Stock Market Update : आज शेयर बाजार में नहीं होगी ट्रेडिंग, जानें क्‍यों बंद रहेगा स्‍टॉक मार्केट, आगे कब है छुट्टी?

इस सप्‍ताह दो दिन शेयर बाजार में अवकाश रहा.

भारतीय शेयर बाजार में आज निवेश का इंतजार कर रहे लोगों को आज निराश होना पड़ सकता है. आज दोनों ही एक्‍सचेंज बीएसई और एनएस . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 26, 2022, 07:35 IST

हाइलाइट्स

दिवाली बलिप्रतिपदा के मौके पर आज बुधवार 26 अक्‍तूबर को ट्रेडिंग नहीं होगी.
नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज (NSE) और बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज (BSE) आज नहीं खुलेंगे.
आज देश के कई हिस्‍सों में गोवर्धन पूजा का त्‍योहार भी मनाया जा रहा है.

नई दिल्‍ली. भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश की तैयारी कर रहे लोगों के लिए बड़ा अपडेट है. दिवाली बलिप्रतिपदा के मौके पर आज बुधवार 26 अक्‍तूबर को ट्रेडिंग नहीं होगी और दोनों ही प्रमुख स्‍टॉक एक्‍सचेंज, नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज (NSE) और बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज (BSE) आज नहीं खुलेंगे.

शेयर बाजार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, दोनों ही एक्‍सचेंज पर हर कारोबारी सत्र में सुबह 9.15 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक होने वाली ट्रेडिंग आज बंद रहेगी. बलिप्रतिपदा दिवाली के चौथे दिन मनाया जाता है. यह त्‍योहार हिंदूचंद्र मास कार्तिक के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को मनाया जाता है. इसे राजा बलि पर भगवान विष्‍णु की विजय के रूप में मनाया जाता है. आज इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज देश के कई हिस्‍सों में गोवर्धन पूजा का त्‍योहार भी मनाया जा रहा है.

क्‍या-क्‍या आज रहेंगे बंद
बीएसई के अनुसार, आज के दिन एक्‍सचेंज पर इक्विटी सेग्‍मेंट, इक्विटी डेरिवेटिव सेग्‍मेंट और एसएलबी सेग्‍मेंट के साथ करेंसी डेरिवेटिव सेग्‍मेंट व इंटेरेस्‍ट रेट डेरिवेटिव सेग्‍मेंट में कोई ट्रेडिंग नहीं की जाएगी. इसके अलावा आज नए डेट सेग्‍मेंट में भी कोई ट्रेडिंग नहीं की जाएगी. आज रिपोर्टिंग, सेटलमेंट एंड ट्रेडिंग और ट्राई पार्टी रेपो व कमोडिटी डेरिवेटिव सेग्‍मेंट में ट्रेडिंग बंद रहेगी.

शाम को खुलेगा यह एक्‍सचेंज
आज मल्‍टीकमोडिटी एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (MCX) भी सुबह के सत्र में बंद रहेगा. यह देश का पहला लिस्टिंग एक्‍सचेंज है. हालांकि, एमसीएक्‍स पर शाम के सत्र में ट्रेडिंग होगी और यह शाम 5 बजे से रात 11.55 बजे तक खुला रहेगा. कमोडिटी डेरिवेटिव सेग्‍मेंट में भी सुबह के सत्र में कारोबार बंद रहेगा, लेकिन शाम के सत्र में यहां भी ट्रेडिंग शुरू हो जाएगी.

नवंबर में भी बंद रहेगा शेयर बाजार
अक्‍तूबर में दो तीन दिन बंद रहने के बाद नवंबर में भी एक दिन शेयर बाजार नहीं खुलेगा. एक्‍सचेंज से मिली जानकारी के अनुसार, 8 नवंबर को गुरुनानक जयंती के मौके पर बीएसई और एनएसई दोनों ही एक्‍सचेंज पर ट्रेडिंग नहीं होगी. इससे पहले अक्‍तूबर में 5 तारीख को दशहरा के मौके पर शेयर बाजार बंद रहा तो 24 तारीख को दिवाली के दिन भी सुबह कोई ट्रेडिंग नहीं हुई. हालांकि, दिवाली पर शाम को करीब एक घंटे के लिए मुहूर्त ट्रेडिंग पर बाजार खुला.

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इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज

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Consider the following statements regarding “India INX”:
1. It is India’s first international exchange in International Financial Services Centre.
2. It is a subsidiary of National stock exchange.
Which of the above statements is/are correct?

"भारत आईएनएक्स" के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज है।
2. यह राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज की एक सहायक कंपनी है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा सही है / हैं?

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? इतिहास, उद्देश्य और कार्य

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? इतिहास, उद्देश्य और कार्य

दोस्तों, क्या आप जानते है शेयर मार्किट में एनएसई (NSE) क्या है? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ा? इसके क्या फायदे है? यह कैसे काम करता है? आईये आज हम इसके विस्तार से जानते है। एनएसई (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता लाना है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) क्या है ?

एनएसई (NSE) का पूरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड है यह भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर बाजार में निवेश कर सके। सन 1994 में एनएसई (NSE) ने पहली बार भारतीय शेयर बाजार में इलेट्रॉनिक ट्रेडिंग की शुरुवात किया।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का इतिहास

1992 के प्रसिद्ध घोटाले के बाद, जिसमें एक प्रसिद्ध निवेशक ने भारतीय शेयर बाजार में हेरफेर किया इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज गया था। तब वित्त मंत्रालय ने भारत सरकार तहत, निवेशकों तक शेयर बाजार को आसानी से पहुंचने के उद्देश्य से एनएसई की स्थापना का निर्णय लिया गया था। इसकी संस्था की स्थापना की सिफारिस M.J. शेरवानी समिति ने भी किया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से एक विकसित स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना सन 1992 में 25 करोड़ पूँजी के साथ मुंबई में किया गया। एनएसई का प्रमुख सूचकांक, निफ्टी 50 है, इसके अंतर्गत 50 कम्पनियाँ रजिस्टर्ड है। सूचकांक में सम्मिलित कंपनियों का समय-समय का आकलन किया जाता है और पुरानी कंपनियों के स्थान पर वे नयी सर्वोत्तम कम्पनीयों को शामिल किया जाता है | इसका उपयोग निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर भारत और दुनिया भर में भारतीय पूंजी बाजार के बैरोमीटर के रूप में किया जाता है। एनएसई (NSE) द्वारा 1996 में NIFTY 50 इंडेक्स आरम्भ किया गया था।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का उद्देश्य

एनएसई (NSE) के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है।

  1. सभी निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने तथा शेयर खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करना |
  2. सभी निवेशक सामान रूप से प्रतिभूति को खरीद और बेच सके।
  3. शेयर बाजार को निष्पक्ष, पारदर्शी और दक्ष बनाना।
  4. ख़रीदे और बेचे गए शेयर को अल्प समय में हस्तानांतरित करना।
  5. प्रतिभूति बाजार को अंतरास्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप स्थापित करना।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कार्य

दोस्तों ,अब हम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के कार्य प्रणाली के बारें में विस्तार से जानेंगे।

अगर कोई निवेशक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से शेयर बाज़ार में निवेश करना चाहता है तो सबसे पहले उसको मार्किट आर्डर के द्वारा आर्डर देना होता है , और कंप्यूटर ट्रेडिंग जो एक स्वचालित प्रक्रिया है के माध्यम से आपके आर्डर का मिलान किया जाता है। जब कोई निवेशक मार्किट आर्डर देता है तो उसे एक नंबर दिया जाता है जिसको यूनिट नंबर कहा है। कंप्यूटर ट्रेडिंग में खरीदने और बेचने व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है। खरीदने वाले व्यक्ति को बेचने वाले व्यक्ति को कोई जानकारी नहीं रहता है और बेचने वाले व्यक्ति को खरीदने वाले व्यक्ति की कोई जानकारी नहीं रहता है।

जब आपका आर्डर को कोई मिलान नहीं मिलता है तो आर्डर के क्रम को मिलाने के लिए आर्डर सूची से जोड़ा जाता है, और यह प्राइस टाइम (Price time) के प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित किया जाता है। सर्वोत्तम इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज मूल्य के आर्डर को पहले प्राथमिकता दिया जाता है और एकसमान मूल्य वाले आर्डर को पहले आर्डर के आधार पर प्राथमिकता दिया जाता है।

जब निवेशक का आर्डर एक्सचेंज मार्किट में पूरा हो जाता है तो निवेशक के डीमैट अकाउंट में खरीद आर्डर या बेच आर्डर में स्वतः ही देखने लगता है। इस तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निवेशकों के शेयर के लेन देन को पारदर्शी बनता है। डीमैट अकाउंट किसी भी स्टॉक ब्रोकर के द्वारा ओपन किया जा सकता है जो ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करता है। जो ट्रेडिंग सिस्टम में ऑर्डर देते हैं। एनएसई द्वारा घोषित छुट्टियों को छोड़कर, एक्सचेंज मार्केट सप्ताह में पांच दिन सोमवार से शुक्रवार तक उपलब्ध रहता है।

दोस्तों, हमने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के बारें में विस्तार से समझा। अब आप समझ गए है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज स्थापना प्रतिभूति बाज़ार को निष्पक्ष, पारदर्शी और दक्ष बनाने के लिए किया गया, जिससे सभी निवेशक विश्वास के साथ प्रतिभूति बाज़ार में निवेश कर सके। अगर आप भी शेयर मार्किट में निवेश करने के लिए सोच रहे है और आपको शेयर बाज़ार के बारें में ज्यादा जानकारी नहीं है तो आप सेबी से पंजीकृत निवेश सलाहकार की सहायता ले सकते है यह आपको सही शेयर खरीदने में सहायता करेगा।

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History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत

History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत

आमतौर पर निवेशकों के लिए शेयर बाज़ार आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाला एक शब्द बन चुका है. लेकिन Stock Exchange को लेकर अब भी कई लोगों के मन में कई सवाल हैं, जैसे कि इसके काम करने का तरीका क्या है? इसकी शुरुआत कैसे हुई? आदि. आज हम यहां, बाज़ार से जुड़े इस शब्द, Stock Exchange का पूरा विशलेषण करेंगे. जिससे निवेशकों को उनके हर सवाल का सटीक उत्तर मिल पाए.

ऐसे शुरू हुआ भारत में Stock Exchange

भारत को आज़ादी मिलने से 107 वर्ष पहले ही देश में शेयर बाज़ार की नींव पड़ चुकी थी. मुंबई स्थित टाउनहॉल के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे शेयरों का सौदा किया जाता था. इस स्थान पर लगभग 22-25 लोग इकट्ठा होकर शेयरों की खरीद और बिक्री में जुटते थे. साल दर साल निवेशकों की संख्या में आई वृद्धि के बाद, वर्ष 1875 में Stock Exchange के ऑफिस का निर्माण हुआ, जो आज दलाल स्ट्रीट के नाम से मशहूर है. वहीं सरकार द्वारा 1980 में Security and Exchange Board of India (SEBI) की स्थापना से इस सिस्टम में पारदर्शिता लाई गई.

कैसे लिस्ट होती है शेयर बाज़ार में कंपनियां?

Stock Exchange को आसान शब्दों में समझें, तो यह वो जगह है जहां स्टाॅक्स, बाॅन्ड्स, कमोडिटी की खरीद और बिक्री की जाती है. Stock Exchange एक ज़रिया है, जो निवेशकों और कंपनी के बीच काम करता है. जैसे किसी कंपनी को अगर फंड जुटाना हो, तो वह Stock Exchange में खुद को सूचीबद्ध करवाती है. इस प्रक्रिया पर आखिरी फैसला SEBI लेती है, जिसके बाद निवेशकों के कंपनी में निवेश के द्वार खुल जाते हैं. आपको बता दें, कि शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होने की इस प्रक्रिया को Initial Public Offering (IPO) कहते हैं.

भारत में कितने हैं Stock Exchange?

वैसे तो ज़्यादातर लोग सिर्फ National Stock Exchange (NSE) और Bombay Stock Exchange (BSE) ही जानते होंगे. मगर भारत में इन दोनों के अलावा भी 21 अन्य Stock Exchange इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज भी थे, जो राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सीमा पर काम करते थे. वहीं 8 Stock Exchange और भी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं. इनमें से 20 क्षेत्रीय एक्सचेंज, अब SEBI के नए नियमों के आने के बाद बंद हो गए. बंद हुए एक्सचेंज की सूची में Ahmedabad Stock Exchange, Chennai Stock Exchange, Pune Stock Exchange, U.P Stock Exchange आदि का नाम शामिल हैं.

क्यों खास है BSE और NSE?

भारत में BSE और NSE दो काफी महत्वपूर्ण शेयर बाज़ार हैं. इनमें लिस्टेड कंपनियों के शेयर, निवेशक या ब्रोकर सीधे तौर पर खरीदते और बेचते हैं. बात BSE की करें, तो यह वर्ष 1875 से मुंबई स्थित दलाल स्ट्रीट में है और विश्व के 10वें सबसे बड़े Stock Exchange का सूचकांक है, Sensex. इसकी स्थापना करने वाले Premchand Raichand को 'बिग बुल' के नाम से जाना जाता है. वहीं दूसरी ओर NSE की बात करें, तो यह भारत का पहला पूर्णतः कंप्यूटराइज्ड Stock Exchange है. वर्ष इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज 1992 में स्थापित NSE की खासियत ये है कि, इसके सूचकांक को देखकर भारतीय अर्थव्यवस्था की एक झलक देखी जा सकती है. आपको बता दें, कि NSE का सूचकांक Nifty 50 है.

कैसे करें स्टाॅक्स में निवेश?

आम भाषा में समझें, तो शेयर मतलब हिस्सा और बाज़ार वो जगह जहां ग्राहक खरीददारी करता है. अब शेयर बाज़ार में निवेश को ऐसे समझें, कि कोई निवेशक NSE में सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदता है, जो कंपनी ने जारी किए हैं, तो उस निवेशक का कंपनी के खरीदे हुए शेयर के आधार पर उतना मालिकाना हक हुआ. शेयर की खरीद और बिक्री निवेशक की बुद्धि पर निर्भर करती है. हालांकि कई बार निवेशक ब्रोकर की भी मदद लेते हैं. शेयर बाज़ार में मौज़ूद स्टाॅक्स में निवेश के लिए, निवेशकों को सबसे पहले एक डीमैट खाता खुलवाना होता है. जो आपके बैंक खाते से लिंक होकर, चाहे ब्रोकर के माध्यम से या खुद स्टाॅक्स की खरीद और बिक्री के माध्यम से मदद करेगा. वहीं वित्तीय समझ की बात करें, तो आज भी Stock Exchange से प्रभावित निवेशकों की सुबह, बाज़ार के उतार-चढा़व देखकर ही होती है.

क्यों आता है शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव?

ऐसा देखा गया है, कि कई बार शेयर बाज़ार में मौज़ूद कंपनियों के स्टाॅक्स या शेयर में ज़बरदस्त उछाल या गिरावट दिखती है. तो आपको बता दें, कि इस अचानक से आए हुए बदलाव की वजह कंपनी, अर्थव्यवस्था या वैश्विक स्तर की हलचल होती है. जैसे किसी कंपनी को अचानक मिला या छिना कोई आर्डर, कंपनी का मूल्यांकन, बाज़ार से जुड़ी इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज शर्तों की अवहेलना, आदि. वहीं शेयर बाज़ार के पास, कंपनियों के दुर्व्यवहार करने पर गैर सूचीबद्ध करने का भी अधिकार होता है.

आज़ादी के बाद से कितना बदला Stock Exchange

आज़ादी से लेकर वर्तमान तक की बात करें, तो Stock Exchange और इसका काम करने का तरीका अब पहले से काफी स्पष्ट है. हालांकि नए-नए तरीकों से शेयर बाज़ार की ओर ध्यान आकर्षित करने में आज बाज़ार काफी आगे है. फिर चाहे मोबाइल फोन के माध्यम से निवेश हो या वेबसाइट पर जाकर कंपनियों का विशलेषण. आज के समय में Zerodha , Upstox, Groww आदि कुछ ऐसे ऐप्स उपलब्ध हैं, जो ऑनलाइन ट्रेडिंग को रफ़्तार देने में कामयाब हैं. वहीं इस तरह की पहल से आजकल के युवाओं में भी शेयर्स को लेकर उत्साह देखा जा सकता है. तो ऐसा कह सकते हैं, कि बरगद की छांव में शुरू हुआ Stock Exchange आज निवेशकों को वित्तीय छांव दे रहा है.

History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत

History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत

आमतौर पर निवेशकों के लिए शेयर बाज़ार आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाला एक शब्द बन चुका है. लेकिन Stock Exchange को लेकर अब भी कई लोगों के मन में कई सवाल हैं, जैसे कि इसके काम करने का तरीका क्या है? इसकी शुरुआत कैसे हुई? आदि. आज हम यहां, बाज़ार से जुड़े इस शब्द, Stock Exchange का पूरा विशलेषण करेंगे. जिससे निवेशकों को उनके हर सवाल का सटीक उत्तर मिल पाए.

ऐसे शुरू हुआ भारत में Stock Exchange

भारत को आज़ादी मिलने से 107 वर्ष पहले ही देश में शेयर बाज़ार की नींव पड़ चुकी थी. मुंबई स्थित टाउनहॉल के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे शेयरों का सौदा किया जाता था. इस स्थान पर लगभग 22-25 लोग इकट्ठा होकर शेयरों की खरीद और बिक्री में जुटते थे. साल दर साल निवेशकों की संख्या में आई वृद्धि के बाद, वर्ष 1875 में Stock Exchange के ऑफिस का निर्माण हुआ, जो आज दलाल स्ट्रीट के नाम से मशहूर है. वहीं सरकार द्वारा 1980 में Security and Exchange Board of India (SEBI) की स्थापना से इस सिस्टम में पारदर्शिता लाई गई.

कैसे लिस्ट होती है शेयर बाज़ार में कंपनियां?

Stock Exchange को आसान शब्दों में समझें, तो यह वो जगह है जहां स्टाॅक्स, बाॅन्ड्स, कमोडिटी की खरीद और बिक्री की जाती है. Stock Exchange एक ज़रिया है, जो निवेशकों और कंपनी के बीच काम करता है. जैसे किसी कंपनी को अगर फंड जुटाना हो, तो वह Stock Exchange में खुद को सूचीबद्ध करवाती है. इस प्रक्रिया पर आखिरी फैसला SEBI लेती है, जिसके बाद निवेशकों के कंपनी में निवेश के द्वार खुल जाते हैं. आपको बता दें, कि शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होने की इस प्रक्रिया को Initial Public Offering (IPO) कहते हैं.

भारत में कितने हैं Stock Exchange?

वैसे तो ज़्यादातर लोग सिर्फ National Stock Exchange (NSE) और Bombay Stock Exchange (BSE) ही जानते होंगे. मगर भारत में इन दोनों के अलावा भी 21 अन्य Stock Exchange भी थे, जो राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सीमा पर काम करते थे. वहीं 8 Stock Exchange और भी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं. इनमें से 20 क्षेत्रीय एक्सचेंज, अब SEBI के नए नियमों के आने के बाद बंद हो गए. बंद हुए एक्सचेंज की सूची में Ahmedabad Stock Exchange, Chennai Stock इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज Exchange, Pune Stock Exchange, U.P Stock Exchange आदि का नाम शामिल हैं.

क्यों खास है BSE और NSE?

भारत में BSE और NSE दो काफी महत्वपूर्ण शेयर बाज़ार हैं. इनमें लिस्टेड कंपनियों के शेयर, निवेशक या ब्रोकर सीधे तौर पर खरीदते और बेचते हैं. बात BSE की करें, तो यह वर्ष 1875 से मुंबई स्थित दलाल स्ट्रीट में है और विश्व के 10वें सबसे बड़े Stock Exchange का सूचकांक है, Sensex. इसकी स्थापना करने वाले Premchand Raichand को 'बिग बुल' के नाम से जाना जाता है. वहीं दूसरी ओर NSE की बात करें, तो यह भारत का पहला पूर्णतः कंप्यूटराइज्ड Stock Exchange है. वर्ष 1992 में स्थापित NSE की खासियत ये है कि, इसके सूचकांक को देखकर भारतीय अर्थव्यवस्था की एक झलक देखी जा सकती है. आपको बता दें, कि NSE का सूचकांक Nifty 50 है.

कैसे करें स्टाॅक्स में निवेश?

आम भाषा में समझें, तो शेयर मतलब हिस्सा और बाज़ार वो जगह जहां ग्राहक खरीददारी इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज करता है. अब शेयर बाज़ार में निवेश को ऐसे समझें, कि कोई निवेशक NSE में सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदता है, जो कंपनी ने जारी किए हैं, तो उस निवेशक का कंपनी इंडिया की स्टॉक एक्सचेंज के खरीदे हुए शेयर के आधार पर उतना मालिकाना हक हुआ. शेयर की खरीद और बिक्री निवेशक की बुद्धि पर निर्भर करती है. हालांकि कई बार निवेशक ब्रोकर की भी मदद लेते हैं. शेयर बाज़ार में मौज़ूद स्टाॅक्स में निवेश के लिए, निवेशकों को सबसे पहले एक डीमैट खाता खुलवाना होता है. जो आपके बैंक खाते से लिंक होकर, चाहे ब्रोकर के माध्यम से या खुद स्टाॅक्स की खरीद और बिक्री के माध्यम से मदद करेगा. वहीं वित्तीय समझ की बात करें, तो आज भी Stock Exchange से प्रभावित निवेशकों की सुबह, बाज़ार के उतार-चढा़व देखकर ही होती है.

क्यों आता है शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव?

ऐसा देखा गया है, कि कई बार शेयर बाज़ार में मौज़ूद कंपनियों के स्टाॅक्स या शेयर में ज़बरदस्त उछाल या गिरावट दिखती है. तो आपको बता दें, कि इस अचानक से आए हुए बदलाव की वजह कंपनी, अर्थव्यवस्था या वैश्विक स्तर की हलचल होती है. जैसे किसी कंपनी को अचानक मिला या छिना कोई आर्डर, कंपनी का मूल्यांकन, बाज़ार से जुड़ी शर्तों की अवहेलना, आदि. वहीं शेयर बाज़ार के पास, कंपनियों के दुर्व्यवहार करने पर गैर सूचीबद्ध करने का भी अधिकार होता है.

आज़ादी के बाद से कितना बदला Stock Exchange

आज़ादी से लेकर वर्तमान तक की बात करें, तो Stock Exchange और इसका काम करने का तरीका अब पहले से काफी स्पष्ट है. हालांकि नए-नए तरीकों से शेयर बाज़ार की ओर ध्यान आकर्षित करने में आज बाज़ार काफी आगे है. फिर चाहे मोबाइल फोन के माध्यम से निवेश हो या वेबसाइट पर जाकर कंपनियों का विशलेषण. आज के समय में Zerodha , Upstox, Groww आदि कुछ ऐसे ऐप्स उपलब्ध हैं, जो ऑनलाइन ट्रेडिंग को रफ़्तार देने में कामयाब हैं. वहीं इस तरह की पहल से आजकल के युवाओं में भी शेयर्स को लेकर उत्साह देखा जा सकता है. तो ऐसा कह सकते हैं, कि बरगद की छांव में शुरू हुआ Stock Exchange आज निवेशकों को वित्तीय छांव दे रहा है.

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