Top Stocks for Portfolio: निवेश के लिए 13 लार्जकैप और 9 मिडकैप शेयरों की लिस्‍ट, पोर्टफोलियो को बना देंगे दमदार

Demat vs Trading Account में क्या अंतर होता है? दोनों के क्या इस्तेमाल हैं?एक प्रीमियम ट्रेडिंग खाता क्या है?

नई दिल्ली। शेयर बाजार में निवेश करने वालों ने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में बहुत सुनते हैं, पर अधिकांश लोगों को इन दोनों खातों के बीच का अंतर नहीं पता होता है। आइए आसान भाषा में जानते हैं डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच क्या-क्या अंतर होता है?

शेयर मार्केट में निवेश के लिए डीमैट अकाउंट दोनों का होना जरूरी
बता दें कि इक्विटी मार्केट में निवेश के लिए किसी भी व्यक्ति के पास डीमैट अकाउंट का होना सबसे पहली शर्त है। डीमैट अकाउंट के साथ एक और खाता अटैच होता है जिसे ट्रेडिंग अकाउंट कहते हैं। जरूरत के आधार पर दोनों निवेशक दोनों का अलग-अलग इस्तेमाल करते हैं। डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों अलग-अलग तरह के खाते होते हैं। डीमैट अकाउंट वह अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या इक्विटी शेयर रख सकते हैं। वहीं दूसरी ओर ट्रेडिंग अकाउंट वह खाता होता है जिसका इस्तेमाल करतेह हुए आप इक्विटी शेयरों में लेनदेन करते हैं।

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क्या होता है एक प्रीमियम ट्रेडिंग खाता क्या है? ट्रेडिंग अकाउंट?
इक्विटी शेयरों को खाते में सहेजकर रखने की बजाय अगर आप इनकी ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है। अगर आप शेयर बाजार में लिस्टेड किसी कंपनी के शेयरों की खरीद-बिक्री करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है।

डीमैट और ट्रेडिंग में अकाउंट क्या फर्क है?
जहां डीमैट अकाउंट आपके शेयर या को डिमैटिरियलाइज्ड तरीके से सुरक्षित रखने वाला खाता होता है, वहीं दूसरी ओर, ट्रेडिंग अकाउंट आपके बैंक खाते और डीमैट खाते के बीच की कड़ी होती है। डीमैट अकाउंट में शेयरों को सुरक्षित रखा जाता है। इसमें कोई लेन-देन नहीं किया जाता है। ट्रेडिंग अकाउंट शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए इस्तेमाल होता है। डीमैट अकाउंट पर निवेशकों को सालाना कुछ चार्ज देना होता है। पर ट्रेडिंग अकाउंट आमतौर पर फ्री होता है, हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि सेवा प्रदाता कंपनी आपसे चार्ज वसूलेगी या नहीं।

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शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए तीन अकाउंट जरूरी होते हैं.

शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए तीन अकाउंट जरूरी होते हैं.

शेयर मार्केट में आप अपने पैसे निवेश कर मोटी रकम कमा सकते हैं. हालांकि, शेयर मार्केट में निवेश के लिए तीन अकाउंट डीमैट, . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 25, 2022, 12:31 IST

नई दिल्ली . शेयर मार्केट एक ऐसी जगह है, जहां आप अपने पैसे निवेश कर मोटी रकम कमा सकते हैं. इस मार्केट में अलग-अलग कंपनियों के शेयर होते हैं. हालांकि, नए निवेशकों को शुरुआती दौर में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शेयर बाजार में अपनी निवेश यात्रा शुरू करने से पहले, आपके पास तीन अकाउंट होने चाहिए. ये डीमैट अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और बैंक अकाउंट हैं.

डीमैट या डीमैटेरियलाइज्ड अकाउंट (Demat Account) वह अकाउंट है, जहां आप अपने शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्टोर कर सकते हैं. निवेश के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. इसके लिए आपको किसी भी बैंक या शेयर ब्रोकरेज कंपनियों से संपर्क कर सकते हैं. वर्षों पहले शेयरों की फिजिकल ट्रेडिंग होती थी. इसमें शेयर सीधे ट्रांसफर होते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब इनकी खरीद-बिक्री किसी बैंक या वित्तीय संस्थान के डीमैट खाते के जरिए होती है. आप खुद या आपके बदले कोई शेयर ब्रोकिंग कंपनी शेयरों की खरीद-बिक्री कर सकती है.

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AGS Transact Technologies IPO: ग्रे मार्केट में प्रीमियम पर ट्रेड हो रहा है शेयर, बुधवार को सब्सक्रिप्शन खुलने से पहले जानें इश्यू प्राइस समेत सभी जरूरी डिटेल्स

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एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नोलॉजीज़ का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए बुधवार 19 जनवरी को खुलेगा. इस आईपीओ के साथ ही देश के प्राइमरी मार्केट में करीब एक महीने का सूखा खत्म होगा.

AGS Transact Technologies IPO: एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नोलॉजीज़ का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए बुधवार 19 जनवरी को खुलेगा. इस आईपीओ के साथ ही देश के प्राइमरी मार्केट में करीब एक महीने का सूखा खत्म होगा. इस आईपीओ के तहत 680 करोड़ रुपये के शेयर जारी किए जाएंगे. यह सभी शेयर ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत जारी होंगे, जिसके जरिए कंपनी के प्रमोटर रवि बी गोयल समेत मौजूदा शेयरहोल्डर अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे.

इन तारीखों में खुला रहेगा IPO

एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नोलॉजीज़ (AGS Transact Technologies) का IPO सब्सक्रिप्शन के लिए बुधवार यानी 19 जनवरी से लेकर 21 जनवरी 2022 तक खुला रहेगा. कंपनी ने अपने शेयर 166 से 175 रुपये प्रति शेयर के फिक्स्ड प्राइस बैंड में जारी करने का एलान किया है. एक लॉट में 85 शेयर जारी किए जाएंगे, लिहाजा आईपीओ में एक निवेशक के लिए कम से कम निवेश 15,045 रुपये का होगा. आईपीओ के तहत कंपनी की योजना 680 करोड़ रुपये जुटाने की है, लेकिन पूरी तरह ऑफर फॉर सेल (OFS) होने के चलते इस रकम का कोई भी हिस्सा कंपनी के खाते में नहीं जाएगा. कंपनी के प्रमोटर इश्यू के जरिए अपनी हिस्सेदारी घटाने जा रहे हैं. इश्यू के बाद कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी करीब 32 फीसदी घट जाएगी, जबकि पब्लिश शेयरहोल्डिंग मौजूदा 1.1 फीसदी से बढ़कर 33.26 फीसदी हो जाएगी.

एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नोलॉजीज की खासियत

एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नोलॉजीज दिसंबर 2002 में इनकॉरपोरेट की गई थी. यह कंपनी फिलहाल देश के सबसे बड़े पेमेंट सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स में शामिल है, जो बैंकों और कॉरपोरेट ग्राहकों को डिजिटल और कैश आधारित सॉल्यूशन मुहैया कराती है. यह कंपनी पेमेंट सॉल्यूशन, बैंकिंग ऑटोमेशन सॉल्यूशन और अन्य ऑटोमेशन सॉल्यूशन मुहैया कराती है. इसके ग्राहकों में रिटेल, पेट्रोलियम और कलर सेक्टर से कस्टमर शामिल हैं. कंपनी ने अपने कारोबार का विस्तार श्रीलंका, सिंगापुर, कंबोडिया, फिलीपीन्स और इंडोनेशिया जैसे अन्य एशियाई देशों में भी किया है.

मार्च 2019 में खत्म वित्त वर्ष में कंपनी ने 1805 करोड़ रुपये की रेवेन्यू हासिल की थी, जो पिछले वित्त वर्ष के दौरान घटकर 1759 करोड़ रुपये रही. कंपनी का नेट प्रॉफिट पिछली तिमाही के दौरान 54.79 करोड़ रुपये रहा है, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान यह 66.19 करोड़ रुपये रहा था.

ऑप्शन ट्रेडिंग के बेसिक्स को अच्छी तरह से समझें

  • ऑप्शन क्या होते है?
  • ऑप्शन कितने तरह के होते है?
  • ऑप्शन कैसे काम करते है?
    बिना ऑप्शन के बेसिक्स को समझे आप ऑप्शन ट्रेडर नहीं बन सकते है क्योंकि ऑप्शन बेसिक्स हमारे नींव की तरह काम करते है. जब आप कोई स्टॉक खरीदते हैं, तो आप केवल यह तय करते हैं कि आपको कितने शेयर चाहिए और आपका ब्रोकर मौजूदा बाजार मूल्य या आपके द्वारा निर्धारित सीमा मूल्य पर ऑर्डर भरता है लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए ज़रूरी होती है सिर्फ एक सही स्ट्रेटेजी की समझे. इसके लिए नीचे आपको समझाया जायेगा कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं.

ऑप्शन खरीददार और ऑप्शन सेलर

  • ऑप्शन खरीददार :- ऑप्शन खरीददार बहुत कम पैसो के साथ ट्रेडिंग शुरुआत कर सकते है क्योंकि ऑप्शन खरीददार को सिर्फ ऑप्शन प्रीमियम देना होता है लेकिन ऑप्शन खरीददार की लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन सैलर के मुकाबले बहुत कम होती है.
  • ऑप्शन सेलर :- ऑप्शन सेलर बनने के लिए आपको अपने अकाउंट में मार्जिन रखना होता है और इसी कारण एक ऑप्शन सेलर को ज़्यादा पैसो की जरुरत होती है. जबसे सेबी ने नया मार्जिन नियम लागू किया है तब से ऑप्शन सेलिंग के लिए मार्जिन की ज़रुरत कई गुना तक बढ़ गई है लेकिन फिर भी एक ऑप्शन सेलर के लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन खरीददार से ज्यादा होती है. आपने जो भी ऑप्शन ट्रेडिग के केपिटल रखा है उस हिसाब से आप देख सकते है कि आप ऑप्शन खरीददार बनना चाहते है या ऑप्शन सेलर
  • कॉल ऑप्शन :- यह एक अनुबंध है जो आपको एक निश्चित समय के अंदर ही एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं.
  • पुट ऑप्शन :- एक पुट ऑप्शन आपको अनुबंध समाप्त होने से पहले एक निश्चित कीमत पर शेयर बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं.
    आप किस दिशा में क्या ऑप्शन खरीदेंगे या बेचेंगे?
    अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी: कॉल ऑप्शन खरीदें या पुट ऑप्शन बेचें.
    अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत स्थिर रहेगी: कॉल ऑप्शन बेचें एक प्रीमियम ट्रेडिंग खाता क्या है? और पुट ऑप्शन भी बेचें.
    अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत नीचे जाएगी: पुट ऑप्शन खरीदें या कॉल ऑप्शन बेचें.

एक्स्चेंज द्वारा तय सही स्ट्राइक प्राइस का चयन करें

ऑप्शन में ट्रेडिंग करते समय हमें बहुत सावधानी के साथ स्ट्राइक प्राइस का चयन करना होता है क्योंकि किसी भी स्टॉक या इंडेक्स की स्ट्राइक प्राइस एक्स्चेंज द्वारा तय की जाती है और एक ऑप्शन ट्रेडर सिर्फ उन्ही स्ट्राइक प्राइस पर ट्रेड कर सकता है जो एक्स्चेंज द्वारा तय की गई है.
उदाहरण के लिए, यदि आप मानते हैं कि किसी कंपनी का शेयर मूल्य वर्तमान में ₹2000 पर ट्रेड कर रहा है, और भविष्य की किसी तारीख तक ₹2050 तक बढ़ जाएगा, आप ₹2050 से कम स्ट्राइक मूल्य के साथ एक कॉल ऑप्शन खरीद सकते है. फिर जैसे-जैसे कंपनी का शेयर मूल्य ₹2050 के नजदीक जाता जाएगा, आपका लाभ बढ़ता जायेगा. इसी तरह अगर कंपनी का शेयर मूल्य उस भविष्य की तारीख तक ₹2000 से जैसे-जैसे कम होगा, आपका मुनफा कम होता चला जायेगा लेकिन ऑप्शन खरीदते हुए आपका अधिकतम नुकसान आपने जो प्रीमियम दिया है सिर्फ वही होगा.

ऑप्शन ट्रेडिंग की समय सीमा निर्धारित करें

  • ऑप्शन में सबसे अहम रोल एक्सपायरी का होता है. ऑप्शन एक्सपायरी एक तिथि होती है जहां पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट एक भविष्य की तारिख पर शून्य हो जाते है. प्रत्येक ऑप्शन की समाप्ति अवधि तक उस भविष्य तारीख के अंतिम दिन तक उस ट्रेड में बने रह सकते है. ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के लिए तीन एक्सपायरी होती है-
  • नियर मंथ (1महीना)
  • मिडिल मंथ (2महीना)
  • फार मंथ (3 महीना)
  • उदाहरण के लिए, अभी निफ्टी 15000 पर ट्रेड कर रहा है और आप निफ्टी में ट्रेड करना चाहते है तो आप साप्ताहिक एक्सपायरी या महीने की एक्सपायरी को लेकर ट्रेड कर सकते है.यदि आपको लगता है निफ्टी इस महीने के अंत तक 15500 तक या उससे ज्यादा तक पहुंच जायेगा, तब 15500 कॉल ऑप्शन महीने की जो एक प्रीमियम ट्रेडिंग खाता क्या है? आखिरी एक्सपायरी है उस पर खरीदते है.

समाप्ति तिथियां साप्ताहिक से लेकर महीनों तक हो सकती हैं. लेकिन साप्ताहिक ऑप्शन सबसे अधिक जोखिम वाले होते हैं और अनुभवी ऑप्शन ट्रेडर्स ज्यादातर इन्ही में ट्रेड करते हैं.

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