गर्दन में दर्द की वजह कहीं आपका मोबाइल तो नहीं!
गर्दन में मोबाइल दबाकर बातें करने, सिर आगे करके टेक्स्ट मैसेज करने या फिर कंप्यूटर टेक्स्ट का ज्यादा इस्तेमाल करने की आदत, कहीं आप में भी तो नहीं है! अगर हां, तो कहीं ये आदत आपको टेक्स्ट नेक सिंड्रोम का शिकार न बना दे।
टेक्स्ट नेक की समस्या सिर, गर्दन और कंधों के गलत पोश्चर की वजह से उत्पन्न होती हैं। मोबाइल पर मैसेज टाइप करते या कंप्यूटर पर काम करने के दौरान हमें एक खास मुद्रा में गर्दन को एक ओर झुकाना पड़ता है, जिससे हमारी पीठ के ऊपर का हिस्सा भी असामान्य स्थिति में आ जाता है। जो दर्द का कारण बनती है।
इससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है। थकान होती है और इससे सिर दर्द भी हो सकता है। इस तरह के दर्द को नजरअंदाज करने पर भविष्य में गंभीर गर्दन दर्द से भी आपको गुजरना पड़ सकता है।
बचना जरूरी है
आप कंप्यूटर पर लगातार काम करते हैं, तो बीच-बीच में ब्रेक लें। अपने पोश्चर को सही रखने के साथ बीच-बीच में हल्का फुल्का व्यायाम करें। गर्दन को ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं घुमाएं।
पंद्रह मिनट इस एक्सरसाइज को करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इससे गर्दन ही नहीं आंखों को भी आराम मिलेगा।
मोबाइल से टेक्स्ट मैसेज भेजने या गेम खेलने के लिए की-पैड का ज्यादा इस्तेमाल करने से भी अंगूठे प्रभावित होते हैं। इससे बचने के लिए की-पैड की बजाय टच स्क्रीन का इस्तेमाल करें।
संभव हो, तो ज्यादा एसएमएस टाइप करने से बचें। पांच मिनट से ज्यादा टेढ़ी गर्दन करके बात न करें। वहीं टेक्स्ट मैसेज करते हुए सिर को नीचे आगे की ओर झुकाने की बजाए मोबाइल को ही आंख के लेबल पर कर लें। गर्दन में दर्द ज्यादा हो, तो इससे राहत पाने के लिए सेंधा नमक मिले गर्म पानी से सेंक करें।
गर्दन में मोबाइल दबाकर बातें करने, सिर आगे करके टेक्स्ट मैसेज करने या फिर कंप्यूटर टेक्स्ट का ज्यादा इस्तेमाल करने की आदत, कहीं आप में भी तो नहीं है! अगर हां, तो कहीं ये आदत आपको टेक्स्ट नेक सिंड्रोम का शिकार न बना दे।
टेक्स्ट नेक की समस्या सिर, गर्दन और कंधों के गलत पोश्चर की वजह से उत्पन्न होती हैं। मोबाइल पर मैसेज टाइप करते या कंप्यूटर पर काम करने के दौरान हमें एक खास मुद्रा में गर्दन को एक ओर झुकाना पड़ता है, जिससे हमारी पीठ के ऊपर का हिस्सा भी असामान्य स्थिति में आ जाता है। जो दर्द का कारण बनती है।
इससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है। थकान होती है और इससे सिर दर्द भी हो सकता है। इस तरह के दर्द को नजरअंदाज करने पर भविष्य में गंभीर गर्दन दर्द से भी आपको गुजरना पड़ सकता है।
बचना जरूरी है
आप कंप्यूटर पर लगातार काम करते हैं, तो बीच-बीच में ब्रेक लें। अपने पोश्चर को सही रखने के साथ बीच-बीच में हल्का फुल्का व्यायाम करें। गर्दन को ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं घुमाएं।
पंद्रह मिनट इस एक्सरसाइज को करने से मांसपेशियां मजबूत सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? होती हैं। इससे गर्दन ही नहीं आंखों को भी आराम मिलेगा।
मोबाइल से टेक्स्ट मैसेज भेजने या गेम खेलने के लिए की-पैड का ज्यादा इस्तेमाल करने से भी अंगूठे प्रभावित होते हैं। इससे बचने के लिए की-पैड की बजाय टच स्क्रीन का इस्तेमाल करें।
संभव हो, तो ज्यादा एसएमएस टाइप करने से बचें। पांच मिनट से ज्यादा टेढ़ी गर्दन करके बात न करें। वहीं टेक्स्ट मैसेज करते हुए सिर को नीचे आगे की ओर झुकाने की बजाए मोबाइल को ही आंख के लेबल पर कर लें। गर्दन में दर्द ज्यादा हो, तो इससे राहत पाने के लिए सेंधा नमक मिले गर्म पानी से सेंक करें।
पीठ में दर्द के साथ सिर सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? और पेट में भारीपन कर रहा परेशान, तो जानिए कारण और तुंरत उपाय
मांसपेशियों में तनाव, मांसपेशियों में ऐंठन, चोट, गलत पॉश्चर, मोटापा और अधिक वजन उठाने के कारण भी कई बार पीठ में दर्द होता है। अगर आपको पीठ के साथ सिर में भी भारीपन बना रहता है तो इसके पीछे कारण आपके खाने का गलत तरीका है। जी हां, गैस एक बहुत बड़ी समस्या होती है और इससे शरीर के नसों में भी परेशानी होती है।
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क्यों होता है कंधों में दर्द? जानें लक्षण और कारण
Written by: Garima Garg Updated at: May 31, 2021 16:01 IST
कभी-कभी गलत तरीके सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? से उठने-बैठने या शारीरिक गतिविधियों को कम करने के कारण कुछ ऐसी शारीरिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं, जिनके कारण कंधों में दर्द शुरू हो जाता है। इस सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? दर्द को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि कंधा शरीर का वह अंग होता है, जिसका इस्तेमाल हम सोते, बैठते, काम करते वक्त आदि के दौरान करते हैं। ऐसे में अगर कंधा क्षतिग्रस्त हो जाए तो रोजमर्रा के कार्यों पर प्रभाव पड़ता है। अब सवाल ये है कि कंधे में दर्द क्यों होता है? तो बता दें कि जब मांसपेशियों में अकड़न आ जाती है या वे कमजोर होने लगती हैं तो यह दर्द बढ़ने लगता है। ये दर्द और भी कारणों से हो सकता है या तो कुछ भारी सामान उठाने से या गलत अवस्था में सोने से। आज का हमारा य लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि कंधों में दर्द किन कारणों (Shoulder pain causes) से होता है। साथ ही इसके लक्षण (Shoulder pain Symptoms) और उपचार (Shoulder pain Treatment) के बारे में भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे.
कंधे में दर्द के लक्षण (symptoms of shoulder pain)
कंधे में दर्द होने के दौरान निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं-
1 - बाजू हिलाने में दिक्कत महसूस करना।
2 - प्रभावित क्षेत्र का सुन्न हो जाना।
3 - कंधों में कमजोरी महसूस करना।
4 - हाथों में झनझनाहट महसूस करना।
5 - बाजुओं में दर्द महसूस करना।
अगर स्थिति गंभीर हो जाती है तो कभी-कभी व्यक्ति को चक्कर आने, बुखार, कंधे में हिलाने में कठिनाई, जोड़ो में दर्द, त्वचा का तापमान बढ़ना, छूने पर दर्द महसूस करना आदि लक्षण नजर आने लगते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है। इसके अलावा यदि व्यक्ति के कंधों पर नील पड़ जाए त्वचा गर्म हो जाए तब भी तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहििए।
कंधों में दर्द के कारण (causes of shoulder pain)
कंधों में दर्द होने के पीछे कुछ आम तो कुछ गंभीर कारण हो सकते हैं। ऐसे में जानते हैं कंधे मं दर्द के निम्न कारण क्या हैं?
1 - रीढ़ की हड्डी में कोई गंभीर चोट लग जाती है तब कंधे में दर्द की समस्या पैदा हो सकती है।
2 - मांसपेशियों में दर्द या अकड़न हो जाने का कारण भी कंधे में दर्द शुरू हो जाता है। यह अकड़न लिगामेंट्स या टेंडन (Tendons - similar to ligaments, both are made of collagen) के कारण भी हो सकती है, जिसके कारण कंधे हिलाने में भी दिक्कत महसूस होती है।
3 - जो व्यक्ति गठिया यानी अर्थराइटिस का शिकार हो जाता है तब भी व्यक्ति के कंधों में दर्द हो सकता है।
4 - रोटेटर कफ टेंडिनाइटिस (Rotator Cuff Injury) के कारण भी व्यक्ति के सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? कंधे में दर्द हो सकता है जो व्यक्ति को इस तरीके की समस्या होती है तो उनके टेंड्स में सूजन आ जाती है और वे रोटेटर कफ टेंडिनाइटिस से ग्रस्त हो जाता है।
5 - जब व्यक्ति के रीढ़ की हड्डी या कंधों में चोट लगती है तब भी कंधों में दर्द की समस्या हो सकती है।
6 - जब कंधे की हड्डी टूट जाती है तब कंधों में तीव्र दर्द हो सकता है।
7 - जब कंधे के आसपास हड्डी उभर जाती हैं यानी बोन स्पर्स (Bone spurs also called osteophytes) की समस्या हो जाती है तब भी कंधे में दर्द शुरू हो सकता है।
8 - जब कंधों के ज्वाइंट के बीच में दूरी आ जाती है तब भी ये समस्या हो सकती है।
9 - जब कंधे के आसपास के क्षेत्र में सूजन आ जाती है यानी बर्साइटिस की समस्या हो जाती है तब भी कंधों में दर्द रहता है।
कंधों में दर्द से बचाव prevention of shoulder pain
1 - एक्सरसाइज समस्या को दूर करने में बेहद उपयोगी है।
2 - इसके अलावा यदि व्यक्ति नियमित रूप से कंधे की एक्सरसाइज करता है तो उसकी मांसपेशियां स्ट्रॉन्ग होती हैं। साथ ही वह जल्दी चोट, सूजन, दर्द आदि का शिकार नहीं होता।.
3 - इसके अलावा दर्द होने पर व्यक्ति गर्म सिकाई या ठंडी सिकाई भी कर सकता है, ऐसा करने से भी समस्या दूर हो जाती है।
4 - दर्द होने पर कंधों को जरूर आराम दें।
5 - भारी सामान को ना उठाएं। खासकर उस कंधे से बिल्कुल काम वा सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? करें जो दर्द से प्रभावित है। वरना दर्द और बढ़ सकता है।
6 - हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए स्वस्थ आहार का सेवन करें।
7 - वर्कआउट करने से पहले वार्मअप करना जरूरी है।
8 -सही पोश्चर में बैठें।
9 - काम करने के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें और लंबे समय तक एक ही अवस्था में बैठने से बचें।
10 - अपनी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियों को जोड़ें।
11 - सोने से पहले तकिये का इस्तेमाल करें। गलत तरीके से तकिये के इस्तेमाल से कंधे में दर्द और बढ़ सकता है।
कंधों में दर्द के उपचार (treatment of shoulder pain)
डॉक्टर सबसे पहले यह पता लगाते कि कंधे में दर्द किस कारण हो रहा है। इसके लिए वह पीड़ित व्यक्ति की मौखिक रूप से जांच करते हैं। उसके बाद वह कंधे को छूकर दर्द, सूजन आदि जानने की कोशिश करते सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? हैं। जब व्यक्ति को ज्यादा दर्द होता है तो डॉक्टर x-ray टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं ताकि अंदरूनी तस्वीरों को देख कर पता लगाया जा सके। डॉक्टर फिजिकल थेरेपी, शोल्डर इमोबिलाइजर, एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाई आदि का सहारा लेने की सलाह देते हैं।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि जब भी मांसपेशियों में अकड़न या मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो कंधों में दर्द शुरू हो जाता है और व्यक्ति असामान्य महसूस करता है। ऐसे में सबसे पहले सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? सही कारण जाने की जरूरत है उसके बाद इलाज किया जा सकता है। बता दें कि कुछ उपायों को अपनाकर आप समस्या को दूर कर सकते हैं। लेकिन उससे पहले लक्षणों को कारणों को समझना जरूरी है। अगर आप का दर्द बंद नहीं हो रहा है या कंधे ने काम करना बंद कर दिया है तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। अगर गर्भवती महिलाओं के दर्द हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
Tension Headache: टेंशन होने पर सिर के इस तरफ होता है दर्द, जानें टेंशन वाले सिर दर्द को दूर करने के घरेलू नुस्खे
Tension Headache: जब किसी व्यक्ति को टेंशन के कारण सिर दर्द में दर्द होता है तो उसे अपने माथे के आसपास काफी प्रेशर और तनाव महसूस होता है। इस दर्द में ऐसा महसूस होता है जैसे कोई दोनों तरफ से उनकी खोपड़ी को निचोड़ रहा है। इस दौरान सिर या गर्दन के पीछे की तरफ भी दर्द होता है। टेंशन वाला सिर दर्द मुख्यत: दो तरह का होता है।
Written by Rashmi Upadhyay | Published : July 1, 2021 6:04 PM IST
टेंशन वाला सिरदर्द (Tension Headache)
सिरदर्द एक ऐसी समस्या है जिसका सामना लोग किसी न किसी रूप में करते ही हैं। स्टडीज बताती हैं कि सिरदर्द ऐसी समस्या है जिसका सामना लोगों को किसी न किसी प्वॉइंट पर करना ही पड़ता है। वैसे सिर दर्द कई तरह का होता है। आपके सिर में किस तरफ दर्द हो रहा है यह महसूस कर आप ये समझ सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? सकते हैं कि सिर दर्द का कारण क्या हैं। सिर दर्द अलग अलग तरह का होता है और सभी के लक्षण, कारण और इलाज भी अलग होते हैं। सिर दर्द का सबसे कॉमन रूप जो ज्यादातर लोगों को होता है वो टेंशन (Tension headaches) है। यानि कि दुनियाभर में लोग सबसे ज्यादा टेंशन की वजह से सिर दर्द का सामना करते हैं। आइए जानते हैं कैसा होता है टेंशन वाला सिर दर्द और इसके लक्षण व इलाज (Symptoms and Treatment of Tension headaches) क्या है।
क्या और कैसा है टेंशन वाला सिर दर्द? (What Are Tension Headaches)
जब किसी व्यक्ति को टेंशन के कारण सिर दर्द में दर्द होता है तो उसे अपने माथे के आसपास काफी प्रेशर और तनाव महसूस होता है। इस दर्द में ऐसा महसूस होता है जैसे कोई दोनों तरफ से उनकी खोपड़ी को निचोड़ रहा है। इस दौरान सिर या गर्दन के पीछे की तरफ भी दर्द होता है। टेंशन वाला सिर दर्द मुख्यत: दो तरह का होता है। पहला होता है एपिसोडिक टेंशन वाला सिर दर्द (Episodic tension headaches), यह दर्द 30 मिनट से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है और महीने में 15 दिन से भी कम समय में हो सकता है। दूसरा होता है क्रोनिक सिर दर्द (Chronic headaches), इसमें 15 दिनों तक सिर दर्द रह सकता है और इसके लक्षण कई महीनों तक रह सकते हैं। ज्यादातर मामलों में एपिसोडिक सिर दर्द को नजरअंदाज करने पर क्रोनिक सिर दर्द होने लगता है। Also Read - हमेशा जवान रहने के लिए खाएं ये 5 फूड, रुक जाएगा बुढ़ापा और कम हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां
टेंशन वाले सिर दर्द में ऐसे दिखते हैं लक्षण (Symptoms Of Tension Headaches)
जब टेंशन वाला सिर दर्द होता है तो ऐसा महसूस होता है जैसे किसी ने आपके सिर को जोर पकड़ा हुआ है। इस स्थिति में सिर दर्द पीछे की तरफ से शुरू होता है और कंधों और गर्दन पर भी तनाव डालता है। टेंशन वाला सिरदर्द होने पर माथे और सिर के दोनों तरफ दर्द हो सकता है, कंधों और गर्दन में दर्द हो सकता है, आंखों में दर्द हो सकता है, नींद आने में दिक्कत हो सकती सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? है और मूड स्विंग होता है।
कंधे, गर्दन से आती है 'कड़क-कड़क' की आवाज? इस दर्दनाक रोग का है संकेत, हल्के में लेना पड़ेगा भारी
आमतौर पर शरीर की इन आवाजों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि यह आवाजें कई गंभीर विकारों का संकेत हो सकती हैं।
कंधे, गर्दन से आती है 'कड़क-कड़क' की आवाज? इस दर्दनाक रोग का है संकेत, हल्के में लेना पड़ेगा भारी
उंगलियों से चटकने की आवाज, हड्डियों से कट-कट की आवाज, पेट से गुड-गुड की आवाज। शरीर के कई हिस्सों से इस तरह की आवाजें आती हैं। आमतौर पर शरीर की इन आवाजों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि यह आवाजें कई गंभीर विकारों का संकेत हो सकती हैं। बेशक शरीर के अंगों से आने वाली आवाजों से आपको उस समय परेशानी न हो लेकिन इन्हें नजरअंदाज करने से धीरे-धीरे आपका शरीर किसी बड़े खतरे में पड़ सकता है।
कंधे से 'कड़क-कड़क' की आवाज
कई बार अंगड़ाई लेते समय या अचानक हाथ ऊपर उठाते समय अगर आपको कंधों से 'कड़क-कड़क' की आवाज आती है, तो आपके सावधान हो जाना चाहिए। इस तरह की आवाज अक्सर कंधे के जोड़ से आती है। एक्सपर्ट मानते हैं कि लंबे समय तक हाथों को उठाकर काम करने से बर्सा (bursa) में सूजन पैदा हो सकती है। यह रोटेटर कफ टेंडन और शोल्डर ब्लेड टिप के बीच द्रव से भरी थैली है और इसके कारण है ऐसी आवाज आती है।
आमतौर पर यह आवाज अपने आप खत्म हो जाती है। लेकिन अगर आपको इस आवाज के साथ कंधे में दर्द महसूस होता है, तो आपके लिए खतरे की बात है। दर्द होने का यह मतलब हो सकता है कि कंधे सॉकेट के कार्टिलेज में कुछ गड़बड़ है। अगर आपको अक्सर दर्द के साथ इस तरह का आवाज आती है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
गर्दन से टक-टक की आवाज
गर्दन से आने वाली आवाज का कतई यह मतलब नहीं है कि आपकी उम्र ज्यादा हो गई है। दरअसल गर्दन वाला हिस्सा कई जोड़ों से मिलकर बना है। गर्दन में कई जोड़ होते हैं जिसे फेसेट (facet) जोड़ कहते हैं। हर जोड़ में द्रव भरा है और एक कैप्सूल से घिरा हुआ है। गर्दन को मोड़ने से झिल्ली में खिंचाव होता है और उन जोड़ों में बदलाव होता है।
बुलबुले गिरने पर ध्वनि होती है, हालांकि कुछ लोग सोचते हैं कि बुलबुले बनने पर ध्वनि उत्पन्न होती है। जो भी कारण हो, गर्दन का फटना आमतौर पर हानिकारक नहीं होता है, लेकिन यदि आपको दर्द का अनुभव हो तो डॉक्टर से मिलें। यह नर्व रूट इम्पिंग्मेंट का संकेत हो सकता है, तंत्रिका जड़ का दबाव परिवर्तन जो पूरे अंग में दर्द का कारण बनता है।
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