Algo Trading क्या है कैसे करें फायदे व नुकसान पूरी जानकारी | Algo Trading in Hindi
साथियों अगर आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं और आपने एल्गो ट्रेडिंग के बारे में सुना है तो आज के इस लेख में हम आपके लिए बताने वाले हैं कि एल्गो ट्रेडिंग क्या है कैसे करते हैं एवं इसके फायदे वह नुकसान (Algo Trading in hindi) क्या है पूरी जानकारी विस्तार से देने वाले हैं।
साथियों पहले के जमाने में जो ट्रेडिंग होती थी उसके लिए पेपर ट्रेड होती थी यानी कि कागज पर लिखा जाता था ऑनलाइन का कोई जमाना नहीं था लेकिन भारत में सन 2000 में जब शेयर मार्केट ऑनलाइन आया जिससे लोग अपने घर बैठे मोबाइल लैपटॉप कंप्यूटर आदि से ट्रेडिंग कर सकते हैं और अब एक और नया ट्रेडिंग का कंसेप्ट आया है जिसे हम एल्गो ट्रेडिंग कहते हैं तो चलिए जानते हैं की एल्गो ट्रेडिंग क्या होती है एल्गो ट्रेडिंग कैसे की जाती है एवं इसके फायदे नुकसान क्या है पूरी जानकारी विस्तार से-
एल्गो ट्रेडिंग क्या है | What is algo Trading in Hindi
एल्गो ट्रेडिंग का मतलब है कि ऑटोमेटिक ट्रेड होना या फिर कंप्यूटर Bot द्वारा ट्रेड होना जिसे हम एल्गोरिदम भी कहते हैं आसान भाषा में कहें तो की Algo Trading Means Algorithm trading कहते हैं जिसे कंप्यूटर में एक बार algorithm सेट करने पर कंप्यूटर ऑटोमेटिक ट्रेड करेगा और प्रॉफिट होने पर हमारे Trade को काटेगा या फिर स्टॉप लॉस हो जाने पर Trade को काट देगा इसमें व्यक्ति के इमोशन या फिर व्यक्ति का होना जरूरी नहीं होता है। इसे एल्गो ट्रेडिंग कहते हैं।
ये ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो रूल्स बेस पर होता है जिसमे पहले से ही कोडिंग की मदद से सारी चीज़े सेट की जाती है और फिर उसके माध्यम से ही एल्गो ट्रेडिंग काम करता है इसमें हमें पहले से ही हमारे रूल्स, इंस्ट्रक्शन्स या फिर लॉजिक को सेट करना होता है और फिर इसी लॉजिक पर हमारा लैपटॉप एल्गो ट्रेडिंग में काम करता है। ये रूल्स, और इंस्ट्रक्शन्स आप अपने हिसाब से सेट कर सकते है।
उदाहरण के लिए कहे कि अगर आपने सॉफ्टवेयर में एल्गो ट्रेडिंग में रूल सेट किए हैं कि किसी शेयर के प्राइस 9 Day Moving Average से नीचे है और जैसे ही ऊपर क्रॉस करते हैं तो हमारे 50 शेयर Buy हो जाए और 10% का स्टॉपलॉस रखें एवं 20% प्रॉफिट होने पर 50 Shere को Sell कर दे। या फिर 10% का लॉस होने पर 50 Shere को Sell कर दे। यह नियम आपने एल्बमें सेट करके छोड़ दिया है।
जैसे ही मार्केट में ऐसी कंडीशन बनेगी तो आपका एल्बो शेयर को तुरंत को तुरंत खरीद लेगा एवं 10% लॉस होने पर या 20% प्रॉफिट होने पर आपके शेयर को बेच देगा इसमें आपको मैनुअली कुछ भी नहीं करना होगा तो एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है इसे ही एल्गो ट्रेडिंग कहते हैं मतलब आपको एक बार सेट करना है और फिर कुछ भी नहीं करना है।
एल्गो ट्रेडिंग का सबसे अच्छी एक विशेषता है कि यह काम सेकंड में कर सकता है एवं आप इससे जितनी चाहे Backtesting कर सकते हैं अगर आप पिछले 5 साल की बैक टेस्टिंग करना चाहते हैं तो यह आपको कुछ ही सेकंड में बैक टेस्टिंग का रिजल्ट बता देगा।
Algo Trading कैसे करें-
साथियों एल्गो ट्रेडिंग का इस्तेमाल अभी बड़े-बड़े इंस्टीट्यूशंस और बड़े-बड़े ट्रेडर करते हैं एवं एल्गो ट्रेडिंग करने के लिए किसी भी कोडिंग लैंग्वेज की जानकारी होना अनिवार्य नहीं है क्योंकि अगर आप एल्गो ट्रेडिंग करना चाहते हैं।
साथियों एल्गो ट्रेडिंग करने के लिए आपको अपने स्टॉक ब्रोकर से API लेनी होगी और उस API को आपको एल्गो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर से लिंक करनी होगी एल्गो ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा सॉफ्टवेयर Algo Test है जो कि बिल्कुल फ्री है और लिटिल टेलर इसे आसानी से सीख सकते हैं और अपनी स्ट्रेटजी बना सकते हैं और उसे बैक टेस्ट भी कर सकते हैं।
भारत के शेयर बाजार के लीडिंग स्टॉक ब्रोकर जैसे- Zerodha, Angel one, Upstock , Dhan आदि प्लेटफार्म अपने सॉफ्टवेयर बनाकर रिटेल ट्रेडर्स के लिए उपलब्ध कराते हैं आप इनके सॉफ्टवेयर से अपने एल्गो ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बना सकते हैं और ट्रेड कर सकते हैं हां लेकिन आपको थोड़ी बहुत चार्जिस अलग से देने होंगे।
एल्गो ट्रेडिंग कैसे करते हैं इससे रिलेटेड आप यूट्यूब पर वीडियो देख सकते हैं तो आपको एल्गो टेस्ट सॉफ्टवेयर के बारे में एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है वीडियो मिल जाएंगी।
Algo Trading के फायदे
एल्गो ट्रेडिंग के फायदे बहुत हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
- Emotionaless Trading – एल्गो ट्रेडिंग का सबसे अच्छा फायदा या है कि इसमें किसी व्यक्ति का इंवॉल्वमेंट नहीं होता है जिससे इमोशनल ट्रेडिंग नहीं होती है क्योंकि इमोशनल ट्रेडिंग से हमें अच्छा खासा लॉस हो सकता है एल्गो ट्रेडिंग में इमोशनलेस ट्रेडिंग होती है अगर आपको फायदा होता है तो तो ठीक है लेकिन आपके स्टॉपलॉस पर यह आपको बाहर कर देगा।
- Unlimited Backtesting– एल्गो सॉफ्टवेयर के माध्यम से आप जितना चाहे व्यक्ति स्टिंग कर सकते हैं और बहुत ही कम समय में आप कई सालों की बैक टेस्टिंग कर सकते हैं जिससे आपकी ट्रेडिंग में बहुत अच्छा कॉन्फिडेंस बिल्ड होता है।
- High Speed Trade – किसी इंसान द्वारा कोई भी ट्रेड बहुत जल्दी नहीं लिया जा सकता समय लगता है और जो इंस्टीट्यूशंस और बड़ी ट्रेडर के लिए यह आसान नहीं होता उन्हें बहुत जल्दी ट्रेड लेने होते हैं और बड़ी क्वांटिटी में ट्रेड लेने होते हैं लेकिन मार्केट में ज्यादा कॉन्टिटी के आर्डर एक ही समय में ऑर्डर करना आसान नहीं है लेकिन एल्गो ट्रेडिंग से बहुत आसान बनाती है एल्गो ट्रेडिंग से माध्यम से आप सेकंड में अपने ऑर्डर को एग्जीक्यूट कर सकते हैं।
- Time Freedom – जब हम ट्रेड लेते हैं तो हमें मार्केट को दिनभर देखना होता है और टारगेट एवं लॉस को देखना होता है लेकिन जब आपने एक बार एल्बो सेट कर दिया है तो आप और भी अपना काम कर सकते हैं एवं ट्रेडिंग का काम मार्केट में आपका एल्गो ट्रेडिंग करेगा इसमें आपकी समय की बचत अच्छी होती है अगर आपके पास समय की कमी है तो एल्गो ट्रेडिंग आपके लिए वरदान है।
- एल्गो ट्रेडिंग में आप अनलिमिटेड स्टॉक के डाटा को एनालाइज कर सकते हैं एवं उन पर एक ही टाइम पर नजर रख सकते हैं।
Algo Trading के नुकसान
एल्गो ट्रेडिंग आज के समय में बहुत प्रचलित हो रहा है और लोगों का कहना है कि एल्गो ट्रेडिंग भविष्य है क्योंकि भविष्य मेल को ट्रेडिंग ही होने वाली है तो दोस्तों एल्गो ट्रेडिंग के नुकसान की बात करें तो एल्गो ट्रेडिंग के नुकसान बहुत कम है लेकिन किसी भी नए ट्रेडर के लिए एल्गो ट्रेडिंग बिल्कुल भी नहीं है पहले उसे मैनुअली ट्रेडिंग सीखनी होगी।
इसी के साथ आपको बता दें कि एल्गो ट्रेडिंग कंप्यूटर या फिर रोबोट द्वारा जाने वाली ट्रेडिंग है और आपको पता ही होगा कि कंप्यूटर कभी भी गलती नहीं करता है अगर आप कोई Algo Trading स्ट्रेटजी बना रहे हैं और उसमें कोई गलती हो जाती है तो आप इसे इग्नोर बिल्कुल भी नहीं कर सकते क्योंकि इससे आपको बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है।
तो साथियों आशा करता हूं कि आपको इस लेख के माध्यम से एल्गो ट्रेडिंग क्या है (Algo Trading in Hindi) एल्गो ट्रेडिंग कैसे करते हैं एल्गो ट्रेडिंग के फायदे एवं नुकसान क्या है इससे संबंधित पूरी जानकारी आपको विस्तार से मिल गई होगी ऐसे ही शेयर मार्केट से संबंधित खबरों एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है एवं जानकारियों के लिए हमारे ब्लॉग को पढ़ते रहिए एवं इस लेख को अपने दोस्तों के साथ नीचे दिए गए शेयर बटन के माध्यम से शेयर जरूर करें धन्यवाद।
एल्गो ट्रेडिंग सर्विस देने वाले ब्रोकर्स पर चला SEBI का चाबुक, नहीं दे सकेंगे अब पिछले और भविष्य के रिटर्न का हवाला
algo trading: सेबी ने ऐसे शेयर ब्रोकरों के लिये कुछ जिम्मेदारी तय की है. एल्गोरिदम ट्रेडिंग सेवाएं देने वाले ब्रोकरों Brokers) को पूर्व के या भविष्य के रिटर्न को लेकर कोई भी संदर्भ देने से मना किया गया है.
Algorithm Trading: पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने बीते शुक्रवार को निवेशकों को एल्गो ट्रेडिंग से संबंधित सेवाएं (algo trading services) देने वाले ब्रोकरों Brokers) के लिए दिशानिर्देश जारी किए. इस पहल का मकसद हाई रिटर्न का दावा कर शेयर बिक्री पर रोक लगाना है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पाया कि कुछ शेयर ब्रोकर नियमन के दायरे से बाहर मंचों के जरिये एल्गोरिदम (एल्गो) आधारित कारोबार की सुविधा निवेशकों को दे रहे हैं. पीटीआई की खबर के मुताबिक, सेबी ने एक सर्कुलर में कहा कि ये प्लेटफॉर्म निवेशकों को कारोबार के स्वचालित निष्पादन के लिये एल्गोरिदम ट्रेडिंग (algo trading) सेवाएं या रणनीति उपलब्ध करा रहे हैं. नया नियम तत्काल प्रभाव से अमल में आ गया है(
शेयर ब्रोकरों के लिये जिम्मेदारी तय
खबर के मुताबिक, ऐसी सेवाओं और रणनीतियों को निवेश पर उच्च रिटर्न के ‘दावों’ के साथ मर्केटिंग किया जा रहा है. इसको देखते हुए सेबी ने ऐसे शेयर ब्रोकरों के लिये कुछ जिम्मेदारी तय की है. एल्गोरिदम ट्रेडिंग सेवाएं देने वाले ब्रोकरों Brokers) को पूर्व के या भविष्य के रिटर्न को लेकर कोई भी संदर्भ देने से मना किया गया है. साथ ही ऐसे किसी भी मंच से संबद्ध होने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो एल्गोरिदम (algo trading) के पहले के या भविष्य के लाभ के बारे में कोई संदर्भ देता है.
इसमें कहा गया है कि जो शेयर ब्रोकर (stock broker) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के रिटर्न या प्रदर्शन के बारे में जानकारी देते हैं या इस प्रकार की जानकारी देने वाले प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं, वे सात दिन के भीतर उसे वेबसाइट से हटा देंगे और इस तरह के संदर्भ प्रदान करने वाले मंच से खुद को अलग कर लेंगे.
तब सेबी ने लगाई थी ब्रोकर्स पर पेनाल्टी
ब्रोकर्स के संगठन ANMI ने पिछले महीने शॉर्ट एलोकेशन पेनाल्टी के नियमों में रियायत की मांग की थी. ब्रोकर्स (Brokers) ने इसे लेकर कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI), BSE, NSE और दोनों एक्सचेंजेज के क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस को चिट्ठी लिखी थी. इसमें मांग की गई कि शॉर्ट एलोकेशन के मामलों में पेनाल्टी से रियायत दी जाए. जो पेनाल्टी लगाई गई है उसे ब्रोकर्स को रीफंड किया जाए. साथ ही फाइनल फाइल एलोकेशन का समय रात 8 बजे से बढ़ाकर अगले दिन 12 बजे तक किया जाए.
अब ‘अल्गो ट्रेडिंग’ को रेगुलेट करने की तैयारी, SEBI लाया नए नियम, जानिए इससे जुड़ी सभी काम की बातें
भारत में अल्गो ट्रेडिंग का दौर 2008 में ही शुरू हो गया था, लेकिन इसका फायदा वे ही लोग उठाते रहे हैं जो कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग में दक्ष हों. रिटेल में स्टॉक खरीदने-बेचने का काम लोगों ने कुछ ही साल पहले शुरू किया है.
अल्गो ट्रेडिंग का नाम भले नया हो, लेकिन ट्रेडिंग के कद्रदान इसका फायदा बहुत पहले से उठा रहे हैं. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया या SEBI अब इसे रेगुलेट करने की तैयारी में है. एक आंकड़ा बताता है कि भारत में होने वाली ट्रेडिंग का तकरीबन 50 फीसदी हिस्सा अल्गो ट्रेडिंग से ही संपन्न हो रहा है. ऐसे में सेबी की निगाह पड़ना लाजिमी है. दरअसल, अल्गो ट्रेडिंग का मतलब अल्गोरिदम से जुड़ा है जो पूरी तरह से कंप्यूटर से जरिये पूरा किया जाता है. अल्गो ट्रेडिंग में भी यही काम होता है. इसमें कंप्यूटर के जरिये ही स्टॉक की खरीद-बेच की जाती है. इसका दूसरा नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग भी है. आइए इस नए प्रकार एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है की ट्रेडिंग के बारे में जानते हैं.
अल्गो ट्रेडिंग कंप्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से की जाती है. कंप्यूटर में पहले से पैरामीटर्स, स्टॉक खरीद-बिक्री के निर्देश, मार्केट का पैटर्न और शर्तें फीड की गई रहती हैं. बस आपको स्टॉक खरीदने या बेचने के लिए कंप्यूटर का बटन दबाना होता है और काम पूरा हो जाता है. भारत में अल्गो ट्रेडिंग का दौर 2008 में ही शुरू हो गया था, लेकिन इसका फायदा वे ही लोग उठाते रहे हैं जो कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग में दक्ष हों. रिटेल में स्टॉक खरीदने-बेचने का काम लोगों ने कुछ ही साल पहले शुरू किया है.
कैसे होती है अल्गो ट्रेडिंग
अल्गो ट्रेडिंग शुरू करने एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है के पीछे मकसद ये था कि ट्रेडिंग में समय बचे और अधिक तेजी से बिजनेस हो. अगर आप खुद किसी स्टॉक को सेलेक्ट करें और खरीदें या बेचें तो उसमें अधिक समय लगेगा जबकि कंप्यूटर यह काम कुछ ही सेकंड में पूरा कर देता है. अल्गो ट्रेडिंग में कोई ब्रोकर कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिये शेयर पहले ही सेलेक्ट कर लेता है और बाजार खुलते ही ट्रेडिंग शुरू हो जाती है. अल्गो ट्रेडिंग का लिंक स्टॉक एक्सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है. इसलिए ट्रेडिंग की हर जानकारी स्टॉक एक्सचेंज के साथ अपडेट होती रहती है.
अल्गो से ट्रेडिंग पूरी होने के पहले रिटेल ट्रेडर का या तो अपने ब्रोकर को फोन करना होता है या ब्रोकर के ऑफिस में जाना होता है. अल्गो ट्रेडिंग में ही मोबाइल ट्रेडिंग का प्रोसेस भी आता है जिसमें एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है मोबाइल के जरिये स्टॉक खरीदे या बेचे जाते हैं. इसमें मोबाइल ऐप के द्वारा ऑर्डर दिए जाते हैं. अल्गो ट्रेडिंग का एक एडवांस्ड वर्जन भी है जिसमें बिना किसी इंसानी दखलंदाजी के काम होता है.
सेबी की क्यों लगी निगाह
सेबी ही स्टॉक एक्सचेंज का रेगुलेटर है और यही सभी ब्रोकर टर्मिनल को मॉनिटर करता है. लेकिन ट्रेडर्स के अल्गो प्रोग्राम के लिए एक्सचेंज की कोई मंजूरी नहीं चाहिए होती है. अल्गो की मॉनिटरिंग के लिए कोई रूल भी नहीं है. लेकिन सेबी को अब यह लगता है कि बिना रेगुलेशन वाले अल्गो से मार्केट या स्टॉक एक्सचेंज को खतरा हो सकता है.
बिना रेगुलेशन वाले अल्गो से मार्केट में छेड़छाड़ की भी आशंका है. यह भी हो सकता है कि जिन अल्गो की मॉनिटरिंग नहीं होती, वे ग्राहकों को भारी मुनाफा या रिटर्न का झांसा देकर फंसा दें. ट्रेडिंग फेल होने पर ग्राहकों का भारी नुकसान हो सकता है. 2015 में ऐसा एक विवाद हो चुका है जिसमें पता चला कि एनएसई ने कुछ चुनिंदा अल्गो ट्रेडर्स को बिजनेस में तरजीह दी थी. इन वजहों को देखते हुए सेबी अल्गो ट्रेडिंग को रेगुलेट करने की तैयारी में है.
ट्रेडर्स के बदले अब मशीनें करेंगी शेयर्स की खरीद-फरोख्त, एक्सपर्ट से समझें एल्गो ट्रेडिंग आपके लिए कितनी बेहतर
नई दिल्ली (प्रवीण द्विवेदी)। शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाले लोगों के लिए एक बड़ी खबर आई है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) एल्गोरिथम व्यापार (एल्गो ट्रेडिंग) में खुदरा निवेशकों की भागीदारी पर नियम पेश करने की योजना बना रहा है। अब सेबी का यह फैसला खुदरा निवेशकों के लिए कितना फायदेमंद रहेगा यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा लेकिन हमने इस बारे में फिनेथिक वेल्थ सर्विसेज के निदेशक विवेक नेगी के इस बारे में विस्तार से बात की है।
आखिर क्या है एल्गो ट्रेडिंग: विवेक नेगी ने बताया कि एल्गो ट्रेडिंग मूल रुप से एक सिस्टम आधारित ट्रेडिंग होती है, जिसमें सिस्टम में एक फार्म्यूला फिट कर दिया जाता है और उसी के आधार पर आपकी ओर से मशीनें शेयर्स की खरीद-फरोख्त करती हैं। उन्होंने बताया कि बड़े देशों में यह सिस्टम प्रचलन में है।
एल्गो ट्रेडिंग को ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग और सिंपली एल्गो ट्रेडिंग भी कहा जाता है। एल्गो ट्रेडिंग एक प्रक्रिया होता है जिसमें कंप्यूटर प्रोग्राम का इस्तेमाल करते हुए एक तय दिशानिर्देश का पालन किया जाता है। इसमें मुनाफे के साथ तेजी से खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया को तकनीकी आधार पर सेट किया जाता है। इतनी स्पीड के साथ एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है खरीद-फरोख्त का फैसला लेना आम आदमी के लिए मुनासिब नहीं होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रेडिंग के दौरान कभी कभी हमारे सामने ह्यूमन इमोशन आडे आ जाते हैं और हम सही एवं तेज फैसला नहीं कर पाते हैं।
नई चीज लेकिन खतरा भी बड़ा: उन्होंने बताया कि भारत के लिहाज से यह एक नई और बड़ी चीज है लेकिन इसके खतरे भी काफी बड़े हैं। उन्होंने कहा कि जैसा कि यह सिस्टम आधारित ट्रेडिंग होगी तो इसमें गलतियों को भी एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है नकारा नहीं जा सकता है क्योंकि मशीने अक्सर गलतियां करती हैं, ये गलतियां गणितीय अंकों के गलत लिखे जाने से लेकर सही आकलन तक से जुड़ी हुई हो सकती हैं। विवेक ने कहा कि इसलिए बेहतर होगा कि सेबी इस तरह की ट्रेडिंग को हरी झंडी दिखाए जाने से पहले यह सुनिश्चित करे कि एल्गो ट्रेडिंग करने वाले लोगों को पहले अच्छे तरीके से ट्रेंड (प्रशिक्षित) किया जाएगा और उसके बाद पेशेवरों को ही इस तरह की ट्रेडिंग करने की इजाजत दी जाएगी।
फिलहाल किन्हें इजाजत: अभी तक देश में सिर्फ संस्थागत निवेशकों को ही एल्गो ट्रेडिंग के तहत कारोबार की इजाजत है, लेकिन रिटेल निवेश इसके जरिए अपना ट्रेड नहीं डाल सकते हैं। भारतीय शेयर बाजारों में मौजूदा समय में जितना कारोबार होता है उसका करीब 43 फीसदी एल्गो ट्रेडिंग के जरिए किया जाता है।
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