विदेशी मुद्रा व्यापार - Forex trading
विदेशी मुद्रा व्यापार 1971 में गठन किया गया था, जब अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से स्थानांतरित अस्थायी विनिमय दर के लिए तय यह निर्दिष्ट रकम का आदान-प्रदान के लिए बाजार के विदेशी मुद्रा लेनदेन के एजेंटों के एक संग्रह है पर एक सहमति व्यक्त की दर पर किसी अन्य के लिए एक देश की मुद्रा की मुद्रा एक निश्चित तारीख, एक दूसरे के रिश्तेदार मुद्रा की विनिमय दर पर निर्धारित किया विदेशी मुद्रा का आदान जाता है बहुत आसान है, आपूर्ति और माँग विनिमय है जो दोनों पक्ष सहमत है। वैश्विक विदेशी मुद्रा बाजार मे लेनदेन की मात्रा लगातार बढ़ रही है। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विकास और मुद्रा प्रतिबंध के उन्मूलन के साथ जुड़ा हुआ है कई देशों अपने लेनदेन की मात्रा पर ही प्रभावशाली है नहीं है,
लेकिन यह भी दर है जो बाजार के विकास के रूप में चिन्हतः 1977 में दैनिक कारोबार पाँच अरब अमरीकी डॉलर दस साल में यह 600 अरब करने के लिए गुलाब और 1992 में एक खरब डॉलर तक पहुँच है, विदेशी मुद्रा की दैनिक मात्रा दुनिया में 1998 के मध्य में आपरेशन के 1 खरब 982 अरब डॉलर की राशि संयुक्त राज्य अमेरिका न्यूयार्क के बारे में 18 प्रतिशत, जर्मन बाजार का आदान-प्रदान किया, इस समय, दैनिक अधिक से अधिक 3 खरब डॉलर का कारोबार सभी लेन-देन के बारे में 80 प्रतिशत अप लाभ के लिए विदेशी मुद्रा का आदान एक दृश्य के साथ सट्टा लेनदेन विनिमय दरों में अंतर पर खेल से, आढ़त कई प्रतिभागियों, दोनों वितीय संस्थाओं और व्यक्तिगत निवेशकों को आकर्षित करती है।
भारत को 5 अरब डॉलर क्यों भेजता है पाकिस्तान?
विश्व बैंक के अनुसार पिछले साल पाकिस्तान से लगभग पांच अरब डॉलर भारत भेजे गए। अखबार के अनुसार दोनों देशों के बीच विदेशी मुद्रा के सीधे आदान-प्रदान पर प्रतिबंधों के कारण यह ताज्जुब की बात है। विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक हर साल संयुक्त अरब अमीरात से 13 अरब 20 करोड़ डॉलर भारत जाते हैं, जबकि अमेरिका से साढ़े 11 अरब डॉलर और सऊदी अरब से 11 अरब डॉलर भारत को मिलते हैं।
इस तरह भारत के लिए पाकिस्तान विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का चौथा बड़ा माध्यम बन जाता है। यह बात और भी आश्चर्यजनक इसलिए है क्योंकि विश्व बैंक का कहना है कि यह कोई असामान्य बात नहीं है और पाकिस्तान से भारत विदेशी मुद्रा हर साल भेजी जाती है और यह बढ़ रही है। पाकिस्तान में रहने वालों ने पिछले साल चार अरब 90 करोड़ डॉलर भारत भेजे। इससे पिछले साल यह राशि चार अरब 79 करोड़ डॉलर थी और इससे पहले चार अरब 67 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा भारत भेजी गई थी।
उधर भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 2015 में केवल दस लाख डॉलर सरकारी माध्यमों से पाकिस्तान से भारत भेजे गए थे। अमेरिकी अखबार विदेशी मुद्रा का आदान के अनुसार ऐसा नहीं कि बहुत अधिक संख्या में भारतीय नागरिक पाकिस्तान में नौकरी या व्यवसाय करने के लिए जा रहे हैं। वास्तव में हर साल कुछ हजार भारतीय ही काम करने पाकिस्तान जाते हैं।
विश्व बैंक के एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री दिलीप रीथा के अनुसार ऐसा कुछ तो दोनों देशों के इतिहास की वजह से होता है, कुछ अज्ञात कारणों से। दुनिया भर में इधर से उधर ले जाने वाले पैसे का स्रोत पता नहीं किया जा सकता। किसी अन्य देश में भेजा जाने वाला पैसा कई देशों से होता हुआ अपने गंतव्य पर पहुँचता है।
उदाहरण के लिए सिटीग्रुप बैंक के जरिए इटली से मुंबई भेजने जाने वाला पैसा रिकॉर्ड में अमेरिका से भारत स्थानांतरित होता हुआ दिखेगा क्योंकि सिटीग्रुप का मुख्यालय न्यूयॉर्क में है। हर साल भारत भेजे जाने वाले 72 अरब डॉलर का स्रोत खोजना संभव नहीं है और विश्व बैंक के अनुसार इस बारे में जानकारी के आधार पर अनुमान ही लगाए जा सकते हैं।
विश्व बैंक ने एक प्रणाली विकसित कर ली है जिसके तहत किसी देश में प्रवासियों के मूल देश, उनकी औसत आय और जीवन स्तर को सामने रखकर इस बारे में अनुमान लगाए जाते हैं।
पाकिस्तान में 14 लाख लोग ऐसे हैं जो भारत में पैदा हुए। हालांकि ये वो पारंपरिक भारतीय नागरिक नहीं हैं जो विदेशों में बसे हैं। यह भारत के विभाजन के बाद बचे-खुचे लोग हैं जिन्होंने विभाजन के समय एक देश से दूसरे देश में जाने का फैसला किया या हिंसा के आधार पर देश छोड़ने को मजबूर हुए।
विश्व बैंक का कहना है कि इस राशि का बड़ा हिस्सा वही लोग भेज रहे हैं जिनके परिवार दोनों देशों में बँट गए हैं। बैंक के अनुसार भारत से भी लगभग दो अरब डॉलर वार्षिक पाकिस्तान भेजे जाते हैं क्योंकि भारत में 11 लाख ऐसे लोग हैं, जो पाकिस्तान में पैदा हुए।
अमेरिकी अखबार वॉल विदेशी मुद्रा का आदान स्ट्रीट जनरल ने विश्व बैंक के हवाले से कहा है कि जिन देशों से भारत को सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भेजी जाती है, उनमें पाकिस्तान चौथे स्थान पर है।
विश्व बैंक के अनुसार पिछले साल पाकिस्तान से लगभग पांच अरब डॉलर भारत भेजे गए। अखबार के अनुसार दोनों देशों के बीच विदेशी मुद्रा के सीधे आदान-प्रदान पर प्रतिबंधों के कारण यह ताज्जुब की बात है। विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक हर साल संयुक्त अरब अमीरात से 13 अरब 20 करोड़ डॉलर भारत जाते हैं, जबकि अमेरिका से साढ़े 11 अरब डॉलर और सऊदी अरब से 11 अरब डॉलर भारत को मिलते हैं।
इस तरह भारत के लिए पाकिस्तान विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का चौथा बड़ा माध्यम बन जाता है। यह बात और भी आश्चर्यजनक इसलिए है विदेशी मुद्रा का आदान क्योंकि विश्व बैंक का कहना है कि यह कोई असामान्य बात नहीं है और पाकिस्तान से भारत विदेशी मुद्रा हर साल भेजी जाती है और यह बढ़ रही है। पाकिस्तान में रहने वालों ने पिछले साल चार अरब 90 करोड़ डॉलर भारत भेजे। इससे पिछले साल यह राशि चार अरब 79 करोड़ डॉलर थी और इससे पहले चार अरब 67 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा भारत भेजी गई थी।
स्रोत खोजना असंभव
उधर भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा का आदान के आंकड़ों के अनुसार 2015 में केवल दस लाख डॉलर सरकारी माध्यमों से पाकिस्तान से भारत भेजे गए थे। अमेरिकी अखबार के अनुसार ऐसा नहीं कि बहुत अधिक संख्या में भारतीय नागरिक पाकिस्तान में नौकरी या व्यवसाय करने के लिए जा रहे हैं। वास्तव में हर साल कुछ हजार भारतीय ही काम करने पाकिस्तान जाते हैं।
विश्व बैंक के एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री दिलीप रीथा के अनुसार ऐसा कुछ तो दोनों देशों के इतिहास की वजह से होता है, कुछ अज्ञात कारणों से। दुनिया भर में इधर से उधर ले जाने वाले पैसे का स्रोत पता नहीं किया जा सकता। किसी अन्य देश में भेजा जाने वाला पैसा कई देशों से होता हुआ अपने गंतव्य पर पहुँचता है।
उदाहरण के लिए सिटीग्रुप बैंक के जरिए इटली से मुंबई भेजने जाने वाला पैसा रिकॉर्ड में अमेरिका से भारत स्थानांतरित होता हुआ दिखेगा क्योंकि सिटीग्रुप का मुख्यालय न्यूयॉर्क में है। हर साल भारत भेजे जाने वाले 72 अरब डॉलर का स्रोत खोजना संभव नहीं है और विश्व बैंक के अनुसार इस बारे में जानकारी के आधार पर अनुमान ही लगाए जा सकते हैं।
भारत से भी पाक भेजे जाते हैं दो अरब डॉलर
विश्व बैंक ने एक प्रणाली विकसित कर ली है जिसके तहत किसी देश में प्रवासियों के मूल देश, उनकी औसत आय और जीवन स्तर को सामने रखकर इस बारे में अनुमान लगाए जाते हैं।
पाकिस्तान में 14 लाख लोग ऐसे हैं जो भारत में पैदा हुए। हालांकि ये वो पारंपरिक भारतीय नागरिक नहीं हैं जो विदेशों में बसे हैं। यह भारत के विभाजन के बाद बचे-खुचे लोग हैं जिन्होंने विभाजन के समय एक देश से दूसरे देश में जाने का फैसला किया या हिंसा के आधार पर देश छोड़ने को मजबूर हुए।
विश्व बैंक का कहना है कि इस राशि का बड़ा हिस्सा वही लोग भेज रहे हैं जिनके परिवार दोनों देशों में बँट गए हैं। बैंक के अनुसार भारत से भी लगभग दो अरब डॉलर वार्षिक पाकिस्तान भेजे जाते हैं क्योंकि भारत में 11 लाख ऐसे लोग हैं, जो पाकिस्तान में पैदा हुए।
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विदेशी मुद्रा बाजार का मूल कार्य एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा देना है। दो देशों के बीच क्रय शक्ति के हस्तांतरण को पूरा करना है। क्रय शक्ति का यह हस्तांतरण विभिन्न प्रकार के क्रेडिट उपकरणों द्वारा पूरा किया जाता है।
विदेशी मुद्रा बाजार के कार्य
विदेशी मुद्रा बाजार वह बाजार है जहां खरीदार और विक्रेता विदेशी मुद्राओं की खरीद और बिक्री में शामिल होते हैं। बस, जिस बाजार में विभिन्न देशों की मुद्राएं खरीदी और बेची जाती हैं, उसे विदेशी मुद्रा बाजार कहा जाता है।
विदेशी मुद्रा बाजार को आमतौर पर विदेशी मुद्रा के रूप में जाना जाता है, एक विश्वव्यापी नेटवर्क, जो दुनिया भर में एक्सचेंजों को सक्षम बनाता है। विदेशी मुद्रा बाजार के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं।
ट्रांसफर फंक्शन: विदेशी मुद्रा बाजार का मूल और सबसे अधिक दिखाई देने वाला कार्य भुगतान के निपटान के लिए एक देश से दूसरे देश में धन (विदेशी मुद्रा) का हस्तांतरण है। इसमें मूल रूप से एक मुद्रा का दूसरी मुद्रा में रूपांतरण शामिल है , जिसमें विदेशी मुद्रा की भूमिका क्रय शक्ति को एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित करना है।
उदाहरण के लिए, यदि भारत का निर्यातक संयुक्त राज्य अमेरिका से माल आयात करता है और भुगतान डॉलर में किया जाना है, तो रुपये को डॉलर में बदलने की सुविधा फॉरेक्स द्वारा की जाएगी। हस्तांतरण कार्य क्रेडिट उपकरणों के उपयोग के माध्यम से किया जाता है, जैसे कि बैंक ड्राफ्ट, विदेशी मुद्रा के बिल और टेलीफोन स्थानान्तरण।
क्रेडिट फ़ंक्शन: विदेशी मुद्रा आयातकों को एक अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है ताकि देश से देश में वस्तुओं और सेवाओं के सुचारू प्रवाह को सुगम बनाया जा सके। एक आयातक विदेशी खरीद के वित्तपोषण के लिए ऋण का उपयोग कर सकता है। जैसे कि एक भारतीय कंपनी संयुक्त राज्य अमेरिका से मशीनरी खरीदना चाहती है, विदेशी मुद्रा बाजार में अनिवार्य रूप से तीन महीने की परिपक्वता के साथ बिल ऑफ एक्सचेंज जारी करके खरीद के लिए भुगतान कर सकती है।
जोखिम फंक्शन: विदेशी मुद्रा बाजार का तीसरा कार्य विदेशी मुद्रा जोखिमों को हेज करना है । विदेशी मुद्रा के पक्षकार अक्सर विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव से डरते हैं, अर्थात, एक मुद्रा की कीमत दूसरे के संदर्भ में। विनिमय दर में परिवर्तन से संबंधित पक्ष को लाभ या हानि हो सकती है।
इस प्रकार, इस कारण से फॉरेक्स वायदा अनुबंधों के बदले प्रत्याशित या वास्तविक दावों/देयताओं की हेजिंग के लिए सेवाएं प्रदान करता है । एक वायदा अनुबंध आमतौर पर भविष्य में एक निश्चित तिथि पर किसी अन्य मुद्रा के लिए विदेशी मुद्रा खरीदने या बेचने के लिए तीन महीने का अनुबंध होता है, जिस पर आज सहमति हुई है। इस प्रकार, अनुबंध के समय किसी भी पैसे का आदान-प्रदान नहीं किया जाता है।
विदेशी मुद्रा बाजारों में कई डीलर हैं, उनमें से सबसे महत्वपूर्ण बैंक हैं। विभिन्न देशों में बैंकों की शाखाएँ होती हैं जिनके माध्यम से विदेशी मुद्रा की सुविधा होती है, बैंक की ऐसी सेवा को विनिमय बैंक कहा जाता है ।
विदेशी मुद्रा बाजारों में विभिन्न डीलर हैं, जिनमें बैंक सबसे अधिक प्रभावशाली हैं। विदेशी मुद्रा विनिमय बैंकों द्वारा सुगम किया जाता है, जिनकी विभिन्न देशों में शाखाएँ हैं। विदेशी मुद्रा बाजार एक विश्वव्यापी बाजार है जहां विभिन्न देशों की मुद्राओं का आदान-प्रदान किया जाता है। यह इस अर्थ में विकेंद्रीकृत है कि यह किसी एक प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में नहीं है, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी या सरकार। विदेशी मुद्रा का आदान सरकारें (आमतौर पर अपने केंद्रीय बैंकों के माध्यम से) और वाणिज्यिक बैंक इस बाजार में मुख्य खिलाड़ी हैं। एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में स्थानांतरित करने की क्रिया को विदेशी मुद्रा के रूप में जाना जाता है। विनिमय दर लेन-देन में दो पक्षों द्वारा सहमत दर है, जिसमें काफी उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा जोखिम हो सकता है।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में फिर आई कमी, लेकिन गोल्ड रिजर्व बढ़ा
मुंबईः देश का विदेशी मुद्रा भंडार 21 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 67.8 करोड़ डॉलर घटकर 634.287 अरब डॉलर रह गया। भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 14 जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.229 अरब डॉलर बढ़कर 634.965 अरब डॉलर हो गया था। जबकि तीन सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में यह रिकार्ड 642.453 के उच्च स्तर पर रहा था।
आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार 21 जनवरी को समाप्त समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने की वजह कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट आना है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह में एफसीए 1.155 अरब डॉलर घटकर 569.582 अरब डॉलर रह गया। डॉलर में अभिव्यक्त किए जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट-बढ़ को भी शामिल किया जाता है। इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 56.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.337 अरब डॉलर हो गया। आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास विशेष आहरण अधिकार 6.8 करोड़ डॉलर घटकर 19.152 अरब डॉलर रह गया। अंतररराष्ट्रीय मुद्राकोष में देश का मुद्रा भंडार भी 2.2 करोड़ डॉलर घटकर 5.216 अरब डॉलर रह गया।
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कार्यक्रम
प्रबंधन विकास कार्यक्रम (एमडीपी) संस्थान का एक प्रमुख कार्यकलाप है । वर्ष 1963 में इसकी स्थापना से परिकल्पना की गई थी कि आईआईएफटी अन्तरराष्ट्रीय व्यवसाय में कार्यपालक विकास कार्यक्रम के लिए एक उत्कृष्टत केन्द्र बनना चाहिए । आज इसके 50 वर्ष पूरे होने के बाद यह एक ज्ञान स्रोत प्रभाग के रूप में उभरा है जो भारत और विदेश दोनों स्थानों पर कॉरपोरेट, सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्रों से सभी स्तरों पर प्रबंधकों और कार्यपालकों की जरूरतें पूरी कर रहा है ।
एमडीपी का उद्देश्य, प्रतिभागियों को अनुभवी विदेशी मुद्रा का आदान संकाय और साथी प्रतिभागियों की नई अन्तरदृष्टि के साथ अन्योन्यक्रिया करने और विचारों के आदान-प्रदान का एक उत्तम अवसर प्रदान कराना है और अवधारणाओं को विदेशी मुद्रा का आदान बेहतर निर्णय निर्माण में बदलने में मदद करना है । यह व्यवसाय कार्यपालकों के लिए ज्ञान के नए क्षेत्रों का पता लगाने, अपनी दक्षताओं में निपुणता लाने में भी सुविधाएं प्रदान करता है तथा उनके संगठनों को नई ऊँचाइयां प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता है ।
हमारे खुले कार्यक्रमों के प्रतिभागियों में कॉरपोरेट क्षेत्र, व्यापार सुविधाकरण एजेन्सियों, सरकार के मंत्रालयों और विभागों से कार्यपालकों , निर्यात संवर्धन संगठन और उद्यमी सम्मिलित हैं ।
मुख्य केन्द्रित क्षेत्र
वित्त प्रबंधन
अंतरराष्ट्रीय भुगतान पद्धति, साख पत्र एवं यूसीपी 600
विदेशी मुद्रा ऋण तथा मुद्रा जोखिम प्रबंधन रणनीति
अंतरराष्ट्रीय वस्तु व्यापार तथा जोखिम प्रबंधन
आईएफआरएस का प्रभाव
विदेशी मुद्रा एवं जोखिम प्रबंधन
परियोजना मूल्यांकन और प्रबंधन
डब्लूटीओ तथा व्यापार नीति व परिचालन
डब्लूटीओ व नया व्यापार क्षेत्र
क्षेत्रीय व्यापार समझौता
एसर्इजेड प्रबंधन
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डब्लूटीओ का प्रयोजन
निर्यात- आयात नीति प्रक्रिया एवं प्रलेखन
अंतरराष्ट्रीय लॉजिस्ट्क्सि
अंतरराष्ट्रीय विपणन
अंतरराष्ट्रीय विपणन में समकालीन मुद्दे
अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय में सफल रणनीति
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ब्रांड प्रबंधन तथा रणनीति
प्रौद्योगिकी में अंतरराष्ट्रीय व्यापार
ई-गवर्नेंस
ई-बिजनेस
मात्रात्मक तथा गुणात्मक डेटा विश्लेषण
सॉफ्ट कौशल
पार सांस्कृतिक संप्रेषण एवं व्यापार शिष्टाचार
मनोमितीय परीक्षण और व्यापार में इसका अनुप्रयोग
प्रतिभा प्रबंधन
कॉर्पोरेट स्थिरता एवं दायित्व
अंतरराष्ट्रीय व्यापार रणनीति और वार्ता कौशल
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
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