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मुद्रा अपस्फीति क्या है?

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मुद्रास्फीति और अपस्फीति के बीच क्या अंतर है? | इन्व्हेस्टॉपिया

मुद्रा स्फीति, मुद्रा के प्रकार, मुद्रा अपस्फीति |Inflation, Types of Money, Deflation| (दिसंबर 2022)

मुद्रास्फीति और अपस्फीति के बीच क्या अंतर है? | इन्व्हेस्टॉपिया

मुद्रास्फ़ीति तब होती है जब माल और सेवाओं की कीमत बढ़ जाती है, जबकि जब इन कीमतों में कमी आती है तो अपस्फीति होती है। दो आर्थिक स्थितियों के बीच संतुलन नाजुक है, और एक अर्थव्यवस्था जल्दी से एक स्थिति से दूसरे को स्विंग कर सकती है

मुद्रास्फ़ीति का कारण होता है जब माल और सेवाओं की भारी मांग होती है, उपलब्धता में गिरावट पैदा होती है उपभोक्ता उन वस्तुओं के लिए और अधिक भुगतान करने को तैयार हैं जो निर्माताओं और सेवा प्रदाताओं को अधिक चार्ज करने के लिए पैदा कर रहे हैं। कई कारणों से आपूर्ति कम हो सकती है: एक प्राकृतिक आपदा एक खाद्य फसल को मिटा सकता है या किसी अन्य स्थिति के साथ एक आवास बूम इमारत की आपूर्ति को समाप्त कर सकता है।

अपस्फीति तब होती है जब बहुत सारे सामान उपलब्ध होते हैं या जब उन सामानों को खरीदने के लिए पर्याप्त धन नहीं होता है। उदाहरण के लिए, यदि एक विशेष प्रकार की कार अत्यधिक लोकप्रिय हो जाती है, तो अन्य निर्माता प्रतिस्पर्धा करने के लिए समान वाहन बनाने लगते हैं। जल्द ही, कार कंपनियां उस वाहन शैली से अधिक की बिक्री कर सकती हैं, जिससे वे कार बेच सकें। कंपनियां जो खुद को बहुत अधिक वस्तु के साथ फंसती हैं, कहीं लागत में कटौती करनी चाहिए, जो अक्सर छंटनी की ओर जाता है बेरोजगार व्यक्तियों को महंगी वस्तुओं को खरीदने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं है, जो प्रवृत्ति जारी है।

जब क्रेडिट प्रदाता कीमतों में कमी का पता लगाते हैं, तो वे कई बार क्रेडिट की मात्रा को कम करते हैं इससे एक क्रेडिट की मुद्रा अपस्फीति क्या है? कमी हो जाती है जहां उपभोक्ता बड़ी-टिकट वाली वस्तुओं की खरीद के लिए ऋणों तक नहीं पहुंच सकते हैं, कंपनियों को अधिक मात्रा में इन्वेंट्री छोड़कर और आगे अपस्फीति के लिए आगे बढ़ सकते हैं। अपस्फीति आर्थिक मंदी या अवसाद का कारण बन सकती है, और केंद्रीय बैंक आम तौर पर जैसे-जैसे शुरू होता है, अपस्फीति को रोकने के लिए काम करते हैं।

मुद्रास्फीति और अपस्फीति का क्या कोई ब्लू-चिप स्टॉक मूल्य पर असर पड़ता है? | इन्वेस्टोपेडिया

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अपस्फीति और निर्बलता के बीच अंतर क्या है? | इन्वेस्टोपैडिया

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मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीति के बीच अंतर क्या है?

मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीति के बीच अंतर क्या है?

मुद्रास्फीति एक अर्थ है जिसका उपयोग अर्थशास्त्रियों द्वारा किया जाता है ताकि कीमतों में व्यापक वृद्धि को परिभाषित किया जा सके। मुद्रास्फ़ीति दर वह दर है जिस पर अर्थव्यवस्था और वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है। मुद्रास्फीति को भी दर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिस पर क्रय शक्ति घटती है। उदाहरण के लिए, अगर मुद्रास्फीति 5% है और आप वर्तमान में किराने का सामान पर प्रति सप्ताह 100 डॉलर खर्च करते हैं, तो अगले वर्ष आपको भोजन के समान राशि के लिए $ 105 खर्च करने होंगे। आर्थिक नीति निर्माताओं जैसे फेडर

मुद्रास्फीति एवं अपस्फीति (Inflation and Deflation)

मुद्रास्फीति एवं अपस्फीति (Inflation and Deflation) किसे कहते हैं, मुद्रास्फीति के लाभ, मुद्रास्फीति के परिणाम, मुद्रास्फीति के कारण, मुद्रास्फीति के प्रकार, मुद्रा संकुचन क्या है, आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। Inflation and Deflation UPSC notes in Hindi.

अर्थव्यवस्था में मांग एवं पूर्ति की तीन स्थितियों में से कोई एक सदा बनी रहती हैं। इन्हीं तीनों दशाओं या स्थितियों के आधार पर अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति और अपस्फीति की स्थिति उत्पन्न होती है। आइये अर्थव्यवस्था की इन तीनों स्थितियों का अध्ययन करें-

  1. मांग = पूर्ति – ये एक आदर्श स्थिति है जिसे किसी भी अर्थव्यवस्था में प्राप्त करना संभव नहीं है।
  2. मांग > पूर्ति – मुद्रास्फीती (Inflation)
  3. मांग < पूर्ति– अपस्फीति या मुद्रा संकुचन (Deflation)

Table of Contents

1. मुद्रास्फीति (Inflation)

जिस समय अर्थव्यवस्था में वस्तु एवं सेवा की तुलना में मुद्रा की मात्रा अधिक होती है उस समय मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा अधिक होने के कारण मांग बढ़ती है (मांग > पूर्ति)। वस्तु एवं सेवा की मात्रा कम होने से उनकी कीमत भी बढ़ जाती है जिससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा तो ज्यादा होती है परन्तु उसका मुल्य कम हो जाता है।

उदाहरण के लिए यदि सामान्य स्थिति में कोई वस्तु 100रू0 में बाजार में उपलब्ध थी, तो मुद्रास्फीति होने पर वही वस्तु 200रू0 की हो जाएगी क्योंकि अब मुद्रा की कीमत (मूल्य) कम हो चुकी है।

मुद्रास्फीति को आसान शब्दों में महँगाई के रूप में भी जाना जाता है।

परिभाषा- जब किसी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की तुलना में मुद्रा की आपूर्ति अधिक हो जाती है तो इस स्थिति को मुद्रा स्फीति कहते हैं।

मुद्रास्फीति का मापन

1. थोक मूल्य सूचकांक (WPI-Wholesale Price Index)

थोक बाजार अर्थात बड़ी मंडियों में मांग एवं पूर्ति के परिवर्तनों को एक निश्चित समय अवधि (सामान्यतः 15 दिवस) तक देखा जाता है। इन्हीं आकड़ों से थोक मूल्य सूचकांक निर्धारित किया जाता है जिससे मुद्रास्फीति की गणना की जाती मुद्रा अपस्फीति क्या है? है। इसमें सूचकांक में पूंजीगत वस्तु रखा जाता है जैसे – स्टील, तेल, पेट्रोल, सीमेंट आदि। भारत इसी सूचकांक के माध्यम से मुद्रास्फीति की गणना करता है।

2. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-Consumer Price Index)

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में उपभोक्ताओं को मिलने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों को एक निश्चित समय अवधि (मुद्रा अपस्फीति क्या है? सामान्यतः 2 माह) तक देखा जाता है। इस सूचकांक में खाद्य सामग्री एवं सेवाएँ जैसे – आटा, कपड़े, मनोरंजन, शिक्षा और स्वास्थ्य आदि रखी जाती हैं। विश्व के कई देश इस सूचकांक के माध्यम से भी मुद्रास्फीति का मापन करते है।

मुद्रास्फीति की स्थितियाँ

मुद्रास्फीति को उसके प्रतिशत के आधार पर निम्न 4 श्रेणियों में बाँटा गया है –

1. घिसटती मुद्रास्फीति – 3% से कम – नियंत्रित स्थिति
2. चलती मुद्रास्फीति – 3-5% तक – नियंत्रित स्थिति
3. दौड़ती मुद्रास्फीति– 5-10% तक – चिंतित स्थिति
4. अति मुद्रास्फीति – 10% से उपर – अर्थव्यवस्था संकट में

वर्ष 1990 के दौरान भारत में मुद्रास्फीति लगभग 16% से अधिक हो गयी थी।

मुद्रा स्फीति के प्रभाव

अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के नकारात्मक एवं कुछ सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते है –

1. मांग ज्यादा का अधिक मुद्रा अपस्फीति क्या है? होना।
2. महंगाई बढ़ना।
3. मुद्रा मूल्य में गिरावट आना।
4. ऋण देने वालों को नुकसान अर्थात बैंकों को नुकसान (क्योंकि मुद्रा का मूल्य कम हो चुका है)।
5. जमाखोरों को फायदा
6.. उत्पादन, रोजगार के अवसर पैदा होंगे क्योंकि अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ी हुयी है।

अर्थशास्त्री फिलिप्स द्वारा दिए गए सिद्धांत के अनुसार महंगाई और बेरोजगारी के बीच एक उल्टा रिश्ता है अर्थात यदि महंगाई बढ़ती है तो बेरोजगारी कम होती है और महंगाई कम होने से बेरोजगारी बढ़ती है। इसी सिद्धान्त को उन्होंने एक वक्र के माध्यम से बताया है जिसे फिलिप्स वक्र के नाम से भी जाना जाता है।

फिलिप्स वक्र (Philips curve)- किसी भी अर्थव्यवस्था में फिलिप्स वक्र द्वारा बेरोजगारी दर व मुद्रास्फीति के वक्रानुपाति संबंधों को दर्शाया जाता है।

फिलिप्स वक्र (Philips curve)

2. मुद्रा संकुचन या मुद्रा अपस्फीति (Deflation)

जब अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा में कमी एवं वस्तु और सेवा की मात्रा में बढ़ोतरी होती है तो इस स्थिति को मुद्रा अपस्फीति कहा जाता है। मुद्रा की मात्रा कम होने से मांग में कमी आती है, परन्तु वस्तु और सेवाओं की मात्रा अधिक होने के कारण उनकी कीमतें गिर जाती हैं।

वस्तु और सेवा की मात्रा अधिक होने से उनका मूल्य कम हो जाता है। साथ ही मुद्रा की मात्रा कम होने से उसका मूल्य अधिक हो जाता है।
अर्थव्यवस्था में पहले से ही वस्तु और सेवाओं की अधिकता होने से उत्पादन में कमी आती है, जिससे रोजगार कम होते है जिससे उपभोक्ता की आय समाप्त हो जाती है और क्रय शक्ति घटती है। चीजें सस्ती होने पर भी नहीं बिकती जिसे आर्थिक मंदी भी कहते हैं।
आर्थिक मंदी, मुद्रास्फीति से ज्यादा भयानक होती है क्योंकि इससे चीजें जितनी सस्ती होती हैं। उतनी ही क्रय शक्ति घटती जाती है। क्रयशक्ति घटने से बाजार में तरलता भी कम हो जाती है, जिससे उत्पादन भी कम हो जाता है और पुनः मंदी आती है। यह एक मुद्रा अपस्फीति क्या है? चक्रीय क्रम में चलती रहती है।

परिभाषा- जब अर्थव्यवस्था में वस्तु एवं सेवा की तुलना में मुद्रा की मात्रा कम हो जाती है।

अपस्फीति के प्रभाव

1. मांग में कमी (आर्थिक मंदी)।
2. उत्पादन में कमी
3. रोजगार में कमी
4. मुद्रा की मात्रा में कमी परन्तु मूल्य में वृद्धि।
5. ऋण देने वाले को फायदा अर्थात बैंकों को (क्योंकि मुद्रा का मूल्य बढ़ चुका है)।

नोट : जब मुद्रास्फीति एवं अपस्फीति एक साथ उत्पन्न हो जाती हैं, उस स्थिति को निस्पंद (Stagflation) स्थिति कहते हैं।

अपस्फीति का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअपस्फीति, मुद्रास्फीति की उलट स्थिति है। दरअसल, यह कीमतों में लगातार गिरावट आने की स्थिति है। जब मुद्रास्फीति दर शून्य फीसदी से भी नीचे चली जाती है, तब अपस्फीति की परिस्थितियाँ बनती हैं। अपस्फीति के माहौल में उत्पादों और सेवाओं के मूल्य में लगातार गिरावट होती है।

निम्नलिखित में से कौन सी घटना अपस्फीति की ओर ले जाती है?

इसे सुनेंरोकेंजब परिसंपत्ति के मूल्य मुद्रा अपस्फीति क्या है? में कमी आ जाती है, मुद्रा की आपूर्ति में संकुचन आ जाता है, जो अपस्फीतिकर है। दिवालिया कंपनियों: बैंकों ने कंपनियों और व्यक्तियों को अचल संपत्ति में निवेश के लिए उधार दिए। जब अचल संपत्ति की मूल्यों में गिरावट आ गयी, इन ऋणों का भुगतान नहीं किया जा सका।

मुद्रा संकुचन क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा संकुचन या मुद्रा अपस्फीति (Deflation) जब अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा में कमी एवं वस्तु और सेवा की मात्रा में बढ़ोतरी मुद्रा अपस्फीति क्या है? होती है तो इस स्थिति को मुद्रा अपस्फीति कहा जाता है। वस्तु और सेवा की मात्रा अधिक होने से उनका मूल्य कम हो जाता है। साथ ही मुद्रा की मात्रा कम होने से उसका मूल्य अधिक हो जाता है।

मुद्रा स्फीति क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा प्रसार वह स्थिति है जब मुद्रा एवं साख की मात्रा में उपलब्ध वस्तुओं के सापेक्ष अधिक वृद्धि होती है । इसके परिणामस्वरूप सामान्य कीमत स्तर में निरन्तर एवं काफी अधिक वृद्धि मुद्रा अपस्फीति क्या है? होती है ।

मुद्रास्फीति और मुद्रा संकुचन में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंअपस्फीति या मुद्रा संकुचन (Deflation) जब वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य में निरंतर बढ़ोतरी होती है तो इसे मुद्रास्फीति कहा जाता है, ठीक इसके विपरीत जब वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य में निरंतर कमी की दशा को अपस्फीति या मुद्रा संकुचन या विस्फीति (Deflation)कहते है.

कीमत वृद्धि का मुख्य कारण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंक्रयशक्ति में वृद्धि होने से मांग में वृद्धि होगी तथा मांग में वृद्धि होने से कीमत स्तर में वृद्धि होगी। इस प्रकार सार्वजनिक व्यय में कमी करके हम मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर सकते है। कीमतों में वृद्धि मांग में वृद्धि होने के कारण होती है जिससे सार्वजनिक ऋणों में वृद्धि हो जाती है।

मुद्रास्फीति क्या है मुद्रास्फीति के कारण एवं प्रभाव लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रास्फीति यानी महँगाई से तात्पर्य उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में वृद्धि होना जब उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में स्थाई या अस्थाई वृद्धि हो तो उसे मुद्रास्फीति यह महँगाई कहा जाता है। जो चलन की मात्रा (Volume of currency) में तीव्र वृद्धि के फलस्वरूप उत्पन्न होती है।

मुद्रास्फीति क्या है मुद्रा स्थिति के कारण एवं प्रभाव लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंइस सिद्धांत के अनुसार, मुद्रास्फीति वह स्थिति है जिसमें वर्तमान कीमत स्तर पर कुल मांग, कुल पूर्ति मुद्रा अपस्फीति क्या है? से अधिक होती है। पूर्ण रोजगार से पहले जब कुल मांग बढ़ती है तो उत्पादन में वृद्धि होने के कारण कुल पूर्ति में वृद्धि नहीं होने पाती इसलिए कीमत स्तर बढ़ने लगता है।

मुद्रास्फीति की स्थिति में क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रास्फीति के कारण वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतें बढ़ती है जिसका प्रभाव निश्चित आय वर्ग पर पड़ता है। इस प्रकार मुद्रास्फीति के कारण निश्चित आय वर्ग नुकसान उठाता है। मुद्रास्फीति का कृषक वर्ग पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि कृषक वर्ग उत्पादन करता है तथा मुद्रास्फीति के दौरान उत्पादन की कीमतें बढ़ती है।

मुद्रास्फीति क्या मुद्रास्फीति के कारण एवं प्रभाव लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रास्फीति में कीमत स्तर लगातार बढ़ता है। जब कीमत स्तर में वृद्धि होती है, तो धन की क्रय शक्ति में गिरावट आती है। आमतौर पर अति मुद्रास्फीति के साथ अर्थव्यवस्था में वास्तविक आय की वृद्धि में ठहराव की स्थिति को रुद्ध स्फीति कहा जाता है। …

मुद्रास्फीति क्या है मुद्रास्फीति के कारणों की व्याख्या कीजिए?

निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा मुद्रास्फीति के ठीक विपरीत है?

Key Points

  • अपस्फीति का अर्थ वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में कमी है। मुद्रास्फीति तब होती है जब मुद्रास्फीति की दर 0% से नीचे आती है।
  • मुद्रास्फीति समय के साथ मुद्रा के मूल्य को कम करती है, लेकिन अचानक अपस्फीति इसे बढ़ा देती है।
  • अपस्फीति उत्पादकता में वृद्धि, समग्र मांग में कमी या अर्थव्यवस्था में ऋण की मुद्रा अपस्फीति क्या है? मात्रा में कमी के कारण हो सकती है।
  • अपस्फीति एक कमजोर अर्थव्यवस्था का संकेत है, क्योंकि कीमतें गिरने से उपभोक्ता खर्च कम होता है जो आर्थिक विकास का एक प्रमुख घटक है।
  • अपस्फीति आमतौर पर पैसे और क्रेडिट की आपूर्ति में एक संकुचन के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन उत्पादकता में वृद्धि और तकनीकी सुधार के कारण कीमतें भी गिर सकती हैं।
  • विशेष रूप से अपस्फीति उधारकर्ताओं को नुकसान पहुंचा सकती है, जो पैसे में अपने ऋण का भुगतान करने के लिए बाध्य हो सकते हैं जो कि उनके द्वारा उधार लिए गए धन से अधिक है, साथ ही किसी भी वित्तीय बाजार सहभागियों जो निवेश करते हैं या बढ़ती कीमतों की संभावना पर अटकलें लगाते हैं।

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Last updated on Dec 7, 2022

SSC has released the SSC CHSL notification on 6th December 2022. Approximately 4500 vacancies have been released for recruitment. Candidates can Apply Online from 6th December 2022 to 4th January 2023. SSC has also made some major changes in the SSC CHSL Exam Pattern. Candidates who have completed Higher Secondary (10+2) can appear for this exam for recruitment to various posts like Postal Assistant, Lower Divisional Clerks, Court Clerk, Sorting Assistants, Data Entry Operators, etc. The SSC CHSL Selection Process consists of a Computer Based Exam (Tier I & Tier II). Candidates should check the SSC CHSL Eligibility Criteria before filling up the applications.

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