोखिम – ऋण प्रतिभूतियों में निवेश पर लागू होता है, जैसे सरकारी और कॉर्पोरेट बांड्स। इस प्रकार का जोखिम इस संभावना से संबंधित है कि बढ़ती ब्याज दरें, जैसा कि फेडरल रिजर्व द्वारा निर्धारित किया गया है, मौजूदा बांडों को कम मूल्यवान बना देगा। इस प्रकार का जोखिम बॉन्ड फंड्स, मनी मार्केट फंड्स और बैलेंस्ड फंड को प्रभावित करता है।
Inflation risk, जैसा कि नाम का तात्पर्य है, वह जोखिम है जो धीरे-धीरे मुद्रास्फीति डॉलर के मूल्य को कम कर देगी और दीर्घकालिक निवेश के मूल्य को कम कर देगी। मुद्रास्फीति जोखिम मुख्य रूप से मनी मार्केट फंड के लिए एक मुद्दा है क्योंकि उनका रिटर्न इतना कम है कि वे समय के साथ मुद्रास्फीति से आसानी से बाहर हो सकते हैं।
सामाजिक-राजनीतिक जोखिम इस संभावना को संदर्भित करता है कि युद्ध, आतंक के कृत्यों या राजनीतिक चुनावों जैसी घटनाओं का सामान्य रूप से बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसी तरह, देश जोखिम एक ही घटना को संदर्भित करता है, लेकिन केवल उन घटनाओं पर लागू होता है जो विदेशी देशों में निवेश को प्रभावित करते हैं। विशिष्ट उत्पाद के आधार पर, इस प्रकार के बाजार जोखिम किसी भी म्यूचुअल फंड पर लागू हो सकते हैं क्योंकि वे सामान्य रूप से यू.एस. या विदेशी बाजारों को प्रभावित करते हैं, जो बदले में फंड के पोर्टफोलियो के भीतर इक्विटी और ऋण परिसंपत्तियों को प्रभावित करते हैं।
Risk management rules and risk reward ratio kya hota hai
आप पैसा कमाने के लिए बिजनेस करते हैं तथा stock market में निवेश और ट्रेडिंग करते हैं इसलिए आप उसमे जो पैसा लगाते वह डूबे ना, इसके लिए आपको Risk Management सीखना चाहिए।आज की पोस्ट में, Stock market me risk management rules and risk reward retio kya hota hai ? इसके बारे में बताया जायगा।
बहुत से ट्रेडर अपने अकाउंट साइज को देखे बिना ट्रेडिंग को उत्सुक रहते हैं तथा एक ट्रेड में ही बहुत ज्यादा पैसा कमाने की कामना करते हैं। इस प्रकार के ट्रेड को ट्रेडिंग नहीं Gambling कहते हैं।
यदि आप risk management rules के बिना ट्रेड करते हैं तो आप Gambling करते हैं। आप long-term return नहीं देखते अपने निवेश पर आप jackpot के चक्कर में रहते Market रिस्क क्या होता है? हैं। Market रिस्क क्या होता है? मनी मैनेजमेंट रूल्स केवल आपके मनी को प्रोटेक्ट ही नहीं करते बल्कि आपको लॉन्ग टर्म में काफी प्रॉफिट भी देते हैं। आपको बहुत ही अच्छा statistician होना चाहिए gambler नहीं तभी आप लम्बे समय में विनर बन सकते हैं तथा आपको मनी मैनेजमेंट रूल्स का सख्ती से पालन करना चाहिए।
पूंजीकरण (Capitalization) :
ये तो आप सभी जानते हैं कि पैसे से पैसा बनता है लेकिन ट्रेडिंग स्टार्ट करने से पहले आपका stock market के व्यवहार के बारे मे सीखना जरूरी है तथा आपको Risk management rules का सख्ती से पालन करना चाहिए जैसे -आपके ट्रेडिंग अकाउंट में 20,000रूपये हैं तथा आप एक ट्रेड में 2 % का रिस्क लेते हैं तो एक ट्रेड में लॉस होने पर आपके अकाउंट से चार सौ रूपये कम होगे तथा 10 % का रिस्क लेने पर 2000 रूपये कम होंगे। इस प्रकार आप 2 % और 10 % का रिस्क का अंतर समझ सकते हैं।
ब्रोकर रिटेल ट्रेडर को फंड भी उपलब्ध करवाते हैं जिसे मार्जिन मनी (margin money ) कहते हैं लेकिन आपको उससे जल्दबाजी में ट्रेडिंग स्टार्ट नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है इसमें आपको अपनी पोजीशन ना चाहते हुए भी कटनी पड़ सकती है। यदि आपके पास फिलहाल money नहीं है तो आपको मनी save करके, उसके बाद ही ट्रेडिंग शुरू करनी चाहिए। What is Stock Broker and Brokrage fee-in Hindi
Draw down:
यदि आप लगातार अठारह -उन्नीस ट्रेड में मनी lose करेंगे तो आप अपने अकाउंट का 85 % तक मनी का नुकसान कर लगे। इसे ही draw down कहते हैं। इससे बचने के लिए risk management rules का सख्ती से पालन करना चाहिए।
नुकसान से बचने के लिए आपका एक trading system होना चाहिए तथा यह कम से कम 70 % प्रोफिटेबल होना चाहिए यानि कि आपके दस में से सात ट्रेड प्रोफिटेबल होने चाहिए। आपका एक ट्रेडिंग प्लान होना चाहिए जिसे आपको रिस्क मेनेजमैंट रूल्स के साथ काम में लेना चाहिए। Draw down ट्रेडिंग का एक पार्ट है लेकिन आपको अपने पैसे के बहुत कम प्रतिशत का ही रिस्क लेना चाहिए, आखिर आप यहाँ पैसे कमाने आये हैं, गवांने नहीं। यदि आप Risk management rules का पालन करेंगे तो आप हमेशा विनर रहेंगे।
Risk Reward Ratio:
रिस्क रिवार्ड रेश्यो वह पैरामीटर है जो ट्रेडर ट्रेड करते समय रिवर्ड के अनुपात में रिस्क भी उठता है। जैसे -कि यदि आप दो सौ रूपये का रिस्क उठाते हैं और चार सौ रूपये कमाना चाहते हैं तो इसे 1:2 का रिवार्ड रेश्यो कहते हैं। इसी प्रकार यदि आप पाँच सौ रूपये का रिस्क उठाते हैं तथा पन्द्रह सौ रूपये का रिवार्ड चाहते हैं तो इसे 1:3 का रिवार्ड रेश्यो कहते हैं।
मान लीजिये आप दस ट्रेड करते हैं तथा पाँच ट्रेड में प्रत्येक में एक हजार रूपये का नुकसान करते हैं तथा पाँच ट्रेड में प्रत्येक में तीन हजार रूपये का प्रॉफिट करते हैं प्रकार आप 50 % विनर रहते हैं तथा कुल मिलाकर पाँच ट्रेड में पांच हजार रूपये का नुकसान तथा 1500 हजार रूपये का प्रॉफिट कमाते हैं। इस प्रकार पॉँच हजार के लॉस को निकलकर भी आप दस हजार रूपये का प्रॉफिट कमाते हैं। इसमें 1:3 का रिस्क रिवार्ड रेश्यो है।
ट्रेडिंग के दौरान ट्रेडर को रिस्क कम और रिवार्ड ज्यादा का रेश्यो रखना चहिये तथा1:3 का रिवार्ड रेश्यो अच्छा रहता है, ज्यादा रिस्की ट्रेड को अवॉयड करना चाहिए। बहुत से अनुभवी ट्रेडर तभी ट्रेड करते हैं जब रिवार्ड रेश्यो 1:5 या इससे अधिक हो। हाई अच्छे रिस्क रिवार्ड रेश्यो के लिए ट्रेडर को इंतजार करना चाहिए तथ जब risk reward ratio अपने अनुकूल हो तभी ट्रेड करना चाहिए। इसी को risk management rules को फॉलो करना कहते हैं
यह सही है कि पैसे से पैसा बनता है, लेकिन आपको ट्रेडिंग स्टार्ट करने से पहले उस पर अच्छी तरह पकड़ बना लेनी चाहिए यानि कि अच्छी तरह सीख कर शुरुआत करनी चाहिए। आपको वो सभी कोशिश करनी चाहिए जिनसे आप अपने अकाउंट को प्रोटेक्ट कर सकते हैं। आपको अपने अकाउंट के स्मॉल पर्सेंटेज का ही रिस्क उठाना चाहिए जिससे आप लम्बे समय तक सर्वाइव कर सकें।
आशा है कि अब आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि Risk management rules and reward ratio kya hota hai . उम्मीद है आज की प्रेरणादायी पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी, ऐसी ही प्रेरणादायी पोस्ट पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर कीजिये।
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Investment Tips: म्यूचुअल फंड या शेयर मार्केट में से कहां निवेश करना है ज्यादा फायदेमंद! यहां जानें
Investment Plan: म्यूचुअल फंड में आपको रिस्क तो उठाना पड़ सकता है, लेकिन यह शेयर मार्केट की तुलना में बहुत कम होता है. म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट्स अलग-अलग स्टॉक में छोटी मात्रा में निवेश करते हैं.
Mutual Funds vs Share Market: आजकल के समय में हर व्यक्ति शेयर मार्केट में निवेश करना चाहता है. शेयर मार्केट में निवेश करने का दो तरीका है. पहला कि निवेशक अपना एक डीमैट अकाउंट खोलें और इसके जरिए बाजार में निवेश करें. दूसरे तरीके में आपको म्यूचुअल फंड में एसआईपी की मदद से लंबे वक्त में मोटा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं.
दोनों तरीकों में आपके पैसे बाजार जोखिमों में आते हैं तो इनमें से किसमें निवेश करना ज्यादा सही माना जाता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी बाजार को लेकर समझ कितनी है. अगर आप सही जानकारी और समझ के साथ पैसे नहीं निवेश करेंगे तो आपके पैसे डूब जाएंगे.
अगर आप शेयर मार्केट की चाल को समझते हैं और मार्केट की उठापटक को संभाल सकते हैं तो आपको लिए शेयर मार्केट में सीधे पैसे लगाना फायदेमंद हो सकता है. स्टॉक में निवेश करने के लिए आपको पास डीमैट अकाउंट जरूर होना चाहिए.
शेयर मार्केट में आप कहां पैसे लगाना चाहते हैं यह सिर्फ आपका निजी फैसला होगा, लेकिन कहीं भी पैसे लगाने से पहले मार्केट एक्सपर्ट्स से जानकारी लेना बहुत जरूरी है. इसमें आपको ज्यादा रिटर्न और ज्यादा रिस्क मिल सकता है.
वहीं बात करें म्यूचुअल फंड की तो इसमें आपको रिस्क उठाना पड़ता है, लेकिन यह शेयर मार्केट की तुलना में बहुत कम होता है. आपके पैसों को म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट्स अलग-अलग स्टॉक में छोटी मात्रा में निवेश करते हैं. इससे आपके पैसे डूबने का रिस्क कम होता हैं और पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन आता है.
अगर आप ज्यादा रिस्क उठाकर ज्यादा रिटर्न पाने के लिए तैयार हैं तो आप शेयर मार्केट में निवेश कर सकते हैं, मगर आप छोटे निवेश करके लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न पाना चाहते हैं तो आपके लिए म्यूचुअल फंड में निवेश एक बेहतर ऑप्शन है.
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शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब
Share Market Guide: शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा, किस कंपनी का शेयर खरीदे?
महंगाई (Inflation) बढ़ रही है और रुपये (Rupee) का मूल्य घट रहा है. यानी सिर्फ पैसा बचाने से काम नहीं चलेगा, पैसा बढ़ाना भी पड़ेगा. ऐसे में शेयर बाजार (Share Market) में निवेश अच्छा विकल्प हो सकता है. लेकिन शेयर मार्केट (Stock Market) में पहली बार निवेश करने वालों के लिए क्या जानना जरूरी है? शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है?
कब कर सकते हैं? किस शेयर में पैसा लगाएं? ये सारी बातें यहां हम आपको बता रहे हैं.
शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब
1. शेयर क्या है?
किसी कंपनी को चलाने के लिए पूंजी यानी कैपिटल की जरूरत पड़ती है. अब कंपनी को चलाने के लिए मालिक बाजार से पैसा उठाना चाहता है तो वह कैपिटल को हिस्सों में बांट देता है यही हिस्से कहलाते हैं शेयर. जैसे किसी कंपनी की कैपिटल 100 रुपये है. अब कंपनी इसे 100 हिस्सों में बांट दें तो वे 100 Market रिस्क क्या होता है? हिस्से शेयर्स कहलाएंगे और एक शेयर एक रुपये का होगा. अब इसी कैपिटल को दो या 5 हिस्सों में भी बांटा जा सकता है. यानी कंपनी की एक यूनिट एक शेयर के बराबर होती है.
अब आप किसी कंपनी का हिस्सा बनना चाहते हैं तो उसके शेयर खरीद सकते हैं. इन्हीं शेयर्स की जब आप खरीदी बिक्री करने जिस बाजार में जाएंगे उसे कहते हैं शेयर बाजार.
2. शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा?
शेयर बाजार में पांव रखने से पहले आपको चाहिए डिमैट अकाउंट. जैसे बैंक में बचत, एफडी में निवेश के लिए बैंक अकाउंट चाहिए वैसे ही शेयर मार्केट में निवेश के लिए डिमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट के जरिए ही शेयर्स को खरीदा-बेचा जाता है, होल्ड किया जाता है. यह एक तरह से शेयर्स का डिजिटल अकाउंट है.
3. डीमैट अकाउंट क्या है
डीमैट अकाउंट मतलब- डीमटेरियलाइज्ड यानी किसी भी फिजिकल चीज का डिजिटलाइज होना. डिमैट अकाउंट आप चंद Market रिस्क क्या होता है? सैकेंड में खोल सकते हैं. आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसी केवाईसी डॉक्यूमेंट लगती हैं. इसके लिए ब्रोकर की जरूरत होती है. अब ब्रोकर कोई व्यक्ति भी हो सकता है और कंपनी भी. ब्रोकर की वेबसाइट या एप पर जाकर डिमैट अकाउंट आसानी से खोला जा सकता है. अगर आप नेटबैंकिंग करते हैं तो आपके बैंक की वेबसाइट या एप पर भी डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं. आमतौर पर इसकी लिए कोई फीस नहीं देनी होती लेकिन यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वे डिमैट के लिए कितना वसूलना चाहते हैं.
4. किस कंपनी का शेयर खरीदें?
जवाब है किसी अच्छी कंपनी है, क्योंकि अच्छी कंपनी के शेयर्स अच्छा रिटर्न देते हैं. अच्छी कंपनी मतलब जिसका प्रॉफिट, प्रोडक्ट, भविष्य अच्छा हो. शेयर मार्केट की भाषा में इसे कंपनी के फंडामेंटल्स यानी बुनियादी बातें कहते हैं, कंपनी के फंडामेंटल्स अच्छे हैं तो कंपनी का भविष्य अच्छा माना जाता है. इसके लिए आपको कंपनी की Market रिस्क क्या होता है? सालाना बैलेंस शीट पर नजर रखनी होती है. यानी कंपनी कितना कमा रही है, कितना कर्ज है, कितना मुनाफा हो रहा है? कंपनी के शेयर्स ने पहले कैसा प्रदर्शन किया है. ये सब देखना होता है. कई बार खबरें भी कंपनी के शेयर्स को प्रभावित करती हैं. जैसे कि जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी ईलॉन मस्क ने ट्विटर को खरीदने का ऐलान किया तो निवेशकों में ट्विटर के शेयर्स को खरीदने की होड़ लग गई. लेकिन निवेशक केवल कंपनी के फंडामेंटल्स पर ध्यान दें तो भी काम बन सकता है. सबसे पहले ऐसे शेयर में निवेश करें जो सुरक्षित हैं. यानी उन बड़ी कंपनियों के शेयर्स खरीदें जो दशकों पुरानी हैं, प्रॉफिट में रहती है और आगे भी रहेंगी. इससे आप नुकसान में नहीं रहेंगे. जब इसमें निवेश कर लें तो शेयर्स को स्टडी करना सीखें, कंपनी की बैलेंस शीट पढ़ना सीखें.
5. प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट क्या है?
जब आप कोई शेयर सीधे कंपनी से खरीदते हैं जैसे की आईपीओ के जरिए.. यह प्राइमरी मार्केट है. यानी कंपनियां जो शेयर्स बाजार में इश्यू करती है. लेकिन जब सीधे कंपनी से खरीदे हुए शेयर्स को आप अन्य खरीदारों में Market रिस्क क्या होता है? बेचने जाते हैं तो वो सेकेंड्री मार्केट है. यानी इश्यू किए हुए शेयर्स की जब खरीद बिक्री होती है.
6. ट्रेडिंग या निवेश?
एक्सपर्ट कहते हैं कि 5 साल, 10 साल या उससे भी ज्यादा समय के लिए निवेश करने वाले फायदे में रहते हैं. यानी लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट. अब शेयर बाजार को गहनता से समझने वाले और रिस्क उठा सकने वाले ही शॉर्ट टर्म या हर रोज शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. कितना और Market रिस्क क्या होता है? कितने समय के लिए निवेश? अब सबसे पहले आप ये तय करें कि निवेश कितना करना है और कितने समय के लिए. फिर तय करें कि आप निवेश करना क्यों चाहते हैं यानी कि आपका उद्देश्य क्या है. जैसे, शिक्षा, शादी या घर खरीदने जैसे गोल्स. इसी अनुसार आप आगे बढ़ते हैं और तभी आप फैसला ले पाएंगे कि आपको किस शेयर में निवेश करना है. शेयर मार्केट में शुरुआत धीमी रखें.
7. शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें?
अगर आपके पास इन सब के लिए समय नहीं है या समझ नहीं है तो ऐसी स्थिति में आप किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से ही सलाह लें, एक्सपर्ट को बताएं कि आप कितना खर्च करना चाहते हैं और कितने समय के लिए. आपका निवेश का उद्दश्य क्या है और आप निवेश से कितने रिटर्न की अपेक्षा रखते हैं. एक उपाय म्यूचुअल फंड भी हैं. जिसमें कुछ एक्सपर्ट आपके जैसे कई निवशकों के पैसे को कहां लगाना है ये तय करते हैं.
Share Market: किसी ने कमाए करोड़ों- इसपर न जाएं, अपनी अक्ल लगाएं
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शेयर बाजार में उथल-पुथल के बीच निवेश का बेहतर फॉर्मूला, कम रहेगा जोखिम, ग्रोथ अच्छी
एक्सिस बैंक के अनुसार हर एसेट के साथ उसके अपने रिस्क और रिटर्न जुड़े होते हैं.
एक्सिस बैंक के अनुसार, हर एसेट के साथ उसके अपने रिस्क और रिटर्न जुड़े होते हैं. जैसे Market रिस्क क्या होता है? इक्विटी में काफी ऊंची ग्रोथ और डिव . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : September 29, 2022, 16:06 IST
हाइलाइट्स
एक्सिस बैंक के अनुसार हर एसेट के साथ उसके अपने रिस्क और रिटर्न जुड़े होते हैं.
एसेट एलोकेशन आपकी जोखिम लेने की क्षमता पर आधारित होता है.
बैंक के मुताबिक आप स्टॉक और एमएफ के जरिये निवेश कर सकते हैं.
नई दिल्ली. शेयर बाजार में उथल-पुथल जारी है. रुपया हर रोज कमजोर होता जा रहा है और दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में दबाव देखने को मिल रहा है. हालांकि इन सबके बीच अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने के बारे में सोचें तो आपके पास कई विकल्प मौजूद हैं. आप मार्केट के शेयरों पर गौर Market रिस्क क्या होता है? करेंगे तो पाएंगे कि सभी निवेश विकल्प का रिटर्न एक जैसा नहीं है. मार्केट में कुछ ऐसे कुछ एसेट्स हैं जो नुकसान दिखा रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिससे निवेशकों को मुनाफा भी हो रहा है.
ऐसे में मार्केट के एक्सपर्ट्स निवेश विकल्पों की अलग- अलग स्थितियों में अलग-अलग चाल की वजह से हमेशा पोर्टफोलियो में विविधता लाने की सलाह देते हैं. वे कहते हैं कि कभी भी अपना पूरा निवेश किसी एक एसेट में नहीं लगाना चाहिये. वे बताते हैं कि निवेशकों को अपना पैसा इक्विटी से लेकर गोल्ड तक में अपनी जोखिम लेने की क्षमता के हिसाब से लगाना चाहिये.
जानें निवेश करने को लेकर एक्सिस बैंक की राय
ऐसे में एक्सिस बैंक ने अपने एक ब्लॉग के जरिये बताया है कि कोई निवेशक किस आधार पर अपना पैसा इन सभी एसेट्स में लगाये जिससे उसका जोखिम तो कम से कम हो वहीं रिटर्न भी ज्यादा से ज्यादा मिले. इसमें बैंक ने बैंक एसेट, एसेट एलोकेशन और निवेश के फॉर्मूले की जानकारी दी है. यहां हम एक्सिस बैंक द्वारा दी गई सलाह को विस्तार में बता रहे हैं. आप इस जानकारी से समझ सकते हैं कि कैसे अपनी रकम को सही तरह से निवेश किया जा सकता है.
हर एसेट के साथ जुड़े होते हैं अपने रिस्क और रिटर्न
एक्सिस बैंक के अनुसार, हर एसेट के साथ उसके अपने रिस्क और रिटर्न जुड़े होते हैं. जैसे इक्विटी में काफी अच्छी ग्रोथ और डिविडेंड आय मिल सकती है. हालांकि इसमें जोखिम भी काफी अधिक होता है. एक्सिस बैंक के मुताबिक आप स्टॉक और म्यूचुअल फंड्स के जरिये इसमें निवेश कर सकते हैं. वहीं गोल्ड और डेट ज्यादा सुरक्षित निवेश विकल्प होते हैं, हालांकि इनमें इक्विटी जितनी तेज कमाई नहीं होती और डेट में निवेश को जल्द कैश कराने से रिटर्न पर असर देखने को मिलता है. इन एसेट्स में निवेश के लिये स्टॉक्स, एफडी, म्यूचुअल फंड , ईटीएफ आदि के जरिये निवेश किया जा सकता है.
एसेट एलोकेशन आपकी जोखिम लेने की क्षमता पर होता है आधारित
एक्सिस बैंक के मुताबिक, एसेट एलोकेशन आपकी जोखिम लेने की क्षमता पर आधारित होता है और जोखिम की क्षमता का सीधा मतलब कि आप इस निवेश को कितने समय तक के लिये छोड़ सकते हैं, जिससे छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव के दौर में भी आपको कोई समस्या न हो. दूसरे शब्दों में निवेश के समय को लेकर आपका लक्ष्य क्या है. एक्सिस बैंक ने इसके लिए एक फॉर्मूला बताया है जिसके आधार पर आप एसेट एलोकेशन कर सकते हैं.
एक्सिस बैंक ने निवेश को लेकर दी ये फॉर्मूला
इसमें बैंक ने बताया कि अगर आपको लगता है कि इस रकम की आवश्यकता एक से लेकर 3 साल में पड़ सकती है, जैसे शादी, बच्चों की पढ़ाई, या कोई बड़ा खर्च तो बेहतर है कि आप रकम का 95 प्रतिशत हिस्सा डेट में रखें और 5 प्रतिशत हिस्सा गोल्ड में निवेश करें, इक्विटी से दूर रहें. क्योंकि कई बार स्टॉक्स में तेज गिरावट के बाद उसे उबरने में सालों लग जाते हैं, भले ही वो रिकवरी की दौड़ लंबी अवधि में आपका पूरा नुकसान भर दे. लेकिन आपके पास उतना समय नहीं होता.
जानें, क्या होता है एसेट एलोकेशन ?
एसेट एलोकेशन का मतलब होता है कि आपके निवेश की रकम का कितना हिस्सा किसी खास एसेट जैसे इक्विटी, गोल्ड, डेट, प्रॉपर्टी में लगाया गया है और कितना कैश शेष है जिसे आप जरूरत के वक्त इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर किसी खास एसेट में निवेश बढ़ा सकते हैं. एसेट एलोकेशन का अंतिम लक्ष्य आपके पैसे पर Market रिस्क क्या होता है? निवेश Market रिस्क क्या होता है? जोखिम को कम से कम करना और रिटर्न को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना होता है.
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