विदेशी मुद्रा भंडार 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.9 अरब डॉलर पर

Foreign Exchange

मुंबई (एजेंसी)। विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास आरक्षित निधि घटने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 04 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.9 अरब डॉलर रह गया जबकि इसके पिछले सप्ताह यह 6.6 अरब डॉलर बढ़कर 531.1 अरब डॉलर पर रहा था। रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, 04 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 12 करोड़ डॉलर कम होकर 470.73 अरब डॉलर रह गयी।

इसी तरह इस अवधि में स्वर्ण भंडार में 70.5 करोड़ डॉलर की गिरावट आई और यह घटकर 37.06 अरब डॉलर हो गया। आलोच्य सप्ताह एसडीआर में 23.5 करोड़ डॉलर की कमी हुई और यह घटकर 17.4 अरब डॉलर पर आ गया। इस अवधि में आईएमएफ के पास आरक्षित निधि 2.7 करोड़ डॉलर घटकर 4.82 अरब डॉलर पर आ गई।

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2 साल के निचले स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार, कोष में मात्र 532.66 अरब डॉलर बचे

विदेशी मुद्रा भंडार

LagatarDesk : भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार 9वें सप्ताह गिरावट आयी है. 30 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया. यह जुलाई 2020 के बाद अपने न्यूनतम स्तर पर आ गया है. है. यानी विदेशी मुद्रा भंडार दो साल के निचले स्तर पर पहुंचा गया. जुलाई 2020 में भारत के खजाने में 607 अरब डॉलर था. जबकि 3 सितंबर 2021 को यह 642.45 बिलियन डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था. ऑल टाइम हाई के मुकाबले देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 110 अरब डॉलर से ज्यादा की गिरावट आयी है.

2022 में अबतक रुपया में 8 रुपये की आयी है गिरावट

डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है. शुक्रवार को रुपया, डॉलर के मुकाबले 82.32 के नये रिकॉर्ड लो स्तर पर बंद हुआ. बीते एक सप्ताह में इंडियन करेंसी में 1 रुपया, एक महीने में 2.5 रुपया और 2022 में अब तक 8 रुपये की गिरावट आयी है. गिरते रुपये को संभालने के लिए आरबीआई लगातार अपने खजाने से डॉलर को बेच रहा है. जिसकी वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है.

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रिपोर्टिंग वीक में 7.688 अरब डॉलर घटा एफसीए

विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. अगर एफसीए बढ़ती है तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी बढ़त देखने को मिलती है. वहीं अगर एफसीए घटती है तो देश के भंडार में भी कमी आती है. फॉरेन करेंसी एसेट्स में डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं को भी शामिल किया जाता है. रिपोर्टिंग वीक में भारत की एफसीए (FCA) 4.406 अरब डॉलर कम होकर 472.807 अरब डॉलर रह गया. इससे पहले 23 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में एफसीए 7.688 अरब डॉलर घटकर 477.212 अरब डॉलर रह गया था.

गोल्ड रिजर्व में 28.1 करोड़ डॉलर की आयी गिरावट

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में भारत का स्वर्ण भंडार में भी कमी आयी है. 30 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में गोल्ड रिजर्व 28.1 करोड़ डॉलर घटकर 37.605 अरब डॉलर पर आ गया. इससे पहले भी भारत के स्वर्ण भंडार में 30 करोड़ डॉलर की कमी आयी थी. गिरावट के बाद भारत के खजाने में गोल्ड रिजर्व 37.886 अरब डॉलर रह गया था.

रिपोर्टिंग वीक में केवल आईएमएफ में मिला एसडीआर में आयी बढ़त

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, आलोच्य सप्ताह में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ (IMF) में मिला देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट (Special Drawing Rights) में बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्टिंग वीक में यह 16.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.427 अरब डॉलर पर जा पहुंचा. इससे पहले आईएमएफ (IMF) में मिला देश का एसडीआर 93 करोड़ डॉलर घटकर 17.594 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के पास रखा देश का आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार 4.826 अरब डॉलर पर ही है.

सितंबर माह में भारत के कोष में 20.738 अरब डॉलर की आयी कमी

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 9 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में भंडार 2.23 अरब डॉलर कम होकर 550.87 अरब डॉलर हो गया था. वहीं 16 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 5.22 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. जबकि 23 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में देश का कोष 8.134 अरब डॉलर घटकर 537.518 अरब डॉलर रह गया था. वहीं 30 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस तरह सितंबर माह में भारत का कोष 20.738 अरब डॉलर कम हो गया.

अगस्त माह में 11.932 अरब डॉलर कम हुआ कोष

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 26 अगस्त को हुए सप्ताह में भारत का कोष 3.007 अरब डॉलर घटकर 561.046 अरब डॉलर रह गया था. इससे विदेशी मुद्रा कोष की नई चिंताएं पहले 19 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर रह गया था. जबकि 12 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में यह 2.23 अरब डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर पर आ गया था. वहीं 5 अगस्त को सप्ताह हुए सप्ताह में भारत का कोष 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर रह गया. इस तरह अगस्त महीने में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 11.932 अरब डॉलर की गिरावट आयी. वहीं इससे पहले जुलाई माह में यह 21.6938 अरब घटा था.

आरबीआई के उपायों का रुपया पर कोई असर नहीं

आरबीआई के अनुसार, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट को थामने के लिए वो लगातार डॉलर बेच रहा है. जिसकी वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आयी है. हालांकि आरबीआई का यह उपाय कारगर साबित नहीं हो रहा है. डॉलर को बेचने के बावजूद भारतीय करेंसी लगातार गिर रही है. बताते चलें कि सितंबर 2021 यानी एक साल पहले देश का विदेशी मुद्रा भंडार 642 अरब डॉलर था. जो एक साल बाद यानी सितंबर 2022 में 545.652 अरब डॉलर रह गया. इस तरह एक साल में भारत का कोष 100 अरब डॉलर कम हुआ है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट ने बढ़ाई भारत की चिंता

गौरतलब है कि हाल ही में आयी रॉयटर्स की रिपोर्ट ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी रहेगा. 2022 के आखिरी यानी दिसंबर तक विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 523 अरब डॉलर तक आ सकता है. इतना ही नहीं विदेशी मुद्रा भंडार में आयी गिरावट 2008 की आर्थिक मंदी की याद दिला सकता है. 2008 में भी डॉलर के मुकाबले रुपया में भारी गिरावट आयी थी. जिसके बाद देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 20 फीसदी की गिरावट देखी गयी थी. इस बार भी जब रुपया गिर रहा है तो विदेशी मुद्रा भंडार में उसी तेज गति से गिरावट आ रही है.

घटते विदेशी मुद्रा भंडार से भारत के लिए मुश्किलें बढ़ीं

बीते 30 जून को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 410 अरब डॉलर से भी कम रह गया। महीना भर पहले यह 425 अरब डॉलर के स्तर पर था। विदेशी मुद्रा कोष के तेजी से घटने के कुछ कारण स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। कच्चे तेल की बढ़ती कीमत और विभिन्न वस्तुओं के तेजी से बढ़ते आयात के कारण देश में डॉलर की मांग बढ़ गई है। निर्यात की धीमी बढ़ोतरी और विदेशी निवेशकों द्वारा नए निवेश की कमी के कारण भी डॉलर की आवक कम हो गई है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध की शुरुआत से चीनी मुद्रा युआन सहित दुनिया के सभी उभरते देशों की मुद्राओं की कीमत डॉलर के मुकाबले घट गई है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमत विदेशी मुद्रा कोष में गिरावट का प्रमुख कारण है। पिछले एक सप्ताह में ही कच्चा तेल 72 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 77 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। यही वह प्रमुख कारण है, जिससे 28 जून को रुपए की कीमत अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई और एक डॉलर 69 रुपए का हो गया।

अमेरिकी दबाव

हाल में अमेरिका ने भारत, चीन सहित सभी देशों को ईरान से कच्चे तेल का आयात 4 नवंबर तक बंद करने को कहा है और इस तिथि के बाद वहां से तेल मंगानेवाले देशों के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है। भारत में इराक और सऊदी अरब के बाद सबसे ज्यादा कच्चा तेल ईरान से मंगाया जाता है। ईरान भारत द्वारा यूरोपीय बैंकों के माध्यम से यूरो में भुगतान स्वीकार करता है। डॉलर की तुलना में यूरो में भुगतान भारत के लिए अच्छा है। ईरान से होनेवाला कच्चे तेल का आयात सस्ती ढुलाई के कारण भी भारत के लिए फायदेमंद है। स्पष्ट है कि ईरान से कच्चे तेल का आयात बंद होने पर नई चिंताएं सामने होंगी। हालांकि 22 जून को ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में आयोजित 13 तेल उत्पादक देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (ओपेक) की अहम बैठक में कच्चे तेल के उत्पादन में आगामी जुलाई 2018 से लगभग 10 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) तक, यूं कहें कि वैश्विक आपूर्ति में एक प्रतिशत इजाफा करने का निर्णय लिया है। लेकिन इस बढ़ोतरी से तेल की कीमतों में मामूली कमी ही आएगी।

ट्रेड वॉर से चिंतित विदेशी निवेशक इन दिनों भारतीय बाजार में निवेश करके जोखिम नहीं लेना चाहते और वे अधिक सुरक्षित अमेरिकी डॉलर और बॉण्ड में अपना निवेश कर रहे हैं। डॉलर में लगातार आ रही मजबूती और अमेरिका में 10 साल के सरकारी बॉण्ड पर प्राप्ति 3 प्रतिशत की ऊंचाई पर पहुंच गई है। ऐसे में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारत सहित सारे उभरते बाजारों में अपना नया निवेश नहीं लगा रहे हैं विदेशी मुद्रा कोष की नई चिंताएं और मौजूदा निवेश को तेजी से निकालते दिखा रहे हैं। इस वर्ष जनवरी से अब तक विदेशी निवेशकों ने भारत से करीब सात अरब डॉलर की नेट निकासी की है। 25 जून को प्रकाशित एमएससीआई सूचकांक के अनुसार, भारत के प्रति वैश्विक फंडों का आकर्षण वर्ष 2013 के बाद सबसे निचले स्तर पर है। 2015 तक भारत विदेशी निवेशकों की आंख का तारा था, जब उभरते बाजारों में होनेवाले हर 100 डॉलर निवेश में से 16 डॉलर भारत को मिले। लेकिन अभी यह निवेश गिरकर 9.5 डॉलर रह गया है। ऐसे में भारतीय बाजार से विदेशी पूंजी की निकासी रुकने की उम्मीद कम ही है।

देश में डॉलर की जरूरत बढ़ते विदेश व्यापार घाटे के कारण भी बढ़ी है। पिछले वित्त वर्ष 2017-18 में देश ने निर्यात के 300 अरब डॉलर के लक्ष्य को छू लिया, लेकिन निर्यात की तुलना में आयात डेढ़ गुना बढ़ा। नतीजा यह कि 2017-18 के लिए व्यापार घाटा 2016-17 के 108.50 अरब डॉलर से बढ़कर 156.83 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले चार साल में सबसे ज्यादा है। देश-दुनिया के आर्थिक और वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि रुपए के मूल्य में लगातार गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का कारण बन गई है। पिछले चार वर्षों से भारत के लिए वैश्विक हालात के सकारात्मक रहने से रुपया मजबूत रहा है। कम ब्याज दरोंवाले दौर में इस तरफ विदेशी फंड का प्रवाह बढ़ने से देश के चालू खाते के घाटा पाटने में मदद मिली और कच्चे तेल की कम कीमतें भी इसको काबू करने में मददगार बनीं। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल रहे ये पहलू अभी कमजोर पड़े हैं।

कैसे बढ़े निर्यात

ऐसे में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भारत की ओर लुभाने और डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत संभालने के लिए जरूरी है कि सरकार आयात नियंत्रित करने और निर्यात बढ़ाने पर जोर दे। हाल में भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (एफआईईओ) ने कहा है कि सरकार द्वारा निर्यातकों को दी जा रही रियायतें निर्यात की बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिहाज से कम हैं। भारत को चीन के साथ-साथ दक्षिण कोरिया और जापान का गठजोड़ बनाने की डगर पर आगे बढ़ना होगा। ऐसा गठजोड़ तेल उत्पादक देशों से मोलभाव करके तेल की कीमतें भी कुछ कम करा सकता है। रुपए की कीमत में किसी और बड़ी गिरावट से बचने के लिए हाल ही में प्रकाशित बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक को प्रवासी भारतीय बॉण्ड जारी करके 30 से 35 अरब डॉलर जुटाने चाहिए। ऐसे प्रभावी कदमों से डॉलर के मुकाबले रुपए की घटती हुई कीमत पर निश्चित रूप से कुछ रोक लगाई जा सकेगी और विदेशी मुद्रा भंडार का उपयुक्त स्तर भी बनाए रखा जा सकेगा।

2 साल के निचले स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार, कोष में मात्र 532.66 अरब डॉलर बचे

विदेशी मुद्रा भंडार

LagatarDesk : भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार 9वें सप्ताह गिरावट आयी है. 30 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया. यह जुलाई 2020 के बाद अपने न्यूनतम स्तर पर आ गया है. है. यानी विदेशी मुद्रा भंडार दो साल के निचले स्तर पर पहुंचा गया. जुलाई 2020 में भारत के खजाने में 607 अरब डॉलर था. जबकि 3 सितंबर 2021 को यह 642.45 बिलियन डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था. ऑल टाइम हाई के मुकाबले देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 110 अरब डॉलर से ज्यादा की गिरावट आयी है.

2022 में अबतक रुपया में 8 रुपये की आयी है गिरावट

डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है. शुक्रवार को रुपया, डॉलर के मुकाबले 82.32 के नये रिकॉर्ड लो स्तर पर बंद हुआ. बीते एक सप्ताह में इंडियन करेंसी में 1 रुपया, एक महीने में 2.5 रुपया और 2022 में अब तक 8 रुपये की गिरावट आयी है. गिरते रुपये को संभालने के लिए आरबीआई लगातार अपने खजाने से डॉलर को बेच रहा है. जिसकी वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है.

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रिपोर्टिंग वीक में 7.688 अरब डॉलर घटा एफसीए

विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. अगर एफसीए बढ़ती है तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी बढ़त देखने को मिलती है. वहीं अगर एफसीए घटती है तो देश के भंडार में भी कमी आती है. फॉरेन करेंसी एसेट्स में डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं को भी शामिल किया जाता है. रिपोर्टिंग वीक में भारत की एफसीए (FCA) 4.406 अरब डॉलर कम होकर 472.807 अरब डॉलर रह गया. इससे पहले 23 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में एफसीए 7.विदेशी मुद्रा कोष की नई चिंताएं 688 अरब डॉलर घटकर 477.212 अरब डॉलर रह गया था.

गोल्ड रिजर्व में 28.1 करोड़ डॉलर की आयी गिरावट

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में भारत का स्वर्ण भंडार में भी कमी आयी है. 30 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में गोल्ड रिजर्व 28.1 करोड़ डॉलर घटकर 37.605 अरब डॉलर पर आ गया. इससे पहले भी भारत विदेशी मुद्रा कोष की नई चिंताएं के स्वर्ण भंडार में 30 करोड़ डॉलर की कमी आयी थी. गिरावट के बाद भारत के खजाने में गोल्ड रिजर्व 37.886 अरब डॉलर रह गया था.

रिपोर्टिंग वीक में केवल आईएमएफ में मिला एसडीआर में आयी बढ़त

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, आलोच्य सप्ताह में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ (IMF) में मिला देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट (Special Drawing Rights) में बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्टिंग वीक में यह 16.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.427 अरब डॉलर पर जा पहुंचा. इससे पहले आईएमएफ (IMF) में मिला देश का एसडीआर 93 करोड़ डॉलर घटकर 17.594 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के पास रखा देश का आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार 4.826 अरब डॉलर पर ही है.

सितंबर माह में भारत के कोष में 20.738 अरब डॉलर की आयी कमी

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 9 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में भंडार 2.23 अरब डॉलर कम होकर 550.87 अरब डॉलर हो गया था. वहीं 16 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 5.22 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. जबकि 23 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में देश का कोष 8.134 अरब डॉलर घटकर 537.518 अरब डॉलर रह गया था. वहीं 30 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस तरह सितंबर माह में भारत का कोष 20.738 अरब डॉलर कम हो गया.

अगस्त माह में 11.932 अरब डॉलर कम हुआ कोष

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 26 अगस्त को हुए सप्ताह में भारत का कोष 3.007 अरब डॉलर घटकर 561.046 अरब डॉलर रह गया था. इससे पहले 19 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर रह गया था. जबकि 12 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में यह 2.23 अरब डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर पर आ गया था. वहीं 5 अगस्त को सप्ताह हुए सप्ताह में भारत का कोष 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर रह गया. इस तरह अगस्त महीने में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 11.932 अरब डॉलर की गिरावट आयी. वहीं इससे पहले जुलाई माह में यह 21.6938 अरब घटा था.

आरबीआई के उपायों का रुपया पर कोई असर नहीं

आरबीआई के अनुसार, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट को थामने के लिए वो लगातार डॉलर बेच रहा है. जिसकी वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आयी है. हालांकि आरबीआई का यह उपाय कारगर साबित नहीं हो रहा है. डॉलर को बेचने के बावजूद भारतीय करेंसी लगातार गिर रही है. बताते चलें कि सितंबर 2021 यानी एक साल पहले देश का विदेशी मुद्रा भंडार 642 अरब डॉलर था. जो एक साल बाद यानी सितंबर 2022 में 545.652 अरब डॉलर रह गया. इस तरह एक साल में भारत का कोष 100 अरब डॉलर कम हुआ है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट ने बढ़ाई भारत की चिंता

गौरतलब है कि हाल ही में आयी रॉयटर्स की रिपोर्ट ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी रहेगा. 2022 के आखिरी यानी दिसंबर तक विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 523 अरब डॉलर तक आ सकता है. इतना ही नहीं विदेशी मुद्रा भंडार में आयी गिरावट 2008 की आर्थिक मंदी की याद दिला सकता है. 2008 में भी डॉलर के मुकाबले रुपया में भारी गिरावट आयी थी. जिसके बाद देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 20 फीसदी की गिरावट देखी गयी थी. इस बार भी जब रुपया गिर रहा है तो विदेशी मुद्रा भंडार में उसी तेज गति से गिरावट आ रही है.

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