दीनारियस क्या है
दीनार नामक सिक्के का प्रचार किसी समय एशिया और यूरोप के बहुत से भागों में था। यह कहीं सोने का, कहीं चाँदी का होता था। . अरबी फालकी के कोशकारों ने दीनार शब्द को अरबी लिखा है, पर फारस में दीनार का प्रचार बहुत प्राचीन काल में था। इसके अतिरिक्त रोमन (रोमक) लोगों में भी यह सिक्का दिनारियस के नाम से प्रचलित था।
दिनारियस क्या है.
✎. रोमन साम्राज्य में ऑरियस या दिनारियस मुद्रा का प्रचलन था, जो कि स्वर्ण धातु से बना होता था। रोम से ये मुद्रा अरब क्षेत्र में पहुंचा और वहाँ यह दीनार के नाम से लोकप्रिय हुआ। विद्वानों का मानना है कि प्राचीन समय में भारत में भी दीनार मुद्रा का प्रचलन था। और दीनार शब्द मूल रूप से भारतीय शब्द है। कुछ संस्कृत ग्रंथों में दीनार शब्द का उल्लेख मिलता है। भारत के पश्चिमी तट के माध्यम से रोम और भारत में व्यापार चलता रहता था। भारतीय माल को लेने के लिए रोम अपने दिनारियस स्वर्ण मुद्रा का प्रयोग भुगतान के रूप में करता था और लंबे समय तक यह दिनारियस मुद्रा दीनार के रूप में लंबे समय तक लेनदेन का जरिया बनी रही।
कुवैती दिनार किस देश की करेंसी है?
क्या आप जानते है, कुवैती दिनार किस देश की बिनारियम क्या है? करेंसी है? अगर नहीं तो आज हम इस लेख में कुवैती दिनार के बारे में ही बात करेंगे। हालाकिं यह एक सामान्य प्रश्न है, लेकिन कई लोग इसके बारे में नहीं जानते है। आज हम इस लेख में कुवैती दिनार के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारियां आपके साथ साझा करेंगे। तो आइये जानते है, की कुवैती दिनार किस देश की करेंसी है –
कुवैती दिनार किस देश की करेंसी है?
कुवैती दिनार कुवैत देश की करेंसी जो की एक बहुत मजबूत मुद्रा के रूप में जानी जाती है। दीनार को सन 1961 में गल्फ रूपये के स्थान पर जारी किया गया था। शुरूआती दौर बिनारियम क्या है? में एक दीनार की कीमत एक पाउंड स्टर्लिंग के बराबर थी। क्योकिं उस समय एक रूपये की कीमत एक शिलिंग 6 पेंस रखी गयी थी। इसके अनुसार एक दीनार बराबर 13⅓ रूपये हुआ करता था। लेकिन सन 1990 में कुवैत पर इराक द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था, इसके बाद कुवैत में कुवैती दिनार की जगह पर इराकी दीनार को जारी किया गया। जब कुवैत पूरी तरह से स्वतंत्र हो गया तो फिर से कुवैत में कुवैती दिनार को जारी किया गया।
दीनार के बारे में अन्य जानकारी
वर्तमान समय में कई देशो की मुद्रा का नाम दीनार है, जिसमे कुवैती दीनार, इराकी दीनार आदि शामिल है। भारतवर्ष में मुसलमानो के शासन से पहले से ही दीनार चलता आ रहा है। दीनार नाम के सिक्के बिनारियम क्या है? का प्रचार पुराने समय में एशिया और यूरोप के भागो में भुगत ज्यादा हुआ करता था। दीनार करेंसी कहीं पर सोने की हुआ करती थी, तो कहीं पर चांदी की। जिस तरह से भारत में दीनार के सिक्के प्रचलित थे, उसी तरह से अरब और फारस में भी दीनार के सिक्के प्रचलित थे।
इसके अलावा रोमन लोगो में भी इस सिक्के का प्रचलन था, इसे रोमन लोगो के बिच दिनारियस के नाम से जाना जाता था। धात्वर्थ पर ध्यान देने से ऐसा प्रतीत होता है, जैसे की दीनार शब्द आर्यभाषा से आया है। लेकिन इसमें एक बड़ा सवाल यह है, की दीनार सिक्का भारत से फारस, अरब होते हुए, रोम तक गया। अगर पुराने ग्रंथों, और हरिवंश आदि की प्राचीनता के अनुसार इसे स्वीकार किया जाए, तो दीनार को भारत का ही मानना पड़ेगा। Source: विकिपीडिया
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दीनार/Dinar क्या होता है? What is Dinar?
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दीनार/Dinar क्या होता है?What is Dinar?
दीनार मुगलकाल में एक सोने का सिक्का होता था, जो की प्राचीन काल में एशिया और यूरोप में बहुत चलता था। उस वक़्त में दीनार और मोहर मुद्रा ही ज्यादा प्रसिद्ध थी। उन दिनों दीनार दरअसल एक सोने का सिक्का होता था। संस्कृत भाषा के ग्रंथों में दीनार का उल्लेख दीनार: के रूप में प्रयोग किया गया है। कुषाण काल में दीनार का वजन 124 ग्रेन यानि 8.35 ग्राम होता था, जबकि गुप्त काल में दीनार का वजन 144 ग्रेन यानि 9.33 ग्राम होता था। आज भी दुनिया के कई देशों में दीनार मुद्रा के रूप में प्रचलित हैं। लेकिन दीनार अब कागज के बने नोटों के रूप में प्रचलन में है। कुवैत, इराक, अल्जीरिया, बहरीन, जॉर्डन, लीबिया, मैसेडोनिअ, सर्बिआ और टुनिसिया ये वो देश हैं जहाँ आज दीनार धातु की मुद्रा के रूप में नहीं बल्कि कागज के नोटों के रूप में चलता है। मुस्लिम शाशकों के आने से पहले यह मुद्रा भारत में भी चलती थी। दीनार सिक्के का प्रयोग किसी समय यूरोप और एशिया के कई भागों में था। दीनार कहीं पर सोने से बना होता था तो कहीं पर चाँदी से बना होता था। भारत की तरह ही अरब और फारस में भी दीनार ही ज्यादा प्रचलित था।
World's most expensive currency,
आज के दिन दीनार मुद्रा दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा है, फ़िलहाल 1 कुवेती दीनार की कीमत 233.88 भारतीय रूपये है। यहाँ आपको ये भी बता दें की कुवेती दीनार/Kuwait Dinar बिनारियम क्या है? ही सबसे महंगा है।
दीनार का इतिहास। History Of Dinar
"दीनार" शब्द को भारतीय इतिहास बिनारियम क्या है? में मुगल हमलावरों के साथ आया हुआ माना जाता है। दीनार शब्द का मतलब "एक स्वर्ण/सोने की मुद्रा " या "मोहर" या "बिनारियम क्या है? अशरफ़ि "बिनारियम क्या है? होता है। दीनार शब्द की उत्त्पति रोमन इतिहास से भी जुडी हुई है। लगभग तीन शदी ईशा पूर्व स्वर्ण मुद्रा के तौर पर "रोमन गणतंत्र/Roman Republic" में इसकी शुरुआत हुई थी। रोम से ही "दिनारियस" अरब क्षेत्र में "दीनार"के रूप में पहुंचा था। अरबी फ़ारसी कोशकारों ने इसे सर्बी ही बताया है। वैसे फारस में भी दीनार का प्रचलन प्राचीन काल से ही था। अगर दीनार शब्द के धात्विक अर्थ को देखा जाये तो ये शब्द संस्कृत भाषा का लगता है। अब हमारे सामने सवाल ये है की क्या ये सिक्का/मुद्रा भारत से फारस और अरब होते हुए रोम में गया या फिर रोम से इस और आया होगा!
दीनार/Dinar का संस्कृत में उल्लेख।
भारतीय संस्कृति में दीनार किस हद तक रची-बसी थी, इसका उल्लेख आठवी सदी में लिखे गए 'दशकुमारचरित' में मिलता है। संस्कृत में दीनार का उल्लेख दीनारः के रूप में मिलता है। जिसमें "द्यूतक्रीड़ा" के संदर्भ में उल्लेख किया गया है कि 16000 दीनारों की बाजी में "द्यूत" अध्यक्ष के निर्णयानुसार आधी राशि जीतने वाले को और बाकी आधी राशि द्यूत अध्यक्ष व द्यूत सभा के कर्मचारी आपस में बांट सकते हैं।
रोम/Rome का दिनारियस/Dinyarish।
रोम में भारतीय मसाले और मलमल की प्राचीन काल से ही बेहद बिनारियम क्या है? मांग रही थी। क़रीब पहली सदी ईसा पूर्व से लेकर चौथी-पांचवीं सदी तक रोमन साम्राज्य से भारत के कारोबारी रिश्ते रहे है। 98 ई. में कुषाण सम्राट कनिष्क के जमाने का एक रोमन उल्लेख महत्त्वपूर्ण है- "भारतवर्ष हर साल रोम से साढ़े पांच करोड़ का सोना खींच लेता है।" जाहिर है यह आंकड़ा रोमन स्वर्ण मुद्रा दिनारियस के संदर्भ में बताया गया है। भारत के पश्चिमी समुद्र तट के जरिये ये व्यापार चलता था। भारतीय माल के बदले रोमन अपनी स्वर्ण मुद्रा दिनारियस/Dinyarish में भुगतान करते थे। ये कारोबारी रिश्ते इतने फले-फूले की दिनारियस दीनार के रूप में लंबे अर्से तक लेन-देन का जरिया बनी रही।
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बिनारियम क्या बिनारियम क्या है? है?
दीनार स्वर्ण का सिक्का, जो प्राचीन समय में एशिया तथा यूरोप में प्रमुखता से चलता था। संस्कृत में दीनार का उल्लेख 'दीनारः' के रूप में मिलता है। कुषाण शासन काल के सोने के सिक्के का वजन 124 ग्रेन होता था, जबकि गुप्त काल में इस सिक्के का वजन 144 ग्रेन था। यह कुषाण के सिक्कों पर आधारित था। अपने रोमन रूप में दीनार का मूल्य क़रीब साढ़े चार ग्राम स्वर्ण के बराबर था। आज दुनिया के तमाम मुल्कों में दीनार धातु की मुद्रा की बजाय काग़ज़ के नोट के रूप में डटी हुई है।
विषय सूची
'दीनार' शब्द को अधिकतर भारतीय हिन्दी में मुस्लिम हमलावरों के साथ आया हुआ शब्द मानते हैं। 'दीनार' का मतलब होता है- 'एक स्वर्ण मुद्रा' या 'अशरफी'। मूलतः यह शब्द रोमन शब्द से जन्मा है और क़रीब तीन सदी ईसा पू्र्व स्वर्ण मुद्रा के तौर पर इसका रोमन गणतंत्र में प्रचलन शुरू हुआ। रोम से ही 'दिनारियस' अरब क्षेत्र मे दीनार के रूप में पहुंचा। किसी ज़माने में यह मुद्रा भारत में चलती थी, लेकिन मुस्लिम शासन में दीनार का चलन नहीं रहा। [1]
संस्कृत में उल्लेख
संस्कृत में दीनार का उल्लेख दीनारः के रूप में मिलता है। भारतीय संस्कृति में दीनार किस हद तक रची-बसी थी, इसका उल्लेख आठवी सदी में लिखे गए 'दशकुमारचरित' में मिलता है, जिसमें द्यूतक्रीड़ा [2] के संदर्भ में उल्लेख है कि 16000 दीनारों की बाजी में द्यूत अध्यक्ष के निर्णयानुसार आधी राशि जीतने वाले को और बाकी आधी राशि द्यूत अध्यक्ष व द्यूत सभा के कर्मचारी आपस में बांट सकते हैं।
रोम की 'दिनारियस'
रोम में भारतीय मसाले और मलमल की बेहद मांग रही थी। क़रीब पहली सदी ईसा पूर्व से लेकर चौथी-पांचवीं सदी तक रोमन साम्राज्य से भारत के कारोबारी रिश्ते रहे। भारत के पश्चिमी समुद्र तट के जरिये ये कारोबार चलता रहता था। भारतीय माल के बदले रोमन अपनी स्वर्ण मुद्रा 'दिनारियस' में भुगतान करते रहे। ये कारोबारी रिश्ते इतने फले- फूले की दिनारियस 'दीनार' के रूप में लंबे अर्से तक लेन-देन का जरिया बनी रही। 98 ई. में कुषाण सम्राट कनिष्क के जमाने का एक रोमन उल्लेख महत्त्वपूर्ण है- "भारतवर्ष हर साल रोम से साढ़े पांच करोड़ का सोना खींच लेता है।" जाहिर है यह आंकड़ा रोमन स्वर्ण मुद्रा दिनारियस के संदर्भ में बताया गया है। [1]
राजकीय मुद्रा
अपने रोमन रूप में दीनार का मूल्य क़रीब साढ़े चार ग्राम स्वर्ण के बराबर था। आज दुनिया के तमाम मुल्कों में दीनार धातु की मुद्रा की बजाय काग़ज़ के नोट के रूप में डटी हुई है। बाद के सालों में रोम से ऐसे ही कारोबारी रिश्तों के चलते दीनार ईरान और कुछ अरब मुल्कों में भी प्रचलित हुई और अब तक डटी हुई है। यही नहीं अरब मुल्कों समेत दीनार सर्बिया, युगोस्लाविया, बोस्निया-हर्जेगोविना, अल्जीरिया, यमन, ट्यूनीशिया, सुडान और मोंटेनेग्रो जैसे देशों की भी राजकीय मुद्रा है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि भारत से गायब होने के बावजूद हिन्दी के शब्दकोशों में आज भी दीनार संस्कृत शब्द के रूप में स्वर्ण मुद्रा के अर्थ में विराजमान है, जबकि उर्दू-फ़ारसी शब्दकोश में यह फ़ारसी शब्द के तौर पर 'अशरफी' बन कर जमा है। लेकिन इसके रोमन मूल का कहीं भी ज़िक्र तक नहीं है। हिन्दी में इसका एक रूप 'दिनार' भी है। [1]
सबसे महंगी दीनार
यदि कोई यह सोचे कि विश्व की सबसे महंगी मुद्रा ब्रिटिश 'पाउंड' है तो यह ग़लतफहमी है। पाउंड एक महंगी मुद्रा तो है, लेकिन उतनी महंगी भी नहीं कि इसे विश्व की सबसे महंगी मुद्रा का खिताब दिया जाए। दरअसल विश्व की सबसे महंगी मुद्रा एक छोटे-से देश की है, जिसके बारे में अधिक सुना नहीं जाता। यह देश है कुवैत और यहाँ की मुद्रा है- दीनार। यह दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा है। कुवैती दीनार इतनी महंगी है कि एक दीनार 3.60 अमेरिकी डॉलर के बराबर होता है। यानी एक कुवैती दीनार 176 रुपए 73 पैसे का है। कुवैती दीनार शुरू से बहुत महंगी मुद्रा रही है, लेकिन इससे इस देश को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि यह तेल से भरपूर देश है। यह कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादक देशों में शामिल बिनारियम क्या है? है। इसे तेल के एक्सपोर्ट से अरबों डॉलर हर साल मिलते हैं, जो इसकी छोटी-सी आबादी के लिए पर्याप्त है। [3]
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