पाकिस्तान खिलाड़ियों को 3 महीने रहना होगा स्टेडियम में,जाने इसकी वजह
पाकिस्तान क्रिकेट टीम को आने वाले समय में इंग्लैंड का बड़ा दौरा करना है। जिसके चलते पाकिस्तान टीम को 3 महीने तक रहना होगा स्टेडियम में.
Ankit Dubey
राज एक्सप्रेस। पाकिस्तान क्रिकेट टीम को आने वाले समय में इंग्लैंड का बड़ा दौरा करना है। जिसके चलते पाकिस्तान टीम को 3 महीने तक जैव सुरक्षित वातावरण में रहना होगा। इसकी शुरुआत अगले महीने के शुरू में लाहौर में अभ्यास के दौरान की जाएगी और यह अगस्त में इंग्लैंड के दौरे की समाप्ति तक जारी रहेगा।
जून के पहले सप्ताह में होगी यह पहल
जानकारी के लिए बता दें कि ईएसपीएनक्रिकइंफो की रिपोर्ट के मुताबिक टेस्ट मैच और सीमित ओवरों के विशेषज्ञ क्रिकेटर जून के पहले सप्ताह में नेशनल क्रिकेट अकादमी में अभ्यास की शुरुआत करेंगे और इस दौरान वहां पास में स्थित गद्दाफी स्टेडियम में निवास करेंगे।
खिलाड़ियों की सारी व्यवस्था स्टेडियम में हीं होगी
पाकिस्तानी खिलाड़ियों को गद्दाफी स्टेडियम में रुकवाया जाएगा जहां उनके खाने, ठहरने और सभी तरह की व्यवस्था दी जाएंगी। पाकिस्तान को इंग्लैंड में तीन टेस्ट मैच और तीन टी-20 मैचों की श्रृंखला खेलनी है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के सीईओ वसीम खान का इस पर कहना है कि अगर कोई खिलाड़ी सही महसूस नहीं करता है, तो वह अपना नाम दौरे से हटा सकता है।
अपना नाम वापस लेने का विकल्प भी होगा
सीईओ वसीम खान ने आगे यह भी जानकारी दी कि 3 महीने तक कड़े जैव सुरक्षित वातावरण में रहना होगा। खिलाड़ियों को अगर लगता है कि व्यवस्थाएं ठीक नहीं है और वह उनसे संतुष्ट नहीं है तो उनके पास अपना नाम वापस लेने का विकल्प होगा, आगे की विस्तृत जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी।
मीडिया की रिपोर्ट की माने तो इंग्लैंड के बड़े दौरे के लिए यह फैसला लिया गया है, क्योंकि इंग्लैंड के साथ होने वाली सीरीज में कड़ा मुकाबला होगा। खिलाड़ियों के अच्छे अभ्यास और खिलाड़ियों की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए उन्हें गद्दाफी स्टेडियम में ठहराया जाएगा।
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T20 World Cup: पाकिस्तान से मैच से पहले सुनील गावस्कर ने सुझाई भारत की प्लेइंग 11, बताया- दिनेश कार्तिक-हार्दिक पंड्या के रहते कैसे मिलेगा ऋषभ पंत को मौका
INDIA Vs PAKISTAN: सुनील गावस्कर का मानना है कि भारत अगर हार्दिक पंड्या को पांचवें गेंदबाज के विकल्प के रूप में चुनता है तो दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत दोनों को अंतिम एकादश में खिलाया सकता है।
हार्दिक पंड्या, ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक।
T20 World Cup, India Vs Pakistan Match: रोहित शर्मा की अगुआई वाली टीम इंडिया टी20 विश्व कप 2022 में रविवार 23 अक्टूबर को अपने अभियान की शुरुआत पाकिस्तान के खिलाफ करेगी। भारतीय टीम प्रबंधन पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले से पहले टीम संयोजन पर विचार कर रहा होगा। इस बीच, 73 साल के पूर्व महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने भारत के लिए प्लेइंग इलेवन सुझाई है।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर का मानना है कि भारत अगर हार्दिक पंड्या को पांचवें गेंदबाज के विकल्प के रूप में चुनता है तो दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत दोनों को अंतिम एकादश में खिलाया सकता है।
सुनील गावस्कर के स्टार स्पोर्ट्स के शो ‘क्रिकेट लाइव’ से कहा, ‘अगर वे (भारतीय क्रिकेट टीम) 6 गेंदबाजों के साथ उतरने का फैसला करते हैं और हार्दिक पंड्या छठे गेंदबाज के रूप में प्लेइंग इलेवन में शामिल किए जाते हैं तब फिर ऋषभ पंत को शायद टीम में जगह नहीं मिले।’
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उन्होंने कहा, ‘…लेकिन अगर वे हादिक पंड्या को पांचवें गेंदबाज के रूप में उतारने का फैसला करते हैं तो ऋषभ पंत के ओलंपिक व्यापार बनाम विशेषज्ञ विकल्प पास छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने का मौका होगा। ऐसे कार्तिक 7वें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आ सकते हैं। इसके बाद 4 गेंदबाज उतरेंगे। ऐसा हो सकता है, लेकिन इसके लिए हमें इंतजार करना होगा।’
गावस्कर ने कहा, ‘वे निश्चित तौर पर टीम में बाएं हाथ के बल्लेबाज को शामिल करना चाहेंगे जो इतनी अच्छी फॉर्म में है। कभी-कभी आप अपने आप से पूछ सकते हैं कि ऋषभ पंत को कितने ओवर खेलने को मिलेंगे?’ उन्होंने कहा, ‘क्या उन्हें तीन या चार ओवर खेलने को मिलेंगे? तीन या चार ओवर, क्या दिनेश कार्तिक या ऋषभ पंत बल्लेबाज हैं? ये सभी हालात हैं जिन पर उन्हें गौर करना है और फैसला करना है।’
सुनील गावस्कर ने पाकिस्तान के स्टार तेज गेंदबाज शाहीन शाह अफरीदी के संदर्भ में कहा कि इंग्लैंड के खिलाफ अभ्यास मैच में देखकर लगा कि उन्होंने पूरी तरह से फिटनेस हासिल कर ली है। तो स्पष्ट रूप से उनका सिरदर्द दूर हो गया है।
सुनील गावस्कर ने इंग्लैंड और पाकिस्तान के अभ्यास मैच का हवाला देते हुए कहा, पाकिस्तान की ग्राउंड फील्डिंग बहुत अच्छी थी। तो ये दो पहलू हैं जो उनके लिए चिंता की बात थी। उन्होंने उन क्षेत्रों में सुधार दिखा है, इसलिए, मुझे नहीं लगता कि रविवार को जब वे भारत से भिड़ेंगे तो उन्हें कोई संदेह होगा।
सेमीफाइनल हारने के बाद हॉकी महिला खिलाड़ी वंदना कटारिया के परिवार के साथ हुआ जातिगत भेदभाव
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद कांस्य पदक जीत इतिहास रच दिया। अब सभी की उम्मीदें महिला हॉकी टीम से हैं। महिला हॉकी टीम को भी कांस्य पदक के मुकाबले में शुक्रवार को ब्रिटेन से भिड़ना है। इसी बीच महिला हॉकी टीम की सदस्य वंदना कटारिया के परिवार ने सेमीफाइनल में टीम की हार के बाद जाति भेदभाव का आरोप लगाया।
वंदना कटारिया के परिवार ने लगाए गंभीर आरोप
वंदना कटारिया के परिवार का आरोप है कि पिछले मैच में हार के बाद कथित तौर पर ऊंची जाति से ताल्लुक रखने वाले कुछ लोगों ने उन्हें गाली दी और उनके लिए जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अर्जेंटीना के खिलाफ सेमीफाइनल में हार के कुछ घंटों बाद ही हरिद्वार के रोशनाबाद गांव की रहने वालीं वंदना के घर के नज़दीक ऊंची जाति से संबंधित 2 शख्स आकर पटाखे फोड़ने लगे और वंदना के परिवार ओलंपिक व्यापार बनाम विशेषज्ञ विकल्प को भद्दी गालियां देनी शुरू कर दी। वंदना कटारिया के परिवार ने बताया कि, 'वे कह रहे थे कि भारतीय टीम की इसलिए हार हुई क्योंकि टीम में ज्यादा दलित खिलाड़ी हैं।'
वंदना के भाई शेखर बोले 'जाति के आधार पर किया गया हमला'
वंदना के भाई शेखर ने बताया, 'हम लोग सेमीफाइनल की हार से दुखी थे, कुछ देर बाद हमने घर के बाहर तेज शोर सुना। बाहर निकलने पर देखा कि दो लोग पटाखे फोड़ रहे हैं और डांस कर रहे हैं। हमें बाहर देख वे हमारे लिए जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने लगे और गालियां देने लगे।' शेखर के मुताबिक, 'उत्पात मचा रहे लोगों ने कहा कि सिर्फ हॉकी ही नहीं अन्य खेलों से भी दलित खिलाड़ियों को बाहर रखा जाना चाहिए।' शेखर ने कहा, 'यह जाति के आधार पर किया गया हमला है।'
हरिद्वार के सिडकुल पुलिस स्टेशन के एसएचओ के मुताबिक मामले में आरोपी एक शख्स को हिरासत में ले लिया गया है।
वंदना कटारिया ओलंपिक में हैट्रिक गोल करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी
कांस्य पदक के लिए ब्रिटेन के खिलाफ उतरने वाली महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में शानदार किया है। ओलंपिक इतिहास में पहली बार महिला हॉकी टीम मेडल की रेस में है।
2006 से भारत के लिए हॉकी खेलने वाली वंदना कटारिया ओलंपिक में हैट्रिक गोल करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी हैं। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में ही दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 3 गोल दागे थे। यह मैच भारतीय टीम 4-3 से जीतकर क्वार्टर फाइनल में पहुंची थीं।
29 वर्षीय वंदना कटारिया महिला टीम की सबसे अनुभवी सदस्यों में
29 वर्षीय वंदना कटारिया महिला टीम की सबसे अनुभवी सदस्यों में से हैं। वंदना ने भारत के लिए अब तक करीब 250 मुकाबले खेले हैं। इन मुकाबलों में वह अब तक 67 गोल कर चुकीं हैं। मौजूदा टीम में केवल कप्तान रामपाल ने उनसे अधिक गोल किए हैं।
शंखनाद: CM ममता ने PM को इंतजार कराया, BJP को गुस्सा आया!
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चित्रा त्रिपाठी
- नई दिल्ली ,
- 29 मई 2021,
- अपडेटेड 11:37 PM IST
विधानसभा चुनाव खत्म हो गए. नतीजे आ गए. फैसला हो गया. लेकिन नहीं खत्म हो रहा पश्चिम बंगाल का सियासी खेला. नहीं खत्म हो रहा केंद्र और राज्य सरकार के बीच टेंशन. यास तूफान आया और अपने बीच सियासत का भूचाल छोड़कर चला गया. उस चिंगारी को हवा दे गया तो पिछले कई महीनों से जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यास के हालातों पर समीक्षा करने पश्चिम बंगाल गए थे. लेकिन पीएम की बैठक से दीदी गायब थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आधे घंटे इंतजार करना पड़ा. जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया. देखें वीडियो.
Politics has been engulfed by Cyclone Yaa's review meeting. A full-blown war has erupted after Mamata Banerjee delayed a review meeting with PM Narendra Modi. The Bengal chief minister said that it was not the PM, but instead, she was insulted by the centre. Mamata alleged that cente is trying to defame him. BJP top leaders attack CM Mamata. Watch the video to know more.
लंबी कूद में रिकॉर्ड बनाने वाले Srishankar को अब 8.40 मीटर की छलांग लगाने की उम्मीद
नई दिल्ली। केरल के पलक्कड़ के रहने वाले 21 वर्षीय श्रीशंकर (Srishankar) ने फेडरेशन कप की लंबी कूद स्पर्धा (made a record in the long ओलंपिक व्यापार बनाम विशेषज्ञ विकल्प ओलंपिक व्यापार बनाम विशेषज्ञ विकल्प jump) में 8.26 मीटर की छलांग लगाते हुए अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ते हुए, टोक्यो ओलंपिक के लिए स्थान पक्का कर लिया। यह युवा खिलाड़ी के जुनून, खेल और एथलेटिक्स से लगाव का प्रतिफल था, जो उन्हें माता-पिता से सुनियोजित और सुव्यस्थित मार्गदर्शन से प्राप्त हुआ है।
श्रीशंकर छोटी उम्र से ही खेल और एथलेटिक्स में भाग लेने लगे। उनके पिता और मां केएस बिजिमोल दोनों ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मीटों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए जीत दिलाकर देश को गौरवान्वित किया है। अभिभावकों और चचेरे भाइयों सहित उनके परिवार के अधिकांश लोग विभिन्न खेलों में शामिल थे। लिहाजा, श्रीशंकर का ट्रैक और फील्ड में प्रवेश, कोई आश्चर्य की बात नहीं थी।
श्रीशंकर ने ओलंपिक चैनल से बातचीत में कहा, “छोटी उम्र से ही मुझे खेलों में काफी दिलचस्पी थी। विशेष रूप से ट्रैक और फील्ड में। क्योंकि, मेरे माता-पिता दोनों अंतरराष्ट्रीय एथलीट थे। मेरे परिवार के करीब—करीब सभी सदस्य इसी खेल या दूसरे खेलों से जुड़े हुए थे। मेरे चचेरे भाई टेनिस और बास्केटबॉल खिलाड़ी थे। इसलिए मेरा बचपन खेलों की दुनिया के इर्द—गिर्द गुजरा था। ऐसे में मेरा, इसी क्षेत्र में जाना स्वभाविक था।”
उन्होंने करियर के रूप में लम्बी कूद को चुना। लेकिन, शुरू में श्रीशंकर एक धावक थे और इसमें उन्हें जूनियर सर्किट में काफी सफलता भी मिली थी।
उन्होंने कहा,“मैं अपने पिता के साथ पास के मैदान में जाता और दौड़ लगाता था। किशोर आयु में मैंने धावक के रूप में शुरुआत की। इसमें मुझे जिला और राज्य स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने में सफलता भी मिली। हालांकि, उस दौरान मैंने इसके लिए गंभीरता से प्रशिक्षण नहीं लिया था। यह मेरे लिए बस एक मज़ेदार खेल की तरह था।”
उन्होंने कहा,“मैं धीरे-धीरे लंबी कूद में शिफ्ट हो गया। क्योंकि, मेरे पिता को मुझमें अच्छी छलांग लगाने की क्षमता के बारे में अहसास हो गया था। 10वीं कक्षा से मैंने लंबी कूद में गंभीरता से प्रशिक्षण लेना शुरू किया। उस समय मैंने कठोर प्रशिक्षण शुरू नहीं किया था। मेरे पिता ने मुझे धीरे-धीरे लंबी कूद में शुरुआत कराई। एक पेशेवर लम्बी कूद का एथलीट बनाने के लिए आवश्यक सभी बुनियादी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने मुझे सही तरह से तैयार किया। क्योंकि, मेरे पिता खुद लांग जम्पर थे और उन्होंने विदेशी कोचों के अधीन प्रशिक्षण लिया था। इसलिए, वो जानते थे कि किसी एथलीट को सही तरह से कैसे तैयार किया जाता है।”
इस धैर्यपूर्ण दृष्टिकोण का परिणाम 8.26 मीटर की छलांग के रूप में मिला, जिसने उन्हें सीधे ओलंपिक में पहुंचा दिया और देश के प्रतिभाशाली खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया। आत्मविश्वास से भरे श्रीशंकर ने कहा, “उन्होंने मेरे लिए बुनियादी बातों को ठीक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। साल-दर-साल मैंने अपनी छलांग को करीब 20-25 सेंटीमीटर बढ़ाने का प्रयास किया ओलंपिक व्यापार बनाम विशेषज्ञ विकल्प है। मैं अपनी छलांग वृद्धि करता रहा और अब एक बड़ी छलांग लगाने में कामयाब हुआ हूं।”
यह पहली बार नहीं था, जब श्रीशंकर ओलंपिक व्यापार बनाम विशेषज्ञ विकल्प ने अपनी क्षमताओं से सभी को प्रभावित किया हो। उन्होंने पहली बार सितंबर, 2018 में भुवनेश्वर में राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लंबी कूद के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ा था। इससे पहले एशियाई खेलों में निराशाजनक प्रदर्शन रहा, जिसमें उप विजेता को लेकर हुए विवाद के बाद, उन्होंने टूर्नामेंट में छठा स्थान हासिल किया। 19 साल की उम्र में 8.20 मीटर के साथ, उन्होंने अंडर—20 एथलीटों के सीजन की दुनिया में सबसे लम्बी छलांग लगाई थी।
उन्होंने कहा,“मुझे तकनीकी में बहुत सुधार करने की जरूरत है। यदि मैं इन्हें सही तरह से कर पाता हूं, तो मुझे पूरा यकीन है कि मैं सीजन के अंत तक करीब 8.40 मीटर की छलांग लगा सकता हूं। उम्मीद है कि मैं ओलंपिक खेलों में ऐसा करके देश के लिए पदक जीत सकता हूं।” माता-पिता से तकनीकी सहायता के अलावा श्रीशंकर के ओलंपिक सपने की लौ को तेज बनाए रखने में उनका मानसिक समर्थन भी महत्वपूर्ण रहा है।
श्रीशंकर ने कहा, “उन्होंने, मेरे खेल करियर को लेकर कभी कोई नकारात्मक बात नहीं कही। दोनों अंतर्राष्ट्रीय एथलीट होने के कारण जानते थे कि कैसे एक एथलीट को विकसित करना है और मेरी मानसिकता क्या होनी चाहिए। इसके साथ मेरी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा,“मां मेरे लिए भोजन निर्धारित करती थी। मैं एक आहार विशेषज्ञ के साथ भी काम कर रहा हूं। वो भी मेरे खाने को लेकर मां के साथ सम्पर्क में रहते थे और वो यह सुनिश्चित करते हैं कि मैं उनके द्वारा निर्धारित आहार का ही सेवन करूं। मेरे पिता जानते थे कि उच्च स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए किस तरह के कष्ट सहने और समर्पण की जरूरत होती है। दोनों का मेरे करियर में बहुत प्रभाव रहा है।” (एजेंसी, हि.स.)
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