मैसूर के केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क विभाग के बारे में जानकारी प्राप्‍त करें। संघ बजट, अधिनियम, टैरिफ, नियम, प्रपत्र आदि जैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क से संबंधित जानकारी दी जाती है। अधिनियमों, नियमों, टैरिफ, विनियमन, पुस्तिका, परिपत्रों, प्रमाणीकरण, आदि जैसे सीमा शुल्क से संबंधित विवरण उपलब्ध हैं। प्रयोक्‍ता वित्त मंत्रालय, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड, बैंगलोर आदि पर सूचना प्राप्‍त कर सकते हैं। सलाहकार समिति, व्यापार सुविधा, सूचना अधिकार, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर (एसीईएस) स्वचालन लाभ उठाने से संबंधित सूचना दी गई है।

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Rupee Vs Dollar: कल रुपये में दिखी भारी गिरावट, आज भी कमजोरी के साथ 79.53 प्रति डॉलर तक नीचे आया

By: ABP Live | Updated at : 04 Aug 2022 10:56 AM (IST)

Rupee Vs Dollar: अमेरिका-चीन के बीच तनाव और निराशाजनक व्यापक आर्थिक आकंड़ों से निवेशकों का सेंटीमेंट प्रभावित हुआ है. इसके चलते बृहस्पतिवार को रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे टूटकर 79.53 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर आ गया है जबकि इसकी शुरुआत 79.23 के भाव विदेशी मुद्रा व्यापार दिवस संकेतक डाउनलोड पर हुई थी.

कैसा रहा रुपये में ट्रेड
अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.23 के भाव पर खुला लेकिन जल्द ही यह 79.53 के स्तर पर खिसक गया. इस तरह पिछले कारोबारी दिवस के मुकाबले रुपया शुरुआती कारोबार में ही 36 पैसे टूट गया. बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 60 पैसे गिरकर 79.17 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था जो चालू वित्त वर्ष में एक दिन के कारोबार में सबसे बड़ी गिरावट थी.

आखिर रुपया इतना दुबला हुआ क्यों?

    विदेशी मुद्रा व्यापार दिवस संकेतक डाउनलोड
  • नई दिल्‍ली,
  • 11 जून 2012,
  • (अपडेटेड 12 जून 2012, 5:05 PM IST)

अभी 1 जून की सुबह चीन ने अपने बढ़ते वैश्विक आर्थिक प्रभाव को और बढ़ाने के लिहाज से एक बड़ा कदम उठाया. उसने अपनी मुद्रा युआन के जापानी मुद्रा येन के साथ सीधे व्यापार की घोषणा की. इसी दिन मुंबई में भारतीय रिजर्व बैंक ने डूबते रुपए को थामने का अपना आशाहीन प्रयास जारी रखा, लेकिन उसे मामूली कामयाबी ही मिली.

रुपया 31 मई के 56.10 रुपए प्रति डॉलर के भाव से गिरकर 1 जून को 55.60 रुपए प्रति डॉलर पर पहुंच गया. यहां तक कि चीन अब युआन को भरोसेमंद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने के अपने लक्ष्य के करीब पहुंच गया है, लेकिन एक आर्थिक महाशक्ति बनने का भारत का ख्वाब अभी दूर की कौड़ी ही है.

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निम्नलिखित में से कौन भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश शामिल नहीं करेगा?विदेशी मुद्रा व्यापार दिवस संकेतक डाउनलोड

  1. भारत में विदेशी कंपनियों की अनुषंगी कंपनियां।
  2. भारतीय कंपनियों में विदेशी इक्विटी की बड़ी हिस्सेदारी।
  3. विदेशी कंपनियों द्वारा विशेष रूप से वित्तपोषित कंपनियां।
  4. पोर्टफोलियो निवेश।
  5. उपरोक्त में से कोई नहीं/उपरोक्त में से एक से अधिक

Answer (Detailed Solution Below)

सही उत्तर पोर्टफोलियो निवेश है।

Key Points

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( FDI )
    • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) किसी अन्य देश के निवेशक द्वारा किए गए व्यवसाय में एक निवेश है, जिसके लिए विदेशी निवेशक द्वारा खरीदी गई कंपनी पर नियंत्रण होता है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) 10% या अधिक व्यवसाय के मालिक के रूप में नियंत्रण को परिभाषित करता है।
    • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश करने वाले व्यवसायों को बहुराष्ट्रीय निगम (MNC) या बहुराष्ट्रीय उद्यम (MNE) कहा जाता है।
    • एक MNE प्रत्यक्ष निवेश करके एक नया विदेशी उद्यम बना सकता है, जिसे हरितक्षेत्र निवेश कहा जाता है।
    • MNE एक विदेशी कंपनी के अधिग्रहण द्वारा प्रत्यक्ष निवेश कर सकता है, जिसे अधिग्रहण या ब्राउनफील्ड निवेश कहा जाता है।

    बाहरी क्षेत्र और मुद्रा विनिमय दर Question 2:

    किसी सरकारी क्षेत्र के उपक्रम (PSE) की इक्विटी के एक भाग को सार्वजनिक रूप से बेचना क्या कहलाता है?

    1. समुदायीकरण
    2. राष्ट्रीयकरण
    3. विनिवेश
    4. परिसीमन

    Answer (Detailed Solution Below)

    सही उत्‍तर विनिवेश है।

    Key Points

    • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSE) की इक्विटी का एक हिस्सा जनता को बेचना विनिवेश कहलाता है।
    • विनिवेश का अर्थ सरकार द्वारा संपत्तियों की बिक्री या परिसमापन, आमतौर पर केंद्रीय और राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, परियोजनाएं या अन्य अचल संपत्तियां है।
    • सरकार राजकोष पर राजकोषीय बोझ को कम करने के लिए, या विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए धन जुटाने के लिए, जैसे कि अन्य नियमित स्रोतों से राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए विनिवेश करती है।
    • विनिवेश से मिलने वाली धनराशि से सार्वजनिक ऋण को कम करने और ऋण-से-जी.डी.पी. अनुपात को कम करने में मदद मिलेगी, जबकि प्रतिस्पर्धी सार्वजनिक उपक्रमों को प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम बनाया जाएगा।
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