अब एनआरआई भारत बिल भुगतान प्रणाली के जरिये कर सकेंगे बिलों का भुगतान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने प्रवासी भारतीयों के लिए बड़ी घोषणा की है. आरबीआई ने भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के जरिए एनआरआई को बिजली, पानी बिल, स्कूल-कॉलेज की फीस का भुगतान करने की इजाजत दे दी है. इससे विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को काफी फायदा होगा.
मुंबई: प्रवासी भारतीय (एनआरआई) अब भारत में अपने परिवार के सदस्यों की ओर से भारत बिल भुगतान प्रणाली के जरिये बिजली, पानी जैसी सुविधाओं और स्कूल, कॉलेज की फीस का भुगतान कर सकेंगे. भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) से करीब 20,000 बिल भेजने वाली इकाइयां जुड़ी हैं. इस प्रणाली पर मासिक आधार पर आठ करोड़ लेनदेन होते हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए शुक्रवार को कहा कि बीबीपीएस ने भारत में प्रयोगकर्ताओं के बिल भुगतान के अनुभव को बदला है. अब इसमें सीमापार से बिल भुगतान की प्रणाली को भी शुरू किया जा रहा है. दास ने कहा, 'इससे एनआरआई भारत में अपने परिवारों की ओर से बिजली, पानी के बिलों का भुगतान कर सकेंगे. साथ ही इसके जरिये वह शिक्षा से जुड़े शुल्कों का भी भुगतान कर पाएंगे.'
दास ने कहा कि इससे विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को काफी फायदा होगा. केंद्रीय बैंक ने बयान में कह कि इस फैसले से बीबीपीएस मंच से जुड़े अन्य बिल भेजने वाली इकाइयों के बिलों का भी भुगतान किया जा सकेगा. केंद्रीय बैंक जल्द इस बारे में आवश्यक निर्देश जारी करेगा.
दास ने मुंबई इंटरबैंक आउटरेट रेट (मिबोर) आधारित 'ओवरनाइट इंडेक्स स्वैप' (ओआईएस) अनुबंधों के लिये वैकल्पिक मानक दर तय करने की संभावना के अध्ययन को एक समिति के गठन की भी घोषणा की है. इसका विदेशी बाजार में ब्याजदर डेरिवेटिव्स (आईआरडी) के रूप में व्यापक इस्तेमाल होता है. रिजर्व बैंक द्वारा भागीदारों के आधार में विविधता और नए आईआरडी मध्यमों के लिए कदम उठाने से मिबोर आधारित डेरिवेटिव अनुबंध का इस्तेमाल बढ़ा है.
इसके अलावा, रिजर्व बैंक ने एकल प्राथमिक डीलरों (एसपीडी) को सीधे प्रवासी भारतीयों और अन्य से विदेशी मुद्रा निपटान ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप (एफसीएस-ओआईएस) लेनदेन की अनुमति दे दी है. वर्तमान में एकल प्राथमिक डीलरों को सीमित उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार करने की अनुमति है. एसपीडी में बैंक आदि आते हैं। इस साल फरवरी में बैंकों को विदेशी एफसीएस-ओआईएसबाजार में प्रवासियों और अन्य से लेनदेन की अनुमति दी गयी थी.
रुपये में कैसे होगा अंतरराष्ट्रीय व्यापार? केंद्र सरकार का जोर क्यों
यूएस डॉलर (USD) के बजाय भारतीय रुपये (INR) में अंतरराष्ट्रीय व्यापार (International Trade) को बढ़ावा देने पर केंद्र सरकार ने अपने कदम बढ़ा दिए हैं. केंद्रीय वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) इस पहल के तरीकों पर चर्चा करने के लिए देश के बैंकों, विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालयों सहित हितधारकों के साथ बैठक कर रहा है. बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय बैंक संघ, बैंकों के प्रतिनिधि निकाय और उद्योग निकायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों से कहा जाएगा कि वे निर्यातकों को रुपये के कारोबार पर बातचीत करने के लिए कहें. हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बाद बदले अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में भारत सरकार ने रुपये में कारोबार को बढ़ाने के विकल्प पर विचार तेज किया हुआ है. आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार रुपये में कैसे हो सकता है? साथ ही सरकार क्यों इस पर जोर दे रही है?
क्या है पृष्ठभूमि
भारतीय रिजर्व बैंक ने 11 जुलाई को एक सर्कुलर जारी कर कहा कि उसने "आईएनआर (INR) में चालान, भुगतान और निर्यात / आयात के निपटान के लिए एक अतिरिक्त व्यवस्था करने का फैसला किया है." आरबीआई ने कहा था, "भारत से निर्यात पर जोर देने के साथ वैश्विक व्यापार के विकास को बढ़ावा देना और आईएनआर में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि का समर्थन करना उसका मकसद है."
भारत और अन्य देशों के बीच रुपये में व्यापार निपटान की अनुमति देने के कदम को मुख्य रूप से रूस के साथ व्यापार को लाभान्वित करने के लिए देखा गया था. इससे डॉलर के बहिर्गमन को रोकने और रुपये के मूल्यह्रास को "बहुत सीमित सीमा" तक धीमा करने में मदद मिलने की उम्मीद थी.
कैसे होगा मौद्रिक लेन-देन
किसी भी देश के साथ व्यापार लेनदेन का निपटान करने के लिए भारत में बैंक व्यापार के लिए भागीदार देश के कॉरेस्पॉन्डेंट बैंक/बैंकों के वोस्ट्रो खाते खोलेंगे. भारतीय आयातक इन खातों में अपने आयात के लिए INR में भुगतान कर सकते हैं. आयात से होने वाली इन आय का उपयोग भारतीय निर्यातकों को भारतीय रुपये में भुगतान करने के लिए किया जा सकता है. वोस्ट्रो खाता एक ऐसा खाता है जो एक कॉरेस्पॉन्डेंट बैंक दूसरे बैंक की ओर से रखता है. उदाहरण के लिए, एचएसबीसी वोस्ट्रो खाता भारत में एसबीआई द्वारा आयोजित किया जाता है.
मौजूदा सिस्टम क्या है
वर्तमान में नेपाल और भूटान जैसे अपवादों के साथ किसी कंपनी द्वारा निर्यात या आयात हमेशा विदेशी मुद्रा में होता है. इसलिए आयात के मामले में भारतीय कंपनी को विदेशी मुद्रा में भुगतान करना पड़ता है. मुख्य रूप से यह यूएस डॉलर है, लेकिन पाउंड, यूरो या येन वगैरह भी हो सकता है. भारतीय कंपनी को निर्यात के मामले में विदेशी मुद्रा में भुगतान किया जाता है और कंपनी उस विदेशी मुद्रा को रुपये में बदल देती है. क्योंकि उसे ज्यादातर मामलों में अपनी आवश्यकताओं के लिए रुपये की आवश्यकता होती है.
अपेक्षित उपयोग
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आरबीआई के आदेश में ऐसा नहीं कहा गया था कि इस व्यवस्था का मुख्य रूप से रूस के लिए उपयोग किए जाने की उम्मीद थी. "यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर प्रतिबंध हैं और देश स्विफ्ट सिस्टम (विदेशी मुद्रा में भुगतान के लिए बैंकों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रणाली) से दूर है. इसका मतलब है कि भुगतान विदेशी मुद्रा में नहीं करना है और इस व्यवस्था से रूस और भारत दोनों को मदद मिलेगी. ”
व्यवस्था का विस्तार
सबनवीस ने कहा कि इसकी संभावना नहीं है कि इस व्यवस्था को अन्य देशों तक बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं, लेकिन अन्य इसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं. क्योंकि उन्हें अपने आयात के लिए विदेशी मुद्रा की आवश्यकता हो सकती है." उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा व्यापार यूटिलिटीज श्रीलंका भी हमें डॉलर या किसी अन्य विदेशी मुद्रा में भुगतान करना चाहता है. हालांकि, इस व्यवस्था से रुपये की गिरावट को किसी भी हद तक रोकने में मदद की उम्मीद नहीं थी. रुपया सभी वैश्विक मुद्राओं की तरह डॉलर के मुकाबले मूल्यह्रास ( कीमत का गिरना) कर रहा है. इसकी सामान्य प्रवृत्ति अब कई महीनों से लगातार कमजोर होती जा रही है.
भारत की संसद द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम ( FEMA ) कब पारित किया गया था?
प्रमुख बिंदु
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम ( FEMA )
- यह विनियमों का एक समूह है जो भारतीय रिजर्व बैंक को विनियम पारित करने का अधिकार देता है और भारत सरकार को भारत की विदेश व्यापार नीति के संबंध में विदेशी मुद्रा से संबंधित नियमों को पारित करने में सक्षम बनाता है।
- 1973 के विदेशी मुद्रा विनियमन विदेशी मुद्रा व्यापार यूटिलिटीज अधिनियम (FERA) की जगह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) भारत सरकार द्वारा 1999 में पेश किया गया था।
- इसे 29 दिसंबर 1999 विदेशी मुद्रा व्यापार यूटिलिटीज को पारित किया गया था।
- FEMA 1 जून 2000 को एक अधिनियम बन गया।
- FEMA ने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) नामक एक अधिनियम को प्रतिस्थापित किया। FERA (विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम) कानून 1973 में पारित किया गया था।
- मुख्य उद्देश्य जिसके लिए FEMA पेश किया गया था, वह बाहरी व्यापार और भुगतान की सुविधा प्रदान करना था।
- यह केंद्र सरकार को देश के बाहर स्थित किसी व्यक्ति को भुगतान के प्रवाह को विनियमित करने की शक्ति देता है।
- यह अधिनियम विश्व व्यापार संगठन (विश्व व्यापार संगठन) के ढांचे के अनुरूप है।
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के अनुमोदन के बिना विदेशी प्रतिभूतियों या विनिमय से संबंधित कोई भी वित्तीय लेनदेन नहीं किया जा सकता है।
- फेमा को भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव में सहायता के लिए भी तैयार किया गया था ।
- FEMA अधिनियम के तहत, भुगतान संतुलन विभिन्न देशों के नागरिकों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और परिसंपत्तियों के लेन-देन का रिकॉर्ड है।
- इसे मुख्य रूप से दो कैटेगरी में बांटा गया है, यानी पूंजी खाता और चालू खाता।
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Last updated on Sep 26, 2022
The Chhattisgarh Government, Revenue, and Disaster Management Department released Model Answer Key for CG Patwari Recruitment Exam on 13th May 2022. A window was given to the candidates to raise any objection till 18th May 2022 till 5:00 P.M. The board might conduct an interview round as well during the document verification round. A total vacancy of 301 was released for the post of CG Patwari. The candidates can check CG Patwari Result from here.
80 रुपये के करीब पहुंचा डॉलर, गांव रहते हैं या शहर, आप पर भी पड़ने वाला है इसका असर
Rupee @ All Time Low: अब जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये के स्तर तक पहुंच गया है, इसका मतलब हम इन सामानों के आयात के लिए ज्यादा पैसा खर्च करेंगे और अंतत: घरेलू स्तर पर इनके दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 14 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 14 जुलाई 2022, 8:50 PM IST)
- बढ़ रहा देश का व्यापार घाटा
- विदेश में पढ़ाई होगी महंगी
- अशोक गहलोत ने साधा निशाना
डॉलर के मुकाबले रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है. इस समय एक डॉलर की विनिमय दर (Dollar To INR Exchange Rate) करीब 80 रुपये हो चुकी है. ऐसे में इसका आम आदमी की जेब पर क्या असर पड़ने वाला है? आइए जानते हैं.
महंगी हो जाएंगी इम्पोर्टेड चीजें
Rupee @ Historic Low: सबसे पहले तो ये जान लें कि भारत एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा करने वाला देश है. यानी ऐसी बहुत सी वस्तुएं हैं जिनके लिए हम विदेशों से आयात पर निर्भर करते हैं. इनमें पेट्रोलियम उत्पाद के साथ-साथ खाद्य तेल और इलेक्ट्रॉनिक सामान महत्वपूर्ण है. ऐसे में अब जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये के स्तर तक पहुंच गया है, इसका मतलब हम इन सामानों के आयात के लिए ज्यादा पैसा खर्च करेंगे और अंतत: घरेलू स्तर पर इनके दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.अगर ऐसा होता है तो आपके किचन में इस्तेमाल होने वाले सरसों और रिफाइंड तेल से लेकर गाड़ी डलने वाला पेट्रोल एवं मोबाइल और लैपटॉप सब महंगे हो जाएंगे. इसके अलावा जिन भी पैकेज्ड वस्तुओं में खाने के तेल का इस्तेमाल होता है, वो भी महंगी हो जाएंगी जैसे कि आलू के चिप्स, नमकीन वगैरह.
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विदेश में पढ़ाई होगी महंगी
रुपये की कमजोरी सिर्फ घर में महंगाई नहीं बढ़ाएगी. बल्कि भारत से जो बच्चे विदेश पढ़ने गए हैं उनके मां-बाप के लिए भी नया सिरदर्द बनेगी. विदेश में पढ़ाई कर रहे बच्चों को अगर उनके माता-पिता पहले हर महीने 70,000 रुपये भेज रहे थे, तो अब डॉलर में उतनी ही रकम बच्चों को भेजने के लिए उन्हें करीब 80,000 रुपये भेजने होंगे. यानी महीने का खर्च बढ़ा सीधा 10,000 रुपये.बढ़ रहा देश का व्यापार घाटा
भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक तेजी कई अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह से रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है. वैश्विक स्तर पर महंगाई अपने चरम पर है, तो वहीं अमेरिका में तो ये अपने 41 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. इस बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार (India's Forex Reserve) में तेजी से गिरावट आई है. रुपये को संभालने के लिए आरबीआई ने खुले मार्केट में डॉलर की बिक्री भी की है, लेकिन ये प्रयास ना काफी है.वहीं देश का व्यापार घाटा भी बढ़ा है. जून में देश का व्यापार घाटा 26.18 अरब डॉलर रहा है. भले इस अवधि में देश का एक्सपोर्ट 23.5% बढ़ा है, लेकिन इसके मुकाबले में आयात कहीं और ज्यादा बढ़ा है. जून 2022 में देश का आयात सालाना आधार पर 57.55% बढ़ गया है. ऐसे में व्यापार घाटा (India's Trade Deficit) भी बढ़ा है. जून 2021 में भारत का व्यापार घाटा महज 9.60 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा व्यापार यूटिलिटीज था.
अशोक गहलोत ने कही ये बड़ी बात
रुपये के लगातार गिरने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि विदेशी मुद्रा व्यापार यूटिलिटीज रुपये की कीमत में रिकॉर्ड गिरावट के बाद 1 डॉलर की कीमत पहली बार 80 रुपये हो गई है. यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक स्थिति है. यह दिखाता है कि मोदी सरकार के पास अर्थव्यवस्था को लेकर कोई कार्ययोजना नहीं है. रुपये की कीमत में गिरावट से आने वाले दिनों में महंगाई और बढे़गी एवं विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घटेगा. कमजोर होते रुपये से देश की साख भी कम होगी. यूपीए सरकार के समय 1 डॉलर की कीमत 60 रुपये होने पर सवाल पूछने वाले आज कहां चले गए?ट्रेडिंग फॉरेक्स ट्रेड -
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