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यह एडिटोरियल दिनांक 31/05/2021 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित लेख “Catching the New Tech Wave” पर आधारित है। इस एडिटोरियल में दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते महत्व के बारे में चर्चा की गई है। साथ ही इस बात पर भी चर्चा की गई है कि डिजिटल क्रांति के आगामी चरण में दुनिया के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने के लिये भारत को इसे स्वीकार करने की आवश्यकता क्यों है?
संदर्भ
वर्ष 2008 में बिटकॉइन के निर्माण के साथ आज की तारीख तक क्रिप्टोकरेंसी ने दुनिया भर में अपनी जगह बनाई है। जनवरी 2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से इस क्षेत्र में लाभ आश्चर्यजनक हैं। ज्ञातव्य है कि "क्रिप्टोमार्केट" में 500% से अधिक की वृद्धि हुई।
- हालाॅंकि 2018-19 के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।
- इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भारत डिजिटल क्रांति के अब तक सभी चरणों को देर से अपनाने वाला रहा है चाहे वो अर्द्धचालक या इंटरनेट या फिर स्मार्टफोन।
- अतः अब इन आभासी मुद्राओं पर विचारों को बदलने एवं उन्हें स्वीकृति देने की आवश्यकता है क्योंकि ये भारत की डिजिटल क्रांति के नए चरण में प्रवेश करने की दिशा में भारत का पहला कदम होगा।
क्रिप्टोकरेंसी का उदय: पहली क्रिप्टोक्यूरेंसी, बिटकॉइन, का वर्ष 2010 में केवल $ 0.0008 का कारोबार किया था और अप्रैल 2021 में इसका बाज़ार मूल्य लगभग $ 65,000 था।
- बिटकॉइन के लॉन्च के बाद से कई नए क्रिप्टोकरेंसी भी बाज़ार में आए एवं मई 2021 तक उनका कुल बाज़ार मूल्य 2.5 ट्रिलियन डॉलर हो गया है।
क्रिप्टोकरेंसी का महत्त्व:
- भ्रष्टाचार की रोकथाम: चूंकि क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन प्रणाली अर्थात् पीयर-टू-पीयर नेटवर्क पर कार्य करती हैं, यह धन के प्रवाह और लेनदेन को ट्रैक करके भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करता है।
- समय प्रभावी : क्रिप्टोकरेंसी धन के प्रेषक और रिसीवर क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति के लिये पर्याप्त समय बचाने में मदद कर सकती है क्योंकि यह पूरी तरह से इंटरनेट पर संचालित होता है। यह एक ऐसे तंत्र पर चलता है जिसमें बहुत कम लेनदेन शुल्क शामिल होता है और यह लगभग तात्कालिक होता है।
- लागत प्रभावी: बैंक, क्रेडिट कार्ड और पेमेंट गेटवे जैसे बिचौलिये अपनी सेवाओं के लिये $ 100 ट्रिलियन की क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था से लगभग 3% शुल्क के रूप में लेते हैं।
- इन क्षेत्रों में ब्लॉकचेन को एकीकृत करने से सैकड़ों अरबों डॉलर की बचत हो सकती है।
- हाल ही में सरकार ने एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा बनाने और साथ ही, सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिये "क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021" पेश करने की घोषणा की है।
- भारत में भारतीय ब्लॉकचेन स्टार्ट-अप्स में जाने वाली धनराशि वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र द्वारा जुटाई गई राशि का 0.2% से भी कम है।
- क्रिप्टोकरेंसी के प्रति वर्तमान दृष्टिकोण के कारण ब्लॉकचेन उद्यमियों और निवेशकों के लिये बहुत अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त करना लगभग असंभव है।
विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने से जुड़े मुद्दे
- पूर्ण प्रतिबंध: "क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021" भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का प्रयास करता है।
- हालाँकि क्रिप्टोकरेंसी को सार्वजनिक (सरकार समर्थित) या निजी (एक व्यक्ति के स्वामित्व वाली) के रूप में वर्गीकृत करना गलत है क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी विकेंद्रीकृत हैं लेकिन निजी नहीं हैं।
- बिटकॉइन जैसी विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी को निजी या सार्वजनिक किसी भी संस्था द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
- उस समय ब्लॉकचेन विशेषज्ञ स्विट्जरलैंड, सिंगापुर, एस्टोनिया और यू.एस. जैसे देशों में चले गए जहाॅं क्रिप्टो को विनियमित किया गया था।
- पूर्ण प्रतिबंध के कारण नवाचार, शासन, डेटा अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के क्षेत्रों में ब्लॉकचेन के उपयोग में अवरोध उत्पन्न होगा।
- निजी क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से केवल समानांतर अर्थव्यवस्था का निर्माण होगा, अवैध उपयोग को बढ़ावा मिलेगा जो प्रतिबंध के मूल उद्देश्य को विफल कर देगा। प्रतिबंध संभव नहीं है क्योंकि कोई भी व्यक्ति इंटरनेट पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकता है।
विरोधाभासी नीतियाॅं: क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) के ब्लॉकचैन, 2021 पर राष्ट्रीय रणनीति के मसौदे के साथ असंगत है, जिसने ब्लॉकचेन तकनीक को पारदर्शी, सुरक्षित और कुशल तकनीक के रूप में स्वीकार किया।
आगे की राह
- विनियमन ही समाधान: गंभीर समस्याओं को रोकने के लिये एवं यह सुनिश्चित करने के लिये कि क्रिप्टोकरेंसी का दुरुपयोग न हो तथा निवेशकों को अत्यधिक बाजार अस्थिरता और संभावित घोटालों से बचाने के लिये विनियमन की आवश्यकता है।
- विनियमन को स्पष्ट, पारदर्शी, सुसंगत और इस दृष्टि से अनुप्राणित होने की आवश्यकता है कि उसका उद्देश्य क्या है।
- मजबूत केवाईसी मानदंड: क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाय सरकार कड़े केवाईसी (Know Your Customer) मानदंडों, रिपोर्टिंग और कर योग्यता को शामिल करके क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार को विनियमित करेगी।
निष्कर्ष
भारत वर्तमान में डिजिटल क्रांति के अगले चरण के शिखर पर है और अपनी मानव पूंजी, विशेषज्ञता और संसाधनों को इस क्रांति में शामिल कर इसके नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर सकता है। इसके लिये केवल नीति निर्धारण को ठीक करने की आवश्यकता है।
ब्लॉकचैन और क्रिप्टो संपत्ति चौथी औद्योगिक क्रांति का एक अभिन्न अंग होगी भारतीयों को इसे बायपास नहीं करना चाहिये।
अभ्यास प्रश्न: “भारत के लिये अपने प्रमुख भुगतान प्रणालियों से आगामी डिजिटल क्रांति के सबसे सक्रिय भुगतान प्रणाली की तरफ बढ़ने का समय है।क्रिप्टोकरेंसी इस धारणा को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।" इससे जुड़े सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा करें।
फीचर आर्टिकल: क्रिप्टोकरेंसी की भारत में स्थिति और निवेशकों का भविष्य
पिछले कुछ समय में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश सबसे हॉट इन्वेस्टमेंट के रूप में उभरा है। खासकर युवा निवेशकों के बीच यह तेजी से लोकप्रिय हुआ है। परंपरागत रूप से सुरक्षित तरीके से पैसा लगाने वाले निवेशक भी इसमें लगातार दिलचस्पी ले रहे हैं।
जहां एक और ब्लॉकचेन की मुख्य भूमिका वाले वेब 3.0 की बात हो रही है, वहीं देश में स्टार्टअप कल्चर भी तेजी से पैर पसार रहा है। ऐसे में दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले देशों में शुमार भारत इस कल्चर को तेजी से अपना रहा है और ब्लॉकचेन आधारित तकनीकों पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
क्रिप्टो टैक्स: क्रिप्टो निवेश अब क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति मुख्यधारा में आ चुका है
भारत में क्रिप्टोकरेंसी निवेशक हमेशा से इस बात को लेकर आशंकित रहे हैं कि देश में यह निवेश कानूनी रूप से वैध है या नहीं! इसी धारणा को स्पष्ट करने के लिए पहली बार देश में इस साल के बजट में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स की बात की गई है।इस वर्ष के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर अब 30 प्रतिशत कर लगेगा। कराधान उद्देश्य के लिए, क्रिप्टोकरेंसी को अब वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) की परिभाषा में शामिल कर लिया गया है।
इसके अलावा, लेन-देन के विवरण को विनियमित और कैप्चर करने के लिए क्रिप्टो एक्सचेंज या किसी अन्य भुगतानकर्ता द्वारा क्रिप्टोकरंसी के विक्रेता से 1 प्रतिशत टीडीएस की कटौती का भी प्रावधान किया गया है, यदि कुल भुगतान 10,000 रुपए वार्षिक से ऊपर है। यह प्रावधान 1 जुलाई 2022 से लागू किए जा रहे क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति हैं।
इस तरह से कहा जा सकता है कि अब भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पूरी तरह से कानूनी रूप से वैध हो चुका है। जहां तक अधिक कर की बात क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति है तो यह एक लचीली व्यवस्था है। यह शुरुआती समय है और आने वाले समय में इस पर अधिक विचार किया जाएगा। इसके बाद निवेशकों को हित को देखते हुए इसमें आवश्यक बदलाव किए जा सकते हैं।
भारत बन रहा वेब 3.0 हब
वेब3 या वेब 3.0 एक नई शब्दावली है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है। इसका अर्थ क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति एक ऐसे इंटरनेट स्पेस से है, जो विकेन्द्रीकृत प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। सरल शब्दों में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के पास इंटरनेट चरण के स्वामी होने की शक्ति होती है। इसके अनुसार इंटरनेट की दुनिया में आम इंटरनेट उपयोगकर्ता शेयरधारक होंगे।वेब 3.0 मूल रूप से यह निर्धारित करता है कि किसी दिए गए इंटरनेट व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र में भाग लेने वाले सभी विभिन्न हितधारक अपने डेटा पर नियंत्रण कैसे बनाए रखते हैं। अच्छी बात यह है कि भारत धीरे-धीरे वेब 3.0 अर्ली एडॉप्टर के रूप में विकसित हो रहा है, जिसमें पूरे देश में कार्यक्रमों की योजना तेजी से बनाई जा रही है।
वेब 3.0 में इकोसिस्टम के लिए क्रिप्टो एसेट की जरूरत होती है और यही वजह है कि वेब 3.0 क्रिप्टो करेंसी के अभाव में सफल नहीं हो सकता। नए इकोसिस्टम में एक्सचेंज के मीडियम के रूप में क्रिप्टोकरेंसी का होना जरूरी है। यही कारण है कि वेब 3.0 का क्रेज क्रिप्टो व्यापार को और आगे ले जाएगा।
भारत में क्रिप्टो निवेश: लगातार विकास के पथ पर अग्रसर
भारत में क्रिप्टो निवेशक और HODLers उत्साहित हैं और आशावाद से भरे हुए हैं। HODLers शब्द का चलन क्रिप्टो करेंसी को खरीदकर उसे लंबे समय तक होल्ड करने वाले लोगों के लिए किया जाता है। भारत में क्रिप्टो को वैधानिक मान्यता मिलने, वेब 3.0 को जल्दी अपनाने की स्पर्धा और निवेश के लिए आधुनिक विकल्प ने अग्रणी क्रिप्टो एक्सचेंजों रजिस्टर्ड यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ाई क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति है।कॉइनस्विच कुबेर प्लेटफॉर्म पर 15 मिलियन यानी डेढ़ करोड़ से अधिक यूजर्स हैं और कंपनी अपनी वर्कफोर्स को दिसंबर 2022 तक 1000 तक पहुंचाना चाहती है। कॉइनस्विच भारत का पहला ऐसा क्रिप्टो एक्सचेंज होगा, जो अपनी टीम में वेब 3.0 इंजीनियर्स की भर्ती करेगा। इसके अलावा क्रिप्टो के निवेशक इस वजह से भी बढ़ रहे हैं क्योंकि लोग बड़े पैमाने पर निवेश के दूसरे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
इसमे शामिल है: एनएफटी, मेटावर्स-संचालित निवेश और डिफाइ-आधारित निवेश।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भारत में क्रिप्टो में काफी संभावनाएं हैं। निवेशकों की दिलचस्पी के साथ ही वेब 3.0 के विकास की वजह से क्रिप्टो समय की मांग बन चुके हैं। आधुनिक युग में नवीनतम तकनीकों के साथ यदि किसी निवेश को सबसे अधिक पसंद किया जा रहा है तो वह क्रिप्टो निवेश ही है।
Cryptocurrency का भारत में भविष्य क्या?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति भविष्य क्या होगा. ये संसद में आने वाले बिल के बाद तय होगा. क्योंकि बहुत जल्द सरकार संसद में क्रिप्टो करेंसी रेगुलेशन बिल पेश करने वाली है. ऐसे में निवेशकों के मन में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लग गया तो उनके पैसे का क्या होगा. तो हम आपको पूरी रिसर्च के बात बताते हैं कि क्रिप्टो करेंसी पर आगे की राह क्या होगी. ऐसे में अगर बैन लग गया तो बैंक और आपके क्रिप्टो एक्सचेंज के बीच लेनदेन बंद हो जाएगा. क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए रुपये को डॉलर या दूसरी करेंसी में कन्वर्ट नहीं कर पाएंगे. साथ ही दूसरी करेंसी में खरीदे गए क्रिप्टो कॉ़इन को बेचकर रुपये में ट्रांजेक्शन नहीं होगा.
भारत में कितना बड़ा है क्रिप्टो मार्केट?
आपको बता दें कि फिलहाल भारत में 10 करोड़ ऐसे निवेशक हैं. जिनका पैसा क्रिप्टोमार्केट में लगा है. दावा है कि करीब 6 लाख करोड़ रुपया इस वक्त भारतीयों का क्रिप्टो मार्केट में लगा है. इसमें औसतन हर निवेशख का 9 हजार रुपये का इनवेस्टमेंट है. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार की चिंता इसलिए है, क्योंकि 60 फीसदी निवेशक ऐसे हैं, जो छोटे शहरों से आते हैं। इसके अलावा निवेशकों की औसत उम्र 24 साल है. मतलब ज्यादातर युवा इस नए तरह के इनवेस्टमेंट मार्केट से जुड़े हैं.क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या फर्क?
क्रिप्टोकरेंसी आम करेंसी से अलग है. इसे न तो छू सकते हैं, न ही इससे कुछ खरीद सकते हैं, बल्कि इसे सिर्फ ऑनलाइन रख सकते हैं. चिंता की वजह ये है कि इस करेंसी को लेकर कोई रेग्युलेटर नहीं है. दुनिया की किसी सरकार का इस पर क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति कंट्रोल नहीं है. इस वक्त दुनिया में 1,000 से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी चलन में है और 308 से ज्यादा क्रिप्टो एक्सचेंज हैं. इस मार्केट की शुरुआत 2009 में हुई थी. इस करेंसी की कीमतों में उतार-चढ़ाव काफी ज्यादा होता है. कोरोना काल में तो भारत में क्रिप्टो मार्केट काफी ऊंचाई पर पहुंच चुका है, जबकि डिजिटिल करेंसी केंद्रीय बैंक की देनदारी होती है. इसे केंद्रीय बैंक ही जारी करता है, इसीलिए इसकी कीमतों पर केंद्रीय बैंक का कंट्रोल रहता है.भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर कब क्या हुआ?
2018 में भारत में आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा तो कोर्ट ने बैन हटा दिया, लेकिन क्रिप्टोमार्केट को लेकर चिंता जारी रहीं. 11 नवंबर 2021 को आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टो करेंसी पर गंभीर चिंताएं जाहिर की. इसके बाद 13 नवंबर 2021 को पहली बार पीएम मोदी ने क्रिप्टो मार्केट पर बैठक की. इस बैठक के बाद क्रिप्टो करेंसी पर लगातार सवाल उठने लगे. 15 नवंबर 2021 को संसदीय समिति में क्रिप्टो पर चर्चा की गई और संसदीय समिति में क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति बैन की बजाय रेगुलेट करने पर बातचीत हुई. इसके बाद 18 नवंबर 2021 को सिडनी संवाद में पीएम मोदी ने क्रिप्टो पर एक बार फिर चिंता जाहिर की.क्रिप्टो पर किस देश का क्या रुख
भारत में क्रिप्टो को लेकर गंभीर चिंताएं हैं, लेकिन अल सल्वाडोर ने बिटकॉइन को लीगर टेंडर घोषित कर दिया, जबकि अमेरिका क्रिप्टोकरेंसी के हिसाब से अपनी नीतियां बना रहा है. दक्षिण कोरिया भी इस करेंसी को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रहा है. हालांकि चीन इस करेंसी का लगातार विरोध कर रहा है.किन-किन क्रिप्टोकरेंसी के प्राइवेट होने का डर
जानकारों के मुताबिक कुछ प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी ऐसी हैं, जिनकी गतिविधियां संदिग्ध रही है. इसीलिए इन क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की बात चल रही है. इसमें कुछ नाम इस तरह हैं. Monero(XMR), Dash Coin, Zcash(ZEC), Verge(XVG), Beam, Grin, Horizen(ZEN), Firo(FIRO), Byte Coin(BCN), UCoin और Delta. हालांकि 2019 में सरकार के पेश किए गए विधेयक के नाम में क्रिप्टोकरेंसी को बैन करना का जिक्र था, लेकिन 2021 आते आते विधेयक के नाम में से बैन शब्द हट गया है, जिसके बाद क्रिप्टो करेंसी के निवेशकों को उम्मीद जगी है. अब कुल मिलाकर अब इंतजार संसद में पेश होने वाले मसौदे का है, जिसमें ये तस्वीर साफ हो पाएगी, कि भारत में क्रिप्टो मार्केट चलता रहेगा या फिर निवेशकों की गाड़ी कमाई डूब जाएगी.Crypto Crash: 1 लाख करोड़ डॉलर घट गई क्रिप्टोकरेंसी की मार्केट वैल्यू, जानें गिरकर कहां आ गई कीमत
कॉइनग्लास के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 239,000 से अधिक ट्रेडर्स ने लगभग 87.4 करोड़ डॉलर के लिक्विडेशन के साथ अपनी पोजिशंस को क्लोज कर दिया।
Crypto Crash: 1 लाख करोड़ डॉलर घट गई क्रिप्टोकरेंसी की मार्केट वैल्यू, जानें गिरकर कहां आ गई कीमत
क्रिप्टो-केंद्रित स्टॉक भी गिरे
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, क्रिप्टो-केंद्रित स्टॉक (Crypto Centric Stock) भी शुक्रवार को गिरे। एक पल ऐसा आया, जब कॉइनबेस ग्लोबल इंक (Coinbase Global Inc) में लगभग 16% की गिरावट आई और 2021 के वसंत में पब्लिक डेब्यू करने के बाद से यह अपने निम्नतम स्तर पर आ गया। इसी तरह MicroStrategy Inc. ने 18% की गिरावट दर्ज की।
डिजिटल एसेट के लिए अमेरिका ला रहा है नई रणनीति
इस बीच बाइडन प्रशासन डिजिटल संपत्ति के लिए जल्द से जल्द एक प्रारंभिक सरकार-व्यापी रणनीति जारी करने की तैयारी कर रहा है, हो सकता है कि यह अगले माह तक आ जाए। संघीय एजेंसियों को जोखिम और अवसरों का आकलन करने का काम दिया गया है। क्रिप्टोकरेंसी वायदा कारोबार और सूचना मंच कॉइनग्लास के आंकड़ों के अनुसार, इस बीच पिछले 24 घंटों में 239,000 से अधिक ट्रेडर्स ने लगभग 87.4 करोड़ डॉलर के लिक्विडेशन के साथ अपनी पोजिशंस को क्लोज कर दिया।
कहां आ गई है कीमत
एक क्रिप्टोकरेंसी पर भारत की रणनीति अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, गिरावट के ट्रेंड को जारी रखते हुए बिटकॉइन की कीमत शनिवार को 9.4% की गिरावट के साथ 36,436.88 डॉलर पर कारोबार कर रही है। इस साल की शुरुआत से ही इसमें 14 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। अन्य डिजिटल करेंसी Ether और meme कॉइन में भी गिरावट का दौर जारी है। Ethereum 12.1% गिरकर 2,593.50 डॉलर पर बंद हुआ। Binance Coin का कारोबार 386.64 डॉलर पर था जो कि 9.9% गिरावट पर कारोबार कर रहा था। Cardano 8.6% गिरकर 1.14 डॉलर पर है। सोलाना 12.4% गिरकर 111.59 डॉलर पर, जबकि Dogecoin 7% गिरकर 0.143498 डॉलर पर आ गया। शीबा इनु में 15.6% की भारी गिरावट के साथ 0.00002218 डॉलर पर कारोबार करता नजर आया।
क्रिप्टोकरेंसी टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का ना बने हथियार, PM मोदी की अध्यक्षता में बनी रणनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को एक अहम मीटिंग हुई। इस बैठक में क्रिप्टोकरेंसी और इससे जुड़े मसलों पर गंभीर चर्चा की गई। सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि युवाओं से.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को एक अहम मीटिंग हुई। इस बैठक में क्रिप्टोकरेंसी और इससे जुड़े मसलों पर गंभीर चर्चा की गई। सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि युवाओं से झूठे वादे कर और पैसों का लालच देकर उन्हें बरगलाने की किसी भी कोशिश को नाकाम करने को लेकर इस मीटिंग में चर्चा की गई। बैठक में यह तय किया गया कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार विशेषज्ञों और स्टेक होल्डर्स के साथ लगातार चर्चा करती रहेगी।
पीएम मोदी की अगुवाई में हुई इस बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि अस्थायी क्रिप्टो मार्केट को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग का हथियार नहीं बनने दिया जाएगा। इस दिशा में बेहतर प्रयास करने के लिए ठोस रणनीति बनाई गई है। क्रिप्टो करेंसी के गलत इस्तेमाल पर सरकार ने चिंता जताते हुए इससे निपटने के उपायों पर चर्चा की है।
सूत्रों ने कहा कि बैठक में लुभावने विज्ञापनों के जरिये युवाओं को गुमराह करने के प्रयासों को रोकने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई। सूत्रों ने कहा, 'सरकार इस तथ्य से अवगत है कि यह एक विकसित तकनीक है, इसलिए इसपर कड़ी निगरानी रखी जाएगी और इसपर सक्रिय कदम उठाए जाएंगे। इस बात पर भी सहमति थी कि सरकार द्वारा इस क्षेत्र में उठाए गए कदम प्रगतिशील और दूरदर्शी होंगे।'
बता दें कि यह अहम बैठक ऐसे समय में हुई है जब कांग्रेस ने हाल ही में करोड़ों रुपये के बिटकॉइन घोटाले और कर्नाटक में भाजपा सरकार द्वारा इसे छिपाने का आरोप लगाया है और इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है।
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