Technical Analysis
Technical Analysis और स्टॉक मार्केट
SHARE MARKET से होने वाले लाभों को देख कर,हमारा इसकी तरफ आकर्षित होना बिलकुल उचित है,
क्योकि हर कोई अपने बचत के पैसो का निवेश कर के ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना चाहता है,लेकिन इस बात को बिल्कुल भी IGNORE नहीं किया जा सकता कि SHARE MARKET जोखिम से भरा हुआ है,
शेयर बाजार कि सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि – यहाँ हर कोई शेयर बाज़ार से लाभ कमाने के लिए ही ENTRY करता है, लेकिन सिर्फ 10% लोग ही शेयर बाजार से सही तरह से पैसे बना पाते है, और बाकी 90 % लोगो को LOSS होता है,
और यहाँ 90 % लोगो को LOSS होने का कारण है कि उन्हें ये पता नहीं होना कि –
- शेयर्स कब ख़रीदे,
- शेयर्स किस भाव में ख़रीदे
- शेयर्स कितना ख़रीदे
- शेयर्स कब बेचे
- शेयर्स किस भाव में बेचे
- शेयर्स कितना बेचे
- और LOSS की स्थिति में अपने LOSS को कैसे नियंत्रित करे,
इन सभी बातो का पता लगाने के लिए हमें टेक्निकल एनालिसिस को सिखने और समझने की जरुरत होती है,
शेयर बाजार का RISK और RISK पे नियंत्रण
वैसे तो पूरे शेयर बाजार में दो ही काम होता है, शेयर खरीदना और शेयर बेचना,अब यही सबसे मजेदार पार्ट भी है, और इस बाजार कि दूसरी सच्चाई और सबसे निराली बात ये है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि, कोई शेयर्स कब खरीदना चाहिए, और कब बेचना चाहिए, यही इसका जोखिम पार्ट भी है,
बाजार में जोखिम इसी बात का है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि कोई शेयर्स कब ख़रीदे, कितने भाव में ख़रीदे, और कब बेचे तथा कितने भाव में बेचे,
सारा जोखिम इसी बात का है,
क्योकि यहाँ कोई भी हमेशा 100 % सही नहीं हो सकता, और कोई भी ऐसा एक तरीका नहीं है जो सिख के हम ये कह सके कि हम शेयर बाजार के बारे में सब सिख चुके है, और हम शेयर बाजार में हमेशा फायदे में ही रहेंगे.
शेयर बाजार के जोखिम को नियंत्रित करने के उपाय –
हमने देखा कि शेयर बाजार में दो कम होते है – शेयर्स खरीदना और शेयर्स बेचना,
इन्ही दोनों से जुडी कुछ मुख्य बाते है, जैसे –
शेयर खरीदना – शेयर कब ख़रीदे? कितने मूल्य में ख़रीदे? शेयर कितना ख़रीदे ?
शेयर बेचना – शेयर कब बेचे ? शेयर कितने मूल्य में बेचे ? शेयर कितना बेचे ?
साथ ही साथ LOSS कि दशा में, पूंजी कि सुरक्षा कैसे करे?
इन सब के बारे में जानकारी रखने और उसे अमल में लाने से शेयर बाजार में मौजूद जोखिम को नियंत्रित किया जा सकता है,और अपने पूंजी कि रक्षा के साथ साथ सही तरह से लाभ कमाने कि अपेक्षा की जा सकती है,
जैसा कि हम पहले ही स्पस्ट कर चुके है कि, कोई भी इन्सान हमेशा ठीक ठीक नहीं बता सकता कि , कोई शेयर कब ख़रीदना चाहिए, कितने में खरीदना, कितने में बेचना, और कब और कितना बेचना चाहिए,
लेकिन इसके कुछ उपाय है, जिसके द्वारा हम , शेयर्स के बारे में इस बात को कि , हम कब, किस मूल्य पर, और कितना शेयर बेचना चाहिए, इस बारे में अपना एक बेहतर POINT OF VIEW को हम अमल में लाकर, शेयर बाजार के जोखिमों को नियंत्रित कर, LOSS को कम करके लाभ को बढाया जा सकता है,
और इन उपायों के नाम है – FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS
आइये, अब बात करते है –
TECHNICAL ANALYSIS के बारे में
जब हम किसी कंपनी का शेयर सिर्फ इस आधार पर देखते है, कि उसके भाव कब कब बढ़ जाते है और कब कब कम हो जाते है, और इस बात पर जोर नहीं दिया जाता कि कंपनी और उसके लाभ कमाने कि क्षमता कितनी STRONG है, यानी जब सिर्फ शेयर के PAST PERFORMANCE को ध्यान में रखा जाता है तो इस तरह कि BUYING या SELLING को हम TECHNICAL ANALYSIS के आधार पर खरीदना और बेचना कहते है,
और इस तरह हम कह सकते है कि, FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS आधार पर ही आप अच्छे तरीके से किसी शेयर के FUTURE PERFORMANCE का एक अनुमान बता सकते है,
इस सन्दर्भ में TECHNICAL ANALYSIS, शेयर्स के खरीदने का मूल्य, खरीदने का समय, कितना खरीदना और कब बेचना, कितना बेचना, कितने भाव में बेचना, स्टॉप लोस लगाना आदि के बारे में हमें बताता है,
और इसी लिए बड़े से बड़े INVESTOR भी FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS कि मदद से मार्केट में हो रहे बदलाव और शेयर्स के सौदों के बारे में बताते है कि हमें कब खरीदना और बेचना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा हम लाभ कमा सके,
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technical analysis से हम किसीभी स्टॉक प्राइज की मूवमेंट को देखके उसके फ्यूचर(भविष्य)प्राइज का अंदाज़ा लगा सकते हे मतलब हम प्रिडिक्ट करते हे की फ्यूचर में शेयर की प्राइज अप रहेगी या फिर डाउन रहेगी या फिर एक फिक्स रेंज में रहेगी।
दोस्तों आज हम देखेंगे technical analysis kya hota he(technical analysis in hindi) के बारे में जो की फिलाल शेयर मार्किट में बहुत ज़ोरिसे चल रहा हे। टेक्निकल एनालिसिस का Fundamental analysis से कुछ भी लेने देना नहीं हे उन दोनों में बहु अंतर हे। और नहीं टेक्निकल एनालिसिस करके इन्वेस्टमेंट की जाती हे क्युकी टेक्निकल एनालिसिस सिर्फ करंट प्राइज बताता हे। और उसके माध्यम से आगे होने वाले हलचल (Movement) का अंदाज़ा लगता हे , और कोई भी अंदाजा सही रहेगा इसकी कोई गॅरंटी नहीं होती।
technical analysis kya hota he(technical analysis in hindi)
टेक्निकल एनालिसिस एक trading के लिए इस्तेमाल होता हे। मतलब शेयर को कम से कम टाइम में खरीदना और बेचना , उससे शेयर का भाव कम ज्यादा होता रहता हे। उसी प्राइज को दर्शाता हे टेक्निकल एनालिसिस। टेक्निकल एनालिसिस किसीभी स्टॉक का प्राइज एक मूवमेंट को फॉलो करता हे जैसे की वो एक ट्रेंड में रेहता हे। उस ट्रैंड के भी तीन प्रकार होते हे। जैसे की up trend , down trend और एक होता हे sideways trend ये मूवमेंट रहते हे.
up trend
ट्रेडिंग में किसी भी स्टॉक का प्राइज एक continually उपर की साइड में चल रहा होता हे। मतलब उसका अभी up trend चालू हे ऐसा कहा जाता हे। और उसी ट्रेंड को फॉलो करके टेक्निकल एनयलीसिस ये अंदाजा लगता हे की आगे भी वो इसी ट्रेंड को फॉलो करेंगे। मतलब वो आगे भी उप ही रहेगा लेकिन टेक्नीकल एनलीसिस सिर्फ अंदाजा लगा सकते हे। क्युकी स्टॉक मार्किट में ऐसी कुछ फिक्स स्ट्रैटर्जी नहीं होती।
जिससे हम मार्किट की प्राइज कहा जाएगी ये पता लगा सके टेक्निकल से सिर्फ मूवमेंट पता चलती हे. और इस ट्रेंड को पता लगाने के लिए भी कई सारे टूल होते हे. जैसे की candlestick pattern , indicators , trend lineऐसे बहुत से सरे टूल होते हे जिससे हम सिर्फ शेयर के प्राइज का अंदाजा लगा सकते हे।
down trend ;
ट्रेडिंग में किसी भी स्टॉक का प्राइज नियमित निचे आ रहा हे। तो उसका मतलब स्टॉक का प्राइज डाउन ट्रेंड में हे। और टेक्निकल एनालिसिस को टूल्स से हम ट्रेंड का पता लगा कर हम स्टॉक की फ्यूचर प्राइज का अन्दाज़ा लगा पाते हे।
लेकिन ज्यादा मूवमेंट होने की वजा से न ही ट्रैंड काम आता हे। और नहीं टेक्निकल एनालिसिस का कोई भी टूल। टेक्निकल एनालिसिस में स्टॉक प्राइज की करंट प्राइज देखके के ट्रेडिंग की जाती हे। और प्रिडिक्ट किया जाता हे की आगे भी शेयर प्राइज उसी तरह रहेगा जैसे कोई भी ट्रेंड में होगा वैसे ही भविष्य में रहेगा।
sideways trend
sideways trend में स्टॉक का प्राइज एक रेंज में रहता एक फिक्स प्राइज के बिच में शेयर का प्राइज अप और डाउन रहता हे।और टेक्निकल एनालिसिस से मार्किट का ट्रेण्ड फॉलो करके स्टॉक की फ्यूचर प्राइज क्या होगी इसका अंदाज़ा लगाया जाता हे। sideways trend में ट्रेडिंग करना बहुत ही मुश्किल होता हे। नाहीं प्राइज ऊपर जाती हे. और नहीं निचे वो एक रेंज में उप डाउन होती रहती हे।
टेक्निकल एनालिसिस से स्टॉक में हम सिर्फ ड्रेडिंग कर सकते हे। ये मतलब हम उससे सिर्फ फ्यूचर मे होने वाले मूवमेंट का अंदाज़ा लगा सकते हे और किसी स्टॉक में हम उसका ट्रेंड को देखकर उसमे ट्रेडिंग कर सकते।
trading क्या होता हे
ट्रेडिंग का मतलब होता हे की सी भी स्टॉक को एक टाइम लिमिट के लिए ख़रीदा और बेचा जा सकता हे. हम दीर्घकाल निवेश (Long Term ) के लिए किसी भी स्टॉक को नहीं रख सकते। उसकी एक टाइम लिमिट होती हे। जिससे किसी स्टॉक में हमें प्रॉफिट या लोस् में हो फिर भी हमें उस हमारी पोजीशन को square off करना पड़ता हे। मतलब हमें उस पोजीशन से एग्जिट होना पड़ता हे नहीं तो ब्रोकर हमें उसकी पेनेल्टी भी लगा देता हे
trading के भी प्रकार होते हे जैसे की day trading , swing trading ,scalping इनका , मतलब हमें कुछ टाइम लिमिट दी जाती हे उसकी मुताबित हम शेयर को खरीद या बीच सकते हे।
Day trading
स्टॉक मार्किट का एक फिक्स टाइमिंग होता हे सुबह ९;१५ को आप ट्रेडिंग कर सकते हे। तो मार्किट के क्लोसिंग (बंद) टाइमिंग ३;२० तक आप ट्रेडिंग कर सकते हे। इसका मतलब आपने ९;१५ को शेयर ख़रीदा तो आपको ३;२०तक उसे बेचना ही होगा। नहीं तो आपका ब्रोकर उसको बेच देता हे आपका फायदा हो या आपका नुकसान ,और आपको उसकी पेनल्टी भी भरनी पड़ती हे।
swing trading
स्विंग ट्रेडिंग का मतलब एक विशेष कालावधि के लिए स्टॉक को हम खरीद कर हमारे अकाउंट में रखते हे और प्रॉफिट होने के बाद उसी स्टॉक को बेच देते इसे ही सिंपल भाषा में स्विंग ट्रेडिंग कहते हे।
scalping
स्कल्पिंग का मतलब होता हे की कुछ लोग सिर्फ कुछ मिनिट के लिए स्टॉक में ट्रेडिंग करते हे। मतलब टेक्निकल एनालिसिस करके स्टॉक को पहले ख़रीदा और प्रॉफिट होने पैर उससे बेच दिया और ये खरीदने और बेचने का टाइम सिर्फ कुछ मिनटों का रहता हे।
और ये सब सिर्फ टेक्निकल एनालिसिस को समजकर या उसकि समज होने पर ही हम कर सकते हे , बहुत से लोगो ने टेक्निकल एनालिसिस की समज न होने की वजहा से स्टॉक मार्किट में बहुत बड़े नुकसान उठाये हे। और इस नुकसान से बचने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का क्नॉलेज होना बहुत महत्वपूर्ण हे।
टेक्निकल एनालिसिस की मदत से आप शेयर मार्केट के चार्ट को समझ सकते है। टेक्निकल एनालिसिस से आपको मार्केट के चार्ट का ट्रेंड पता चलता है ,की स्टॉक का प्राइज ऊपर जा सकता है या निचे। और इस तरह आप आसानी से टेक्निकल एनालिसिस से चार्ट को समझ सकते है।
technical analysis टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है से हम किसीभी स्टॉक प्राइज की मूवमेंट को देखके उसके फ्यूचर(भविष्य)प्राइज का अंदाज़ा लगा सकते हे मतलब हम प्रिडिक्ट करते हे की फ्यूचर में शेयर की प्राइज अप रहेगी या फिर डाउन रहेगी या फिर एक फिक्स रेंज में रहेगी।
निष्कर्ष
यकीं हे की आपको technical analysis kya hota he(technical analysis in hindi) समज में आ गया होगा अगर आपको हमारी ये पोस्ट पसंद आये तो शेयर जरूर कीजियेगा और आपको अगर हमारी पोस्ट में कुछ समज नहीं आया होगा तो कमेंट बॉक्स में कमेंट लिखकर हमें भेज सकते हे। धन्यवाद!
क्या है टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस? शेयर बाजार में पैसा कमाने के लिए जरूरी है ये ज्ञान, जानें इसे कैसे सीखें
टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस में किसी भी शेयर या कंपनी के पिछले और वर्तमान प्रदर्शन के आधार पर भविष्य की संभावना का अ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : November 03, 2022, 11:42 IST
हाइलाइट्स
टेक्निकल एनालिसिस में इंडिकेटर के जरिए स्टॉक के प्राइस की मूवमेंट का अंदाजा लगाया जाता है.
फंडामेंटल एनालिसिस में किसी भी कंपनी के बिजनेस मॉडल और ग्रोथ स्टोरी का अध्ययन किया जाता है.
टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस सीखने के लिए कई बुक, कोर्स और ऑनलाइन कंटेंट उपलब्ध है.
नई दिल्ली. शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले इसकी पर्याप्त समझ होनी चाहिए. किसी भी स्टॉक को खरीदने के लिए उसके बारे में अच्छे से अध्ययन करना होता है और यह दो तरीकों टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के जरिए किया जाता है. लेकिन, आम निवेशक को इसके बारे में ज्यादा समझ नहीं होती है लेकिन बाजार में सक्रिय रूप से काम करने वाले निवेशक और मार्केट एक्सपर्ट्स इसकी गहरी समझ रखते हैं. हालांकि, टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस की समझ विकसित करना ज्यादा मुश्किल नहीं है.
आइये जानते हैं कि आखिर टेक्निकल और फंटामेंटल एनालिसिस क्या है और कैसे इसके बारे में समझ विकसित करके शेयर बाजार में सक्रिय निवेशक के तौर पर काम किया जा सकता है. इन दोनों तरीकों से आप शेयर की कीमत का सही अनुमान और भविष्य से जुड़ी संभावनाओं के बारे में पता लगा सकते हैं, साथ ही स्टॉक कब खरीदें और कब बेचें, यह निर्णय लेने में भी आपको मदद मिलेगी.
क्या है टेक्निकल एनालिसिस?
टेक्निकल एनालिसिस में किसी भी शेयर के चार्ट को देखकर उसकी डेली, वीकली और मंथली मूवमेंट और प्राइस के बारे में जानकारी हासिल की जाती है. चार्ट के जरिए सबसे शेयर के सपोर्ट और रेजिस्टेंस देखा जाता है. यहां सपोर्ट से मतलब है कि स्टॉक कितनी बार किसी एक खास भाव से ऊपर की ओर गया है. ज्यादातर एनालिस्ट सपोर्ट लेवल पर ही खरीदी की सलाह देते हैं.
वहीं, रेजिस्टेंस का मतलब है कि कोई स्टॉक कितनी बार किसी एक भाव से फिर से नीचे की ओर लौटकर आया है. अगर कोई शेयर अपने रेजिस्टेंस को तोड़कर ऊपर की ओर जाता है तो इसे ब्रेकआउट कहते हैं यानी कि अब शेयर का भाव और बढ़ेगा. इसके विपरीत, यदि स्टॉक सपोर्ट लेवल को तोड़ देता है तो उसके नीचे जाने की संभावना ज्यादा रहती है.
टेक्निकल एनालिसिस में अहम इंडिकेटर
टेक्निकल एनालिसिस में इंडिकेटर अहम टूल्स होते हैं. दरअसल ये शेयर की मूवमेंट को लेकर अहम संकेत देते हैं. इनमें मूविंग एवरेज, RSI, MACD, सुपर ट्रेंड और बोलिंजर बैंड समेत कई इंडिकेटर्स शामिल हैं. हर इंडिकेटर का अपना महत्व है लेकिन शेयर बाजार में सक्रिय ज्यादातर निवेशक मूविंग एवरेज, MACD और RSI इंडिकेटर को अहम मानते हैं.
मूविंग एवरेज इंडिकेटर के जरिए किसी भी स्टॉक के पिछले 5, 10, 20, 50, 100 और 200 दिन के एवरेज प्राइस का अध्ययन किया जाता है. अलग-अलग टाइम फ्रेम पर स्टॉक के भाव में बढ़त और गिरावट से तेजी व मंदी का अनुमान लगाया जाता है. वहीं, RSI यानी रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स एक ग्राफ के जरिए यह प्रदर्शित करता है कि शेयर में कितनी खरीदारी और बिकवाली हावी है.
फंडामेंटल एनालिसिस क्यों जरूरी?
फंडामेंटल एनालिसिस में किसी भी कंपनी के बिजनेस मॉडल और ग्रोथ स्टोरी का अध्ययन किया जाता है. इसमें मुख्य रूप से कंपनी के फाइनेंशियल्स यानी आर्थिक आंकड़ों पर नजर डाली जाती है. इनमें P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को देखा जाता है. अगर प्राइस अर्निंग रेशियो की वैल्यू कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है. वहीं, प्राइस टू बुक वैल्यू रेशियो कम है तो इसका मतलब हुआ कि स्टॉक अंडरवैल्यूड है.
फंडामेंटल एनालिसिस टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है में कम्पनी की सम्पत्तियों तथा देनदारियों की अध्ययन करके कम्पनी की नेट वैल्यू निकाली जाती है. इसके आधार पर कम्पनी के स्टॉक की कीमत का अनुमान लगाया जाता है. इसमें कम्पनी की डिविडेंड पॉलिसी भी देखी जाती है. इस तरह की स्टडी से अंडरवैल्यूड कंपनियों के बारे में पता लगाया जा सकता है जिनके भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना होती है.
कैसे सीखें टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस
टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के बारे में जानने के बाद अब सवाल उठता है कि यह ज्ञान कहां से लिया या सीखा जाए. टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के लिए कई बुक्स और इंटरनेट पर ऑनलाइन कंटेंट उपलब्ध है.
इसके अलावा आप नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी मार्केट (NISM) के जरिए शेयर मार्केट में बतौर रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइज के तौर पर काम करने के लिए कई कोर्सेस ज्वाइन कर सकते हैं. इनमें टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस से जुड़े विषयों को कवर किया जाता है.
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Technical analysis in hindi | Technical analysis क्या होता है?
Technical analysis
technical analysis का उपयोग financial market की चाल को समझने के लिए किया जाता है यह price के इतिहास और वर्तमान के आंकड़ों के आधार पर financial market की दिशा का अनुमान लगाने का एक तरीका है। technical analysis का उपयोग ज्यादातर कम टाइम या शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के लिए किया जाता है ट्रेडिंग में इसका अपयोग सबसे ज्यादा होता है इसमे पुराने इतिहास के आँकड़ों के आधार पर शेयर की भविष्य की चाल को समझ कर ट्रेडर ट्रेड करते हैं। यदि किसी ट्रेडर को पिछले बाजार के पैटर्न की पहचान होती है तो वह भविष्य के बाजार की सटीक भविष्यवाणी कर सकता है।
How to use technical analysis | तकनीकी विश्लेषण का उपयोग कैसे करें
एक technical analyst के पास technical analysis करने के कई तरीके होते हैं । जैसे की moving average ,support and resistant level ,candlesticks, chart pattern ,volume और इंडिकेटर इत्यादि इन सब तरीकों से एक एनालिस्ट चाट की मूवमेंट और मार्केट का ट्रेंड आसानी से समझने की कोशिश करता है।
टेक्निकल एनालिस्ट के लिए कुछ इंडीकेटर्स जरुरी होते है
जब भी कोई ट्रेडर शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करता है तो वह शेयर प्राइस के आधार पर शेयर खरीदता है और कम समय में ज्यादा प्रॉफिट कमाना चाहता है। लेकिन शार्ट टर्म में शेयर की प्राइस बहुत तेजी से चेंज होती है तो निवेशक को कैसे पता रहेगा कि किस प्राइस पर शेयर खरीदना है और किस प्राइस पर शेयर बेचना है इस समस्या को सुलझाने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का यूज किया जाता है।
Basic assumptions of technical analysis
1. market action discounts everything
किसी कंपनी के मौजूदा शेयर प्राइस में उस कंपनी की फंडामेंटल फैक्टर्स ग्रोथ इनकम सभी इंक्लूड होता है उसको अलग से चेक करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि जो अभी शेयर का मौजूदा प्राइज है उसमें यह सारी बातें इंक्लूड है।
2. prices move in trends.
यहां पर हर शेयर की प्राइस एक ट्रेंड में बढ़ती या घटती रहती है यह माना जाता है कि शेयर प्राइस जिस ट्रेन में अभी चल रहा है फ्यूचर में भी वैसे ही चलने की संभावना ज्यादा होती है ट्रेंड तीन टाइप के होते हैं शॉर्ट टर्म मीडियम टर्म और लांग टर्म।
प्राइस ट्रेंड 3 तरीके से ट्रेंड करती है
up trand में शेयर की price 1 पैटर्न में बढ़ती रहती है और down trand में शेयर की price एक पैटर्न में गिरती रहती है और sideways trand में share की प्राइस 1 फिक्स इंटरवल में ट्रेंड करती है।
3. History repeats itself
शेयर मार्केट में हमेशा हिस्ट्री रिपीट होती है पास्ट में किसी वजह से यदि कोई प्राइज में चेंज आया था तो भविष्य में भी उसी वजह से उस शेयर की प्राइस में चेंज आएगा। शेयर मार्किट में प्राइस हमेशा इन्वेस्टर के इमोशंस पर चलती है।
टेक्निकल एनालिसिस की शुरुआत 1755 में जापान के एक चावल व्यापारी Homma munehisa ने की थी।
1755 में Homma munehisa की book The fountain of gold पब्लिक हुई थी जिससे कि टेक्निकल एनालिसिस की शुरुआत हुई उन्होंने बताया कि राइस की प्राइस टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है कैसे राइस के वॉल्यूम और मौसम पर निर्भर करती है इसको समझ कर आप फ्यूचर मैं राइस की प्राइस को समझ सकते हैं
Dow theory
Technical analysis
आज हम किस मॉडर्न technical analysis की theory को जानते हैं और यूज़ करते हैं वो बेस्ड है dow theory पर।
इस थ्योरी को वॉल स्ट्रीट Dow Jones Industrial Average (DJIA) के फाउंडर Charles Henry Dow द्वारा लिखी 255 Wall Street Journal Editorial Article पर आधारित है। और इस article को William Peter Hamilton, Robert Rhea and E. George Schaefer ने रीऑर्गेनाइज करके पब्लिश किया और आज इस थ्योरी को टेक्निकल एनालिसिस मैं बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
मैं Technical Analysis कैसे सीख सकता हूँ?
Technical Analysis सीखने के लिए सबसे पहले निवेश, स्टॉक, बाजार, और वित्तीय की मूल बातें सीखना होगा। यह सब books, online courses, online material, and classes के माध्यम से किया जा सकता है। एक बार मूल बातें समझ जाने के बाद, आप उसी प्रकार की सामग्रियों का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन वे जो विशेष रूप से Technical Analysis पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
कैसे पकड़ें शेयर बाजार की नब्ज व जानिए टेक्निकल एनालिसिस का अर्थ
दरअसल अनिश्चितता से भरे शेयर ट्रेडिंग में भावों के उतार-चढ़ाव को समझना ही सबसे बड़ी चुनौती होती है। जो ट्रेडर यह समझते हैं कि मुनाफा कमाना बड़ा लक्ष्य है, वे अक्सर घाटा खाते हैं, जबकि भावों की भाषा को पढ़ने वाले कुल मिलाकर फायदे में रहते हैं, क्योंकि किसी भी शेयर के भावों में ही छिपा रहता है उसका भूत, वर्तमान और भविष्य, बस इसे पढ़ने के लिए सधी और पैनी नजर चाहिए। अब सवाल है कि भावों की भाषा पढ़ी कैसे जाए। इसका एक प्रमुख माध्यम है टेक्निकल एनालिसिस।
टेक्निकल एनालिसिस का अर्थ है किसी स्टॉक के मार्केट डाटा का सूक्ष्म अध्ययन करके उसकी संभावित कीमत का अनुमान लगाना। इसमें मुख्य रूप से दो बातों पर गौर किया जाता है। भाव और ट्रेडिंग की मात्रा यानी वॉल्यूम। सरल शब्दों में कहा जाए तो टेक्निकल एनालिसिस के तहत देखा जाता है कि किसी खास समय अवधि में किसी स्टॉक की कीमत में कितना उतार-चढ़ाव आया। इस अवधि में इसकी ट्रेड की गई संख्या में क्या कभी कोई बड़ा उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है। यदि किसी स्टॉक में औसतन रोजाना एक लाख शेयर ट्रेड होते हैं और अगर किसी एक दिन अचानक इनकी तादाद बढ़कर एक लाख 70 हजार हो जाए तो इसका मतलब है कि जरूर उस स्टॉक में कोई हलचल मची है।
टेक्निकल से अलग फंडामेंटल: आगे बढ़ने से पहले हम आपको बता दें कि टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस से अलग है। फंडामेंटल एनालिसिस में जहां हम लंबे निवेश के नजरिए से कंपनी के अतीत और वर्तमान को कसौटी पर कसने की कोशिश करते हैं, वहीं टेक्निकल एनालिसिस मूल रूप से भावों की तात्कालिक गणना पर आधारित पद्धति है। इसका उद्देश्य ट्रेडर की मदद करना होता है। फिर चाहे वह ट्रेडर इंट्रा डे हो या फिर शॉर्ट टर्म ट्रेडर। फंडामेंटल एनालिसिस में हम कंपनी की आय, उसके द्वारा दिए गए लाभांश और शोध जैसी बातों को अपने अध्ययन का आधार बना सकते हैं।
टेक्निकल एनालिसिस में इनमें से कुछ संकेतकों का उपयोग किया जा सकता है लेकिन इसमें मुख्य रूप से कुछ विशेष टूल्स और तकनीक का इस्तेमाल किया जता है। इन विशेष साधनों में एक है चार्ट का अध्ययन। चाटरें के जरिए टेक्निकल एनालिसिस करने वाला ट्रेडर दो अहम चीजों पर ध्यान देता है- पहला प्राइस मूवमेंट और दूसरा शेयर का ट्रेंड। अगर कोई शेयर आपके द्वारा निर्धारित कीमत से दो फीसदी गिर भी जाता है तो मुमकिन है कि वह अपट्रेंड हो। यानी उसमें मुनाफा वसूली या किसी और वजह से थोड़े वक्त के लिए टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है करेक्शन आया हो लेकिन वह जल्द ही फिर से रफ्तार पकड़ सकता है। टेक्निकल एनालिसिस के जरिए हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि किस सीमा के बाद कोई शेयर अपनी दिशा बदल सकता है।
टेक्निकल एनालिसिस को समझने व ट्रेड के लिए चार्ट पैटर्न की मदद कैसे ली जाती है: टेक्निकल एनालिसिस में काम आने वाले चार्ट पैटर्न भी कई तरह के होते हैं। जैसे- हेड एंड शोल्डर, डबल टॉप या बॉटम वगैरह। इसके अलावा जो चीज टेक्निकल एनालिसिस में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, वह है मूविंग एवरेज। मूविंग एवरेज पर अलग से चर्चा करेंगे, फिलहाल हम आपको उसका एक परिचय देते चलें। मूविंग एवरेज का अर्थ है कि कोई शेयर किसी खास अवधि में किस औसत भाव के साथ मूव कर रहा था। इसका आकलन लगाने में हम कुछ और तकनीकी बिंदुओं पर गौर कर करते हैं, जैसे, सपोर्ट और रेजिस्टेंस।
आगे की पोस्टो में हम टेक्निकल एनालिसिस के एक एक पहलू पर विस्तार से गौर करेंगे। हम इसके जरिए शेयर के भावों का अर्थशास्त्र समझने की कोशिश करेंगे। लेकिन ये याद रखिए कि एक सफल ट्रेडर के लिए टेक्निकल एनालिसिस का ज्ञान होना जरूरी है तो फंडामेंटल एनालिसिस की समझ भी आवश्यक है। शेयर बाजार में कीमतें किसी एक सिद्धांत के आधार पर तय नहीं होती हैं। यहां सबसे बड़ा नियम है अनिश्चितता का। इसलिए आप बाजार के विश्लेषण की जितनी ज्यादा विधाओं को समझेंगे, आपका एप्रोच और एक्शन उतना ही सटीक होगा।
शेयर ट्रेडिंग में किसी भी ट्रेडर को नुकसान क्यों होता है? सीधा जवाब है- वह एंट्री और एक्जिट के सही भाव का अनुमान लगाने में विफल रहा। अगर सही प्राइस प्वाइंट मिल गया तो फिर समझिए कि मंजिल आधी फतह हो गई।
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