सही रणनीति के तहत निवेश कर अच्छा खासा रिटर्न जनरेट किया जा सकता है.

क्या मुझे ETF में निवेश करना चाहिए?

ETF शेयर बाजार का अनुभव पाने के लिए सबसे कम लागत का ज़रिया है। वे लिक्विडिटी और रियल टाइम सेटलमेंट देते हैं क्योंकि वे एक्सचेंज पर लिस्टेड( सूचीबद्ध) हैं और उनमें शेयरों की तरह कारोबार होता है। ETFs कम जोखिम वाले विकल्प हैं क्योंकि वे आपके कुछ पसंदीदा शेयरों में निवेश करने के बजाय स्टॉक इंडेक्स का अनुकरण करते हैं और उनमें डाइवर्सिफिकेशन होता है।

ETFs ट्रेड करने के आपके पसंदीदा तरीके में फ्लेक्सिबिलिटी देते हैं जैसे कीमत घटने पर बेचना या मार्जिन पर खरीदना। कमोडिटीज़ और अंतर्राष्ट्रीय सिक्युरिटीज़ में निवेश जैसे कई विकल्प ईटीएफ में भी उपलब्ध हैं। आप अपनी पोज़ि‍शनकी हेजिंग(बचाने ) के लिए ऑपशन्स और फ़्यूचर्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर नहीं मिलता है।

हालाँकि, ETFs हर निवेशक के लिए सही नहीं होते हैं। नए निवेशकों के लिए इंडेक्स फंड्स बेहतर विकल्प हैं जो कम रिस्क वाले ऑप्शन को चुनकर लंबी-अवधि के लिए इक्विटी में निवेश करने का फायदा उठाना चाहते हैं। ETFs उन लोगों के लिए भी सही हैं जिनके पास एकमुश्त(लमसम) नगद पैसा है लेकिन अभी निवेशकों को क्या जानना चाहिए? तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि नकदी का निवेश कैसे किया जाए। वे कुछ समय के लिए ETF में निवेश कर सकते हैं और तब तक कुछ रिटर्न कमा सकते हैं जब तक कि नकदी सही जगह पर इस्तेमाल ना हो जाए। सही ETF का चुनने के लिए ज़्यादातर रिटेल निवेशकों के मुकाबले, वित्तीय बाज़ार की अच्छी समझ होना ज़्यादा ज़रूरी होता है। इसलिए, आपके ETF निवेश को संभालने के लिए निवेश में थोड़ी व्यावहारिक कुशलता की भी ज़रूरत होती है।

उद्यम कर्ता, क्या आप जानते हैं कि शिक्षा निवेशकों की नज़र क्या पकड़ती है?

Shahram Warsi

शिक्षा उद्योग निवेश के लिए सबसे अधिक मांग किए जाने वाले क्षेत्रों में से एक के रूप में उभर रहा है। 1.4 मिलियन से अधिक स्कूलों और 36,000 से अधिक उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ, इस उद्योग के पास उद्यम कर्ता को देने के लिए बहुत कुछ है।

प्रत्येक निवेशक की एक अलग मानसिकता होती है, जो शिक्षा फ्रेंचाइज़र के लिए चीजों को थोड़ा सा जटिल बनाती है। कुछ लोग तथ्यों पर अपने फैसले का आधार रखते हैं जबकि कुछ उद्योग को सही दिशा देने वाले रुझानों के आधार पर अपने विचारों को रेखांकित करते हैं।

कुछ जोखिम लेने के तैयार होते है, जबकि अन्य सुरक्षित रास्ता पसंद करते हैं। लेकिन कुछ चीजें हैं जो प्रत्येक निवेशक में समान है।

यहां हम वास्तव में निवेशक क्या सोचते है, के उपर एक नज़र डालेंगे:

मेल (मैच)

एक उद्यमी के रूप में, आपको उनके परिप्रेक्ष्य से देखना चाहिए कि क्या आपका व्यवसाय या आईडिया निवेश के लायक है।

आपको अपने निवेशक के साथ-साथ खुद को भी यकीन दिलाना चाहिए कि व्यवसाय में निश्चित समय अवधि में निवेश के अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना है।

निवेशक भी वही चीज़ ढूंढ रहे हैं जहां वे अपना पैसा निवेश कर सकते हैं और व्यापार को प्रारंभिक बढ़ावा दे सकते है।

निवेशकों के पिछले निवेशों पर ध्यान निवेशकों को क्या जानना चाहिए? देने से आपको यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि इसमें निवेश करने के लिए आपका व्यावसायिक आईडिया निवेशकों के मानदंडों से मेल खाता है या नहीं।

उद्देश्यपूर्ण विचार

उद्देश्यपूर्ण और दिलचस्प आईडिया निवेशकों को आकर्षित करते हैं। एज्युकेटर्स ऐसी नई संकल्पना के साथ आ सकते है जो निवेशक को तुरंत पसंद आए, जिससे आपके शिक्षा व्यवसाय के लिए निवेश प्राप्त हो सकता है।

निवेशक अपने पैसे लगाने में फ़्रैंचाइज़र की विचारधारा और आईडिया पर उसके आत्मविश्वास को लेकर बहुत चुनिंदा होते है। एक स्मार्ट निवेशक किसी संभावित व्यावसायिक आईडिया को कभी भी नज़रअंदाज नहीं करेगा यदि वह उसमें आपके अटल आत्मविश्वास को देखता निवेशकों को क्या जानना चाहिए? है।

बाज़ार का कद

निवेशक ऐसे व्यवसायों की तलाश करते हैं जो उनके कौशल और लक्ष्यों से मेल खाते है। बाज़ार का कद निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे यह जानना चाहते हैं कि आपका ब्रांड कितना बड़ा है, यह मौजूदा बाज़ार में कैसे हलचल पैदा करेगा।

एक अनूठा कॉन्सेप्ट हलचल तो पैदा कर सकता है लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इसका प्रभाव कितने लंबे समय तक रहता है। निवेशकों को क्या जानना चाहिए? बाज़ार स्पष्ट विचारों से भरा पड़ा है लेकिन आपका आईडिया लंबे समय तक अपने सिद्धांतों पर बने रहकर, प्रतिरोध का सामना करने और मौजूदा समस्याओं को चुनौती देने में सक्षम होना चाहिए, केवल तभी एक निवेशक अपने पैसे इसमें निवेश करने के लिए आश्वस्त होगा।

Stock Market Investment: बाजार में आ चुकी है बड़ी गिरावट, क्या निवेशकों के लिए ‘लालची’ बन जाने का है मौका

Stock Market: बाजार में आई बड़ी गिरावट के बीच क्या निवेशकों के लिए यह निवेश का सही मौका है? यहां हमने बताया है कि ऐसे समय में निवेशकों की सही स्ट्रेटेजी क्या होनी चाहिए.

Stock Market Investment: बाजार में आ चुकी है बड़ी गिरावट, क्या निवेशकों के लिए ‘लालची’ बन जाने का है मौका

सही रणनीति के तहत निवेश कर अच्छा खासा रिटर्न जनरेट किया जा सकता है.

Stock Market Investment: बाजार में लगातार गिरावट का दौर जारी है. बाजार किस ओर जाएगा इसका सटीक अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. हालांकि, सही रणनीति के तहत निवेश कर बाजार से अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है. निवेशकों को बाजार में गिरावट के समय घबराकर किसी भी तरह के फैसले लेने से बचना चाहिए. महामारी के चलते लोगों में बचत करने की आदत बढ़ी है. लोगों ने अपने खर्चों में कटौती की, जिसके चलते कच्चे माल और वस्तुओं की आपूर्ति गिर गई व सप्लाई चेन प्रभावित हुआ. इससे कीमतों में उछाल आया और महंगाई बढ़ गई. साथ ही, रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. कोरोना महामारी समेत कई अन्य कारणों के चलते भी निवेशकों में डर लगातार बढ़ रहा है.

बाजार में आई इस बड़ी गिरावट के बीच क्या निवेशकों के लिए यह निवेश का सही मौका है? आइए जानते हैं कि ऐसे समय में निवेशकों को क्या करना चाहिए और उनकी सही स्ट्रेटेजी क्या होनी चाहिए.

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इतिहास से ले सकते हैं सीख

हार्टफोर्ड फंड्स के अनुसार, 1928 के बाद से 26 बियर मार्केट रहे हैं. वहीं, बुल मार्केट 27 रहा है. बियर मार्केट में स्टॉक औसतन 36% गिर जाता है, लेकिन बुल मार्केट के दौरान यह औसतन 114% चढ़ता है. हर बियर मार्केट के बाद एक बुल मार्केट होता है. एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि बियर मार्केट औसतन 289 दिनों तक चलते हैं, जबकि बुल मार्केट 991 दिनों से ऊपर चल सकते हैं.

निवेशकों को मंदी का डर है. लेकिन इतिहास यह भी बताता है कि हर बियर मार्केट के चलते मंदी नहीं आई. यह इकनॉमिक स्लोडाउन भी हो सकता है. 1929 के बाद से दुनिया में 26 बियर मार्केट और केवल 15 बार मंदी आई है. इस तरह, इतिहास से पता चलता है कि बियर मार्केट टेंपररी है. बुल मार्केट की तुलना में एक बियर मार्केट अल्पकालिक होता है. और हर बियर बाजार के बाद शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल आता है.

बियर मार्केट के दौरान क्या हो निवेश की स्ट्रेटेजी

सबसे अहम बात यह है कि शांत रहें और घबराएं नहीं. कहीं भी निवेश करने के बजाए सही स्ट्रेटेजी अपनाएं. लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करें न कि शॉर्ट टर्म के लिए. विश्लेषण के आधार पर निर्णय लें न कि भावनाओं के आधार पर. और हां, एक्सपर्ट की मदद जरूर लें.

लंबी अवधि के लिए निवेश करें

वारेन बफेट कहते हैं, “जब दूसरे लालची हों तो डर जाएं और जब दूसरे भयभीत हों तो लालची बनें.” ज्यादातर निवेशक ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं जो सुरक्षित लग सकते हैं. लेकिन यह शॉर्ट टर्म मानसिकता उनके पोर्टफोलियो को कमजोर करती है, और जब बाजार में वापसी होती है तो वे बड़े फायदे से चूक जाते हैं. कई बड़ी कंपनियां हैं जिनके शेयर की कीमतें बाजार में डर के कारण गिरती हैं, भले ही उनका लॉन्ग टर्म में प्रदर्शन कुछ भी हो. अगर आप जानते हैं कि उन कंपनियों को कैसे चुनना है, जिनमें उछाल की संभावना है तो आप उनके शेयर कम कीमतों पर खरीद सकते हैं. और बाद में अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.

अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाएं

बियर मार्केट हो या न हो, अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाना और शेयरों का मिश्रण रखना हमेशा एक बेहतरीन रणनीति होती है. हर कंपनी के शेयर की कीमतें समान मात्रा में नहीं गिरती हैं. अगर आपके पास नुकसान वाली कंपनियों की तुलना में मुनाफे वाली कंपनियां अधिक हैं तो आप हमेशा फायदे में रहेंगे. यही कारण है कि आपको पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन के लिए एक्सपर्ट्स की मदद लेनी चाहिए. ऐसी कंपनियां हैं जिनके शेयर की कीमतें काफी ज्यादा हैं लेकिन वे कर्ज में डूबी हुई हैं और उनका प्रदर्शन भी अच्छा नहीं है. ऐसी कंपनियों को अपने पोर्टफोलियो से हटा दें.

ऐसी कंपनियों में निवेश करें जिनका फंडामेंटल मजबूत हो. इसके साथ ही, हेल्दी बैलेंस शीट और लंबे समय तक प्रदर्शन करने वाली हों. एक इंडेक्स फंड और ईटीएफ आपको एक स्टॉक में निवेश करने के बजाय कई कंपनियों में अपने फंड में विविधता लाने की अनुमति देता है.

एसेट एलोकेशन पर दें ध्यान

अपने गोल्स, इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव और रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर अलग-अलग इन्वेस्टमेंट एसेट्स निवेशकों को क्या जानना चाहिए? का एक पोर्टफोलियो रखें. सही रणनीति यह है कि आपके पोर्टफोलियो का एक हिस्सा बाजार की स्थिति के आधार पर आगे और पीछे निवेश किया जाए.

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में कर सकते हैं निवेश

SIP के ज़रिए आप नियमित रूप से एक निश्चित राशि का निवेश कर सकते हैं. आप एक म्यूचुअल फंड स्कीम में एक निश्चित राशि का निवेश करते हैं. म्यूचुअल फंड बाजार के साधन हैं जो स्टॉक, बॉन्ड, कमोडिटी आदि में फंड निवेश करते हैं. एकमुश्त निवेश करने के बजाय, आप अलग अलग जगह समान रूप से निवेश कर सकते हैं. यह बाजार में उतार-चढ़ाव के जोखिम को और कम करता है.

आखिर क्यों गिर रहे हैं भारतीय शेयर बाजार? हर निवेशक को जानने चाहिए ये कारण

ग्लोबल संकट की वजह से न केवल भारत बल्कि दूसरे देशों के बाजारों में भी भारी बिकवाली हो रही है.

ग्लोबल संकट की वजह से न केवल भारत बल्कि दूसरे देशों के बाजारों में भी भारी बिकवाली हो रही है.

ग्लोबल संकट की वजह से न केवल भारत बल्कि दूसरे देशों के बाजारों में भी भारी बिकवाली हो रही है. इसके पीछे कई फैक्टर काम क . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 12, 2022, 15:54 IST

नई दिल्ली. आप सोच रहे होंगे कि भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ महीनों से क्यों गिर रहे हैं? सेंसेक्स 2022 में ही 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दिखा चुका है. इसी तरह निफ्टी में भी लगभग इसी समय के दौरान इतनी ही गिरावट आई है. आज, 12 मई, गुरुवार को भी निफ्टी और सेंसेक्स गैपडाउन खुले और फिर और गिर गए. खबर लिखे जाने तक (2:35 बजे तक) सेंसेक्स 1280 और निफ्टी 418 अंकों की गिरावट के साथ ट्रेड कर रहे थे. दरअसल, यह गिरावट केवल भारत के शेयर बाजार में ही नहीं है, दुनियाभर के बाजारों में इसी तरह का संकट है.

चूंकि ये संकट दुनियाभर के तमाम बाजारों में है तो इसके लिए किसी एक देश के हालातों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. इसे ग्लोबल संकट कहा जाए तो गलत नहीं. और इसमें कोई एक फैक्टर काम नहीं कर रहा है, बल्कि कई अलग-अलग फैक्टर हैं. तो इस खबर में आपको उन तमाम फैक्टर्स के बारे में बताएंगे, जो फिलहाल बाजार को सिर उठाने नहीं दे रहे.

रूस-यूक्रेन का संकट
इसी साल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था. यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता था, जोकि रूस को नागवार गुजरा. नाटो ने यूक्रेन को पीछे से सपोर्ट किया, लेकिन खुलकर यूक्रेन की तरफ से मैदान में नहीं उतरा. माना जा रहा था कि 10-15 दिनों में मामला शांत हो जाएगा. लेकिन एक महीना बीता, फिर दो और लगभग 3 महीने पूरे होने को हैं, मगर अभी तक कोई हल नहीं निकला है.

इस संकट के चलते दुनियाभर में महंगाई बढ़ने लगी. क्रूड ऑयल के दाम आसमान छूने लगे. गेहूं के बड़े उत्पादकों में शामिल यूक्रेन इस बार दूसरे देशों को गेहूं नहीं दे पाएगा. ऐसे में महंगाई लगातार बढ़ रही है. महंगाई के चलते दुनियाभर की सरकारें इकोनॉमी के लेकर कड़े फैसले लेने को मजबूर हैं, जो सीधा-सीधा बाजारों को प्रभावित कर रहे हैं. रूस-यूक्रेन संकट अगर और लंबा खिंचा तो बाजार में और गिरावट की भी संभावना है.

अमेरिका की महंगाई दर
जैसा कि आप जानते ही हैं कि भारतीय बाजार अमेरिका शेयर बाजार को काफी फॉलो करते हैं. लेकिन नैस्डैक 30 मार्च 2022 में ही 20 फीसदी से अधिक गिर चुका निवेशकों को क्या जानना चाहिए? है. ऐसे में भारतीय बाजारों में भी नकारात्मकता बनी हुई है. दरअसल, अमेरिकी बाजारों के गिरने की मुख्य वजह वहां की महंगाई दर है, जोकि अपने 40 सालों के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है.

ऐसे में अमेरिकी फेडरल रिजर्व के पास ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प बचा नहीं था. फेड दो बार आधा-आधा फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है. अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से भारत सहित उभरते बाजारों में बड़े निवेशकों की दिलचस्पी कम हुई है. विदेशी फंडों को लगातार बाजारों के लिए खींचा जा रहा है.

मनीकंट्रोल की एक खबर के मुताबिक, फॉरेन इनवेस्टर्स पिछले साल से ही भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. अब उन्होंने बिकवाली और बढ़ा दी है. इस साल अब तक फॉरेन फंडों ने इंडियन मार्केट्स में 1,44,565 करोड़ रुपये की बिकवाली की है. सिर्फ मई महीने में वे 17,403 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं. हालांकि म्यूचुअल फंड्स जैसे घरेलू बड़े निवेशकों ने खरीदारी कर बाजार को संभालने की कोशिश की है.

अब आगे क्या?
रूस-यूक्रेन के संकट का समाधान शायद जल्द नहीं होने वाला. लेकिन अमेरिका में महंगाई में मामूली गिरावट जरूर आई है. लेकिन एक्सपर्ट्स इसे अभी बहुत पॉजिटिव नहीं मानते. मार्च में अमेरिका में महंगाई की दर 8.5 फीसदी थी. बुधवार को अमेरिका में अप्रैल की महंगाई दर का आंकड़ा 8.3 फीसदी आया है, जोकि अनुमान (8.1 फीसदी) से अधिक है. ऐसे में समझा जा रहा है कि आने वाले समय में फेडरल रिजर्व आक्रामक रूप से इंटरेस्ट रेट बढ़ा सकता है.

यही वजह रही कि बुधवार को अमेरिकी बाजारों में एक बार फिर बड़ी गिरावट आई. इसका असर इंडिया सहित दूसरे मार्केट्स पर पड़ा है. उधर, डॉलर दो दशक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है. इसकी वजह भी अमेरिका में इंटरेस्ट रेट बढ़ना है. डॉलर में मजबूती का असर भी भारत सहित उभरते बाजारों पर पड़ रहा है. दुनिया की प्रमुख 6 करेंसियों के बास्केट के मुकाबले डॉलर इंडेक्स बढ़कर 103 के पार निकल गया है. यह भारत सहित तमाम उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए ठीक नहीं है.

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पर्सनल फाइनेंस: आप शेयर बाजार में रिटेल और नए निवेशक हैं तो आपको यस बैंक जैसे स्टॉक को जरूर समझना चाहिए, जानिए आपका पैसा कैसे खत्म हुआ

यस बैंक के हाल में आए एफपीओ में भी निवेशकों की दिलचस्पी नहीं रही। यह एफपीओ महज 95प्रतिशत ही भर पाया था - Dainik Bhaskar

आप अगर बाजार में रिटेल निवेशक हैं। आपने हाल में या पहले से भी निवेश किया है तो आपको यस बैंक जैसे शेयरों को जरूर जानना चाहिए। एक ऐसा बैंक जो देश में निजी क्षेत्र में चौथा बड़ा बैंक था। कभी 400 रुपए इसका शेयर हुआ करता था। लेकिन महज एक दो साल में इस शेयर ने निवेशकों की सारी कमाई गंवा दी। बीच-बीच में मौका मिला तो निवेशकों की लालच बढ़ी और इसी लालच में जो भी मिला वो भी गंवा दिए।

किसी शेयर में कैसे नफा और नुकसान का आंकलन करें?

शेयर बाजार में विश्लेषकों की एक बहुत प्रसिद्ध राय है। राय यह कि आप उन कंपनियों में निवेश करें जिनका मैनेजमेंट, बैलेंसशीट और गवर्नेंस अच्छा हो। साथ ही आप लालच मत करें। यानी आपको एक औसत रिटर्न मिला तो आपको निकल जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आप जितना ज्यादा रिटर्न की निवेशकों को क्या जानना चाहिए? उम्मीद करेंगे, उतना ही उसमें जोखिम भी होगा। लेकिन देखा ऐसा जाता है कि ज्यादातर निवेशक लालच में फंस जाते हैं। आज अगर कोई शेयर 10 रुपए पर है तो वे उसे 12 रुपए पर देखते हैं।

साथ ही वे निवेश तब करते हैं जब शेयर काफी महंगे स्तर पर पहुंच जाते हैं। या फिर रातों रात दोगुना की लालच में सस्ते 5-10 रुपए वाले शेयरों पर दांव लगाते हैं। जैसा कि हाल में देखा गया है। नए और रिटेल निवेशकों ने इन्हीं स्टॉक पर दांव लगाए हैं।

यस बैंक का शेयर कैसा रहा?

यह शेयर एक महीने पहले 28 रुपए पर था और आज 11.10 रुपए पर है। इसने पिछले हफ्ते एफपीओ के जरिए करीबन 13,000 करोड़ रुपए जुटाए। एफपीओ का मूल्य 12 से 13 रुपए था। अब यह शेयर उससे नीचे है। यानी जिन लोगों ने एफपीओ में खरीदा, वो भी नुकसान में हैं। जिन्होंने उससे पहले जब भी खरीदा होगा वो भी नुकसान में हैं। तो फायदा किसे हुआ? यह भी जानिए।

यस बैंक के एफपीओ में फायदा किसने कमाया

सबसे ज्यादा फायदा एसबीआई ने कमाया है। यह इसलिए क्योंकि जब यस बैंक का शेयर मार्च में टूटकर 5.55 रुपए के निचले स्तर पर पहुंचा तो एसबीआई के कंसोर्टियम में कई बैंकों ने इसमें पैसे लगाए। एसबीआई को सबसे ज्यादा 48 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी मिली। साथ में एक्सिस, आईसीआईसीआई और अन्य बैंक भी थे। एफपीओ में एसबीआई ने अपनी होल्डिंग घटाकर 30 प्रतिशत कर दी। इसने मार्च में 10 रुपए प्रति शेयर पर 7,250 करोड़ रुपए लगाया था।

अब चार महीने बाद एसबीआई ने एफपीओ में 18 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी 13 रुपए में बेच दी। यानी उसे चार महीने में 20-25 प्रतिशत का रिटर्न मिल गया। हालांकि इसके साथ ही अन्य बैंकों ने भी हिस्सेदारी बेची है।

यस बैंक में नुकसान किसे हुआ?

यस बैंक में मुख्य रूप से नुकसान रिटेल निवेशकों को हुआ है। बहुत सारे निवेशकों ने उस समय इसमें पैसे लगाए जब यह शेयर 400 रुपए या 300 रुपए तक था। वहां से जब शेयर टूटना शुरू हुआ तो काफी निवेशकों ने यह सोचकर निवेश किया कि अब आधा कीमत पर मिल रहा है और रिटर्न मिलेगा। इस तरह से निवेशक लगातार इसमें निवेश करते गए। यहां तक कि 30 रुपए,50 रुपए, 80 रुपए पर भी खरीदी होती गई। लेकिन बात तब पलटी, जब एसबीआई ने इसमें हिस्सेदारी खरीदी। यहां पर 5 रुपए का शेयर एक बार फिर 89 रुपए तक 10 दिन में पहुंचा। यहीं पर निवेशक फिर फंसे।

निवेशकों को लगा कि अब यह शेयर फिर से 200 जाएगा। लेकिन जिन लोगों ने शेयर को 5 से 89 तक पहुंचाया, वे तुरंत बेचकर निकल गए। शेयर फिर से आज उसी स्तर पर आ गया है।

शेयर में इतना उतार-चढ़ाव क्यों होते गया

यस बैंक को शुरू से ही पैसे की जरूरत थी ताकि वह आरबीआई के नियमों के मुताबिक काम कर सके। जब इसकी पैसे की जरूरत अब एफपीओ के जरिए पूरी हो गई तो फिर शेयर क्यों टूट रहा है? विश्लेषकों के मुताबिक इसमें सेबी को जांच करना चाहिए कि यह 5 रुपए का शेयर किस आधार पर 89 रुपए पर गया और फिर किस आधार पर 11 रुपए पर आ गया है। अगर एसबीआई के नाम पर यह 89 तक गया तो एसबीआई अब भी इसमें है। पर शेयर क्यों टूट रहा है?

सेबी का क्या नजरिया है

वैसे खबर है कि सेबी एफपीओ में कुछ ब्रोकरों की जांच कर रही है। कारण कि एफपीओ खुलने से पहले ही इसमें काफी शेयर बेचे गए थे। एक महीने पहले यह 28 रुपए पर शेयर था। 10 दिन पहले यह 18 रुपए पर था। आखिर क्यों यह शेयर एफपीओ के बाद भी टूटकर 11 रुपए पर आ गया।

सात कारोबारी दिन से लगातार टूट रहा है शेयर

यस बैंक के शेयरों में लगातार सातवें कारोबारी सत्र में गिरावट आई है। यस बैंक का शेयर गिरकर एफपीओ प्राइस से नीचे आ गया है। इसमें हर दिन लोअर सर्किट लग रहा है। इस साल अब तक यस बैंक के शेयर 76 फीसदी गिर चुके हैं। एफपीओ का फ्लोर प्राइस जारी होने के बाद यस बैंक के शेयर 56 फीसदी गिर चुके हैं।

जून तिमाही में महज 45 करोड़ का लाभ हुआ

बैंक को जून तिमाही में महज 45 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है। एक साल पहले समान तिमाही में हुए 114 करोड़ रुपए के लाभ की तुलना में यह 60 प्रतिशत कम है। बैंक का ग्रॉस एनपीए इसी दौरान 16.8 से बढ़कर 17.3 प्रतिशत हो गया है। शुद्ध एनपीए 5.03 से घटकर 4.96 प्रतिशत रहा है। इनमें सॉल्वेंसू, कैपिटल एडेक्वेसी रेशियो और रेगुलेटरी जरूरतें भी शामिल हैं। इससे पहले गुरुवार को भी यस बैंक के शेयरों में 20 फीसदी का लोअर सर्किट लगा।

यस बैंक के एफपीओ के लिए जिन संस्थागत निवेशकों (क्यूआईबी) ने बोली लगाई थी उनमें एसबीआई, एलआईसी, आईआईएफएल, एचडीएफसी लाइफ, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, यूनियन बैंक, बजाज होल्डिंग्स, एवेंडस वेल्थ मैनेजमेंट, इफ्फको टोकियो जनरल इंश्योरेंस आदि हैं।

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