निवेशकों की भावनाओं को दर्शाता है
'निवेशकों की भावनाओं को दर्शाता है दूसरी बूस्टर डोज लगाने की इजाजत मिले', स्वास्थ्य मंत्री मांडविया से मीटिंग के बाद बोले डॉक्टर्स --- 'दूसरी बूस्टर डोज लगाने की इजाजत मिले', स्वास्थ्य मंत्री मांडविया से मीटिंग के बाद बोले डॉक्टर्स JAN TV M.R.P. is Rs. 0/- p.m. and JAN TV PLUS M.R.P. is Rs. 50/- p.m.
Gold Demand : रिटेल निवेशकों में बना हुआ है गोल्ड का क्रेज, प्री कोविड लेवल पर पहुंची डिमांड
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की नई गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स रिपोर्ट से पता चला है कि सोने की मांग (ओटीसी को छोड़कर) तीसरी तिमाही में 1,181 टन के स्तर पर पहुंच गई है और इस तरह सोने की मांग में सालाना आधार पर 28 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई.
सोने की सालाना मांग में आई तेजी का स्तर कोविड से पहले के स्तर पर पहुंच गया है.
Gold Demand : वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की नई गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स रिपोर्ट से पता चला है कि सोने की मांग (ओटीसी को छोड़कर) तीसरी तिमाही में 1,181 टन के स्तर पर पहुंच गई है और इस तरह सोने की मांग में सालाना आधार पर 28 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई. मांग में आई तेज़ी से सोने की सालाना मांग का स्तर कोविड से पहले के स्तर निवेशकों की भावनाओं को दर्शाता है पर पहुंच गया है. सोने की मांग में यह तेज़ी उपभोक्ताओं और केंद्रीय बैंकों की वजह से आई, हालांकि निवेश मांग में गिरावट दर्ज की गई.निवेशकों की भावनाओं को दर्शाता है
निवेश में 47 फीसदी दर्ज की गई गिरावट
सालाना आधार पर निवेश में 47 फीसदी गिरावट दर्ज की गई क्योंकि ईटीएफ निवेशकों ने उच्च ब्याज दरों और मज़बूत अमेरिकी डॉलर की चुनौती को देखते हुए कारोबार किया जिसकी वजह से 227 टन की निकासी दर्ज की गई. इन गतिविधियों के साथ-साथ ओटीसी मांग में कमज़ोरी और फ्यूचर बाज़ारों में नकारात्मक भावनाओं की वजह से सोने की कीमतों पर बुरा असर पड़ा. 2022 की तीसरी तिमाही के दौरान तिमाही आधार पर सोने की कीमतों में 8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. इन मुश्किलों के बावजूद सोना खुदरा निवेशकों के बीच लोकप्रिय बना रहा जिन्होंने बाज़ार की अलग-अलग परिस्थितियों के हिसाब से प्रतिक्रिया दी और बढ़ती महंगाई व भूराजनीतिक अनिश्चितता के बीच मूल्यवान होने की वजह से सोने का रुख किया. निवेशकों ने सोने के बार और सिक्कों से महंगाई का मुकाबला किया जिससे कुल खुदरा मांग सालाना आधार पर 36 फीसदी बढ़ गई. तुर्की (सालाना आधार पर पांच गुना से ज़्यादा) और जर्मनी (सालाना आधार पर 25 फीसदी बढ़कर 42 टन) में हुई जबरदस्त खरीदारी से इस रुझान को बल मिला, लेकिन सभी प्रमुख बाज़ारों ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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भारत में इन उपभोक्ताओं की वजह से सोने की बढ़ी मांग
आभूषण की खपत में बढ़ोतरी का रुझान जारी रहा और अब यह महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गया और 523 टन रहा जो 2021 की तीसरी तिमाही के मुकाबले 10 फीसदी ज़्यादा रहा. इस वृद्धि में भारत के शहरी उपभोक्ताओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया जिससे मांग सालाना आधार पर 17 फीसदी बढ़कर 146 टन के स्तर पर रही. इसके साथ ही सऊदी अरब में आभूषणों की खपत में 2021 की तीसरी तिमाही में 20 फीसदी वृद्धि देखने को मिली, वहीं संयुक्त अरब अमीरात में भी इस दौरान 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और इस तरह लगभग पूरे मध्य पूर्व में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली. चीन में भी उपभोक्ताओं के बढ़े हुए आत्मविश्वास और सोने की स्थानीय कीमतों में गिरावट की वजह से आभूषणों की मांग में सालाना आधार पर 5 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली जिससे मांग में बढ़ोतरी हुई. ग्राहकों के बीच सोने की मांग में मज़बूती आने के साथ केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीदारी में भी तेज़ी देखने को मिली. इस दौरान तीसरी तिमाही के दौरान केंद्रीय बैंकों ने करीब 400 टन की रिकॉर्ड खरीदारी की. यह पैटर्न, केंद्रीय बैंकों के बीच किए गए सर्वे से मिली जानकारी को दर्शाता है जिसमें 25 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि वे अगले 12 महीनों के दौरान अपने गोल्ड रिज़र्व को बढ़ाना चाहते हैं.
अगर आपूर्ति की बात करें, तो 2021 की तीसरी तिमाही के मुकाबले खदानों से होने वाला उत्पादन (हेजिंग के लिए शुद्ध मात्रा) 2 फीसदी बढ़ा है. सोने की खुदाई में लगातार छठी तिमाही के दौरान वृद्धि दर्ज की गई है. इसके उलट रिसाइकलिंग तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 6 फीसदी निवेशकों की भावनाओं को दर्शाता है कम रही क्योंकि बढ़ती महंगाई दर और अनिश्चित आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए उपभोक्ता अपना सोना अपने पास बनाए रखना चाहते हैं.
सुरक्षित निवेश का जरिया निवेशकों की भावनाओं को दर्शाता है है सोना
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सीनियर मार्केट्स एनालिस्ट ने लुई स्ट्रीट कहा कि वृहद आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितताओं के बीच इस साल की मांग से ये साफ हो गया है कि सोने को अब भी सुरक्षित निवेश माध्यम का दर्जा हासिल है. एक तथ्य यह भी है कि 2022 में सोने का प्रदर्शन निवेश के अन्य माध्यमों के मुकाबले बेहतर रहा. आने वाले समय में हमारा अनुमान है कि केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और खुदरा निवेश मज़बूत बना रहेगा और इससे ओटीसी व ईटीएफ निवेश में आने वाली कमी की भरपाई करने में मदद मिलेगी. डॉलर के मज़बूत बने रहने पर ओटीसी और ईटीएफ निवेश में कमी बनी रहेगी. हमें यह भी उम्मीद है कि आभूषणों की मांग भारत और दक्षिणपूर्व एशिया जैसे कुछ क्षेत्रों में मज़बूत बनी रहेगी. इसके साथ ही टेक्नोलॉजी सेक्टर में वैश्विक अर्थव्यवस्था के असर की वजह से गिरावट बनी रहने की आशंका है.
(गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स Q3, 2022 रिपोर्ट, जिसमें मेटल्स फोकस की ओर से उपलब्ध कराया गया संपूर्ण डेटा शामिल है, यहां देखी जा सकती है)
ऐतिहासिक ऊंचाई पर शेयर बाजार (Share Market), जानिए क्या है तेजी की वजह
Share Market Update: भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया है और वह लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है. 2020 से इस साल तक शेयर मार्केट ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. बता दें कि पिछले हफ्ते शुक्रवार को सेंसेक्स निवेशकों की भावनाओं को दर्शाता है ने पहली बार 60 हजार के ऐतिहासिक आंकड़े को पार किया था. बता दें कि सेंसेक्स को 50 हजार से 60 हजार का सफर तय करने में 246 दिन यानी करीब 8 महीने लगे हैं. लार्ज कैप शेयरों में आए उछाल से शेयर बाजार उच्च स्तर को छू रहा है. वहीं दूसरी ओर निफ्टी भी नई ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया है. सोमवार यानी 27 सितंबर को सेंसेक्स ने 60,412.32 और निफ्टी ने 17,947.65 की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू लिया है. सभी लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप मिलाकर 250 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है. ऐसे में शेयर बाजार में आई इस तेजी के पीछे क्या बड़ी वजहे हैं इसको इस रिपोर्ट में जानने की कोशिश करते हैं.
2022 से ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के संकेत
अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने 2022 से ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के संकेत दिए हैं. वहीं दूसरी ओर इस साल के अंत से बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को कम किए जाने के भी संकेत दिए हैं. फेडरल रिजर्व का कहना है कि ब्याज निवेशकों की भावनाओं को दर्शाता है दरों में अचानक बढ़ोतरी नहीं की जाएगी. ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं होने की वजह से निवेशकों को काफी फायदा हो रहा है. फेडरल रिजर्व के इस फैसले के बाद भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में तेजी देखने को मिली है.
Evergrande
चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में से एक एवरग्रांड के भारी कर्ज में डूबने की वजह से संकट पैदा हो गया है जिसकी वजह से दुनियाभर में कारोबारी माहौल को चिंता में डाल दिया था. हालांकि हाल के दिनों में आए सकारात्मक खबरों से निवेशकों के सेंटीमेंट में बदलाव आया है. चीन के के सेंट्रल बैंक पीपल्स रिपब्लिक बैंक ऑफ चाइना ने बैंकिंग सिस्टम में 17 बिलियन डॉलर डाल दिया है जिसकी वजह से चिंता कुछ कम हुई है.
टेक्सटाइल सेक्टर (Textile Sector) के लिए कैबिनेट से प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम (PLI-Production Linked Incentive) को मंजूरी दी है. टेलिकॉम इंडस्ट्री के लिए राहत पैकेज जैसे कदम से भी शेयर बाजार में कैश इनफ्लो बढ़ा है. टेलिकॉम इंडस्ट्री के लिए राहत पैकेज के ऐलान के बाद टेलिकॉम शेयरों में जोरदार तेजी देखने को मिली है. जानकारों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद से करीब 1 करोड़ नए रिटेल निवेशकों ने डीमैट अकाउंट को खोला है. शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों के द्वारा निवेश बढ़ाने की वजह से शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली है. जानकारों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में घरेलू और विदेशी निवेशकों के भरोसे में बढ़ोतरी हुई है. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) लगातार भारतीय शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं.
क्या कहते हैं जानकार
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड रिटेल रिसर्च सिद्धार्थ खेमका का कहना है कि घरेलू बाजार में पॉजिटिव वैश्विक संकेतों, एफआईआई या डीआईआई द्वारा मजबूत प्रवाह, अच्छी कॉरपोरेट आय, गिरते कोविड -19 मामलों, उत्साहित कॉरपोरेट टिप्पणियों और पूंजी की कम लागत से प्रेरित है. उत्साहजनक भावना और बढ़ी हुई गतिविधि के बीच, निफ्टी वैल्यूएशन ऊंचे स्तर पर पहुंच गया और कमाई की उम्मीदों पर लगातार डिलीवरी की मांग की है. बढ़े मूल्यांकन को देखते हुए, कोई भी रुक-रुक कर अस्थिरता को नजरअंदाज नहीं कर सकता है. हालांकि, हम आर्थिक गतिविधियों में सुधार और कॉरपोरेट आय में सुधार के पीछे पॉजिटिव गति जारी रहने की उम्मीद करते हैं.
कैपिटल वाया ग्लोबल रिसर्च के तकनीकी अनुसंधान प्रमुख आशीष बिस्वास के अनुसार अतिरिक्त तरलता और कम ब्याज दर व्यवस्था के कारण बाजार बढ़ रहा है. निवेशकों ने प्रोत्साहन को वापस लेने और ब्याज दरों को बढ़ाने पर फेडरल रिजर्व के रुख निवेशकों की भावनाओं को दर्शाता है से राहत महसूस की. एफआईआई और डीआईआई ने बाजार में और अधिक निवेश किया है, जिससे यह और बढ़ गया है. तीसरी लहर का डर निवेशकों की भावनाओं को दर्शाता है भी कम हो गया है और निवेशक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभावों के बारे में चिंतित नहीं हैं क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोग टीकाकरण करवा रहे हैं. इसके अलावा, एचडीएफसी सिक्योरिटीज के एमडी और सीईओ, धीरज रेली ने कहा कि यह एफपीआई और स्थानीय निवेशकों की वापसी के प्रभाव को दर्शाता है, जो बार-बार सामने आने के बावजूद निवेश करना जारी रख रहे हैं. पिछले 18 महीनों में सूचकांकों में 10 प्रतिशत की गिरावट का अभाव स्थानीय निवेशकों की परिपक्वता को दर्शाता है, लेकिन अगले कुछ हफ्तों या महीनों में ऐसा होने की संभावना को भी बढ़ाता है.
रुपया शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले 78.96 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर
मुंबईः विदेशी कोषों की लगातार बिकवाली के चलते निवेशकों की भावना कमजोर होने से रुपया बुधवार को शुरुआती कारोबार के दौरान 11 पैसे की गिरावट के साथ 78.96 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर रुख के साथ 78.86 पर खुला। बाद में स्थानीय मुद्रा और कमजोर होकर 78.96 पर आ गई, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 11 पैसे की गिरावट दर्शाता है। यह डॉलर के मुकाबले रुपए का अब तक का सबसे निचला स्तर है।
रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 48 पैसे टूटकर 78.85 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.88 प्रतिशत गिरकर 116.94 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर पहुंच गया। इसबीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 104.42 पर था। शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को शुद्ध रूप से 1,244.44 करोड़ रुपए के शेयर बेचे।
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देश के विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट, जबकि गोल्ड रिजर्व में आया उछाल
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 31 करोड़ डॉलर की गिरावट आई है और यह 604 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. वहीं, गोल्ड रिजर्व में 63 करोड़ डॉलर का उछाल दर्ज किया गया है.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 15 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में 31.1 करोड़ डॉलर घटकर 603.694 अरब डॉलर रहा. भारतीय निवेशकों की भावनाओं को दर्शाता है रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इससे पहले, आठ अप्रैल को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार (Forex reserves) 2.471 अरब डॉलर घटकर 604.004 अरब डॉलर था. आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (एफसीए) घटने की वजह से हुई जो कि कुल मुद्राभंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. एफसीए 87.7 करोड़ डॉलर घटकर 536.768 अरब डॉलर रह गया.
डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखी जाने वाली विदेशी मुद्रा संपत्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है. आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार (Gold reserves) 62.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 43.145 अरब डॉलर पहुंच गया.
IMF के पास जमा राशि में आई गिरावट
समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 4.4 करोड़ डॉलर घटकर 18.694 अरब डॉलर रह गया. आईएमएफ में रखे गए देश का मुद्रा भंडार 1.6 करोड़ डॉलर घटकर 5.086 अरब डॉलर पर आ गया.
डॉलर इंडेक्स 25 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा
घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली और अमेरिका मुद्रा में मजबूती से शुक्रवार को रुपया 25 पैसे टूटकर 76.42 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी से निवेशकों की भावना पर असर पड़ा है. इस बीच, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मई में ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी के अनुमानों के चलते डॉलर मजबूत होकर 25 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया. डॉलर इंडेक्स इस सप्ताह 101.13 पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान यह 101.34 पर पहुंच गया था जो 25 महीने का उच्चतम स्तर है.
फेडरल से मिलने वाले संकेत से रुपए पर दबाव बढ़ा
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 76.31 प्रति डॉलर पर खुला और कारोबार के दौरान 76.19 के उच्च स्तर तथा 76.50 प्रति डॉलर के निचले स्तर तक आ गया. बाद में रुपया 76.42 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ. यह पिछले बंद भाव 76.17 की तुलना में 25 पैसे की गिरावट दर्शाता है. एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक टिप्पणी में कहा कि फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने मई में दरों में 0.5 फीसदी बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं. इसके बाद रुपए पर दबाव देखा गया.
रिजनल करेंसी के मुकाबले रुपया ज्यादा तेजी से गिरा
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा कि क्षेत्रीय मुद्राओं के अनुरूप रुपये में भी गिरावट रही. जिंस कीमतों में तेजी के कारण केंद्रीय बैंकों पर ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव बढ़ सकता है. कंपनियों के वित्तीय परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं होने और उच्च मुद्रास्फीति के साथ बुनियादी संकेतक कमजोर हो रहे हैं.
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