"हम अपने ग्राहकों को देश में रहने और निर्वासित नहीं होने में मदद कर रहे हैं।"
आप्रवासन कानून इकाई में निरोध और निर्वासन से लड़ना
ट्रम्प के प्रशासन द्वारा हमारे शहर भर में अप्रवासी समुदायों में भय पैदा करने के साथ, फोरेंसिक सामाजिक कार्यकर्ता वंजुरी हॉकिन्स और हमारे इमिग्रेशन लॉ यूनिट में उनके सहयोगी जरूरतमंद लोगों के लिए एक स्टैंड ले रहे हैं।
"हम अपने ग्राहकों को देश में रहने और निर्वासित नहीं होने में मदद कर रहे हैं।"
वंजुरी हमारे शहर के अप्रवासियों की रक्षा कर रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रशासन ने हमारे शहर भर के अप्रवासी समुदायों के दिलों अंतरराष्ट्रीय निवेश उठाते फर्मों में डर पैदा कर दिया है, वंजुरी और हमारे इमिग्रेशन लॉ यूनिट में उनके सहयोगी जरूरतमंद लोगों के लिए एक स्टैंड ले रहे हैं। साथ में, वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इन कमजोर न्यू यॉर्क वासियों के मूल अधिकारों को खतरनाक और विनाशकारी नीतियों से बचाया जाए।
हमारी इमिग्रेशन लॉ यूनिट (ILU) हमारे शहर के अप्रवासियों के लिए लड़ाई की अग्रिम पंक्ति में है। ILU देश में अपनी तरह की सबसे बड़ी कानूनी प्रथा है, जिसमें 60 से अधिक कर्मचारी हर साल लगभग 6,000 मामलों को संभालते हैं। और पिछले दो वर्षों में, हमारे काम की आवश्यकता केवल बढ़ी है। हम शुरू से ही राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ लड़ रहे हैं। जब उन्होंने अपने गैरकानूनी यात्रा प्रतिबंध की घोषणा की, तो हमारे कर्मचारी रात भर काम करते हुए JFK अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए कि हर व्यक्ति जिसे अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था, मुक्त हो गया था। आज, हम हिरासत और निर्वासन के खिलाफ लड़ रहे हैं, जबकि सभी अधिक अप्रवासियों को उनकी कानूनी स्थिति सुरक्षित करने में मदद कर रहे हैं। साथ में, वंजुरी ने आईएलयू के मिशन को संक्षेप में बताया: "हम अपने ग्राहकों को देश में रहने में मदद कर रहे हैं और निर्वासित नहीं हो रहे हैं।"
एक फोरेंसिक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में, वंजुरी ILU के काम में एक विशेष भूमिका निभाता है। वंजुरी सबसे कमजोर ग्राहकों को उनकी आवश्यक सेवाओं तक पहुंचने में मदद करता है। जैसा कि वंजुरी बताते हैं, उनके मुवक्किलों को अपने आव्रजन मुद्दों के अलावा गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कुछ को मादक द्रव्यों के सेवन से परेशानी होती है, कुछ बेघर होते हैं, और फिर भी दूसरों को मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए सहायता की आवश्यकता होती है। और इन कमजोर ग्राहकों के लिए, "सेवाओं के लिए बहुत सी बाधाएं हो सकती हैं।" शुक्र है, वंजुरी उन बाधाओं को दूर करने के लिए अथक प्रयास करता है। "यह एक चुनौती हो सकती है, लेकिन हमारा लक्ष्य उन्हें इलाज से जोड़ना है।"
वंजुरी के लिए, वह जिस भी मामले को संभालती है, वह जीवन को हमेशा के लिए बदलने का अवसर है। और, अधिक बार नहीं, उसका काम बस यही करता है। कुछ साल पहले, वंजुरी जमैका के एक व्यक्ति के साथ काम कर रहा था, जिसका मानसिक स्वास्थ्य और मादक द्रव्यों के सेवन के मुद्दों का लंबा इतिहास था। वह उपचार केंद्रों और बेघर आश्रयों के अंदर और बाहर रहा था और अंततः आईसीई एजेंटों द्वारा उठाया गया था। जबकि उस व्यक्ति के वकीलों ने निर्वासन से उसका बचाव किया, वंजुरी ने उसके जीवन को एक साथ वापस लाने में मदद करने के लिए उसके साथ काम किया। उसने उसे आवश्यक संसाधनों से जोड़ा। अब, लगभग चार साल बाद, वह नशीली दवाओं से मुक्त है और अपने जैसे अन्य लोगों की समस्याओं को दूर करने में उनकी मदद करने के लिए एक सहकर्मी परामर्शदाता बनने के लिए काम कर रहा है। वंजुरी के लिए यह जीत अब भी बहुत मायने रखती है। "हर बार जब मैं उसे देखता हूं तो मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।" हमारे शहर भर में अप्रवासी अपने अधिकारों के लिए लड़ते हैं, वंजुरी मदद के लिए हाथ बंटाते हैं।`
America to invest in oil & gas sector:भारत ने अमेरिका के लिए भी खोला तेल-गैस में निवेश का दरवाजा, जानें क्या पड़ेगा रूस पर प्रभाव
America to invest in oil & gas sector:इन दिनों भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मजबूत छवि के साथ उभरा है। दुनिया में पश्चिम से लेकर पूर्व तक और यूरोप से लेकर एशिया तक, अफ्रीका महाद्वीप से लेकर आस्ट्रेलिया महाद्वीप तक के सभी देशों के साथ उसके अच्छे संबंध हैं।
Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: October 02, 2022 18:18 IST
Image Source : INDIA TV America to invest in oil & gas sector
Highlights
- 50 से अधिक कंपनियों को तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश का आमंत्रण
- भारत है दुनिया का चौथा बड़ा तेल आयातक देश
- वैश्विक ऊर्जा कंपनियों का नया स्थल बनने वाला है भारत
America to invest in oil & gas sector:इन दिनों भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मजबूत छवि के साथ उभरा है। दुनिया में पश्चिम से लेकर पूर्व तक और यूरोप से लेकर एशिया तक, अफ्रीका महाद्वीप से लेकर आस्ट्रेलिया महाद्वीप तक के सभी देशों के साथ उसके अच्छे संबंध हैं। भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति, मजबूत नेतृत्व और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के दम पर दुनिया में लगातार दबदबा बढ़ा रहा है। भारत की अंतरराष्ट्रीय निवेश उठाते फर्मों ईमानदार और लोकतांत्रिक प्रणाली दुनिया के देशों के अपनी ओर आकर्षित कर रही है। इसी कड़ी में अब भारत ने अमेरिका को भी तेल और गैस के क्षेत्र में निवेश का आमंत्रण दिया है।
अमेरिका के ह्यूस्टन में आयोजित निवेशक सम्मेलन में भारतीय ऊर्जा एवं पेट्रोलियम क्षेत्र में निवेश के लिए संभावित निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय निवेश उठाते फर्मों आकर्षित करने के लिए कारोबारी सुगमता, अनुकूल भूविज्ञान, खुली डेटा पहुंच तथा समर्थन देने वाली नीतियों की जानकारी दी गई। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत गठित हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय ने 28-29 सितंबर को इस दो-दिवसीय निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया था। इसे ह्यूस्टन स्थित महावाणिज्य दूतावास के सहयोग से आयोजित किया गया था। इस दौरान मंत्रालय में सचिव पंकज जैन ने 50 से अधिक कंपनियों के संभावित निवेशकों, तेल एवं गैस कंपनियों, वित्तीय संस्थानों, निजी इक्विटी फर्मों, सेवा प्रदाताओं और अकादमिक क्षेत्र के लोगों को संबोधित किया। उन्होंने भारत की ताकत और वैश्विक ऊर्जा परिवेश में उसकी भूमिका के बारे में चर्चा की और भारत को ऊर्जा अवसरों का स्थल बताया।
भारत दुनिया का चौथा बड़ा तेल आयातक
जैन ने कारोबारी सुगमता के बारे में बात करते हुए उद्योग के समक्ष आने वाले किसी भी मुद्दे के समाधान के लिए नीतिगत कदम उठाने का आश्वासन दिया। उन्होंने विदेशी एवं निजी निवेश के जरिये घरेलू स्तर पर तेल और गैस उत्पादन को बढ़ाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा तेल आयातक है और भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत बढ़ने से मांग बढ़ना लाजिमी है।
वैश्विक ऊर्जा कंपनियों का नया स्थल बनने वाला है भारत
भारत वैश्विक ऊर्जा कंपनियों का नया स्थल बनना चाहता है। दुनियाभर के तेल उत्पादक भारत में पैरा जमाने को उत्सुक हैं क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साथ मांग भी बढ़ने वाली है।’’ जैन ने कहा कि भारत सरकार की नीति पारदर्शी एवं उदार है और उसके कई कदमों की वजह से ही 2021-22 में भारत में 83.57 अरब डॉलर का सर्वाधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है। ऐसे में भविष्य में इसमें और बढ़ोत्तरी की उम्मीद की जा सकती है। भारत में निवेश सुरक्षित और फायदेमंद है।
रूस से भी तेल और गैस लेता है भारत
भारत फिलहाल रूस से भी तेल और गैस को आयात करता है। अब अमेरिका को भी भारत में निवेश का आमंत्रण दिया है। ऐसे में भारत को दोनों तरह से फायदा होने वाला है। यदि अमेरिका निवेश करता है तो इससे भारत में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। साथ ही तेल और गैस के दाम भी कंपटीशन में सस्ते होंगे। वहीं इससे पहले रूस भारत को सस्ते तेल और गैस का ऑफर दे सकता है। ताकि भारत में अमेरिका इस क्षेत्र में निवेश न करे।
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कच्चे तेल फिर उठा, पर आएगा इस साल नीचे
इसके पहले 11 मई 2011 को तेल की कीमत इस स्तर पर पहुंची थी। बाजार विश्लेषकों के अनुसार अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर बढ़ती उम्मीदों से तेल की कीमतों को बल मिला है। इसके अलावा ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव से भी तेल की कीमतों में उछाल आया है।
लेकिन अंतरराष्ट्रीय निवेश व ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए का अनुमान है कि चालू साल 2012 में कच्चे तेल की कीमतें नीचे आएंगी। भारत के संदर्भ में उसका कहना है कि यहां सरकार के खजाने पर दबाव रहेगा तो ओएनजीसी, गेल व ऑयल इंडिया जैसी अपस्ट्रीम कंपनियों को सब्सिडी का ज्यादा बोझ उठाना पड़ सकता है। कमजोर रुपए से तेल कंपनियों की अंडर-रिकवरी बढ़ जाएगी। साथ ही तेल कंपनियों के रिफाइनिंग मार्जिन पर दबाव देखा जा सकता है।
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America to invest in oil & gas sector:इन दिनों भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मजबूत छवि के साथ उभरा है। दुनिया में पश्चिम से लेकर पूर्व तक और यूरोप से लेकर एशिया तक, अफ्रीका महाद्वीप से लेकर आस्ट्रेलिया महाद्वीप तक के सभी देशों के साथ उसके अच्छे संबंध हैं।
Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: October 02, 2022 18:18 IST
Image Source : INDIA TV America to invest in oil & gas sector
Highlights
- 50 से अधिक कंपनियों को तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश का आमंत्रण
- भारत है दुनिया का चौथा बड़ा तेल आयातक देश
- वैश्विक ऊर्जा कंपनियों का नया स्थल बनने वाला है भारत
America to invest in oil & gas sector:इन दिनों भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मजबूत छवि के साथ उभरा है। दुनिया में पश्चिम से लेकर पूर्व तक और यूरोप से लेकर एशिया तक, अफ्रीका महाद्वीप से लेकर आस्ट्रेलिया महाद्वीप तक के सभी देशों के साथ उसके अच्छे संबंध हैं। भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति, मजबूत नेतृत्व और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के दम पर दुनिया में लगातार दबदबा बढ़ा रहा है। भारत की ईमानदार और लोकतांत्रिक प्रणाली दुनिया के देशों के अपनी ओर आकर्षित कर रही है। इसी कड़ी में अब भारत ने अमेरिका को भी तेल और गैस के क्षेत्र में निवेश का आमंत्रण दिया है।
अमेरिका के ह्यूस्टन में आयोजित निवेशक सम्मेलन में भारतीय ऊर्जा एवं पेट्रोलियम क्षेत्र में निवेश के लिए संभावित निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कारोबारी सुगमता, अनुकूल भूविज्ञान, खुली डेटा पहुंच तथा समर्थन देने वाली नीतियों की जानकारी दी गई। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत गठित हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय ने 28-29 सितंबर को इस दो-दिवसीय निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया था। इसे ह्यूस्टन स्थित महावाणिज्य दूतावास के सहयोग से आयोजित किया गया था। इस दौरान मंत्रालय में सचिव पंकज जैन ने 50 से अधिक कंपनियों के संभावित निवेशकों, तेल एवं गैस कंपनियों, वित्तीय संस्थानों, निजी इक्विटी फर्मों, सेवा प्रदाताओं और अकादमिक क्षेत्र के लोगों को संबोधित किया। उन्होंने भारत की ताकत और वैश्विक ऊर्जा परिवेश में उसकी भूमिका के बारे में चर्चा की और भारत को ऊर्जा अवसरों का स्थल बताया।
भारत दुनिया का चौथा बड़ा तेल आयातक
जैन ने कारोबारी सुगमता के बारे में बात करते हुए उद्योग के समक्ष आने वाले किसी भी मुद्दे के समाधान के लिए नीतिगत कदम उठाने का आश्वासन दिया। उन्होंने विदेशी एवं निजी निवेश के जरिये घरेलू स्तर पर तेल और गैस उत्पादन को बढ़ाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा तेल आयातक है और भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत बढ़ने से मांग बढ़ना लाजिमी है।
वैश्विक ऊर्जा कंपनियों का नया स्थल बनने वाला है भारत
भारत वैश्विक ऊर्जा कंपनियों का नया स्थल बनना चाहता है। दुनियाभर के तेल उत्पादक भारत में पैरा जमाने को उत्सुक हैं क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साथ मांग भी बढ़ने वाली है।’’ जैन ने कहा कि भारत सरकार की नीति पारदर्शी एवं उदार है और उसके कई कदमों की वजह से ही 2021-22 में भारत में 83.57 अरब डॉलर का सर्वाधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है। ऐसे में भविष्य में इसमें और बढ़ोत्तरी की उम्मीद की जा सकती है। भारत में निवेश सुरक्षित और फायदेमंद है।
रूस से भी तेल और गैस लेता है भारत
भारत फिलहाल रूस से भी तेल और गैस को आयात करता है। अब अमेरिका को भी भारत में निवेश का आमंत्रण दिया है। ऐसे में भारत को दोनों तरह से फायदा होने वाला है। यदि अमेरिका निवेश करता है तो इससे भारत में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। साथ ही तेल और गैस के दाम भी कंपटीशन में सस्ते होंगे। वहीं इससे पहले रूस भारत को सस्ते तेल और गैस का ऑफर दे सकता है। ताकि भारत में अमेरिका इस क्षेत्र में निवेश न करे।
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रियल एस्टेट में पीई निवेश 17 प्रतिशत घटकर 5.13 अरब डॉलर रहा
नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं और भू-राजनीतिक स्थितियों की वजह से निवेशकों के सतर्क रूख अपनाने से रियल एस्टेट क्षेत्र में निजी इक्विटी (पीई) निवेश इस वर्ष 17 फीसदी गिरकर 5.13 अरब डॉलर रह गया। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रियल एस्टेट सलाहकार फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार, आवास, कार्यालय और खुदरा क्षेत्रों में वर्ष 2022 में पीई निवेश घटा है जबकि पिछले वर्ष की तुलना में गोदाम परिसंपत्तियों में यह बढ़ा है।
आंकड़ों के मुताबिक, गोदामों में पीई निवेश पिछले वर्ष के 131.3 करोड़ डॉलर से 45 फीसदी बढ़कर इस वर्ष 190.7 करोड़ डॉलर हो गया। वहीं कार्यालय परिसंपत्तियों में पीई निवेश 19 फीसदी गिरकर 233.1 करोड़ डॉलर पर आ गया जो 2021 में 288.2 करोड़ डॉलर था।
आवासीय श्रेणी में पीई निवेश 2021 में 118.7 करोड़ डॉलर था जो 2022 में 50 फीसदी घटकर 59.4 करोड़ डॉलर रह गया। खुदरा परिसंपत्तियों में भी यह 63 फीसदी घटकर 30.3 करोड़ डॉलर रह गया जो 2021 में 81.7 करोड़ डॉलर था।
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, ‘‘ब्याज दरों और मुद्रास्फीति के बढ़ने को लेकर उपजी चिंता और अंतरराष्ट्रीय तनाव में बढ़ोतरी की वजह से निवेशक और सतर्क हो गए हैं इसलिए 2022 में भारत में निवेश माहौल नरम हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि विनिर्माण, ई-कॉमर्स और तीसरे पक्ष के लॉजिस्टिक्स व्यवसायियों के बीच मजबूत मांग से पीई निवेशकों की दिलचस्पी गोदाम श्रेणी में बढ़ रही है’’
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के शीर्ष आठ बाजारों में से मुंबई में सर्वाधिक 41 फीसदी पीई निवेश हुआ है। दिल्ली-एनसीआर में यह 15 फीसदी और बेंगलुरु में 14 फीसदी रहा है।
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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