Photo:FILE इन्वेस्टमेंट की शुरुआत करने से पहले जानें ये गलतियां

Intraday Trading क्या है? और ये कैसे काम करता है?

लोग अक्सर यह धारणा रखते हैं कि व्यापार वित्तीय फर्मों और अनुभवी व्यापारियों के लिए होता है। हालांकि, जैसे-जैसे अधिक निवेशक बाजारों का पता लगाते हैं और व्यापार की मूल बातें सीखते हैं, यह धारणा बदलने लगी है। इस बदलाव का श्रेय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग और मार्जिन ट्रेडिंग को दिया जाता है।

आज, किसी के लिए भी ट्रेडिंग में प्रवेश करना आसान है। यहां, हम इंट्राडे ट्रेडिंग की अवधारणा का पता लगाएंगे और इस अवधारणा के आसपास के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे।

Intraday Trading क्या है?

इंट्राडे ट्रेडिंग या डे ट्रेडिंग का अर्थ है एक ही दिन में स्टॉक या अन्य प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री। नियमित ट्रेडिंग के विपरीत, जो निवेशक ऑर्डर को इंट्राडे ट्रेडिंग के रूप में निर्दिष्ट करते हैं, उन्हें प्रतिभूतियों का स्वामित्व नहीं मिलता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग का असली मकसद उसी दिन के ट्रेडिंग घंटों के भीतर ट्रेडिंग को बेच और बंद करके मुनाफा कमाना है। भारत में, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में इक्विटी बाजार के लिए सामान्य ट्रेडिंग समय सुबह 9:15 बजे से दोपहर 03:30 बजे (सोमवार से शुक्रवार) के बीच है।

Intraday Trading और Regular Trading में क्या अंतर हैं?

एक नियमित व्यापार और एक इंट्राडे व्यापार के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर स्टॉक की डिलीवरी लेने के साथ करना है। चूंकि इंट्राडे ट्रेडिंग पोजीशन उसी दिन चुकता कर दी जाती है, एक ट्रेडर का सेल ऑर्डर दूसरे के बाय ऑर्डर के साथ ऑफसेट हो जाता है।

इस प्रकार, इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयरों के स्वामित्व का हस्तांतरण शामिल नहीं है। इसकी तुलना में, कुछ दिनों में एक नियमित व्यापार का निपटारा किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप खरीदार और विक्रेता डीमैट खातों के माध्यम से शेयरों की डिलीवरी होती है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के क्या फायदे हैं?

  • रातोंरात समाचार या ऑफ-घंटे ब्रोकर चाल से जोखिम से स्थिति अप्रभावित रहती है।
  • नियमित व्यापारियों के पास बढ़े हुए उत्तोलन तक पहुंच है।
  • टाइट स्टॉप-लॉस ऑर्डर पोजीशन की रक्षा कर सकते हैं।
  • सीखने के अनुभव पर कई ट्रेड हाथ बढ़ाते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान क्या हैं?

  • कुछ संपत्तियां सीमा से बाहर होती हैं, जैसे म्युचुअल फंड।
  • बारंबार ट्रेडों का अर्थ है कई कमीशन लागत।
  • नुकसान तेजी से बढ़ सकता है, खासकर अगर मार्जिन का इस्तेमाल खरीद के वित्तपोषण के लिए किया जाता है।
  • किसी स्थिति को बंद करने से पहले लाभ प्राप्त करने के लिए पर्याप्त समय नहीं हो सकता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग में महत्वपूर्ण इंडिकेटर

इंट्राडे ट्रेडिंग के कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी संकेतक यहां दिए गए हैं:

मूविंग एवरेज

मूविंग एवरेज स्टॉक चार्ट पर लगाया गया एक संकेतक है। यह एक निर्दिष्ट अवधि में बाजार में औसत समापन दरों को जोड़ता है। अवधि जितनी लंबी होगी, इन औसतों की विश्वसनीयता उतनी ही अधिक होगी। यह बाजार में कीमतों की त्वरित गति का सारांश है।

मूविंग एवरेज व्यापारियों को स्टॉक की कीमतों की अस्थिरता और बाजार में प्रचलित रुझानों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है। एक ट्रेडर इस इंडिकेटर का उपयोग करके ऊपर और नीचे का अनुमान लगा सकता है। प्रत्येक इंट्राडे ट्रेडर को मूविंग एवरेज पर अपडेट रहने का प्रयास करना चाहिए।

बोलिंगर बैंड

बोलिगर बैंड एक ऊपरी और निचली सीमा के साथ चलती औसत विवरण प्रदान करते हैं। माध्य मानों को ले जाने पर यह मानक विचलन के समान कार्य करता है। बोलिंगर बैंड उन कीमतों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो औसत स्तरों से बढ़ती या घटती हैं।

व्यापारियों के लिए अस्थिरता एक महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि यह उस जोखिम की सीमा को इंगित करता है जो बाजार वहन करता है। व्यापार इस जोखिम पर निर्भर करता है, क्योंकि यह उच्च लाभ स्तरों तक पहुंच की अनुमति दे सकता है। यह इंट्राडे व्यापारियों के लिए सीमा निर्धारित करता है ताकि वे निर्धारित सीमा के भीतर व्यापार कर सकें और मुनाफा कमा शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे किया जाता है सकें।

ओस्किलेटर

प्रत्येक व्यापारी बाजारों का अधिकतम लाभ उठाना चाहता है और इंट्राडे ट्रेडिंग के मामले में, यह ऑसिलेटर्स के माध्यम से संभव है। इससे व्यापारियों को बाजार की भावनाओं की कल्पना करने में मदद मिलती है ताकि वे सुरक्षित और लाभप्रद रूप से व्यापार कर सकें।

यह एक ट्रेडिंग रणनीति बनाने में इंट्राडे व्यापारियों की मदद करने के लिए स्टॉक की कीमतों में वृद्धि और गिरावट को पकड़ता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्ट्रेटेजीज क्या हैं?

ट्रेडिंग करते समय एक ट्रेडर जिन विभिन्न रणनीतियों का उपयोग कर सकता है, वे इस प्रकार हैं:

स्कल्पिंग

स्कैल्पिंग एक ऐसी रणनीति है जो दिन भर में छोटे मूल्य परिवर्तनों पर कई छोटे लाभ कमाने का प्रयास करती है।

रेंज ट्रेडिंग:

रेंज ट्रेडिंग शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे किया जाता है एक रणनीति है जो मुख्य रूप से उनके खरीदने और बेचने के निर्णयों को निर्धारित करने के लिए समर्थन या प्रतिरोध स्तरों का उपयोग करती है।

न्यूज़ – बेस्ड ट्रेडिंग

न्यू-बेस्ड ट्रेडिंग एक ऐसी रणनीति है जो आम तौर पर समाचार घटनाओं के आसपास बढ़ी हुई अस्थिरता से व्यापार के अवसरों को जब्त या प्रतिबंधित करती है।

हाई – फ्रीक्वेंसी शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे किया जाता है ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज

हाई-फ़्रीक्वेंसी ट्रेडिंग रणनीतियाँ उस प्रकार की रणनीति है जो छोटी या अल्पकालिक बाज़ार अक्षमताओं का फायदा उठाने के लिए परिष्कृत एल्गोरिदम का उपयोग करती है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे किया जाता है बारे में जानने योग्य बातें

यहां कुछ अन्य चीजें हैं जो आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में पता होनी चाहिए:

  • निवेशकों को व्यापार से पहले तकनीकी और मौलिक दोनों आधार पर शेयरों का विश्लेषण करना चाहिए।
  • आपको कभी भी अफवाहों के आधार पर कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। विशेषज्ञ का मार्गदर्शन लेने से इंट्राडे ट्रेडिंग में होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में सफलता बढ़ाने के लिए सही स्टॉक चुनना महत्वपूर्ण है।
  • अंत में, निवेशकों को नवीनतम स्टॉक शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे किया जाता है समाचार और रुझानों के बारे में खुद को अपडेट रखना चाहिए।

निष्कर्ष

अगर सही तरीके से किया जाए, तो इंट्राडे ट्रेडिंग एक बहुत ही आर्थिक रूप से मजबूत करियर विकल्प हो सकता है, भले ही आप समय-समय पर किसी न किसी पैच को हिट कर सकते हैं। हालांकि, शुरुआती लोगों के लिए इंट्राडे ट्रेडिंग थोड़ी अधिक चुनौतीपूर्ण होती है, और शुरू करने से पहले आपको पूरी तरह से शोध और एक अच्छी रणनीति की आवश्यकता होती है।

Mutual Funds SIP : किस एसआईपी में पैसा लगाना अच्छा है? -हर्षद चेतनवाला

अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि एसआईपी में निवेश किया है। मगर आपने कभी सोचा है कि क्या होती है ये एसआईपी ? कैसे इसमें किया जाता है निवेश ? हम कैसे चुन सकते हैं एसआईपी ?

पैसा लगाने के बावजूद बहुत से निवेशकों को ये नहीं पता होगा कि एसआईपी कोई निवेश योजना नहीं बल्कि म्यूचुअल फंड में निवेश का मध्यम है। एसआईपी के जरिये निवेश के बारे में और जानकारी के लिए जरूर देखिये माईवेल्थग्रोथ.कॉम के सह संस्थापक हर्षद चेतनवाला के साथ बातचीत कर रहे हैं निवेश मंथन के संपादक राजीव रंजन झा।

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आज दिन में शेयर बाजार में कमाई वाले 20 शेयर

Stock market top picks for intraday : Seedha Sauda में हर रोज़ जानें Intraday में Best कमाई वाले शेयर्स जिसमें निवेश करने से आपको Intraday में अच्छी कमाई का मौका मिलेगा.

Seedha Sauda में हर रोज़ जानें Intraday में Best कमाई वाले शेयर्स जिसमें निवेश करने से आपको Intraday में होंगे बेहतरीन फायदें. जानिए Neeraj Bajpai के हर दिन कौन से है नए Top 20 Stocks. देखें पूरी वीडियो और बनाएं कमाई की रणनीति.

शेयरों में जोखिम को कम करने और प्रॉफिट बुक करने के लिए स्टॉप लॉस और टारगेट का काफी इस्तेमाल होता है. स्टॉप लॉस और टारगेट का ज्यादातर इस्तेमाल इंट्राडे ट्रेडिंग में होता है, लेकिन अगर आप लॉन्ग टर्म निवेश कर रहे हैं तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. स्टॉप-लॉस आपके नुकसान को सीमित रखता है जबकि टारगेट आपके प्रॉफिट को सीमित रखता है. स्टॉप लॉस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप बड़े नुकसान से बच सकें. टारगेट का इस्तेमाल इसलिए होता है ताकि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे किया जाता है जो प्रॉफिट हो रहा है वो नुकसान में या कम न हो जाए. तो चलिए स्टॉप लॉस और टारगेट को विस्तार से समझते हैं.

जैसा ही ऊपर हमने बताया है कि स्टॉप लॉस का इस्तेमाल नुकसान को सीमित करने के लिए किया जाता है. इसे एक उदाहरण से समझते है. मान लीजिए आपने इंट्राडे के लिए किसी कंपनी के 100 शेयर 100 रुपए के भाव पर खरीदे. यानी 10,000 रुपए का निवेश आपने किया. आपने सोचा की शेयर की कीमत बढ़ेगी और आप अच्छा खासा मुनाफा कमा लेंगे. लेकिन हुआ कुछ उल्टा और शेयर की कीमत बढ़ने के बजाय घटकर 90 रुपए हो गई. यानी आपको एक शेयर पर 10 रुपए के हिसाब से 1000 रुपए का घाटा होने लगा. मार्केट में इस तरह के बदलाव इतनी तेजी से होते है कि की बार ट्रेडर को इसका पता ही नहीं चलता.

अब आपके पास दो ऑप्शन है या तो इन शेयरों को होल्ड कर आने वाले दिनों में कीमत बढ़ने का इंतजार किया जाए या घाटा बुक किया जाए. ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए ही स्टॉपलॉस काम आता है. ये कैसे काम करता है समझते है. स्टॉपलॉस को आप शेयर खरीदने के तुरंत बाद ही लगा सकते हैं. ऊपर दिए उदाहरण में ट्रेडर को 10 रुपए का नुकसान हो रहा था लेकिन अगर उसने स्टॉपलॉस लगाया होता तो नुकसान सीमित हो सकता था. स्टॉपलॉस वह मूल्य होता है जिसे लगाने पर आपके शेयर उस मूल्य पर ऑटोमेटिक बिक जाते हैं. इसे आप अपनी नुकसान की क्षमता और टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर लगा सकते हैं.

यानी ट्रेडर ने अगर 100 रुपए के भाव पर शेयर खरीदने के बाद नीचे की तरफ 98 रुपए या 95 रुपए जो भी स्टॉपलॉस लगाया होता तो उसके शेयर स्टॉपलॉस मूल्य पर अपने आप बिक जाते और उसे घाटा कम होता. अगर उसने 98 रुपए पर इसे लगाया होता तो जहां पहले 10 रुपए प्रति शेयर का नुकसान हो रहा था वो 2 रुपए तक सीमित हो जाता. वहीं अगर स्टॉपलॉस 95 रुपए का होता तो घाटा 5 रुपए प्रति शेयर तक सीमित हो जाता. यानी इससे साफ है कि स्टॉप लॉस प्राइस पर शेयर बेच देने से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं. वहीं अगर आप शॉर्ट सेलिंग करते हैं यानी पहले शेयर को बेचते हैं और बाद में खरीदते हैं तो भी स्टॉपलॉस लगाया जा सकता है.

टारगेट का मतलब लक्ष्य. इसका इस्तेमाल प्रॉफिट बुकिंग के लिए होता है. इसे भी एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपने इंट्राडे के लिए किसी कंपनी के 100 शेयर 100 रुपए के भाव पर खरीदे. यानी 10,000 रुपए का निवेश आपने किया. अब ये शेयर बढ़कर 105 रुपए पर पहुंच गया, लेकिन कुछ देर बाद वापस ये शेयर 100 रुपए पर आ गया या उससे नीचे 99 रुपए पर आ गया. जब ये शेयर 105 रुपए पर गया था तब आप इसे किसी कारण से बेच नहीं पाए. यानी आप प्रॉफिट बुक नहीं कर पाए. अब आपको उसी शेयर के नीचे आ जाने के कारण नुकसान हो रहा है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए ही टारगेट काम आता है.

टारगेट में आप पहले से ही आपके खरीदे शेयर को बेचने का ऑर्डर लगा सकते है. यानी अगर आपको लगता है कि ये शेयर 105 रुपए तक जा सकता है तो आप 105 रुपए का टारगेट प्राइस के लिए सेलिंग ऑर्डर लगा सकते हैं. जब शेयर उस भाव पर पहुंचेगा तो अपने आप ही वो बिक जाएगा और शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे किया जाता है प्रॉफिट बुक हो जाएगा.

: CNBC TV18 हिंदी पर दी गई सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार हैं. वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदायी नहीं है. निवेश से पहले आप अपने वित्तीय सलाहकार यानी सर्टिफाइड एक्सपर्ट की राय जरूर लें.

Share Market: NIFTY 50, म्यूचुअल फंड, इक्विटी में करना है निवेश? जानें तरीके

Share Market: म्यूचुअल फंड में निवेश करने के फायदे क्या हैं ?

Share Market: NIFTY 50, म्यूचुअल फंड, इक्विटी में करना है निवेश? जानें तरीके

शेयर मार्केट (Share Market) का नाम लेते ही सबके मन में एक ही सवाल आता है क्या पैसे डूब शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे किया जाता है तो नहीं जाएंगे ? मार्केट में निफ्टी (Nifty) की बात करें तो 52 हफ्तो में ये उच्चतम 18887.60 तक गया वहीं 52 हफ्तो में निफ्टी का सबसे कम स्तर 15183.40 का था. वहीं 52 हफ्तों में सेंसेक्स (Sensex) 63583.07 के स्तर पर उच्चतम था और सबसे निचला स्तर 50921.22 पर रहा.

शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए होड़ लगी है. लेकिन मार्केट की जानकारी लिए बिना काफी लोग अपना नुकसान भी करा लेते हैं. तो चलिए समझते है कि क्या है शेयर मार्केट और इसमें कैसे इंवेस्ट करते हैं.

घबराइए मत हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे कि आखिर ये निफ्टी 50, म्यूचुअल फंड, इक्विटी और लिक्विड फंड क्या है और इनके फायदे-नुकसान क्या हैं?

निफ्टी 50

निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) पर लिस्टेड 50 प्रमुख कंपनी के शेयरों का सूचकांक (Index) है. NIFTY दो शब्द से बना है पहला नेशनल और दूसरा फिफ्टी. निफ्टी का मतलब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है और Fifty उन कंपनियों के समूह के बारे में बताता है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड टॉप पचास शेयर हैं. यहां आप अपनी मन पसंदीदा कंपनी जैसे अडानी पोर्ट्स, बजाज ऑटो, एयरटेल, एचडीएफसी, एसबीआई, टाटा मोर्टस और विप्रो के शेयर खरीद सकते हैं. जितना बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा उसका पोर्टफोलियो उतना ही हरा नजर आएगा.

लिक्विड फंड (Liquid Fund)

लिक्विड फंड एक प्रकार का डेट फंड (Debt Fund) होता है. ये आपके पैसों को डेट और मनी मार्केट में जैसे कमर्शियल पेपर, कॉल मनी, सरकारी सिक्यॉरिटी, ट्रेजरी बिल में निवेश करता है. इस फंड में 91 दिनों की मैच्योरिटी पीरियड होती है. अब ये सवाल आता है कि लिक्विड फंड में निवेश करने से क्या फायदा होगा? तो लिक्विड फंड में इंवेस्ट करने से आपको अधिक लिक्विडिटी मिलती है, एग्जिट करने पर कोई फीस नहीं लगती, कम जोखिम और अधिक रिटर्न मिलता है.

लिक्विड फंड के फायदे (Benefit of Liquid Fund)

कम व्यय अनुपात (Low Expense Ratio)

नो लॉक-इन पीरियड (No Nock-in Period)

बेहतर रिटर्न (Good Return)

अत्यधिक तरल (इससे निवेशक के द्वारा लगाए गए पैसो में तेजी से बदलाव होता है. ये कम या ज्यादा हो सकता है.

कम जोखिम (Low Risk)

लिक्विड फंड के नुकसान (Disadvantages of Liquid Funds)

लिक्विडिटी रिस्क (इस निवेश में ये देखा जाता है कि निवेशक का निवेश बाजर के जोखिम के निर्भर होता है.)

इन्वेस्टमेंट की शुरुआत करने से पहले जानें ये बड़ी गलतियां, जिसे करने से हमेशा बचते हैं बड़े निवेशक

एक आम निवेशक को पैसे इन्वेस्ट करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? कहां निवेश करना उसके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है? इन सभी सवालों का जवाब आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

ANISH KUMAR SINGH

Written By: ANISH KUMAR SINGH @AnishSonevanshi
Updated on: December 25, 2022 10:28 IST

इन्वेस्टमेंट की शुरुआत करने से पहले जानें ये गलतियां- India TV Hindi

Photo:FILE इन्वेस्टमेंट की शुरुआत करने से पहले जानें ये गलतियां

आमतौर पर नए नए निवेशक ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट में अंतर नहीं समझ पाते हैं, Mutual Fund और शेयर मार्केट में बेसिक अंतर क्या है, उन्हें नहीं पता होता। ऐसे लोग इन्वेस्टमेंट के नाम पर सीधे शेयर मार्केट में कूद पड़ते हैं। दूसरे लोगों की राय पर कोई भी शेयर खरीद लेते हैं, 2-4 दिन तक थोड़ा बहुत प्रॉफिट में रहते हैं और फिर घाटे में चले जाते हैं। फिर इन्वेस्टमेंट के नाम पर कान पकड़ लेते हैं। उन्हें ये पता ही नहीं कि वो इन्वेस्टमेंट नहीं सट्टा लगा रहे थे।

आखिर 90% लोग अपने पैसे क्यों गवां देते हैं

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐसे लोग शेयर को उस समय ख़रीदते हैं जब शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे किया जाता है वो शेयर ख़ूब चर्चा में रहता है, उसकी प्राइस बढ़ रही होती है। ऐसे लोग ट्रेडर्स माइंडसेट और इन्वेस्टर्स माइंडसेट को बिना समझे भागते घोड़े पर बोली लगाते हैं यानी तेज़ी से बढ़ रहे शेयर को ख़रीदते जाते हैं और जब उस शेयर में बिकवाली शुरू होती है, जब ट्रेडर्स अपने सौदे काटने(Square off) करने लगते हैं तब वो शेयर ऐसे धड़ाम से नीचे गिरता है कि आपको संभलने तक का मौका नहीं मिलता और रही सही कसर ऑपरेटर्स पूरी कर देते हैं। शेयर शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे किया जाता है बाज़ार रूपी समंदर में ऑपरेटर्स वो बड़ी मछलियां हैं जो हमेशा छोटी मछलियों के शिकार के फिराक में रहते हैं। वो चाहते ही हैं कि बाज़ार में नौसिखिये लोग अपनी किस्मत आजमाने आएं और उनकी पूरी जमा पूंजी वो चट कर जाएं। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि आखिर क्या करें।

90% लोग अपने पैसे गवां देते हैं

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शेयर मार्केट से नहीं Mutual Fund से शुरुआत करें

अपनी इन्वेस्टमेंट की जर्नी आप Mutual Fund से स्टार्ट करें। अब आप कहेंगे Mutual Fund का इन्वेस्टमेंट भी तो ज़्यादातर शेयर मार्केट में ही होता है, वो शेयर मार्केट से अलग कैसे है। तो इसका जवाब ये है कि Mutual Fund में Fund मैनेजर होते हैं (एक्टिव Fund में) जो काफी अनुभवी होते हैं। वह आपके पैसे को अपने हिसाब से अलग अलग शेयर्स में लगाते हैं और इसके लिए आपसे कुछ पैसे भी लिए जाते हैं। इस तरह के इन्वेस्टमेंट में रिस्क कम हो जाता है। हालांकि Passive Fund (Index Fund) में आपको ये चार्ज भी नहीं लगता है, क्योंकि उसमें कोई Fund मैनेजर नहीं होता। दुनिया के सबसे बड़े निवेशक वॉरेन बफ़ेट ने भी इंडेक्स Fund को एक्टिव Fund से अच्छा माना है। इसे उन्होंने बाकायदा सिद्ध करके भी दिखाया है।

शेयर मार्केट से नहीं mutual fund से शुरुआत करें

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इंडेक्स Fund में इन्वेस्टमेंट ऐसे स्टार्ट करें

इंडेक्स Fund में इन्वेस्ट करने का बेहद आसान भाषा में तरीका भी बताया गया है। जिसे आप केवल एक बार पढ़कर समझ सकते हैं। इसके लिए किसी डिग्री या डिप्लोमा की भी जरूरत नहीं। इसके लिए नीचे दिए गए इस आर्टिकल के लिंक को क्लिक करें, और अपनी इन्वेस्टमेंट जर्नी की नई शुरुआत करें।

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