उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सांस्कृतिक धरोहरों की सूची से ताज को हटाकर विवादों का सिलसिला शुरू किया। यह सत्ता और विपक्ष के बीच अब भी जारी है। इसका बड़ा असर सूबे के पर्यटन कारोबार पर पड़ सकता है, क्योंकि ताजमहल देश के पर्यटन का आईना है।
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Dollar Index Explained : डॉलर इंडेक्स का क्या है मतलब, इस पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया?
डॉलर इंडेक्स में भले ही 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है. (File Photo)
What is US Dollar Index and Why it is Important : रुपये में मजबूती की खबर हो या गिरावट की, ब्रिटिश पौंड अचानक कमजोर पड़ने लगे या रूस और चीन की करेंसी में उथल-पुथल मची हो, करेंसी मार्केट से जुड़ी तमाम खबरों में डॉलर इंडेक्स का जिक्र जरूर होता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार की हलचल से जुड़ी खबरों में तो रेफरेंस के लिए डॉलर इंडेक्स का नाम हमेशा ही होता है. ऐसे में मन में यह सवाल उठना लाज़मी है कि करेंसी मार्केट से जुड़ी खबरों में इस इंडेक्स को इतनी अहमियत क्यों दी जाती है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि डॉलर इंडेक्स आखिर है क्या?
डॉलर इंडेक्स क्या है?
डॉलर इंडेक्स दुनिया की 6 प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती या कमजोरी का संकेत देने वाला इंडेक्स है. इस इंडेक्स में उन देशों की मुद्राओं को शामिल किया गया है, जो अमेरिका के सबसे प्रमुख ट्रे़डिंग पार्टनर हैं. इस इंडेक्स शामिल 6 मुद्राएं हैं – यूरो, जापानी येन, कनाडाई डॉलर, ब्रिटिश पाउंड, स्वीडिश क्रोना और स्विस फ्रैंक. इन सभी करेंसी को उनकी अहमियत के हिसाब से अलग-अलग वेटेज दिया गया है. डॉलर इंडेक्स जितना ऊपर जाता है, डॉलर को उतना मजबूत माना जाता है, जबकि इसमें गिरावट का मतलब ये है कि अमेरिकी करेंसी दूसरों के मुकाबले कमजोर पड़ रही है.
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डॉलर इंडेक्स में किस करेंसी का कितना वेटेज?
डॉलर इंडेक्स पर हर करेंसी के एक्सचेंज रेट का असर अलग-अलग अनुपात में पड़ता है. इसमें सबसे ज्यादा वेटेज यूरो का है और सबसे कम स्विस फ्रैंक का.
- यूरो : 57.6%
- जापानी येन : 13.6%
- कैनेडियन डॉलर : 9.1%
- ब्रिटिश पाउंड : 11.9%
- स्वीडिश क्रोना : 4.2%
- स्विस फ्रैंक : 3.6%
हर करेंसी के अलग-अलग वेटेज का मतलब ये है कि इंडेक्स में जिस करेंसी का वज़न जितना अधिक होगा, उसमें बदलाव का इंडेक्स पर उतना ही ज्यादा असर पड़ेगा. जाहिर है कि यूरो में उतार-चढ़ाव आने पर डॉलर इंडेक्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है.
डॉलर इंडेक्स का इतिहास
डॉलर इंडेक्स की शुरुआत अमेरिका के सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने 1973 में की थी और तब इसका बेस 100 था. तब से अब तक इस इंडेक्स में सिर्फ एक बार बदलाव हुआ है, जब जर्मन मार्क, फ्रेंच फ्रैंक, इटालियन लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियन फ्रैंक को हटाकर इन सबकी की जगह यूरो को शामिल किया गया था. अपने इतने वर्षों के इतिहास में डॉलर इंडेक्स आमतौर विदेशी मुद्रा सिग्नल टेलीग्राम गाइड पर ज्यादातर समय 90 से 110 के बीच रहा है, लेकिन 1984 में यह बढ़कर 165 तक चला गया था, जो डॉलर इंडेक्स का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. वहीं इसका सबसे निचला स्तर 70 है, जो 2007 में देखने को मिला था.
डॉलर इंडेक्स में भले ही सिर्फ 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इस पर दुनिया के सभी देशों में नज़र रखी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण करेंसी है. न सिर्फ दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल ट्रेड डॉलर में होता है, बल्कि तमाम देशों की सरकारों के विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा सिग्नल टेलीग्राम गाइड भंडार में भी डॉलर सबसे प्रमुख करेंसी है. यूएस फेड के आंकड़ों के मुताबिक 1999 से 2019 के दौरान अमेरिकी विदेशी मुद्रा सिग्नल टेलीग्राम गाइड महाद्वीप का 96 फीसदी ट्रेड डॉलर में हुआ, जबकि एशिया-पैसिफिक रीजन में यह शेयर 74 फीसदी और बाकी दुनिया में 79 विदेशी मुद्रा सिग्नल टेलीग्राम गाइड फीसदी रहा. सिर्फ यूरोप ही ऐसा ज़ोन है, जहां सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय व्यापार यूरो में होता है. यूएस फेड की वेबसाइट के मुताबिक 2021 में दुनिया के तमाम देशों में घोषित विदेशी मुद्रा भंडार का 60 फीसदी हिस्सा अकेले अमेरिकी डॉलर का था. जाहिर है, इतनी महत्वपूर्ण करेंसी में होने वाला हर उतार-चढ़ाव दुनिया भर के सभी देशों पर असर डालता है और इसीलिए इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है.
Rupee vs Dollar: यूएस फेड के बयान से रुपये में रिकॉर्ड कमजोरी, एक्सपर्ट- 81.50/ डॉलर तक जाएगा भाव
Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को 31 पैसे टूटकर 80.15 रुपये पर आ गया.
Indian Rupee Outlook: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को विदेशी मुद्रा सिग्नल टेलीग्राम गाइड शुरुआती कारोबार में 31 पैसे टूटकर अब तक के सबसे निचले स्तर 80.15 रुपये पर आ गया. यूएस फेड चीफ के महंगाई पर बयान के बाद डॉलर इंडेक्स में मजबूती और दूसरी ओर क्रूड की कीमतों में तेजी के चलते यह गिरावट आई है. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया आज डॉलर के मुकाबले 80.10 के लेवल पर खुला. बाद में और गिरावट दर्ज करते हुए 80.15 पर आ गया. रुपया शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले 79.84 पर बंद हुआ था.
रेट हाइक साइकिल जारी रहने का अनुमान
Swastika Investmart Ltd के रिसर्च हेड, संतोष मीना का कहना है कि जैक्सन होल इकोनॉमिक पॉलिसी संगोष्ठी में यूएस फेड चेरमैन की तीखी टिप्पणी के चलते आज के कारोबारी सेशन में रुपये पर दबाव बढ़ा है. यूएस फेड के बयान से साफ है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए आगे भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रहने वाली है. इससे रुपये और अन्य इमर्जिंग मार्केट करंसी पर दबाव पड़ने की आशंका है. हालांकि, भारत की बात करें इकोनॉमिक ग्रोथ के सही ट्रैक पर रहने के चलते भारतीय करंसी ने पियर्स के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है. वहीं एफआईआई और एफपीआई की वापसी के संकेत दिखाई दे रहे हैं. इसलिएउम्मीद है विदेशी मुद्रा सिग्नल टेलीग्राम गाइड कि रुपये में गिरावट सीमित रहेगी और 80.5 से 81 प्रति डॉलर तक के स्तर पर नीचे आ सकता है.
वहीं IIFL के VP- रिसर्च (कमोडिटी एंड करंसी), अनुज गुप्ता का कहना है कि रुपया जल्द ही 81 प्रति डॉलर से 81.50 प्रति डॉलर तक का स्तर दिखा सकता है. वहीं डॉलर इंडेक्स 112 के लेवल तक मजबूत हो सकता है.
2022 तक 50 अरब डॉलर का हो सकता है पर्यटन उद्योग: नीति आयोग के सीईओ
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2022 तक भारत में पर्यटन उद्योग की सालाना कमाई 50 अरब डॉलर (करीब 3.56 लाख करोड़ रुपये) होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्र का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। विकास और रोजगार बढ़ाने में भी इसकी बड़ी भूमिका होती है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के ‘15वें सालाना पर्यटन सम्मेलन-2019’ में कांत ने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में पर्यटन क्षेत्र महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। यह एक विदेशी मुद्रा सिग्नल टेलीग्राम गाइड ऐसा क्षेत्र है, जो काफी रोजगार के अवसरों का सृजन कर सकता है। देश में पर्यटकों की संख्या बढ़ने से रोजगार बढ़ते हैं। यह क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा करता है। भारत को आज वृद्धि और रोजगार की सबसे अधिक जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि 2018 में पर्यटन से भारत को 28.6 अरब डॉलर की कमाई हुई थी। हमें इसे 2022 तक 50 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखना चाहिए।
पर्यटकों की संख्या बढ़ाने पर हो जोर
कांत के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर पर्यटन से होने वाली कमाई में भारत की हिस्सेदारी महज 1.97 फीसदी है, जबकि पर्यटकों की आवाजाही में भारत का हिस्सा सिर्फ 1.2 फीसदी है। यह भारत जैसे विशाल देश के लिए बहुत मामूली है। उन्होंने कहा कि हमें इस हिस्सेदारी को 1.2 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी के स्तर पर विदेशी मुद्रा सिग्नल टेलीग्राम गाइड ले जाना होगा, तभी 50 अरब डॉलर की कमाई के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। नीति के मोर्चे पर उन्होंने कहा कि सरकार ने पर्यटन क्षेत्र को मदद दी है। होटल कमरों पर जीएसटी दरें घटाई गई हैं। होटल के 7,500 रुपये तक किराये वाले कमरों पर जीएसटी की दर को 18 से घटाकर 12 फीसदी किया है। 7,500 रुपये से अधिक किराये वाले कमरों पर जीएसटी दर को 28 से घटाकर 18 फीसदी किया गया है। 1,000 रुपये के किराये वाले कमरों पर कोई जीएसटी नहीं लगता है।
नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र पूरी तरह निजी क्षेत्र है। इस क्षेत्र में पर्यटक के आने से लेकर उसके जाने तक की सभी गतिविधियां निजी क्षेत्र की ओर से की जाती हैं। पर्यटक ऑपरेटर, ट्रैवल एजेंट, टूरिस्ट गाइड, कैब परिचालक, रिजॉर्ट से लेकर होटल तक सभी निजी क्षेत्र चलाते हैं। सरकार केवल एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकती है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र उद्योग और राज्य सरकारों के सहयोग से आगे बढ़ेगा। ऐसे में सीआईआई इन दोनों के साथ मिलकर काम करने के साथ पर्यटन उद्योग के लिए सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) मॉडल बनाए।
विदेशी मुद्रा लाने वाला तीसरा बड़ा क्षेत्र
सीआईआई के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पर्यटन क्षेत्र का योगदान 9.2 फीसदी बढ़कर 240 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह देश में विदेशी मुद्रा लाने वाला तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। इस क्षेत्र 4.2 करोड़ लोगों को नौकरियां देता है, जो कुल रोजगार का 8.1 फीसदी है। वहीं, पर्यटन सचिव योगेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि इस क्षेत्र में 2014 से 2018 के बीच 1.3 करोड़ लोगों को नौकरियां मिलीं। इसके अलावा, विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने वीजा और ई-वीजा प्रणाली को सुविधाजनक बनाया। हालांकि, देश में टूरिस्ट गाइड के संबंध में बड़ी चुनौती है। सरकार उनके प्रशिक्षण और प्रमाणन के लिए प्रयास कर रही है।
विस्तार
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2022 तक भारत में पर्यटन उद्योग की सालाना कमाई 50 अरब डॉलर (करीब 3.56 लाख करोड़ रुपये) होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्र का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। विकास और रोजगार बढ़ाने में भी इसकी बड़ी भूमिका होती है।
विदेशी सैलानियों को रिझाने में सबसे आगे ताज
ताजमहल पर विवाद का असर विदेशी सैलानियों पर पड़ सकता है, जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी बिगाड़ सकते हैं। आगरा में बीते साल 2016 में 13.62 लाख विदेशी पर्यटक ताजमहल का दीदार करने आए थे।
प्रदेश में बाकी सभी पर्यटन स्थल मिलकर भी इतने पर्यटक नहीं जुटा सके, जितने अकेले ताज हर साल अपनी ओर खींचता है। सारनाथ में चार लाख और वाराणसी में तीन लाख से ज्यादा विदेशी सैलानी ही पहुंचते हैं। अगर ताजमहल पर विवादित बयानों का सिलसिला न थमा तो विदेशी सैलानियों की संख्या में कमी आ सकती है।
होती है इतनी कमाई
- 3000 करोड़ रुपये का आगरा का पर्यटन कारोबार
- 105 करोड़ रुपये केवल ताज के टिकट से कमाई
- 13.62 लाख विदेशी सैलानी आए पिछले साल
- 525 से ज्यादा सितारा, बजट क्लास होटल
- 1500 गाइड आगरा में कर रहे हैं काम
- 55 करोड़ रुपये एडीए का पथकर से कमाई
एक तरफ ताज, दूसरी ओर पूरा प्रदेश
शहर विदेशी पर्यटक
आगरा 13,62,791
सारनाथ 4,09,242
वाराणसी 3,12,519
फतेहपुर सीकरी 1,46,340
झांसी 1,26,119
इलाहाबाद 1,09,571
श्रावस्ती 1,06,013
कुशीनगर 73,514
लखनऊ 58,716
सुनौली 53,242
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