और बढ़ती गई बात
पप्पू मिश्रा के ऐलान पर उसके समर्थकों ने अमल भी शुरू कर दिया था। यूनिवर्सिटी में जहां भी कोई मलिहाबाद तेजी की प्रवृत्ति तेज होने पर UNI का पठान छात्र दिखता। पप्पू और उसके समर्थक पीट देते। चार-पांच दिनों में इतना आतंक हो गया कि मलिहाबाद के पठान छात्रों ने यूनिवर्सिटी आना बंद कर दिया। इसी बीच पप्पू और उसके समर्थकों ने बालागंज में मुन्ना खां के छोटे भाई को पीट दिया।
तेजी की प्रवृत्ति तेज होने पर UNI
दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय संकट का असर लगातार बना होने के बावजूद जीवन स्तर के मामले में गरीब देश, अमीर देशों से लगातार होड़ में हैं। विस्तार से जानकारी दे रहे हैं अरविंद सुब्रमण्यन
वैश्विक वित्तीय संकट की शुरुआत के पांच साल बाद आज भी दुनिया भर में आर्थिक हलकों में किसी तरह का उल्लास देखने को नहीं मिल रहा है। यूरो क्षेत्र में बेरोजगारी की दर ऊंची बढ़ी हुई है और उसमें लगातार इजाफा हो रहा है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार का क्रम भी अनियमित है, वहीं उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों के आर्थिक विकास की तेजी में भी कमी आई है। लेकिन इन तमाम धुंधली, अनिश्चित और जोखिम भरी बातों के बीच हम एक महत्त्वपूर्ण तथ्य पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और वह है आर्थिक विकास का स्वर्णिम युग जो हालिया वित्तीय संकट से मोटे तौर पर बचा रहा। इसकी शुरुआत 1990 के मध्य से अंत के दरमियान हुई। आश्चर्य की बात यह है कि विकास का वह क्रम जारी है।
यूपी वालों में तेजी से बढ़ रहा मोटापा, महिलाओं से ज्यादा पुरुष हो रहे शिकार
राजकुमार शर्मा, लखनऊ। यूपी वाले बहुत तेजी से मोटे हो रहे हैं। यह रफ्तार मोटापे के राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। मोटापे की चपेट में आने वाली महिलाओं की संख्या अधिक है। हालांकि अब यूपी के पुरुष ज्यादा तेज रफ्तार से इस मामले में महिलाओं का पीछा कर रहे हैं। यूपी के लोगों के अधिक संख्या में मोटापे की चपेट में आने का खुलासा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट में हुआ है। इस सर्वेक्षण की चौथी रिपोर्ट से तुलना करने तेजी की प्रवृत्ति तेज होने पर UNI पर पता चलता है कि प्रदेश के पुरुषों में मोटा होने की प्रवृत्ति चार साल में छह फीसदी बढ़ गई है। जबकि यूपी की महिलाएं इस अवधि में 4.8 फीसदी की रफ्तार से मोटापे का शिकार हुई हैं।
Lucknow Crime: फैशन शो की लड़ाई में लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र नेता का मर्डर, 25 जनवरी, 1990 को जब मच गई थी खलबली
लखनऊ में छात्रनेताओं की दबंगई
- 25 जनवरी, 1990 को छात्रनेता अनिल कुमार मिश्रा की गोली मार हुई थी हत्या
- फैशन शो में शामिल होने की बात को लेकर मिश्रा की मुन्ना खां गुट से हुआ झगड़ा
- कम समय में ही अनिल कुमार मिश्रा ने अपराध जगत में बना लिया था दबदबा
केकेवी छात्रसंघ चुनाव
उसी साल सरकार ने एक बार फिर छात्रसंघ चुनाव करवाने की मंजूरी दी थी। पप्पू की तेजी देख अजीत सिंह ने केकेवी से छात्रसंघ चुनाव लड़ने को कहा। राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते पप्पू तैयार हो गया। 1985-86 में पहली बार केकेवी छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतरा, लेकिन अवधेश यादव से चुनाव हार गया। अगले वर्ष यानी 1986-87 में फिर अजीत सिंह के ‘आशीर्वाद’ पर पप्पू ने अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा। इस बार वह अशोक त्रिवेदी से हार गया।
कायम हो गई थी बादशाहत
पप्पू छात्रसंघ चुनाव भले ही हार गया हो, लेकिन स्नातक के तीन वर्ष में चारबाग से लेकर मोहनलालगंज तक उसकी बादशाहत कायम हो गई थी। पप्पू की खुली जीप लेकर उसके समर्थक भी अगर किसी दुकान पर पहुंच जाते तो दुकानदार सामान देने के बाद रुपये मांगने की हिम्मत नहीं करता था। चारबाग से मोहनलालगंज तक के बड़े व्यापारियों से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष वसूली भी शुरू हो गई थी। जरा सी बात पर मारपीट आदत बन चुकी थी। और तो और जीप को साइड मिलने में देरी पर बस और कार चालकों तक को पीट देता था।
शिक्षा के माध्यम से ही समाज में आ सकती है जागृति-राज्यपाल
बालाघाट. समाज में व्याप्त बाल विवाह, कुपोषण, जात-पात की भावना, अंधविश्वास और अन्य कुरीतियों को शिक्षा के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है। शिक्षा के माध्यम से ही समाज के लोगों में जागृति आएगी और तभी हमारा समाज, प्रदेश व देश विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ सकेगा। यह बातें मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कही। राज्यपाल 5 अक्टूबर को बालाघाट जिले के डोंगरिया में निजी क्षेत्र के सरदार पटेल विश्वविद्यालय बालाघाट के शुभारंभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी। इस कार्यक्रम में प्रदेश के केबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन, विधायक डॉ योगेन्द्र निर्मल, पूर्व सांसद विश्वेश्वर भगत, पूर्व विधायक प्रदीप जायसवाल, लता एलकर, भाजपा जिला अध्यक्ष रमेश तेजी की प्रवृत्ति तेज होने पर UNI रंगलानी, सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ दिवाकर सिंह, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति डॉ प्रदीप बिसेन, कलेक्टर डीवी सिंह, एसपी तेजी की प्रवृत्ति तेज होने पर UNI जयदेवन ए सहित अन्य मौजूद थे।
इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि बालाघाट जिले के डोंगरिया में प्रारंभ हुआ यह विश्वविद्यालय जबलपुर संभाग के 8 जिलों में पहला निजी विश्वविद्यालय है। इसके प्रारंभ होने से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के युवाओं को शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी सुविधाएं सुलभ होगी। शिक्षा का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व है। पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र-छात्राएं डिग्री लेकर सरकारी नौकरी की तलाश में लग जाते है। युवाओं की इस प्रवृत्ति को बदलने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय युवाओं को तकनीकी और रोजगारमूलक शिक्षा देने का प्रयास करें। जिससे युवा पढ़ाई पूरी करने के तेजी की प्रवृत्ति तेज होने पर UNI बाद अपने पैरों पर खड़े हो सके और अपना स्वयं का व्यवसाय व उद्योग प्रारंभ कर अन्य लोगों को रोजगार देने में सक्षम बन सके। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल विश्वविद्यालय को शिक्षा के साथ सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में भी अपना योगदान देना चाहिए। अपने यहां पर पढऩे वाली सभी छात्राओं का ब्लड टेस्ट कराएं और उनका हिमोग्लोबिन चेक कराएं। कम हिमोग्लोबिन वाली छात्राओं को चिन्हित कर उनके परिजनों को इसके दुष्परिणामों से अवगत कराएं। समाज में कम आयु की बालिकाओं के विवाह को रोके।
केबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि मप्र कृषि के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य है। मप्र की कृषि विकास दर बहुत अच्छी है। कृषि आधारित उद्योगों के लिए हमें तकनीकी रूप से कुशल युवाओं की जरूरत है। बालाघाट जिला कृषि, वन संपदा और खनिज संपदा से परिपूर्ण जिला है। इस जिले में कृषि, वन संपदा और खनिज के क्षेत्र में उद्योग की बहुत अच्छी संभावनाएं है। सरदार पटेल विश्वविद्यालय द्वारा कृषि के साथ ही अन्य उपयोगी कोर्स प्रारंभ किए गए है। इसका लाभ जिले को निश्चित रूप से मिलेगा। सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ दिवाकर सिंह ने तेजी की प्रवृत्ति तेज होने पर UNI शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उनके प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल विश्वविद्यालय ७० एकड़ क्षेत्र में बसा है। यहां बेहतर शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे तेजी की प्रवृत्ति तेज होने पर UNI हैं। इसके अलावा उन्होंने अनेक बातें कही। इस अवसर पर बड़ी संख्या में विद्यार्थी, अभिभावक, कॉलेज का स्टॉफ सहित अन्य मौजूद थे।
कई दशक बाद अमेरिका में वार्षिक जन्मदर में गिरावट दर्ज
वाशिंगटन। अमेरिका में वार्षिक जन्मदर पिछले साल 4 प्रतिशत गिर गई है। इस बदलाव को कई दशकों बाद सबसे बड़ी वार्षिक गिरावट मानी जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि वार्षिक जन्मदर में पहले से ही गिरावट का ट्रेंड दिख रहा है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की ओर से गुरुवार को जारी किए गए ताजा प्रोविजनल डेटा में बताया गया है कि लगातार छठे साल साल 2020 में वार्षिक जन्मदर में गिरावट आई है।
वर्ष के अंतिम भाग में सबसे बड़ी गिरावट तब हुई, जब अमेरिका में कोरोना प्रकोप के दौरान गर्भ धारण करने वाले शिशुओं का जन्म हुआ।
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