प्रमुख निष्कर्ष: संयुक्त राज्य अमेरिका में एएससी की संख्या में 5 और 10 के बीच सालाना 1990% -2007% की वृद्धि हुई, लेकिन 1 में 2008% या उससे कम की शुरुआत हुई। यह परिवर्तन प्रमुख एएससी सेवाओं के लिए मेडिकेयर भुगतान में महत्वपूर्ण कटौती के साथ हुआ। भुगतान परिवर्तन के बाद नए एएससी की वार्षिक संख्या 50% कम थी।
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ओटीटीओ स्मार्टफोन पर एक लंबी अवधि की वित्तीय नीति वित्तीय समाधान के रूप में एक डिजिटल एप्लिकेशन है जो उपयोगकर्ताओं के लिए भुगतान लेनदेन, खरीद, स्थानान्तरण से लेकर वित्तीय लेनदेन रिकॉर्ड करने और उपयोगकर्ता की जरूरतों के अनुरूप वित्तीय समाधानों की सिफारिश करने के लिए अपने वित्त का प्रबंधन करना आसान बनाता है।
पीटी इंडोअर्थ पेरकासा सुक्सेस डिजिटल वित्तीय नवाचार (आईकेडी) के लिए वित्तीय सेवा प्राधिकरण (ओजेके) के साथ एक मार्केट एग्रीगेटर के रूप में 29 दिसंबर, 2020 के पत्र संख्या एस-345/एमएस.72/2020 के साथ पंजीकृत है।
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आरबीआई की लंबी अवधि की वित्तीय नीति नीति से वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित होगी, रुपये को मिलेगी मजबूती: बैंकर
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को प्रमुख ब्याज दर रेपो को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया। यह मई के बाद से तीसरी वृद्धि है। ताजा वृद्धि के साथ रेपो दर या अल्पकालिक उधारी दर महामारी से पहले के स्तर 5.15 प्रतिशत को पार कर गई है। रेपो दर पर ही वाणिज्यिक लंबी अवधि की वित्तीय नीति बैंक केंद्रीय बैंक से उधार लेते हैं।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि इस कदम से मुद्रास्फीति को नीचे लाने और बाजारों में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने नीतिगत लंबी अवधि की वित्तीय नीति फैसले को नए वैश्विक रुझानों के अनुरूप बताया। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति के प्रति आक्रामक रुख अपनाया, जो अभी भी ऊंची बनी हुई है। हालांकि, वृद्धि की गति काफी सकारात्मक है।
ब्याज दर और भारत का आर्थिक पुनरुद्धार
The translations of EPW Editorials have been made possible by a generous grant from the H T Parekh Foundation, Mumbai. The translations of English-language Editorials into other languages spoken in India is an attempt to engage with a wider, more diverse audience. In case of any discrepancy in the translation, the English-language original will prevail.
क्या वैश्विक अर्थव्यवस्था पर एक और मंदी की मार पड़ने वाली है? कारोबारी जंग के साथ अमेरिकी मीडिया में इस बात को लेकर लगातार चर्चा चल रही है कि सरकार की छोटी अवधि वाले बाॅन्ड के मुकाबले लंबी अवधि वाले बाॅन्ड पर कम रिटर्न आ रहा है। क्या एक बार फिर बड़ी मंदी आने वाली है? या फिर इसे सक्रिय नीतियों से टाला जा सकता है? 2008 की मंदी के वक्त दुनिया भर की सरकारों ने मौद्रिक रियायत पर जोर दिया था लंबी अवधि की वित्तीय नीति न कि वित्तीय रियायत पर। इस नीति से कोई खास अपेक्षा इस बार नहीं की जा रही है। भारत के नीति निर्माताओं ने भी मौद्रिक लंबी अवधि की वित्तीय नीति नीति की नाकामी से सबक नहीं लिया है। ये लोग इस बात पर सहमत हैं कि ब्याज दरों में बदलाव करके आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया जा सकता है। जबकि इसे गलत साबित करने वाले पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों रेपो दर में 0.35 फीसदी कटौती की घोषणा की। इसके पीछे सोच यह है कि कर्ज सस्ता होने से निजी निवेश बढ़ेगा और मांग में भी तेजी आएगी। अगर किन्स होते तो कहते कि मौद्रिक नीतियों के विस्तार वाले प्रभावों के मामले में कथनी और करनी में काफी फर्क होता है। भारत की अर्थव्यवस्था को प्रतिचक्रीय उपायों की जरूरत है। लेकिन क्या इसमें लंबी अवधि की वित्तीय नीति ब्याज दरों का कोई योगदान होगा?
विदेश में पढ़ाई के लिए रुपए में लोन लेना बेहतर विकल्प हो सकता है
प्रतिभाशाली भारतीयों का आज सपना है कि वे भारत या दुनिया के किसी बेहतर इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा हासिल करें। लेकिन उच्च शिक्ष का बढ़ता खर्च लोगों के बूते से बाहर हो रहा है। ऐसे में एजुकेशन लोन उन योग्य स्टूडेंट्स के लिए ऐसा विकल्प है जो उन्हें पसंद के इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा हासिल करने में आर्थिक मदद मुहैया करा सकता है।
बैंक चार लाख रुपए तक के लोन पर कोई मार्जिन मनी लेते हैं। लेकिन इससे अधिक राशि के लोन के लिए भारत में पढ़ाई करने पर बैंक 5% और विदेश में 15% मार्जिन मनी लेते हैं। मार्जिन मनो वह रकम होती है, जो आवेदक को डाउन पेमेंट के तौर पर देनी पड़ती है। जहाँ तक एचडीएफसी क्रेडिला की बात है यह कोइ एजुकेशन लोन पर किसी तरह की मार्जिन लंबी अवधि की वित्तीय नीति मनी नहीं लेती है। यह ट्युशन फीस के अलावा रहने के खर्च, यात्रा आदि के पूरे खर्च के लिए एजुकेशन लोन दैती है। इसके अलावा, लंबी अवधि की वित्तीय नीति लंबी अवधि की वित्तीय नीति धारा 80-ईं के तहत एजुकेशन लोन पर आकर्षक टैक्स बेनिफिट उपलब्ध हैं। इसमें ब्याज राशि पर टैक्स छूट की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। आवेदक या सह-कर्जधारक इस आयकर छूट का लाभ उठा सकते हैं।
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