कमोडिटी विकल्प क्या हैं
नई दिल्ली: सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन मंगलवार को भी शेयर बाजार की शुरुआत खराब रही और दोनों इंडेक्स लाल निशान पर खुले। हालांकि ग्लोबल बाजारों से भारी गिरावट के साथ संकेत मिले थे लेकिन उस लिहाज से भारतीय शेयर बाजार उतनी मात्रा में नहीं टूटे लेकिन हफ्ते के लगातार दूसरे दिन शेयर बाजारों ने कमजोरी के साथ ही शुरुआत की है। सेंसेक्स में 125.42अंक यानी कि 0.24फीसदी की गिरावट देखने को मिली और बाजार 52721.28के लेवल पर ट्रेड कर रहा है। इसके अलावा निफ्टी 30.20अंक यानी कि 0.19फीसदी की गिरावट के साथ 15744.20के लेवल पर खुला है।
आज के ट्रेडिंग सेशन में 1391शेयरों में खरीदारी देखने को मिल रही है और 994शेयरों में बिकवाली का दौर देखने को मिला। इसके अलावा 105शेयरों में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला है। साथ ही आज निफ्टी के टाप गेनर की लिस्ट में अदानी पोर्ट्स, अपोलो अस्पताल, अल्ट्रा सीमेंट, एनटीपीसी, जेडब्ल्यूएस स्टील, गार्सिम, टाटा स्टील, एम एंड एम, डिविज लैब, पावर ग्रिग, विप्रो, कोल इंडिया, श्री सीमेंट, टाटा मोटर्स, भारत एयरटेल, आईटीसी रहे।वहीं निफ्टी के टाप लूजर्स कि लिस्ट में एशियन पेंट, एचडीएफसी लाइफ, ओएनजीसी, रिलायंस, बीपीसीएल, मारुति, एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, हिंदुस्तान यूनिलवीआर रहे।
शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव इस साल के शुरू से ही बना हुआ है। महंगाई, रेट हाइक साइकिल, जियो पॉलिटिकल टेंशन, क्रूड की ऊंची कीमतें, सप्लाई चेन में रुकावट, बॉन्ड यील्ड में तेजी, रुपये में कमजोरी जैसे फैक्टर शेयर बाजार को कमजोर कर रहे हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि इक्विटी के लिए जो भी निगेटिव फैक्टर हैं, अचानक से खत्म होते नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में नियर टर्म में भी बाजार में करेक्शन दिखेगा।
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि इक्विटी पर अभी सेलिंग प्रेशर नियर टर्म में जारी रहेगा। वहीं दूसरी ओर कमोडिटी के सपोर्ट में कुछ फैक्टर काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में बुलियन और एग्री कमोडिटी का आउटलुक मजबूत नजर आ रहा है। उनका कहना है कि पैनडेमिक के बाद डिमांड में अचानक तेजी, जियो पॉलिटिकल टेंशन, दुनियाभर में मौसम की प्रतिकूल कंडीशन, महंगाई, लॉजिस्टिक सर्विसेज में दिक्कतें, प्रोडक्शन घटने और सप्लाई प्रभावित होने से कमोडिटी की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है।
उनका कहना है कि जिस तरह से एग्री कमोडिटी के प्रमुख उत्पादक देशों का अभी फोकस इंपोर्ट बढ़ाने और एक्सपोर्ट कम करने या बंद करने पर है, इससे साफ है कि सप्लाई से ज्यादा डिमांड है। वहीं दुनियाभर के मौसम की कंडीशन देखें तो यह कमोडिटी को सपोर्ट करने वाला है। मसलन यूएस में सूखे की स्थिति रही कमोडिटी विकल्प क्या हैं है, जिससे सीजनल प्रोडक्शन पर असर होगा। वहीं रूस और यूक्रेन जंग के चलते कुछ एग्री कमोडिटी का प्रोडक्शन और सप्लाई दोनों ही प्रभावित हुआ है।
कमोडिटी ट्रेडिंग की दुनिया में कूदने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान, फिर कभी नहीं होंगे असफल
COMMODITY TRADING: वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है, वैसे कच्चे माल यानी कमोडिटी की लागत बढ़ने से कीमत में वृद्धि होती है.
- Vijay Parmar
- Publish Date - June 29, 2021 / 09:11 PM IST
Trading In Commodity: कमोडिटी में ट्रेडिंग एक आकर्षक निवेश विकल्प है जो आपको अपना धन बढ़ाने में मदद कर सकता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग आपको अपने लाभ का फायदा उठाने का विकल्प देती है लेकिन यदि आप कुछ सावधानियां नहीं बरतते हैं तो नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
मुद्रास्फीति के दौरान शेयरों की कीमतें गिरती हैं
जैसे-जैसे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है, वैसे-वैसे कच्चे माल यानी कमोडिटी की लागत बढ़ने से वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में वृद्धि होती है.
ऐसे महंगाई के माहौल में ब्याज दरों में वृद्धि होती है, जो उधार लेने की लागत को बढ़ाती है और कंपनी की शुद्ध आय को कम करती है.
कंपनी की आय गिरने से शेयरधारकों के साथ साझा किए गए मुनाफे पर भी असर पड़ता है. इसलिए, मुद्रास्फीति के दौरान, शेयरों की कीमतें गिरती हैं.
वहीं इसके विपरीत, बढ़ती मांग के कारण तैयार माल के निर्माण में आवश्यक वस्तुओं कमोडिटी विकल्प क्या हैं की कीमतों में काफी वृद्धि होती हैं. इसलिए, निवेशक अपनी पूंजी को मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाने और अपने मूल्य को बनाए रखने के लिए कमोडिटी फ्यूचर्स को अपनाते हैं.
जोखिम भरी भू-राजनीतिक घटनाओं से बचाव
संघर्ष, दंगे और युद्ध जैसी भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण कच्चे माल का परिवहन करना मुश्किल हो जाता है. ऐसी घटनाएं सप्लाई चेन को तोड़ देती है, जिससे संसाधनों की कमी हो जाती है और कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हो जाती है.
जिसके परिणामस्वरूप सप्लाई-डिमांड का बैलेंस बिगड़ता है, जिससे वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि होती है. ऐसी घटनाओं के दौरान कमोडिटी विकल्प क्या हैं बाजार के सेंटीमेंट खराब होते हैं.
जिससे शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आती है. इसलिए, कमोडिटीज में निवेश करने से नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है.
उच्च लीवरेज का फायदा
फ्यूचर्स और ऑप्शंस जैसे कमोडिटी डेरिवेटिव एक असाधारण उच्च स्तर का लीवरेज प्रदान करते हैं. इसके जरिए आप कान्ट्रेक्ट वैल्यू का केवल 5% से 10% अपफ्रंट मार्जिन चुका कर एक बड़ी पोजिशन ले सकते हैं.
वस्तुओं की कीमतों में किसी भी तरह का असाधारण मूवमेंट होने से बहुत लाभ हो सकता है. इसलिए, कमोडिटी ट्रेडिंग आपको लीवरेज का उपयोग करके अच्छा रिटर्न कमाने का मौका देता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग के नुकसान
लीवरेज से जितना फायदा होता है उतना ही नुकसान होता है. लीवरेज से आप छोटी पूंजी चुका कर बड़ी पोजिशन ले सकते हैं, लेकिन, कान्ट्रैक्ट की कीमत में थोड़ा सा भी बदलाव आपको भारी नुकसान करा सकता है.
क्योंकि लॉट साइज 100 है और आप 1,000 कान्ट्रैक्ट खरीदे जा रहे हैं. कम मार्जिन की वजह से जोखिम बढ़ जाता हैं, जो आपके पूरे निवेश को जोखिम में डाल सकता हैं.
वोलेटिलिटी का जोखिम
वस्तुओं की कीमतें काफी वोलेटाइल हैं और सप्लाई-डिमांड पर निर्भर करती है. पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों को घटाकर इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर जाना आसान नहीं है.
कोयले से चलने वाली बिजली जैसे ऊर्जा स्रोतों से सौर ऊर्जा जैसे स्रोतों की ओर मुड़ने में काफी समय लगता है.
इसलिए संचयी बेलोचदार कमोडिटी विकल्प क्या हैं मांग और बेलोचदार आपूर्ति ऐसी स्थिति की ओर ले जाती है जहां बाजार की बुनियादी बातों में मामूली बदलाव कीमतों में बड़े उतार-चढ़ाव पैदा कर सकता है.
विविधीकरण के अनुकूल नही
जब स्टॉक कमोडिटी विकल्प क्या हैं की कीमतें गिर रही होती हैं, तो कमोडिटी की कीमतें आसमान की ओर बढ़ती हैं. वर्ष 2008 के वित्तीय संकट में, वस्तुओं की कुल मांग में गिरावट आई.
जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर बेरोजगारी हुई, जिसने उत्पादन को और रोक दिया. इसका मतलब है कि कैश ने कम अस्थिरता वाली वस्तुओं की तुलना में बेहतर रिटर्न प्रदान किया है.
इसलिए, कमोडिटीज प्रमुख रूप से इक्विटी वाले पोर्टफोलियो के विविधीकरण के लिए आदर्श उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं.
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