खंड 8 - कारण या पाने के लिए उनके पक्ष में अर्जित की गई विदेशी मुद्रा के किसी भी राशि है, जो भारत में निवासी व्यक्तियों पर जिम्मेदारी डाले ही एहसास हुआ और विशिष्ट अवधि के भीतर भारत में प्रत्यावर्तित और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट तरीके ..
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम की व्यापक योजना, 1999
धारा 3 - किसी अधिकृत व्यक्ति के माध्यम से छोड़कर विदेशी मुद्रा में लेन-देन पर प्रतिबंध लगाता है। इस खंड में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक की सामान्य या विशेष अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति कर सकते हैं -
- में डील या किसी भी व्यक्ति को किसी भी विदेशी मुद्रा या विदेशी प्रतिभूतियों नहीं हस्तांतरण; एक अधिकृत व्यक्ति जा रहा है।
- के लिए या किसी भी तरीके से भारत के बाहर किसी विदेशी मुद्रा व्यापार योजना भी व्यक्ति के निवासी के ऋण के लिए किसी भी भुगतान करें।
- किसी अधिकृत व्यक्ति के आदेश द्वारा या किसी भी तरीके से भारत के बाहर किसी भी व्यक्ति के निवासी की ओर से किसी भी भुगतान के माध्यम से अन्यथा प्राप्त करें।
- के लिए या अधिग्रहण या निर्माण या किसी भी व्यक्ति द्वारा भारत के बाहर किसी भी संपत्ति के अधिग्रहण के लिए एक अधिकार के हस्तांतरण के साथ संघ में विचार के रूप में भारत में किसी भी वित्तीय लेन-देन में दर्ज करें।
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) अथवा संक्षेप में फेमा पूर्व में विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) के प्रतिस्थापन के रूप में शुरू किया गया है । फेमा ०१ जून, २००० को अस्तित्व में आया । विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (१९९९) का मुख्य उद्देश्य बाहरी व्यापार तथा भुगतान को सरल बनाने के उद्देश्य तथा भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक विकास तथा रखरखाव के संवर्धन के लिए विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित तथा संशोधन करना है । फेमा भारत के सभी भागों के लिए लागू है । यह अधिनियम भारत के बाहर की स्वामित्व वाली अथवा भारत के निवासी व्यक्ति के नियंत्रण वाली सभी शाखाओं, कार्यालयों तथा एजेन्सियों के विदेशी मुद्रा व्यापार योजना लिए लागू है ।. और अधिक
भारत-चीन के बीच व्यापार घाटा दस साल में बढ़कर 36.31 अरब अमेरिकी डॉलर
नई दिल्ली। भारत और चीन (India and China) के बीच वित्त वर्ष 2004-05 से 2013-14 के बीच दस साल में व्यापार घाटा (trade deficit in ten विदेशी मुद्रा व्यापार योजना years) बढ़कर 36.21 अरब अमेरिकी डॉलर (US$ 36.21 billion) रहा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में यह जानकारी दी है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक पूरक सवाल के जवाब में कहा कि वित्त वर्ष 2004-05 से लेकर 2013-14 के बीच चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 36.21 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 तक इसमें 100 फीसदी की वृद्धि हुई है।
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पीयूष गोयल ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में कहा कि विदेशी मुद्रा व्यापार योजना वित्त वर्ष 2004-05 में चीन के साथ व्यापार घाटा 1.48 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2013-14 में बढ़कर 36.21 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में चीन के साथ विदेशी मुद्रा व्यापार योजना व्यापार घाटा करीब 100 फीसदी बढ़कर 73.31 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि चीन से आयातित अधिकांश उत्पाद पूंजीगत सामान, मध्यवर्ती सामान और कच्चा माल है। इसका भारत में इलेक्ट्रोनिक्स, दूरसंचार एवं बिजली जैसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों की मांग को पूरा करने के लिए उनका उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार विदेशी मुद्रा व्यापार योजना ने ‘पीएलआई’ योजना सहित कई कदम उठाए गए हैं, विदेशी मुद्रा व्यापार योजना जिनके परिणाम सामने आने लगे हैं। (एजेंसी, हि.स.)
रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिये उठाए गए कदम:
- जुलाई 2022 में RBI ने रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रोत्साहन प्रणालीशुरु की।
- रुपए में बाह्य वाणिज्यिक उधार की सुविधा प्रदान करना (विशेषकर मसाला बांड के संदर्भ में)।
- एशियाई क्लीयरिंग यूनियन, सेटलमेंट के लिये घरेलू मुद्राओं का उपयोग करने की एक योजना के लिये प्रयासरत है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें द्विपक्षीय या व्यापारिक संदर्भ में प्रत्येक देश के आयातकों को घरेलू मुद्रा में भुगतान करने का विकल्प होता है, सभी देशों के विदेशी मुद्रा व्यापार योजना इसके पक्ष में होने की संभावना के चलते यह महत्त्वपूर्ण है।
- रुपए में भुगतान की हालिया पहल एक अलग वैश्विक आवश्यकता और व्यवस्था से संबंधित है लेकिन वास्तविक अंतर्राष्ट्रीयकरण तथा विदेशों में रुपए के व्यापक उपयोग के लिये केवल रुपए में व्यापार समझौता करना पर्याप्त नहीं होगा। भारत व विदेशी बाजारों दोनों में विभिन्न वित्तीय साधनों के संदर्भ में रुपए के और उदारीकृत भुगतान एवं निपटान को अपनाना अधिक महत्त्वपूर्ण है।
- रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिये एक कुशल स्वैप बाज़ार और एक मज़बूत विदेशी मुद्रा बाज़ार की भी आवश्यकता हो सकती है।
- समग्र आर्थिक बुनियादी आयामों में सुधार और वित्तीय क्षेत्र की मज़बूती के साथ सॉवरेन रेटिंग में वृद्धि से भी रुपए की स्वीकार्यता को मज़बूती मिलेगी जिससे इस मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा मिलेगा।
विगत वर्षों के प्रश्न
प्र. रुपए की परिवर्तनीयता से क्या तात्पर्य है? (2015)
(a) रुपए के नोटों के बदले सोना प्राप्त करना
(b) रुपए के मूल्य को बाज़ार की शक्तियों द्वारा निर्धारित होने देना
(c) रुपए को अन्य मुद्राओं में और अन्य मुद्राओं को रुपए में परिवर्तित करने की स्वतंत्र रूप से अनुज्ञा प्रदान करना
(d) भारत में मुद्राओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार विकसित करना
प्र.भुगतान संतुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में से किससे/किनसे चालू खाता बनता है? (2014)
- व्यापार संतुलन
- विदेशी परिसंपत्तियाँ
- अदृश्यों का संतुलन
- विशेष आहरण अधिकार
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 1, 2 और 4<
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 599