इस महामारी ने सरकारों के हाथों में जबर्दस्त शक्तियां और जिम्मेदारी डाल दी है. यह एक ऐसी समस्या नहीं है जिससे आजमाए जा चुके तरीकों से निपटा जा सकता है. बजाय इसके सरकार को इससे निपटने के लिए खास तरह के मार्गदर्शन, आदेश और नियंत्रण की जरूरत है.
ज्यादातर व्यापारियों ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? ने पैसे क्यों गंवाए?
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प्रवासी कामगारों ने भारत भेजा सबसे ज्यादा पैसा, पहली बार किसी देश का रेमिटेंस 100 अरब डॉलर
नई दिल्ली : भारत रेमिटेंस (प्रवासी द्वारा अपने मूल देश भेजा जाने वाला पैसा) अर्जित करने में अन्य देशों के मुकाबले सबसे आगे है। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में भारत का रेमिटेंस 100 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है। पिछले साल की तुलना में यह 7.5 प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में 89.4 अरब डॉलर रेमिटेंस भारत आया था, जो 2022 में 100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
वहीं, भारत के बाद रेमिटेंस अर्जित करने वाले देशों में मैक्सिको, चीन, फिलीपींस, मिस्र व पाकिस्तान के टॉप टेन ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? में रहने की उम्मीद है। इसमें मैक्सिको ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? का 60 अरब डॉलर, चीन का 51 अरब डॉलर, फिलीपींस का 38 अरब डॉलर, मिस्र का 32 अरब डॉलर और पाकिस्तान का 29 ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? अरब डॉलर रेमिंटेंस आने की उम्मीद जताई गई है।
कोविड-19: मंदी दे रही है दस्तक, क्या आप तैयार हैं?
व्यवसायों को संचालन बंद करने के लिए मजबूर किया गया है. हर स्तर पर उत्पादन को नुकसान हुआ है. यह एक 'स्टॉप एंड स्टार्ट' यानी रुकने और चलने वाला चक्र नहीं है, क्योंकि असली अर्थव्यवस्था आपस में बहुत घुली-मिली और गुंथी है.
इसे उदाहरण से समझिए और इसकी कल्पना कीजिए. एक रेस्तरां बंद हो गया. उसका कच्चा बाना (सब्जी इत्यादि) बेकार चला जाता है. कर्मचारी काम पर आना बंद कर देते हैं. कुछ की नौकरी चली जाती है. इसलिए, वे आवश्यक चीजों के सिवा कुछ भी नहीं खरीदते हैं.
वहीं, व्यवसाय को अभी भी किराए, बिजली के बिलों का भुगतान करना है. सूखे किराने का पैसा फंसा है. यह तभी निकलेगा जब यह उपभोग की वस्तु में बदलेगा और बेचा जाएगा. कोई राजस्व नहीं है, लेकिन खर्च और नुकसान बढ़ रहे हैं. बही-खाते कमजोर हो रहे हैं. ऐसे व्यवसाय को बैंकों से कार्यशील पूंजी की आवश्यकता होती है, जो बदले में मुश्किल का सामना करते हैं. यह कठिनाई होती है पैसे की सुस्त रफ्तार की क्योंकि मांग और आपूर्ति दोनों में कमजोरी आती है.
प्रवासी कामगारों ने भारत भेजा सबसे ज्यादा पैसा, पहली बार किसी देश का रेमिटेंस 100 अरब डॉलर
नई दिल्ली : भारत रेमिटेंस (प्रवासी द्वारा अपने मूल देश भेजा जाने वाला पैसा) अर्जित करने में अन्य देशों के मुकाबले सबसे आगे है। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में भारत का रेमिटेंस 100 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है। पिछले साल की तुलना ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? में यह 7.5 प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में 89.4 अरब डॉलर रेमिटेंस भारत आया था, जो 2022 में 100 अरब डॉलर तक पहुंच ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? सकता है।
वहीं, भारत के बाद रेमिटेंस अर्जित करने वाले देशों में मैक्सिको, चीन, फिलीपींस, मिस्र व पाकिस्तान के टॉप टेन में रहने की उम्मीद है। इसमें मैक्सिको का 60 अरब डॉलर, चीन का 51 अरब डॉलर, फिलीपींस का 38 अरब डॉलर, मिस्र का 32 अरब डॉलर और पाकिस्तान का 29 अरब डॉलर रेमिंटेंस आने की उम्मीद जताई गई है।
42 किलो नकली मिल्क केक जब्त किया, प्रकरण
उज्जैन। चिंतामण गणेश मंदिर के आसपास प्रसाद की दुकानों पर मिलावटी सामान बेचने की खबरें आती रहती हैं। कल कलेक्टर के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा विभाग ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? की टीम यहाँ जाँच करने पहुँची और क्षेत्र में संचालित सांवरिया सेठ रेस्टोरेंट से नकली हलवा जब्त कर नमूने लिए। दुकानदार इसे मिल्क केक बताकर सस्ते में बेच रहा था। ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? मिलावट से मुक्ति अभियान अंतर्गत खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों के दल ने चिंतामन गणेश स्थित सांवरिया सेठ रेस्टोरेंट पर कार्रवाई की। कार्रवाई के दौरान रेस्टोरेंट में नकली मिल्क केक जो हलवे के नाम से 3.5 किलो की पैकिंग में ग्वालियर से आता है एवं राजस्थान में बनता है। उक्त सांवरिया सेठ रेस्टोरेंट के संचालक अजय बरैया यहाँ बेच रहा था।
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