म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले करलें ये काम, वरना हो सकती है परेशानी

नई दिल्ली। अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सोच रहे तो यह जानकरी आपके बहुत काम की हैं। क्योंकि बैंक सेक्टर हो या इनकम टैक्स सेक्टर सभी जगह पैन कार्ड का आधार कार्ड से लिंक होना जरुरी हो गया है। यदि ऐसा नहीं करते है तो आपको परेशानी हो सकती हैं। निवेश संबंधी मामले में कई बार पैन व आधार को आपस में लिंक करने की बात कही गई हैं। अगर ऐसा नहीं करते है तो आपका आधार कार्ड आमान्य हो जाएगा।

इस तारीख से पहले आधार को पैन कार्ड से करले लिंक

अगर आपने म्यूचुअल फंड में पैसा निवेश किया है या निवेश करने का सोच रहे है तो अपने आधार कार्ड को पैन कार्ड से 31 मार्च से पहले लिंक जरुर करले ऐसा न करने पर परेशानी हो सकती है। इस तारीख के बाद आपका आधार कार्ड आमान्य हो जाएगा। इसके बाद आप न तो म्यूचुअल में निवेश कर पाएंगे, न ही आपना पैसा निकाल पाएंगे।

आधार का पैन से लिंक न होने का नुकसान

31 मार्च के बाद अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करेंगे तो इसके लिए आपका पैन कार्ड का वैलिड होना जरुरी है। पैन कार्ड आमान्य हो जाने के बाद म्यूचुअल फंड निवेश में अतिरिक्त यूनिट नहीं जोड़ सकेंगे और न ही वहां से बाहर निकल पाएंगे। जिससे आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं।

SIP पर पड़ेगा असर

एसआइपी ( सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश प्लान ) की सहायता से आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते है और आपका पैन कार्ड आमान्य हो जाता है तो SIP से किया जाने वाला निवेश रुक जाएगा। जिससे आप म्यूचुअल फंड स्कीम में नई यूनिट नहीं जोड़ पाएंगे। इस समस्या की वजह से आपका सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान (SWP) रुक जाएगा।

50 की उम्र में रिटायरमेंट के लिए नोट कर लें ये बातें

Invest For Retirement: जो शुरुआती उम्र में बचत करना शुरू कर देते हैं वे लंबी अवधि में काफी रकम जमा कर पाते हैं.

  • Ankur Sengupta
  • Publish Date - August 10, 2021 / 12:56 PM IST

50 की उम्र में रिटायरमेंट के लिए नोट कर लें ये बातें

रिटायरमेंट प्लानिंग में देरी करना सही नहीं है. कम उम्र में प्लानिंग से ज्यादा फायदा होता है. 25-35 की उम्र से रिटायरमेंट प्लानिंग की शुरुआत करनी चाहिए.

Invest For Retirement: अधिकतर लोग जल्दी रिटायरमेंट चाहते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही ऐसा कर पाने में सफल हो अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश पाते हैं. असल में जल्दी रिटायरमेंट के लिए विवेकपूर्ण निवेश करना बहुत जरूरी होता है. इसके लिए करिअर के शुरुआत से ही निवेश करना प्रारंभ कर देना चाहिए. यदि आप 20 की उम्र से ही अपने रिटायरमेंट के लिए बचत शुरू कर देते हैं तो आपको ज्यादा आसानी होगी क्योंकि 30 साल के बाद आपकी जिम्मेदारियां बढ़ती जाती हैं. यदि आप 50 की उम्र रिटायरमेंट चाहते हैं तो आपको 10 अतिरिक्त साल निवेश करना होता है.

शुरू से ही बचत करें

वित्तीय सलाहकार निलोत्पल बनर्जी का कहना है, “जो शुरुआती उम्र में बचत करना शुरू कर देते हैं वे लंबी अवधि में काफी रकम जमा कर पाते हैं और 50 की उम्र में रिटायरमेंट के बारे में सोच पाते हैं.”

कोलकाता के सीएफए अरविंद अग्रवाल कहते हैं, “ यदि आप 50 की उम्र रिटायरमेंट चाहते हैं तो आपको 10 अतिरिक्त साल निवेश करना होता है.

केवल एफडी या आरडी के जरिए बड़ा पैसा तैयार नहीं किया जा सकता. इसके लिए आपको म्यूचुअल फंड और शेयरों में भी निवेश करना होगा.”

म्यूचुअल फंड

आपके म्यूचुअल फंड का रिटर्न इंफ्लेशन से अधिक होना चाहिए. आप एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना शुरू कर सकते हैं. कोई व्यक्ति 500 रुपए से एसआईपी शुरू कर सकता है.

जैसे-जैसे आमदनी बढ़ती जाए, इस अमाउंट में बढ़ोतरी की जा सकती है. उदाहरण के लिए, यदि कोई 25 साल की उम्र से एसआईपी पर प्रति महीने 10 हजार रुपए निवेश करता है, तो वह 50 साल की उम्र तक 30 लाख रुपये राशि डालेगा और इस पर 13 फीसदी का सालाना रिटर्न जोड़ें तो अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश इस उम्र में उसे 2.3 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे.

थोड़ा जोखिम बढ़ाकर शेयर आधारित फंड पर निवेश किया जाए तो यह राशि 4 करोड़ रुपये तक हो सकती है.

पीपीएफ की शुरुआती लॉक-इन अवधि 15 साल होती है. इस पर 7.1 फीसदी का रिटर्न मिलता है, जो सालाना संयोजित होता रहता है.

जैसे, कोई व्यक्ति 1.1 लाख रुपये हर साल पीपीएफ पर डालता है तो 25 साल बाद उसकी जमा की गई राशि 75.6 लाख रुपये हो जाता है. जबकि इस अवधि में व्यक्ति ने 27.5 लाख रुपये निवेश किए होते हैं. इस पर टैक्स भी नहीं लगता.

एनपीएस

नेशनल पेंशन स्कीम, भी रिटायरमेंट फंड तैयार करने का अच्छा विकल्प है. युवा निवेशक के तौर पर आप अपनी बचत का 75 फीसदी हिस्सा शेयरों पर और बाकी हिस्सा सरकारी बॉन्ड पर निवेश कर सकते हैं.

इसमें आपको 11 फीसदी का रिटर्न मिल जाता है. यदि आप प्रति महीने 6 हजार रुपये 25 साल तक जमा करते हैं, तो यह अंत में 96 लाख रुपये हो जाता है.

अंतिम बात

इन तीनों विकल्पों को एक साथ जोड़कर रिटायरमेंट तैयार किया जाए तो 50 साल की उम्र में 4 करोड़ रुपये जमा किए जा सकते हैं. साथ ही 22 हजार रुपये का मासिक पेंशन भी प्राप्त किया जा सकता है.

महंगाई को मात देना है तो PPF, FD नहीं यहां करें निवेश, मिलेगा शानदार रिटर्न

सेक्शन 80C में उपलब्ध विकल्पों में इसके लोकप्रिय होने की बड़ी वजह इसका सबसे छोटा लॉक इन पीरियड है. इसमें रिटर्न भी बैंक एफडी और पीपीएफ से ज्यादा है.

महंगाई को मात देना है तो PPF, FD नहीं यहां करें निवेश, मिलेगा शानदार रिटर्न

अगर आपकी दौलत महंगाई को मात नहीं दे रही है तो आप अपनी पूंजी गंवा रहे हैं. नए वित्त वर्ष में महंगाई (Inflation) और पारंपरिक निवेश से होने वाली आय (Income) में अंतर ने कई भारतीयों ने अपनी दौलत गंवा दी है. ग्लोबल स्तर पर पाकिस्तान और श्रीलंका इसका ताजा उदाहरण है. महंगाई और अन्य इकोनॉमिक परेशानियों की वजह इनकी हालत खराब हो गई. टैक्स के बाद फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) का औसत रिटर्न 2.5 से 3 फीसदी तक है जो CPI महंगाई 6.07 फीसदी से कम है. साथ ही, अधिकांश डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds) का पोस्ट-टैक्स रिटर्न मुश्किल से मुद्रास्फीति को मात देने में कामयाब रहे हैं.

आपने देखा कि बीते दो हफ्ते में पेट्रोल की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई. पिछले दो वर्षों में मुंबई में तेल की कीमत 55 फीसदी बढ़ी. अप्रैल 2020 में पेट्रोल कीमत 76 रुपये से बढ़कर 4 अप्रैल 2022 को 119 रुपये प्रति लीटर हो गई.

दुर्भाग्य से मुद्रास्फीति फिलहाल जाने वाली नहीं है. इसलिए लोगों को इंफ्लेशन प्रूफ पोर्टफोलियो बनाना चाहिए. इसके लिए निवेशकों को इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) फंड में निवेश करना बेहतर रहेगा. यह महंगाई को मात देने में सक्षम है. इसका आरओआई (ROI) 14 फीसदी है. जबकि टैक्स सेविंग्स एफडी का आरओआई 5.50 फीसदी और पीपीएफ (PPF) का आरओआई 7.10 फीसदी है.

क्या है ELSS?

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक तरह का डाईवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड है जोकि कैपिटल मार्केट और अलग-अलग मार्केट कैप वाली चुनिंदा कंपनियों में निवेश करता है. एक वित्त वर्ष के दौरान कोई भी इसमें मैक्सिमम 1,50,000 रुपये तक का निवेश कर सकता है और इनकम टैक्स एक्ट के अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ उठा सकते है.

यह इक्विटी कैटेगरी में आता है. इसमें करीब 65 फीसदी हिस्सा शेयर में निवेश किया जाता है. ELSS पर मिलने वाला रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है कि लंबी अवधि में शेयर मार्केट का प्रदर्शन कैसा है. आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि ELSS में तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है. तीन साल के बाद बिना किसी चार्ज के अपने पैसे निकाल सकते हैं.

1 लाख रुपये से अधिक के लांग टर्म कैपिटल गेन पर 10 फीसदी की दर से टैक्स (सरचार्ज अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश और सेस अतिरिक्त) और डिविडेंड को ओवरऑल इनकम में जोड़कर स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स देय होता है.

ELSS का रिटर्न

रिटर्न टैक्सेबल होने के बावजूद ईएलएसएस पीपीएफ और एफडी की तुलना में अधिक लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि इसमें टैक्स काटने के बाद भी रिटर्न ज्यादा होता है. आंकड़ों के मुताबिक 10 साल से अधिक के ईएलएसएस ने अब तक 12 फीसदी से ऊपर का रिटर्न दिया है.

Jamshedpur today news :एक्सिस म्यूचुअल फंड का एक्सिस लॉन्ग ड्यूरेशन फंड लॉन्च

जमशेदपुर। एक्सिस म्यूचुअल फंड ने अपने नए फंड ऑफर- एक्सिस लॉन्ग ड्यूरेशन फंड के लॉन्च की घोषणा की। यह एक ओपन-एंडेड डेट स्कीम है, जो इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करती है जैसे कि पोर्टफोलियो की मैकेले ड्यूरेशन 7 वर्ष से अधिक है, अपेक्षाकृत उच्च ब्याज दर जोखिम और अपेक्षाकृत कम ऋण जोखिम। एक्सिस लॉन्ग ड्यूरेशन फंड के लिए एनएफओ 7 दिसंबर, बुधवार को खुला, जो आगामी 21 दिसंबर को बंद होगा। इसके अतिरिक्त, फंड का प्रबंधन देवांग शाह, कौस्तुभ सुले और हार्दिक शाह द्वारा किया जाएगा और न्यूनतम निवेश राशि होगी 5,000 रुपए और उसके बाद 1 रुपए के गुणकों में निवेश किया जा सकता है। फंड के लॉन्च पर टिप्पणी करते हुए एक्सिस एएमसी के एमडी और सीईओ चंद्रेश निगम ने कहा कि मौजूदा मैक्रो माहौल में, अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश निश्चित आय रणनीतियों में निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प होने की क्षमता है, खासकर उनके लिए जो अपने करियर के मध्य में हैं। जीवनचक्र और सेवानिवृत्ति के बाद की योजना बनाना चाहते हैं। एक्सिस लॉन्ग ड्यूरेशन फंड के लॉन्च के साथ, हम चाहते हैं कि निवेशक रिटायरमेंट निवेश पर फिर से विचार करें। डेट म्युचुअल फंड में पारंपरिक सेवानिवृत्ति उत्पादों की तुलना में महत्वपूर्ण कर क्षमता और बाजार से जुड़े रिटर्न की पेशकश करने की क्षमता है। वास्तव में, सार्थक रूप से लंबी अवधि में कमाई की क्षमता में अंतर का अंतिम कोष पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। एसआईपी और एसडब्ल्यूपी जैसे व्यवस्थित निवेश समाधानों का उपयोग करके निवेशक लंबी अवधि के सरकारी बॉन्ड का उपयोग करते हुए पूरी तरह से लचीली निवेश योजना बना सकते हैं।

रेटिंग: 4.15
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 850